शुक्रवार, 11 जून 2010

मुझे मेरी बीवी से बचाओ : भाग- तीन
 
अब हम तीनों के दिन और रात बहुत रंगीन हो चुके थे. सुमन अब सोनी और मेरे साथ पूरे जोश के साथ संभोग करने लगी थी. लेकिन अब यह समस्या थी  कि आखिर सोनी कब तक रुक सकेगी. हालाँकि मजा मुझे भी सुमन के साथ साथ सोनी के संग संभोग करने पर भी आ रहा था लेकिन गम्भ्र्ता से सोचें तो यह लम्बे समय तक संभव नहीं था.
इसी बीच एक दिन ऐसा मौका आ भी गया. सोनी को खबर मिली कि उसकी मां बहुत बीमार है और उसे देखने के लिए उसे जाना होगा. सुमन तो बहुत ही उदास हो गई. लेकिन सोनी भी मजबूर थी. वो कुछ दिनियो कि छुट्टी लेकर चली गई. पहली रात को तो मैंने कुछ नहीं किया लेकिन अगली रात को सुमन से जब संभोग करना चाह तो सुमन थोड़ी देर के बाद रुक गई.
इसी तरह से तीन दिन और गुज़र गए. एक दिन शाम को जब मैं पहुंचा तो श्व्टा मुझे मेरे घर से निकलती हुई मिली. उसने मुझे देखा और एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ अपने घर में चली गई. सुमन ने मुझे कहा कि उसने श्वेता को सोनी के बारे में सब कुछ बता दिया है. यहाँ तक कि हम तीनों के लगातार हमबिस्तर होने तक को भी बता दिया है. मैं सन्न रह गया. सुमन ने कहा कि श्वेता भी हमारे साथ आने को तैयार है अब तो मुझे आगे तक दूर दूर अँधेरा नजर आने लगा. मैंने सोचा अब इस चीज का अंत बिलकुल नामुमकिन है क्यूंकि सुमन एक बहुत ही हार्डकोंर लेस्बियन है. बिना किसी औरत के ये मेरे साथ संभोग कभी नहीं कर पाएगी. मैंने मजबूर होकर सुमन की बात मां ली. सुमन ने खुश होकर मेरे होंठ बहुत ही जोर से चूस लिए और मुझसे लिपट गई. मैंने भी उसके होंठ चूस लिए. और उसे लेकर बिस्तर पर गिर गया.
अगले दिन रविवार था. नाश्ते के बाद मैं अखबार पढ़ रहा था. मेंसे देखा की सुमन श्वेता के घर के बाहर खड़ी थी. श्वेता बाहर आई. उसने दरवाजा बंद किया और सुमन के साथ हमारे घर में घुस गई. मैं समझ गया कि सुमन श्वेता को लेकर क्यूँ आई है. दोनों आ गई. श्वेता को आज मैंने पहली बार बहुत करीब से देख रहा था. लेकिन करीब एक माह पहले मैंने मेरी ही फैक्ट्री के एक व्यक्ति से श्वेता के बारे में एक बात पाता चली को चिंताजनक भी थी और उसके लिए सहानुभूति भी पैदा करने वाली थी. उस व्यक्ति ने बताया कि श्वेता का पति यानि कि पटेल साहब का लड़का नामर्द है. ये बात श्वेता को शादी के बाद पता चली. श्वेता तभी से बहुत परेशान रहती है. मैं तुरंत समझ गया. तो सुमन से उसने दोस्ती इसीलिए की है जिससे वो अपने शारीरिक सुख को सुमन से प्राप्त कर सके.
मेरे लिए अब ये एक नयी मुसीबत थी. आखिर में मैंने ये मान लिया कि शायद मेरी किस्मत में यही सब लिखा है. इसलिए अब मुझे अच्छा बुरा समझना छोड़कर हर तरह से मजे लूटने चाहिये.
 श्वेता और सुमन मेरे सामने थी. मैंने सुमन की तरफ देखा और मुस्कुअराया. सुमन खुश नजर आई. मैं श्वेता के पास गया और उसके पास बैठ गया. मैंने श्वेता के बालों में हाथ फिराया और बोला " मैं जानता हूँ तुम्हारी तकलीफ. श्वेता; मैं और सुमन तुम्हारी हर तकलीफ दूर कर देंगे. तुम्हे कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे. तुम अब हमारे साथ हो तो हम सब मुरे मजे से रहेंगे." मैंने श्वेता के गालों को चूम लिया. श्वेता सिहर गई. सुमन उसके पास आई और उसने भी श्वेता के स्तनों पर हाथ रखा और उन्हें दबाना शुरू किया. श्वेता को अब इतने से ही आनंद आने लगा. मैंने श्वेता द्वारा पहनी गई साडी खोलनी शुरू की. वो अब ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी. गहरे भूरे रंग का ब्लाउज और उसी रंग का पेटीकोट में उसका गोरा अंग गज़ब ढा रहा था. वो दुबली पतली थी लेकिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी. सुमन ने उसका ब्लाउज उतारा और मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. अब वो ब्रा और पैंटी में रह गई थी. सुमन ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और मैंने श्वेता को उसके पीछे से बाहों में लेकर उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपना दबाव बढ़ा दिया. श्वेता अब दोनों तरफ से दब गई थी लेकिन उसका चेहरा साफ बता रहा था की उसके अनादर कितनी ठंडक पहुँच चुकी है. हम दोनों उसे लेकर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और सुमन ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. श्वेता को अब हमने पूरा निर्वस्त्र कर दिया था. 
सुमन ने श्वेता के पूरे जिस्म पर चुम्बनों की बरसात कर दी. इससे पहले कि श्वेता संभल पाती मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने चुम्बन बरसा दिए. श्वेता तड़पकर बिस्तर पर आ गई. मैंने सुमन को उसके ऊपर सुला दिया. सुमन ने अब अपने गुप्तांग वाले भाग को श्वेता के गुप्तांग के ठीक ऊपर से स्पर्श करवा दिया. जैसे ही सुमन ने अपने गुप्तांग को श्वेता के गुप्तांग के ऊपर थोडा दबाकर रगड़ना शुरू किया; दोनों एक साथ तड़पकर अपने मुंह से सिसकीयाँ निकालने लगी. मैंने अपने हाथ सुमन कि पीठ पर रखे और सुमन को श्वेता के ऊपर दबाते हुए हिलाना जारी रखा. दोनों के लिए यह स्थिति बहुत ही नरम और गरम थी. दोनों को बहुत ही जबरदस्त मजा आने लगा था. सुमन के कारण अब मुझे भी ऐसे खेल मान को भाने लग गए थे.
कुछ देर के बाद सुमन और श्वेता ने एक और नया तरीका अपनाया जो मेरी हालत बहुत ही खराब कर गया. मेरे सारे शरीर में एक साथ हजारों वाट कि बिजलीयाँ दौड़ गई. उन दोनों ने अपनी टांगें फैला दी. दोनों ने अपनी अपनी टाँगे कैंची कि तरह एक दूसरे कि टांगों के बीच में इस तरह डाली कि उन दोनों के जननांग एक दूसरे से बिलकुल सट गए. अब दोनों ही ने आगे पीछे होकर एक दूजे के जननांग को आपस में रगड़ना शुरू किया. उन दोनों के मुंह से कभी आह निकलती तो कभी एक हलकी सी सिसकी. जब थोडा दबाव बढ़ जाता तो एक हल्की चीख भी निकल जाती. मैंने ये पहली बार देखा था. लेकिन इस दृश्य ने मेरी ऐसी हालत बिगाड़ी कि मैं लिख नहीं सकता. मैं सब कुछ भूलकर उन दोनों को देखने लगा. कुछ देर बाद दोनों अलग हुई. मैंने पहले सुमन को सोफे कि कुर्सी पर अधलेटा किया और फिर श्वेता को सुमन के ऊपर उसी तरह अधलेटा कर बैठा दिया. दोनों के का आगे का हिस्सा मेरी तरफ था. अब मैं उन दोनों के ऊपर उलटा लेट गया. अब मेरा लिंग था और सामने पहले श्वेता का जननांग और फिर उसके नीचे सुमन का जननांग. मैंने पहले सुमन के जननांग में अपना लिंग घुसाया लेकिन दबाव श्वेता के बदन पर भी पडा. दोनों को यह बहुत अच्छा लगा. कुछ डेरा बाद मैंने गुप्तांग श्वेता के जननांग में घुसा दिया. श्वेता कि स्थति आज उसी तरह थी जैसी कुछ दिन पहले सुमन की थी. श्वेता भी आज पहली बार किसी के साथ अपने जीवन का संभोग कर रही थी. मैंने बारी बारी से उन दोनों के साथ कई बार संभोग किया. दोनों को एक साथ दबाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी बहुत ही मखमली अहसास वाले गद्दे पर लेटा हुआ हूँ. दोपहर तक हम तीनों ने अपनी अपनी भूख  मिटाई. श्वेता अब अपने घर चली गई क्यूंकि अब उसके घर में कोई भी लौट सकता था.
अगले चार पांच दिन में श्वेता समय निकालकर कई बार आई. जैसे जैसे समय मिलता तो वो कभी सुमन के साथ तो कभी हम दोनों के साथ संभोग करके अपनी प्यास बुझा जाती.
शनिवार के दिन शाम को जब श्वेता के घर कोई नहीं था तो वो हमारे साथ थी. हम तीनो अपने बेडरूम पूर्णतया नग्नावस्था में बिस्तर में एक दूसरे से लिपटे हुए अपने काम में व्यस्त थे कि अचानक से मुख्य दरवाजे के खुलने कि आवाज आई. हम तीनों चौंके और डर गए. फिर मुझे ध्यान आया कि बाहर के दरवाजे के ताले कि तीसरी चाबी तो सोनी के पास थी. मैं निश्चिंत हो गया कि सोनी ही आई होगी. सोनी ही आई थी. वो जैसे ही बेडरूम में आई उसने हमारे साथ साथ श्वेता को देखा तो हैरान हो गई. फिर वो सुमन के पास आई. उसने सुमन के होंठों पर अपने होंठ रखे और बोली " शैतान और भूखी औरत. मेरे बिना तुम इतने दिन भी नहीं रुक सकी. ओई बात नहीं अब मैं आ गई हूँ ना. मैं भी तुम्हारे साथ हो जाती हूँ." सोनी ने फटाफट अपने सारे कपडे उतार दिए और हमारे साथ पलंग पर आ गई. सोनी बोली " मैं आप दोनों के बिना एक सप्ताह पागल हो गई थी. पहले मैंने सोचा कि कभी ना कभी तो मुझे आप लोगों के बिना रहना ही होगा. लेकिन दो दिन बाद ही ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं अब आप दोनों के बिना कभी रह नहीं पाऊँगी. हालांकि मेरे पास आप जैसा ही एक और केस आया था और पैसे भी ढेर सारे ऑफर हुए थे. लेकिन आप लोगों का साथ मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने वो ऑफर ठुकरा दिया. मैं जानती हूँ सुमन मेरे बिना एक दिन भी नहीं रह पाएगी. श्वेता का मुझे पता था. लेकिन जब हम यह जगह कभी भी छोड़ेंगे तो श्वेता तो साथ नहीं आ पाएगी. इसलिए मेरा साथ ही हमेशा रहे तो आप दोनों के लिए बहुत अच्छा होगा मेरे लिए तो इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता. इसलिए अब मैंने यह सोच लिया है कि मैं आपके साथ ही रहूंगी." सुमन और मैं यह सुनकर बहुत खुश हुए. मुझे बहुत बड़ी तस्सली पहुंची कि अब सुमन हमेशा सामान्य ही रहेगी. इसी ख़ुशी में मैंने सोनी को अपनी तरफ खींचा और उसे चूमते हुए कहा " अब तुम हम दोनों के लिए एक देवदूत से कम नहीं हो. दुनिया चाहे कुछ भी कह दे लेकिन मैं तुम्हे अब हम दोनों से अलग कभी नहीं होने दूंगा." इतना सुनते ही सोनी ने अपनी टांगें फैलाई और मुझे अपनी तरफ खींचते  हुए कहा " आज मुझे मेरा इनाम चाहिये." मैंने तुरंत अपना गुप्तांग उसके गुदगुदे गोल दरवाजे में घुसा दिया.
मैंने बारी बारी से सुमन ; सोनी और श्वेता के साथ दो दो बार संभोग किया. यह खेल काफी देर तक चला. फिर रात होते ही श्वेता चली गई. लेकिन हम तीनो देर रात तक आपस में संभोग करते रहे.
 

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