रविवार, 13 जून 2010

मुझे मेरी बीवी से बचाओ : भाग पांच
हम अतुल रहने गए. हमारा नया घर इंडस्टरीअल क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर बनी एक कोलोनी में था. छोटे छोटे बंगले बने थे. बहुत सुन्दर घर थे. हर घर के आगे और पीछे बगीचा बना था. करीब पचास के आसपास घर थे. इन पचास घरों में से करीब तीस ही भरे थे. बाकी खाली थे. हमारे पड़ोस वाले बंगले में एक बंगाली परिवार था. मियाँ बीवी थे. अरबिंदो और मोनिशा चटर्जी. अरबिंदो बहुत ही शक्की स्वभाव का था. मोनिशा बहुत ही चुलबुली और मिलनसार. अरबिंदो कला और अजीब दिखता था वहीँ मोनिशा किसी हिरोइन से काम नहीं लगती थी. हमारे स्समने वाले घर में रहने वाली एक महिला ने सुमन को बताया की अरबिंदो बहुत पैसे वाला है इसलिए मोनिशा की शादी उसके साथ कर दी. मोनिशा ने भी पैसा देखा था. लेकिन अब उसके शक्की स्वभाव के कारण बहुत परेशान रहती थी और दोनों में अक्सर झगडा होता रहता था. अरबिंदो एक बड़ी कम्पनी में डायरेक्टर था. वो चौबीस घंटे में से लगभग सोलह सत्रह घंटे फैक्ट्री में ही रहता था. कभी कभी आधी रात के बाद आता और सवेरे जल्दी चला जाता.
बहुत जल्दी सुमन और मोनिशा की दोस्ती हो गई. सोनी ने भी मोनिशा से दोस्ती गाँठ ली थी. सुमन ने मोनिशा को सोनी के बारे में बताते हुए कहा कि वो उसकी बचपन कि दोस्त है और एक मनोवैज्ञानिक है. हर समस्या वो सुलझाती है. बहुत जल्दी सुमन; सोनी और मोनिशा की आपस में गहरी दोस्ती हो गई. सुमन के सुझाव पर मैंने एक घर के काम-काज के लिए नौकर रखने की इजाजत दे दी. हम तीनों ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ में गुजारना चाहते थे. इसलिए ये फैसला लिया गया. पता चला की उस पूरी कोलोनी में केवल दो कामवालीयां आती है. सुमन ने दोनों से बात की लेकिन बहुत काम लिया होने की वजह से कोई तैयार नहीं हुई.
सोनी ने इधर उधर घूमकर एक कोई और कामवाली का पता लगा लिया. उसे रख लिया. उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो कामवाली है. सोनी ने बताया कि उस औरत की लेडिज ड्रेस की दूकान है. वो यह दूकान शाम के बाद खोलती है. सोनी ने उसे ना जाने कैसे पटाया कि वो घर का काम करने के लिए तैयार हो गई. उस औरत का नाम स्मिता था. वो एक मछुआरन थी. उसकी उम्र चालीस के पार थी लेकिन मछुआरन होने के कारण उसका शरीर जबरदस्त गठा हुआ था. सोनी भी इतनी गठीली होने के बावजूद स्मिता के सामने कमजोर लगती थी. वो मछुआरन तरीकेवाली साड़ी पहनकर आती थी. लौंग वाली. यानी कि धोती कि तरह टांगों में कासी हुई.
पहली बार मैंने जब उसे देखा तो उसके घुटने के नीचे का हिस्सा यानि की उसकी पिंडलीयां ऐसे लगी कि उसे तुरंत अपने दांतों से काट खाऊं. उसका ब्लाउज का गला बहुत नीचे तक कटा हुआ था. उसके दोनों उरोज या स्तन सोनी से भी डेढ़ गुना बड़े थे. उन दोनों के बीच कि रेखा मुझे भीतर तक रोमांचित कर गई. स्मिता दोनों वक्त काम करने आती.
रविवार के दिन के लिए उसने कहा कि वो शाम को नहीं आएगी क्यूंकि उस दिन दुमान जल्दी खोलनी पड़ती है. शाम को चाय के बाद हम तीनों मूड में गए. हम तीनों बिस्तर में थे. हमारे बेडरूम कि एक खिड़की सड़क पर खुलती थी. जब हम तीनों आपस में मस्त थे तो उस खिड़की पर लगा पर्दा कभी कभी हवा में उड़ जाता हमें उसका पता ही नहीं था. स्मिता को शायद कुछ समय मिल गया था इसलिए वो काम के लिए करीब छह बजे गई. उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन हम ऐसे खोये थे कि आवाज सुनाई ही नहीं दी. उसने तीन चार बार दरवाजा खटखटाया. लेकिन हम आपस में ही मस्त थे. स्मिता को ध्यान में आते ही वो बेडरूम वाली खिड़की की तरफ गई. परदा हवा से हिल गया. उसने हम तीनों को हमबिस्तर देख लिया. वो हमें टकटकी लगाकर काफी देर तक देखती रही और मजा लेती रही. फिर शायद उसकी दूकान खुलने का वक्त हो गया तो वो चली गई.
अगले दिन उसने सोनी को सारी बात बता दी. सोनी ने उसे डांट दिया. स्मिता ने सोनी से कह दिया कि वो यह बात कोलोनी में सबको बता देगी. सुमन ने बीच बचाव किया. सुमन ने स्मिता को अगले दिन अपने कमरे में बुलाया. सुमन ने स्मिता को बहुत समझाया. स्मिता ने सुमन से कहा " आप तीनों जो भी कुछ करते हो मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है. मुझे को आपत्ति भी नहीं है. मैं इस दुनिया में अकेली ही हूँ. मेरी शादी नहीं हुई है. अपने काम में इतना व्यस्त रहती हूँ कि औरत के शरीर कुआ भूख होती है मुझे कभी याद ही नहीं आया. सारा दिन घर घर जाकर कपडे बेचना. शाम को दूकान पर बैठना. बस यही जीवन लगता था. मुझे कई मर्द गलत निगाहों से देखते भी थे लेकिन मैंने किसी को भी घास नहीं डाली. हाँ, मैंने इतना जरुर किया कि मैंने अपने कपडे पहनने का ढंग ऐसा कर लिया कि मर्द अधिक से अधिक देखें और केवल ललचाते रहें. लेकिन कल जब आप तीनों को आपस में बिस्तर में देखा तो मेरे लिए यह पहला मौका था जब मैंने किसी औरत और मर्द को ऐसी स्थति में देखा था. आप तीनों को एक साथ बिस्तर में देखकर अचानक मुझे अपने शरीर कि भूख याद गई. मैं सारी रात जागती रही और बिस्तर पर इधर उधर लेटती रही. तड़पती रही. बस एक काम कर दो आप. आप तीनों मुझे भी अपने साथ मिला लो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. ये मेरी धमकी नहीं है.मेरी आपसे प्रार्थना है. मुझे भी वो सुख दे दो जो एक औरत को मिलने से उसका जीवन सुखी हो जाता है,." सुमन स्मिता कि बातें सुन भावुक हो गई. सोनी ने भी उसकी बात सुनी थी. दोनों ने आपस में देखा और स्मिता को हाँ कह दिया.
अगले दिन स्मिता ने जब दोपहर का काम ख़त्म किया और जाने लगी तो सोनी ने उसे रोका और बेडरूम में ले गई. सोनी ने उसके सीने से साड़ी का पल्लू हटा दिया. स्मिता का भरा हुआ सीना उसके ज्यादा खुले हुए गोलाकार गले से झाँकने लगा. दोनों स्तनों के बीच कि रेखा सोनी को अन्दर तक भेद गई. सोनी ने उसके दोनों स्तनों को अपने होंठों से चूम लिया. स्मिता का शरीर हिल गया. उसके शरीर को पहली बार इस तरह से छुआ गया था. स्मिता थोडा कसमसाने लगी. सोनी ने उसे पानी बाहों में लेते हुए कहा " आज तुम मेरे और सुमन के साथ जाओ. हम दोनों तुम्हें सब सिखा देंगे. कल तुम हम तीनों के साथ हो लेना." स्मिता तैयार हो गई. सोनी ने सुमन के साथ मिलकर स्मिता के साथ कई लेस्बियन क्रियाएं की. स्मिता को बहुत शान्ति और आराम पहुंचा. रात को सुमन और सोनी ने मुझे स्मिता का पूरा किस्सा बयान कर दिया. मेरे लिए अब ये सब कुछ सामान्य तो था ही साथ ही साथ मेरी आदतों में शुमार होता जा रहा था. मैं अब अगले दिन एक नए शिकार के आने कि बेसब्री से राह देखने लगा. कल शनिवार था. शनिवार के दिन मैं थोडा जल्दी जाता और हम तीनों थोडा साथ साथ घूम आते. मैं करीब तीन बजे घर पहुँच गया. सुमन ने मुझे बताया कि स्मिता चुकी है. इसलिए आज का बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द . मैं भी हाँ कर गया.
मैंने जब बेडरूम में झाँका तो सोनी स्मिता के साथ बैठी थी. मैं भी वहीँ गया. स्मिता बहुत खुश नजर रही थी. उसका सांवला लेकिन अछुता चेहरा बहुत चमक रहा था. हम सभी ने एक दूसरे के कपडे खोल दिए. केवल अंतर्वस्त्र ही रह गए थे. मैंने स्मिता का सीना देखा. मैं अंदाज लगाने लगा कि डी साइज़ की ब्रा है या फिर साइज़ की. स्मिता के स्तन सच में बहुत ही ज्यादा बड़े थे. वे उसकी ब्रा में फिट नहीं हो रहे थे. मैं देखता ही रह गया. मैं उसके पास चला गया. अपने हाथों से जब उसके स्तनों को छुआ तो ऐसा लगा जैसे मैं कई इंच मोटे स्पंज के गद्दे पर अपना हाथ रखा हूँ. मैंने उसे अपनी तरफ लिया और अपने से लिपटा लिया. अब मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसी गद्दे पर उलटा लेट गया हूँ. मैं उसके गालों को चूमने लगा. स्मिता ने भी मेरे गालों को चूमा. फिर मैंने एकदम से ही उसके होंठ जोरों से चूस लिए. उसके होंठ आज तक अछूते थे. मैंने करीब तीन मिनट तक उन होंठों से भरपूर रस खींचा. अब मैंने स्मिता की पैंटी उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया. मैं भी अब अपने इन्दर वेअर उतारकर उसके ऊपर लेट गया. मैंने अपना लिंग उसे और उसके स्तनों को चूम चूमकर एकदम कड़ा कर लिया और उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. थोड़े से संघर्ष के बाद मेरा लिंग उस गीले और रस से भरे हुए कुंवे में था. स्मिता मचल उठी. उसे बहुत ही सुख पहुंचा था. सुमन और सोनी उसके करीब गई. वे दोनों रह रहकर उसके होंठ चूमती और उसे और अधिक उत्तेजित करती. जैसे जैसे वो उत्तेजित होती गई मैंने वैसे वैसे और अधिक जोर से अपने लिंग से उसके जननांग पर हमला जैसा बोल दिया. स्मिता गज़ब की मजबूत और हौसले वाली निकली. ये उसका पहला संभोग था लेकिन उसने मेरा पहली बार में ही लगातार एक घंटे तक डटकर मुकाबला किया. स्मिता के बाद मैंने सुमन और सोनी के साथ भी हमेशा की तरह संभोग किया. स्मिता ने इसका भी पूरा मजा उठाया. हमने इसके बाद एक और दौर किया. इसमें मैंने तीनों को लिटाकर एक के बाद एक बारी बारी से अपने लिंग से भेदा.
इस दौर के बाद हम फ्रेश होने के लिए नहाने लगे. स्मिता ने रात को रुकने की इच्छा जाहिर की. मैंने हामी भर दी. पहले हम खाना खाने बैठे. खाने के बाद सोनी का मनपसंद इट एंड किस किया. सभी आइसक्रीम खाते खाते एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ डालकर उसकी आइसक्रीम खाते और खिलाते. इस दौरान स्मिता एक बार बेकाबू हो गई.
रात को भी मैंने तीनों के साथ संभोग के लम्बे लम्बे दो दौर किये. रात को कोई डर नहीं था इसलिए मैं रुक रुक कर लिंग डालता , फिर निकालता और फिर डालता. इससे लम्बे समय तक आनंद मिलता रहा. स्मिता की तो एक तरह से सुहागरात ही मन गई थी. देर रात तीन बजे तक हम संभोग करते रहे. इसके बाद हम एक ही बिस्तर में आपस में पूरी तरह से लिपटकर सो गए. सवेरे स्मिता की आँख जल्दी खुल गई. उसने एक बार फिर मुझसे संभोग की फरमाइश की. मैंने स्मिता के साथ पिछले बारह घंटे के अन्दर चौथी बार संभोग किया था. सुमन और सोनी अभी भी सो रही थी. मैं उनसे लिपटकर सो गया. स्मिता ने कहा कि वो अब जा रही है. स्मिता दरवाजा खोलकर बाहर निकली. उस वक्त सवेरे के आठ बज रहे थे. अरबिंदो ऑफिस जा रहा था. मोनिशा उसे छोड़ने बाहर आई हुई थी. उसने स्मिता को हमारे घर से निकलते देखा तो वो चौंक गई. उसने फिर स्मिता के अस्तव्यस्त कपड़ों और बिखरे बालों तथा चेहरे के भावों से बहुत कुछ अंदाजा लगा लिया. उसने हमारे बेडरूम की खिड़की के पास आकर थोडा जोर लगाकर दरवाजे को अन्दर धकेला तो दरवाजा खुल गया. सवेरे कि रौशनी में मोनिशा ने हम तीनों को पूरी तरह से नग्नावस्था में एक दूसरे से लिपटे हुए देख लिया. उसका दिमाग तेजी से दौड़ने लगा. वो कुछ देर वहीँ पर खड़ी रही. इस बीच सुमन और सोनी भी जग गए थे. मैंने एक बार फिर उन दोनों को पास पास लिताकत उन पर लेटकर संभोग करने लगा. आज रविवार होने कि वजह से छुट्टी थी और मैं पूरी तरह से मजा ले रहा था. मोनिशा ने जब मुझे इस तरह सुमन और सोनी के साथ संभोग करते देखा तो उसका दिल ना जाने क्यूँ बहुत तेज धडकने लग गया. वो काफी देर तक हमें देखती रही फिर चली गई.
सवेरे नाश्ते के बाद मैं बाहर अखबार पढ़ रहा था. मोनिशा मेरे पास आई. हमने एक दूजे को नमस्ते किया. मोनिशा ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ मुझसे पूछा " स्मिता रात को आपके सुमन और सोनी के साथ एक ही बिस्तर में सोई थी क्या? मैंने उसे बाहर निकलते देखा तो उसकी हालत से मुझे सब पता चल गया. फिर आपके बेडरूम की खिड़की से मैंने आपको सुमन और सोनी के साथ सब कुछ करते देख लिया. आप तो बहुत ही किस्मत वाले हो. कहाँ तो लोग एक अच्छी रात के लिए तरस जाते हैं और कहाँ एक मर्द तीन तीन औरतों के साथ लगातार बारबार संभोग करता है. मुझे आज ऐसा लग रहा है कि आपकी किस्मत में एक नहीं ; दो नहीं ; तीन नहीं बल्कि चार चार औरतों का एक साथ रात बिताने का सुख लिखा हुआ है. वो चौथी औरत मैं हूँ. मैं सबको बता दूंगी अगर आपने मुझे अपने साथ नहीं सुलाया तो. अरबिंदो बहुत ही ठंडा आदमी है. शादी के तीन साल के बाद भी मैं एक भी रात ऐसी नहीं गुजारी जैसी आप हर रोज गुजारते हो. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. हम सब खूब मौजमस्ती करेंगे. मेरे ख़याल से आपको कोई ऐतराज नहीं होगा.तो क्या हम आज दोपहर से ही यह खेल श्रुरू कर सकते हैं?" एक ही सांस में मोनिशा कि इस बात ने मुझे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रखा. सोनी और सुमन ने भी मोनिशा की सारी बात सुन ली थी. सुमन ने बाहर आकर मोनिशा से कहा " हमें कोई ऐतराज नहीं है मोनू. हम तो ऐसे सभी की ज़िन्दगी और सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने का काम करते हैं. तुम्हारा दोपहर को जबरदस्त स्वागत किया जाएगा." मोनिशा मुस्कुराते हुए चली गई. मैं सोचने लगा कि अब क्या चार चार को कैसे संभालूँगा.
दोपहर में मोनिशा गई. उसने आते ही एक मुस्कान मेरी तरफ फेंकी. कुछ ही देर में मैं सुमन और सोनी को लेकर मोनिशा के साथ बेडरूम में था. मोनिशा की मैंने भरपूर प्यास बुझाई. लगातार दो घंटे तक मेरा लिंग मोनिशा के जननांग के अन्दर बाहर होता रहा. जब मोनिशा ने अपने थक जाने का संकते किया तब सुमन और सोनी की बारी आई. मोनिशा दुबारा मेरे साथ हुई लेकिन तभी उसे अपने घर के बाहर कार के रुकने कि आवाज आई. सोनी ने देखा और बताया कि अरबिंदो गया है. उस वक्त मेरा लिंग मोनिशा के जननांग के काफी अन्दर तक गया हुआ था और मोनिशा बहुत आनंद में थी. उसने मुझसे कहा " कुछ देर तक जारी रखो. उसके पास दूसरी चाबी है. मैं थोड़ी देर के बाद चली जाऊंगी." अरबिंदो दरवाजा खोल भीतर चला गया. मोनिशा इसके बाद करीव आधा घंटा और मेरे संग आनंद में रही. उसके बाद कपडे पहनकर अपने घर चली गई.
मोनिशा के बाद हम तीनो ( मैं ; सुमन और सोनी ) संभोग में जुट गए. शाम को जब हम काफी मजा ले चुके तो अलग हो गए. करीब सात बजे स्मिता आई. उसने कहा कि आज कोई फैक्ट्री से उस इलाके में गैस लीक हुई इसलिए बाजार आठ बजे से ही खुलेगा. उसे अपनी इच्छा पूरी करवानी थी. दोपहर से शाम तक करीब चार घंटे मैं मोनिशा; सुमन और सोनी के साथ संभोग से पूरी तरह थक गया था. लेकिन स्मिता का गठीला जिस्म भी छोड़ना नहीं चाहता था. सुमन और सोनी रात के खाने की तैय्यारी में थी. मैं स्मिता के साथ सोफे पर ही शुरू हो गया. आधे घंटे तक मैंने स्मिता की प्यास बुझाई. स्मिता लौट गई.
खाने के बाद हम तीनों थोडा टहलने के लिए घर के बाहर निकल गए. जब हम टहलने के बाद घर लौट रहे थे तो मैंने देखा कि अरबिंदो एक बार फिर शायद फैक्ट्री जाने के लिए गाडी में बैठ रहा है. जैसे ही अरबिंदो की कार रवाना हुई मोनिशा हमारे साथ ही हमारे घर में गई. मोनिशा मेरे साथ हो गई. हम एक दूजे को केवल चूम रहे थे. इसका कारण दिन भर का संभोग का खेल था. सुमन और सोनी भी आपस में लिपटे इसी तरह चूम रहे थे. हम फिर चारों एक साथ हो गए और चूमने लगे. यह काफी देर तक धीरे धेरे चलता रहा. मोनिशा ने कहा कि अरबिंदो अब सवेरे ही लौटेगा.
जैसे जैसे रात जवान होने लगी वैसे वैसे एक बार फिर हम पर नशा चढ़ने लगा था. हवा बहुत ठंडी चल रही थी मैंने बेडरूम में अँधेरा कर सारी खिड़कियाँ खोल दी. करीब ग्यारह बजे हम बिस्तर में घुस गए. हम सभी ने सारे कपडे उतार दिए. ठंडी हवाओं ने माहौल बहुत सुहावना और मदमस्त कर दिया. सुमन; सोनी और मोनिशा आपस में लिपट लिपट कर इधर उधर एक दूसरे को गिराकर खेलने लगी. बरामदे की नाईट लेम्प की रौशनी में उनके इस खेल से मेरे जिस्म में भी सुरसुरी पैदा कर दी. मैं भी अब उनके साथ शामिल हो गया. मैं उनमें से किसी एक को अपने करीब लेकर नीचे बिस्तर पर धक्का देता. फिर कोई भी दूसरी उस पट गिरकर उसे चूमने लग जाती. जो गिरती वो उस दूसरी से अपने को बचाने का प्रयास करती. यह खेल हमारी दोपहर से शाम तक में हुई थकान को मिटाकर एक नै भूख और उर्जा भर रहा था. करीब साढे बारह बजे थे. बेडरूम कि सदक्वाली खिड़की में से स्मिता की आवाज आई " सुमनजी; दरवाजा खोलिए मैं हूँ स्मिता." हम सभी और भी खुश हो गए स्मिता के भी आने से. सोनी ने दरवाजा खोल स्मिता को भीतर ले लिया. स्मिता को जब मोनिशा के आने का पता चला तो वो बहुत खुश हुई. उसे अरबिंदो के बारे में सब पहले से ही पता था. स्मिता भी अब अपने सभी कपडे उतार हमारे इस खेल में शामिल हो गई. एक बजे के करीब सुमन ने मुझे कसकर पकड़ा और अपने ऊपर लेटने को कहा. मैंने सुमन के साथ संभोग करना शुरू किया. सोनी ने मोनिशा को लिटाकर उसकी टांगें फैलाकर उसके जननांग पर अपना जननांग ले जाकर दोनों को आपस में रगड़ना शुरू किया. मोनिशा के लिए यह पहला अनुभव था. उसे बहुत ही मजा आया. स्मिता ने अब सोनी को लेकर अपने जननांग को उसके जननांग से रगडा. मोनिशा को बहुत मजा रहा था. उसे उत्तेजना को काबू में नहीं लाना आया. उसने एक तकिये को अपनी टांगों के बीच में दबाया और इधर उधर लोटने लगी. मैंने सुमन को छोड़ा और मोनिशा को ले लिया और जल्दी ही उसके गुदगुदे गीले कुंवे में मेरा लिंग फंस गया. सुमन आराम कर रही थी जबकि सोनी और स्मिता का खेल जारी था. मोनिशा के बाद अब सोनी मेरी गिरफ्त में थी. सोनी ने अपने जननांग को तीनों के जननांग के साथ बहुत रगडा था इसलिए आज उसका गुदगुदा जननांग आज बहुत ही गीला और रस से लबालब भरा हुआ था. मैंने बहुत तेजी से अपना कड़क हुआ लिंग बहुत ही भीतर तक धकेल दिया. सोनी इस जोर के एक ही झटके में जैसे पस्त हो गई. उसे एक असीम संतोष मिला. स्मिता अब मोनिशा के साथ लिपट गई और दोनों के जननांग आपस में एकदम करीब से सट गए. दोनों के होंठ भी एक दूसरे से सट गए.
हर तरफ रंगीन और रस से भरा हुआ माहौल था. मैंने एक एक कर चारों के गाढे रस से लबालब भरे कुओं को अंतिम गहराई तक दो दो बार भेद चुका था. वे चारों पूरी तरह से पस्त पड़ी थी और मैं भी. देर रात के करीब दो बज गए थे. हम सब को नींद भी गई. हम सभी एक ही डबल बेड पर आपस में लिपट कर सोये हुए थे.
सवेरे करीब साढे छह बजे थे कि अचानक रात भर चलती ठंडी हवाएं तेज बारिश में बदल गई. हमारे घर के पिछले वाले बगीचे और कमरे के बीच एक खुला चौक था. मैंने सभी जगा दिया. हम सभी उसी नग्नावस्था में उस चौक में गए. बहुत जोरों से बारिश हो रही थी. इस वक्त तक अच्छी खासी रौशनी हो जाती है लेकिन गहरे काले बादलों कि वजह से रौशनी बहुत काम थी. हम उस बारिश में नहाने लगे. एक दूसरे के ऊपर गिरकर बहनेवाले पानी को सभी आपस में चाटने लगे. बहुत मजा रहा था. सुमन को ना जाने क्या सुझा कि उसने उस चौक में नाली को एक कपडे बंद कर दिया. घर के ऊपर कि छत का सारा पानी भी उसी चौक में गिर रहा था. बारिश मुसलाधार थी. चौक थोडा नीचा था इसलिए उसके चारों तरफ करीब डेढ़ फुट की दीवार थी. उस चौक में अब पानी भरने लग गया. थोड़ी ही देर में पूरा चौक लबालब भर गया. सोनी और स्मिता उसमे पानी उछालकर नहाने लगे. मैंने सुमन को पाने से लिपटाया और पानी के अन्दर ही सम्भोग करने लगा. अब थोड़ी रौशनी भी हो गई थी. हम सब के नंगे जिस्म साफ़ साफ़ दिख रहे थे. मुझे और सुमन को पानी से भरे तालाब में संभोग करता देख सभी को करने कि इच्छा हो गई. मैंने एक बार फिर सभी के साथ संभोग किया. पानी के अंदर हम सभी को बही गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा उससे कहीं ज्यादा रहा था.
सभी के संभोग के बाद हम पानी में घुटनों के बल एक दूसरे से सट कट बैठ गए और बारी बारी से फ्रेंच किस करने लगे. बरसता पानी और उस पर फ्रेंच किस. उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई. स्मिता ने सोनी के साथ जो फ्रेंच किस किया वो सबसे ज्यादा हॉट और सेक्सी था. सोनी ने स्मिता के मुंह को पूरा खुलवाया और उसमे अपनी पूरी जीभ अन्दर ले गई और उसे अन्दर फिरा फिरा कर स्मिता की जीभ के गीलेपन को चूसने लगी. स्मिता ने भी यही दोहराया. अब तो सभी ने आपस में यह किस किया. आखिर में हम पाँचों ने एक दूसरे को कास कर पकड़ा. फिर एक साथ हम सभी अपनी अपनी जीभें निकाली और सभी ने आपस में टाच करा दी.
मैंने अब सभी को अलग होकर अपने अपने घर जाने को कहा. एक यादगार रात और दिन बीत गया था.
हम पाँचों का यह खेल लगभग दो महीने तक और चला. एक दिन अरबिंदो ने मोनिशा को मेरे बेडरूम में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उन दोनों का आपस में बहुत झगडा हुआ. अरबिंदो का मुझसे भी झगड़ा हुआ. धीरे धीरे यह बात उस पूरी कोलोनी में सब को पता चल गई. सभी हम तीनों को घृणा की नजर से देखने लगे. मैंने आनन् फानन में वो नौकरी छोड़ दी. मुझे दो दिन के अन्दर ही दमन में नौकरी मिल गई. मैं सुमन और सोनी के साथ वहां के लिए रवाना होने लगा. स्मिता भरी आँखों से हमसे मिलने आई. उसने कहा " मैं भी जानती हूँ कि जो भी हम करते रहे हैं वो गलत है और अवैध है. लेकिन हम अपनी ख़ुशी के लिए कर रहे हैं. हम आपस में मिलकर आपनी समस्या सुलझा लेते हैं तो इसमें लोगों को कोई आपत्ति क्यूँ. मैं भी आपके साथ ही रहूंगी. मेरी जरूरतें आप तीनों से ही पूरी होनी है. जिस तरह से आप रहोगे मैं भी वैसे ही आपके साथ रह लुंगी. " सुमन ने मुझसे कहा " सोनी जिस तरह मेरे लिए एक मनोवैज्ञानिक बन कर साथ रह रही है उसी तरह स्मिता मेरी आया बनाकर मेरे साथ रह लेगी. नै जगह किसी को कोई शक नहीं होगा." हमने स्मिता को भी अपने साथ ले लिया.
हम आज दमन में आज पिछले चार महीनो से रह रहे हैं. सुमन ; सोनी और स्मिता आपस में मिलजुलकर रहती हैं. कभी कोई झगडा नहीं होता. मैं तीनों को पूरी तरह से संतुष्ट रखता हूँ. उनकी सारी सेक्स कि इच्छाएं पूरी करता हूँ. हमारे घर के सामने समुन्द्र का किनारा है. वहां बड़ा बाज़ार है. उस बाज़ार और हमारे घर के बीच के मसाज पार्लर है. उस पार्लर में दो लडकीयाँ हैं. मिथिल्डा और श्रीशांति. स्मिता ने उन दोनों को फिलहाल तो सुमन ; सोनी के साथ लेस्बियन गँग में शामिल कर लिया है. मैंने उन सभी को कई बार इस लेस्बियन खेल खेलते देखा है. देखें कब उनके साथ संभोग के रिश्ते बनते हैं. आपको बताता रहूंगा.

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