गुरुवार, 7 जून 2012

मेडम कि प्यास किस तरह  बुझाऊं - पार्ट वन 

मैं बरोड़ा के पास एक छोटे कसबे में एक केमिकल फेक्ट्री  में नौकरी में लगा. मालिक थे  समीर भाई. बहुत ही शांत स्वभाव के. उमर भी मेरे बराबर थी. एक दिन उन्होंने मुझे संडे के दिन घर बुलाया चाय के लिए. मैं उनके बंगले पर गया जो हमारी कोलोनी में सबसे पीछे बना हुआ था. समीर भाई ने अपनी पत्नि श्वेता से मिलवाया. मैं श्वेता को देखता रह गया. एकदम गुलाबी रंग, किसी होलीवूड की हिरोइन से कम खुबसूरत नहीं. जिस्म के एक एक हिस्से से रस टपक रहा था.  मैं जितनी देर वहाँ रहा श्वेता  ता मेडम को देखता रहा. रवाना होते वक्त श्वेता मेडम अचानक मुझे देख मुस्कुराई और बोली " आप आते रहियेगा, इनका भी मूड फर्श हो जाएगा." मैं हाँ बोलकर घर चला आया.

अब मैं हर छुट्टी के दिन समीर के यहाँ जाने लगा. श्वेता मेरे से बहुत घुलमिल गई थी. हम तीनों आपस में अच्छे दोस्त बन गए थे. एक बार श्वेता ने मुझे शाम को घर बुलाया. श्वेता ने कहा " मुझे आपसे कुछ बात करनी है. समीर बहुत ही अच्छे पति हैं मगर वो एक कमी के कारण कभी बाप नहीं बन सकते. दूसरी कमी है वो बिलकुल ठन्डे हैं. सेक्स को लेकर उनके दिल में कोई भूख नहीं है. मैं समीर की खूबसूरती और पैसे को देखकर इनकी बनी मगर ये बाते मुझे बाद में पता चली. मेरी जिंदगी सूखी नदी बन गई है जिसमे सेक्स का पानी है ही नहीं. तुम मेरे सूखेपन को दूर कर दो. मैं हमेशा के लिए तुम्हारी बन जाउंगी."
मैं श्वेता की बात से घबरा गया. मैंने कहा " मेरी सगाई अभी दो महीने पहले ही हुई है. एक महीने बाद शादी होनेवाली है. मेरी बीवी भी बहुत खुबसूरत  है और हम दोनों एक दूजे से प्यार भी करते हैं..
श्वेता ने जवाब दिया " जतिन, एक महीने बाद जो होगा वो तब देखेंगे. बस तब तक तुम मेरी रातें रंगीन कर दो. मेरी जवानी की प्यास बुझा दो." मैं श्वेता की उस दयावनी आवाज और तड़प को समजते हुए उसकी तरफ देखकर बोला " हाँ, ये काम मैं कर दूंगा." श्वेता का चेहरा खिल उठा. उसने कहा " परसों समीर चार दिन के लिए सिंगापुर जा रहे हैं. इन चार दिनों हम एक साथ ही रहेंगे." 
वो दिन भी आ गया जब समीर के सवेरे रवाना होते ही श्वेता ने मुझे अपने घर बुला लिया. मैं जब श्वेता के घर पहुंचा तो मैंने देखा कि श्वेता ने आज एक स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था जिसका गला बहुत नीचे तक खुला हुआ था और श्वेता का गुलाबी उभरा सीना अपने दोनों गोल पहाड़ों के साथ झांक रहा था. श्वेता ने नीचे एक शोर्ट पहना हुआ था जो जाँघों तक ही था. उसकी गुलाबी रस से भरी हुई टांगें ललचा रही थी.
श्वेता के एक इशारे पर मैं उसके पास गया.
श्वेता ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे से लिपट गई. मुझे श्वेता के उभरे हुए सीने का दबाव महसूस हुआ. श्वेता ने कसकर पकड़ा मुझे और मेरे मुंह के पास अपनी खुशबूदार सांसें छोड़ दी. मैं नशे में आ गया. श्वेता ने इसके बाद और दो तीन बार अपनी साँसें मेरे मुंह पर छोड़ी और मेरे गालो को ऐसा चूमा मैं अपने होश खो बैठा. श्वेता ने यह देखकर एक एक कर के मेरे कपडे खोलने शुरू कर दिए. जब मैं सिर्फ अपने अंडरवेयर में रह गया तो उसने खुद को मुझ से अलग किया और साफे पर अपनी गुलाबी रस भरी टांगें फैलाकर बैठ गई. श्वेता ने मुझे अपनी टांगों की तरफ ईशारा किया. मैं खुद को रोक नहीं सका. मैंने श्वेता के नंगी बुलाबी चिकनी रस भरी टांगों को चूमना शुरू किया. जब मैं उसकी जांघों तक पहुंचा तो मैंने देखा  कि श्वेता की जांघें गज़ब की मांसल और गदराई हुई थी. मैंने अपने होंठों उन जांघों में भरे हुए ज्यूस को पीने के लिए लगा दिए. पांच मिनट बाद श्वेता की जांघें मेरे गहरे चुम्बनों से जगह जगह लाल हो गई. अब हम दोनों अपना होश खोने लगे थे.
मैंने अब श्वेता को सिर्फ ब्रा और पेंटी में कर दिया. श्वेता सेक्स की देवी लग रही थी. एक एक अंग का  हिस्सा तराशकर बनाया हुआ था.
मैं और श्वेता अब पलंग में एक साथ लेटे हुए थे. कुछ देर तक चुम्बनों का दौर चला. बाद में श्वेता ने मेरा अंडरवेयर और खुद के ब्रा-पेंटी को उतर दिया. मैंने श्वेता के निचले हिस्से को देखा. एकदम गुलाबी रंग का चिकना संगमरमरी स्थान. मुझे ललचाने लगा. मैंने अब धीरे से अपने लम्बे और कड़क होते हुए गुप्तांग को श्वेता के उस चिकने साफ सुथरे हिस्से में घुसाने लगा जिसके लिए श्वेता तरस रही थी. दो मिनट के बाद हम दोनों अपने निचले हिस्सों की मदद से आपस में जुड़कर एक हो चुके थे. 
करीब आधा घंटा हम दोनों इसी तरह अलग होते रहे फिर जुड़ते रहे. जब सेक्स की सीमा एकदम ऊपर आ गई तो मिने श्वेता के जननांग में अपने गुप्तांग से एक मलाईदार धार ऐसी छोड़ी कि श्वेता के साथ साथ मैं भी  एक गहरे नशे में आ गया. हम दोनों के होंठ आपस में सिल गए. श्वेता ने मरे होंठों का सारा रस और मैंने श्वेता के होंठों का सारा ज्यूस चूस लिया. देर दोपहर को  मैं श्वेता से अलग होकर घर लौट आया यह वादा करेक कि श्वेता रात मेरे साथ मेरे घर में गुजारेगी.
जब तक समीर वापस नहीं लौटा तब तक दिन में दो बार मैं और श्वेता संभोग करते रहे. चार दिनों के संभोग ने हम दोनों कप एक दूजे के लिए जैसा बना दिया.