मंगलवार, 10 अगस्त 2010

किसी से ना कहना भाग सातवाँ



मैं ; लीना , वामा और सान्या चारों की जिंदगी बड़े मजे से गुज़र रही थी. सान्या तो जैसे एक तरह से हमारे घर की तीसरी सदस्या बन चुकी थी. लीना उससे इतना चाहने लगी थी कि अब सान्या सप्ताह में कभी चार तो कभी पांच दिन हमारे घर हमारे साथ ही सोती. वामा के पति को लगभग हर महीने दो दिन के लिए दूसरे शहर ऑफिस के काम से जाना पड़ता. उन दो दिन के लिए वामा हमारे घर रहने आ जाती. लीना सान्या को भी बुला लेटी. अब दो रातें हम चारों के नाम हो जाती.



एक दिन मैं हमेशा की तरह शनिवार के दिन सान्या के पार्लर उसे लेने के लिए पहुंचा ( हर शनिवार संया को मैं घर ले आता और वो फिर वापस सोमवार की सुबह सीधे अपने पार्लर चली जाती. ) सान्या पार्लर में कोई कस्टमर अटेंड कर रही थी. मैं सामने वाली पान की दुकान पर खडा हो गया. कुछ देर के बाद सान्या बाहर आई. मैंने देखा कि उसके साथ एक महिला और भी थी. दूर से देखने से वो महिला ज्यादा उम्र वाली लग रही थी. मैंने सोचा शायद कोई कस्टमर ही होगी. तभी सान्या ने ईशारा किया और मैं उसके पार्लर की तरफ आ गया. सान्या ने मेरे करीब आकर बोली " ये मेरी दूर के रिश्ते की मौसी है. ये जिस पार्लर में काम करती थी वो बंद हो गया. ये अकेली है. इनकी अभी तक शादी भी नहीं हुई है. मैंने इन्हें सब समझाकर बता दिया है. ये भी आज से हमारे साथ शामिल हो रही है. " मैंने सान्या से कहा " ये क्या पागलों जैसी बात कर रही हो? हम चारों की उमर देखो और तुम्हारी मौसी कि देखो." सान्या बोली " वो भले ही हमसे करीब बारह साल बड़ी है लेकिन जबरदस्त सेक्सी है. वो और मैं जब एक ही पार्लर में काम करती थी तब उन्होंने ही मुझे लेबियाँ सेक्स और थ्रीसम सेक्स करना सिखाया था. लेकिन ये आज तक थ्रीसम सेक्स में कभी शामिल नहीं हुई है. आज तक ल्वेस्बियाँ सेक्स ही किया है."
मैंने अब सान्या की मौसी को करीब से देखा. सान्या ने उनका नाम माल्या बताया था. माल्या बहुत ही सुन्दर लगी. उसके स्तनों के उभार तो देखने के लायक थे. मैंने आज तक इतने बड़े अतन नहीं देखे थे. हम तीनो घर आ गए. लीना सान्या और माल्या से मिलकर बहुत खुश हुई. हम सभी ने चाय नाश्ता किया. इसके बाद सान्या ने माल्या के बारे में सब बताया. अब सात बजे थे. सान्या ने माल्या को अपने करीब लिया और उसकी शर्ट उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा में थी. माल्या का रंग एकदम गोरा गुलाबी था. उसने रोयल ब्लू रंग कि ब्रा पहन रखी थी. उसके स्तन इस रंग में जबरदस्त उभरकर चमक रहे थे. सान्या ने कहा माल्या की कप छतीस डी है. अब सान्या ने माल्या के जींस भी खोल दी. लीना उसकी जंगों को छुआ और माल्या के गालों को चूम लिया. माल्या ने मुझे मुस्कुराकर देखा. मैं माल्या के करीब गया. माल्या के होंठ मेरे सामने थे और उस पर लगा गहरा लाल रंग का लिपस्टिक इतना ज्यादा लगा हुआ था कि होंठ और ज्यादा मोटे लग रहे थे. मैंने धीरे से अपने होंठ माल्या के होंठों पर रख दिए. माल्या ने अपना मुंह खोल दिया. मैंने धीरे से अपने होंठों को माल्या के खुले होंठों के बीच में रख दिए और धीरे धीरे माल्या के होंठों पर लगे लिपस्टिक को चाटने लगा. माल्या के होंठों पर इतनी गहरी लिपस्टिक लगी थी कि मेरे इतने चाटने पर भी वो ख़त्म ही नहीं हो रही थी. तभी लीना ने मुझे हटाया और माल्या के होठों को चूमना शुरू कर दिया. संय मुझे देख हंसने लगी क्यूंकि माल्या के लिपस्टिक का रंग मेरे होंठों पर और होंठों के आसपास की जगह पर फ़ैल गया था. माल्या और लीना ने काफी देर तक फ्रेंच किस किया. मैंने और सान्या ने भी फ्रेंच किस किया. सान्या ने मेरे होंठों के रंग को अपने होंठों पर चूस चूस कर ले लिया.
काफी देर तक हम चारों ने आपस में फ्रेंच किस किया. सान्या ने माल्या के साथ लेस्बियन सेक्स की कई मुद्राएँ की. मैं और लीना बहुत मजे से ये सब देखते रहे. लीना ने अपना दिमाग दौड़ाया और वामा को फोन किया. वामा ने जब माल्या के आने की बात सुनी तो उसने अपने पति से कोई बहाना किया और हमारे घर आ गई. उसने अपने पति से कहा कि लीना आज रात अकेली ही है क्यूंकि मैं बहुत लेट घर आने वाला हूँ. वामा का पति मां गया. वामा के आते ही अब मैं अकेला और मेरे साथ चार चार रसीली हसीनाएं हो गई थी. \
मेरा बेडरूम अब छोटा पड़ गया. लीना ने दभी गद्दे नीचे जमीन पर बिछाकर इसे हम पाँचों के लायक बड़ा बना दिया. सभी ने मुझे सबसे पहले माल्या के साथ सेक्स करने के लिए कहा. सान्या ने मजाक में कहा " आज माल्या की तो सुहागरात है." हम सभी ने अपने अपने कपडे खोल दिए. माल्या लेट गई. मैंने अपने लिंग पर कोंडोम चढ़ा लिया. माल्या का जननांग अभी तक किसी ने नहीं भेदा था फिर भी वो काफी ढीला और बड़ा था. मेरा लिंग बहुत ही आसानी से अन्दर चला गया. माल्या मेरे लिंग के अपने जननांग के अन्दर घुसते ही बहुत खुश हो गई. उसने मेरे साथ फ्रेंच किस किया. कुछ देर के बाद मैंने माल्या को आजाद कर दिया.



मैं और लीना खड़े होकर एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे कि तभी माल्या मेरे पीछे आकर मुझे जकड़कर खड़ी हो गई. उसके बड़े बड़े स्तनों का गुदगुदा दबाव मुझे मचलाने लगा. तभी सान्या मेरी बायीं तरफ और वामा मेरी दायीं तरफ आकर एकदम सटकर खड़ी हो गई. अब मैं चारों के बीच में था. मुझे सभी तरफ से स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैं सब की तरफ एक एक कर घुमा और चारों के साथ एक लंबा और बहुत ही गीला फ्रेंच किस किया. इससे मेरी हालत बहुत ही अजीब हो गई. मुझे लगने लगा जैसे मेरा लिंग बहने लगेगा. मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला.
मैं कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गया. माल्या ने तीनों को अपने साथ लिया और लेस्बियन सेक्स में लग गई. माल्या ने वामा के साथ और सान्या ने लीना के साथ जोड़ी बनाई. अब इन सभी चुम्बनों के साथ साथ अपने स्तनों को आपस में मिलाकर दबाना ; अपने जीभ से दूसरे की जीभ से मिलाकर चूमना , एक दूसरे की गरदन पर लंबा चुम्बन देना और ना जाने कितने ही इस तरह के क्रिया-कलाप शुरू हुए कि मैं दंग रह गया. मैं सोचने लगा कि किसी ने सच ही कहा है कि दो अय्रतों को आपस में सेक्स करते देखना सबसे गरम और सेक्सी नजारा होता है. मैं तो चार चार को एक साथ देख रहा था. करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक चारों की लेस्बियन लीला चलती रही. चार नाजुक ; मुलायम और चिकने बदन आपस में मिलते रहे और मुझे ललचाते रहे.
फिर माल्या ने मुझे भी शामिल कर लिया. अब लगभग वही सब क्रियाएं फिर से होने लगी. काफी देर तक यह चलता रहा. मैंने अब एक एक को अपने पास सुलाने का तय किया. सबसे पहले आज की मुख्य मेहमान माल्या की बारी थी. दस मिनट के भीतर मैंने माल्या के जननांग को पूरी तरह से लाल कर दिया और आखिर में गीला कर दिया. इसके बाद सान्या , फिर वामा और आखिर में लीना. यह सब होते होते रात के आठ बज गए. सब थक गए थे. सभी नहाए ; थोडा आराम किया और फिर सभी ने एक साथ खाना खाया और सुस्ताने लगे.
कुछ देर के आराम के बाद हम फिर से आपस में लिपटने लगे थे. वे चार थी और मैं अकेला. कितनी बार एक एक को सेटिस्फाई करूँ मेरी ताकत के बाहर था. चारों भूखी शेरनीयों की तरह मुझे रह रहकर दबोच रही थी. मैं जैसे ही एक को संभालता कि दूसरी आकर मुझे पकड़ लेती. मैं लगातार एक एक को संभालते संभालते थक सा गया. मैं लेट गया. मेरे लेटते ही चारों मुझ पर झपट पड़ी. चारों में मुझे जगह जगह चूम चूमकर गीला कर दिया. मैं छटपटाने लगा. अब लीना ने एक एक कर सभी को फिर से मेरे चुना. मैंने सभी के जननांगों को अपने लिंग से तरबतर किया.
माल्या हम सब से मिलकर बहुत ही खुश हुई. वो बार बार लगातार किसी ना किसी के साथ चुम्बनों का दौर जारी रखे हुए थी. मैंने माल्या के होंठों के रस को पी पीकर करीब करीब ख़त्म ही कर दिया.
वामा को सवेरा होते ही अपने घर जाना था जबकि बाकी सब रुकने वाली थी. वामा के कहने पर मैंने वामा को दुबारा बिस्तर पर लिया और उसके जननांग में मेरा लिंग फंसा दिया. वामा को जोर जोर से झटके अपने लिंग से दिए और फिर आखिर में अपने लिंग से उसके जननांग में तेज धार मारी. वामा निहाल हो गई. अब सभी थक गए थे. सभी सो गए. सवेरा होते ही वामा घर चली गई. माल्या और सान्या ठहर गई.
रविवार के दिन सान्या का पार्लर करीब ग्यारह बजे खुलता था. इसलिए मैंने माल्या और सान्या के साथ एक और दौर सेक्स का किया. लीना काफी थक गई थी इसलिए वो शामिल नहीं हुई. सान्या और माल्या दोनों हमारे यहीं नहाकर तैयार होकर अपने पार्लर चली गई. इसके बाद मैं और लीना सारे दिन बिस्तर में रहे. शाम होते होते मेरा बदन ऐसा दुखना शुरू हुआ कि मैं चार बजे सोया तो सोमवार को सवेरे पांच बजे उठा.
इसी तरह का एक दौर इस दिन के ठीक एक महीने बाद हुआ. उस दिन भी वामा ने कोई बहाना किया और हमारे साथ शामिल हो गई. मगर इसके बाद वामा को मौका नहीं मिल पाया. वामा के पति को कुछ शक हो गया कि वामा का किसी के साथ चाकर है. उसका शक हम पर नहीं हुआ था किसी और पर हुआ था. हम बाल बाल बच गए थे. लेकिन मैं लीना , सान्या और माल्या के साथ हर सप्ताह सेक्स कर ही रहा था. लीना की आदत अब ऐसी हो गई थी कि अब वो मेरे साथ अकेली नहीं सो सकती थी. इसलिए कभी सान्या तो कभी माल्या को बुलवा ही लेती. अब यह होने लगा कि सप्ताह में करीब पांच दिन हम तीन जने सोते.

माल्या के आने के बाद संया का पार्लर बहुत अच्छा चलने लगा था. इसलिए माल्या अब हमेशा के लिए सान्या के साथ ही रहने का फैसला कर चुकी थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. हम सभी बहुत खुश थे. हमें पता नहीं था कि हमारी ख़ुशी और भी बढ़ जायेगी. इतनी ज्यादा ख़ुशी कि किसी को कभी विश्वास नहीं होगा.
अगले भाग में बताऊंगा कि ख़ुशी कैसे बढ़ी.



बुधवार, 4 अगस्त 2010

किसी ने ना कहना : भाग छठवां

वामा और उसका पति अब हमारे शहर में रहने के लिए आ गए. वामा ने अपने पति को समझा बुझाकर हमारे गहर से केवल दो मिनट के रास्ते पर अपना घर ले लिया. जो घर उन्होंने पसंद किया था उसमे थोड़ी साफ़-सफाई का काम बाकी था. इसलिए वे दोनों करीब चार दिनों के लिए हमारे घर रुक गए.
रात का समय था. मैं देर रात पानी पीने के लिए रसोई में पानी लेने के लिए गया हुआ था. मैं जैसे ही वापस लौटने को हुआ कि चनक पीछे से वामा ने मुझे पकड़ लिया. मैंने उसे आँखों ही आँखों में दानाता लेकिन वामा पर कोई असर नहीं हुआ. वो मुझे पीछे से धीरे धीरे दबाने लगी. तभी किसी कमरे में कोई आहट हुई और वामा अपने कमरे में भाग गई.
अगले ही दिन वामा के पति सवेरे बहुत जल्दी  ऑफिस चले गए क्यूंकि उनका एम् डी आ रहा था. लीना नहाने गई हुई थी. मैं नहाकर आया ही था और कपडे पहन रहा था. वामा ने आकर मुझे कपडे पहनने से रोक लिया और मुझे लेकर बिस्तर में घुस गई. उसने जल्दी से अपना पेटीकोट उठाया और मेरे लिंग को हाथ से पकड़कर अपने जननांग में घुसा दिया. मेरे पास और कोई चारा नहीं था. मैंने वामा की ईच्छा पूरी करनी शुरू कर दी. करीब पांच मिनट ही हुए होंगे कि लीना की आवाज आई. " जानेमन; बस आ रही हूँ. नाश्ता तैयार दो मिनट में तैयार हो जाएगा." वामा लीना की आवाज सुनकर मुझसे अलग हुई और अपने कमरे में चली गई.
वामा अपने नए घर में रहने चली गई. लेकिन लगभग रोजाना वो लीना से मिलने आने लगी. करीब एक सप्ताह के बाद हर बार की तरह सान्या लीना के बुलावे पर घर आई हुई थी. वो लीना के वेक्सिंग कर रही थी. लीना केवल ब्रा और पैंटी में थी. तभी वामा आ गई. सान्या ने दरवाजा खोला. जैसे ही सान्या और वामा ने एक दूजे को देखा तो दोनों ही चौंक गई. वामा थोडा डरी लेकिन सान्या ने वामा क एक तरफ लिया और बाहर बालकनी में ही रोक लिया. सान्या ने वामा को सारी बात बता दी. यहाँ तक कि मेरे , लीना और सान्या के बीच के थ्रीसम सेक्स की भी. वामा सारी बात सुनकर पहले तो चौंकी और फिर बहुत ही खुश हो गई.  वामा और सान्या ने आपस में कुछ बात की और फिर दोनों भीतर आ गई. लीना वामा को देखकर बहुत खुश हुई. वामा ने बताया कि अभी अभी उसकी सान्या से बात हुई है और सान्या पहली बार में ही बहुत अच्छी दोस्त बन गई है. सान्या ने लीना की वेक्सिंग के बाद उसका फेसियल किया. सान्या ने फिर वामा के मसाज किया. वामा भी अब ब्रा और पैंटी में आ गई. लीना तो पहले से ही ब्रा और पैंटी में थी. मसाज क्रेट वक्त सान्या ने भी अपने अन्य कपडे उतार दिए. अब तीनों ही ब्रा और पैंटी में रह गई थी.
सान्या ने वामा के वेक्सिंग की. इसके बाद जब लीना अपने हाथ मुंह धोने बाथरूम में गई तो सान्या ने वामा से कहा " फिर कभी उस दिन वाला थ्रीसम सेक्स करें क्या?"  वामा बोली " तुम मुझे कह देना , मैं हरदम तैयार रहूंगी." सांय ने वामा को चूमा और बोली " बहुत मजा आयेगा. वो बहुत ही मीठा है. " वामा ने सान्या को वापस चूमा और बोली " मैं उसे कई बार चख चुकी हूँ. हर बार मीठा लगा है वो. तुम मौके की तलाश में रहना और मौका मिलते ही मुझे खबर कर देना. ये मेरा फोन नंबर लेलो." वामा और सान्या फ्रेंच किस करने लगी . तभी लीना बाथरूम से बाहर निकल आई. लीना ने उन दोनों को इस हालत में देखा तो उसकी साँसें तेज चलने लगी. उसने उन दोनों को छुपकर काफी देर तक देखा.
अब वामा और लीना दनों सान्या से एक साथ वेक्सिंग वगैरह करवाने लगी. सान्या उन दोनों को अक्सर चुपके से कभी चूम लेती तो कभी उनसे लिपट जाती. धीरे धीरे इन तीनों के बीच दोस्ती काफी आगे तक बढ़ गई थी.
एक बार मैं अपने किसी दोस्त से मिलने के लिए निकल ही रहा था कि वामा आ गई. उसने मुझे बाजार में कहीं छोड़ने के लिए कह दिया. मैं उस अपने स्कूटर पर लेकर चल निकला. वामा ने मुझे सान्या के ब्यूटी पार्लर के सामने स्कूटर रुकवाया औए बोली " चलो अन्दर चलते हैं. सान्या हमारा इंतज़ार कर रही है." मैं और वामा अन्दर आ गए. सान्या तैयार थी. उसने सामने का मेन दरवाजा बंद कर दिया जिससे ऐसा लगे कि पार्लर बंद है. उसने पिछला दरवाजा खोला और हम अन्दर बंद हो गए. मैंने वामा और सांय के साथ दो घंटों तक सेक्स किया. जब मैं वापस वामा को लेकर रवाना होने लगा तो वामा ने कहा "  एक बार तुम मेरे और लीना के साथ भी थ्रीसम करो ना." मैंने वामा को डांट लगाईं और बोला " तुम्हें हमारा रिश्ता पता है ना> फिर ऐसी बात क्यूँ कर रही हो." सान्या ने कहा " लीना को मैं तैयार कर रही हूँ धीरे धीरे. एक बार मैं इन दोनों को आपस में बिस्तर मेमिलवा दूँ फिर आप भी शामिल हो जाना. लीना मैडम बिलकुल बुरा नहीं मानेगी. अब वो सेक्स को बहुत जोश से लेती है." मैं परेशान हो उठा कि ये कैसी मुसीबत होती जा रही है.
थोड़े दिन शान्ति से बीते. एक दिन ऐसा हुआ कि वामा के पति को टूर पर जाना पड़ा. वामा दो दिन के लिए हमारे यहाँ आ गई. बस यहीं से ऐसा दौर शुरू हुआ कि अब क्या बताऊँ.
वामा का पति जिस रात को टूर पर गया , वो वापस तीसरी रात के बाद आनेवाला था. अगले ही दिन सान्या घर आ गई. जब शाम को मैं ऑफिस से लौटा तो सान्या को देखकर हैरान हो गया. वो ज्यादातर दोपहर में आती थी. लीना ने कहा " इसे दोपहर में काफी काम था इसलिए मैंने और वामा ने इसे अभी बुला लिया. हमने खाना बाहर से मंगवा लिया है. तुम नहा लो तब तक हम हमारा काम कर लेटे हैं. तुम भी मसाज करवा लेना. सान्या से हमने कह दिया है कि वो खाना हमारे साथ खाकर ही आराम से घर जाए.
मैं नहाने चला गया. मैं जैसे ही नहाकर वापस आया तो मैंने देखा कि वामा और लीना दोनों एक ही पलंग पर केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई है और सान्या उन दोनों के बारी बारी से मसाज कर रही है.  सान्या ने मुझे भी वहीँ सोफे पर लेट जाने को कहा. सान्या ने अब मेरे भी मसाज किया. बीच बीच में सान्या लीना और वामा के साथ साथ मुझे भी लीना से छुपकर चूमने लगी. मुझे लगा कि आज माहौल शायद बहुत गरम होने वाला है.  तभी मैं देखा कि सान्या ने लीना को चूमा  और फिर लीना के सामने पहली बार वामा के होंठों को चूमने लगी. लीना थोडा उत्तेजित हो गई. मौका देखकर वामा ने लीना का एक हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया और अपना एक स्तन दबवाने लगी. लीना को यह अच्छा लगा. उसने वामा के स्तन को लगातार दबाना शुरू कर दिया. सान्या अब भी वामा को चूमे जा रही थी.
यह उत्तेजना अब धीरे धीरे बढ़ रही थी. सान्या ने अब लीना को चूमना शुरू किया.  वामा ने लीना के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया. अब तीनों ही आपस में बहुत करीब आ गई थी. लीना और मेरी नजरें मिली तो लीना ने मुझे अपनी तरफ आने का ईशारा किया. हब मैं उसके करीब गया तो उसने मुझे झुकने को कहा. मेरे झुकते ही उसने मुझे होंठों पर चूम लिया. मैं भी उसे होंठों पर चूम लिया.
तभी सान्या ने मुझे लीना पर झुका दिया और लीना ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया. सान्या और वामा ने मिलकर मेरे सभी कपडे उतार दिए.
अब मैं अकेला और तीन तीन जवानीयाँ मेरे सामने मुझे बुला रही थी. मैंने लीना के साथ सेक्स सबसे पहले करना शुरू किया. सान्या और वामा हम दोनों को उत्तेजित करने के लिए हमें चूम रही थी. तभी सान्या ने वामा के स्तनों से अपने स्तन टच कर दिए उअर दोनों उन्हें आपस में एक दूसरे की तरफ दबाने लगी. मुझसे यह देखा नहीं गया. मेरे अन्दर जोर की बिजलीयाँ चमकने लगी. मैंने अपना लिंग लीना के अन्दर से निकाला और लीना को भी उन दोनों के साथ मिला दिया. अब तीनों ही अपने अपने स्तनों को हाथ से पकड़कर एक दूसरे की तरफ दबा रही थी. मैंने उन सभी को गालों पर चूमा. सान्या ने मुझे बिस्तर पर लिटाया. इसके बाद सांय और वामा दोनों ने अपने को बाहोंमे भर लिया. अब दोनों एक दूसरे को होंठों पर चूमने लगी. मेरे लिंग पर कोंदों लगा हुआ था. सान्या और वामा दोनों आपस में लिपटी हुई मेरे ऊपर आकर धीरे से बैठ गई. सान्या ने मेरा लिंग वामा के अन्दर डाल दिया. लिंग तुरंत अन्दर चला गया. अब सान्या और वामा दोनों आपस में एक दूसरे के होंठों को चूमती हुई ऊपर नीचे बैठने उठने लगी. इससे मेरा लिंग वामा के अन्दर बाहर होने लगा.
अब मैंने मेरा लिंग सान्या के अन्दर डाल दिया. ये एक बिलकुल ही नया तरीका था और सभी को खूब अच्छा लगा.
इस जोड़ी के बाद सान्या और लीना को लेकर मैंने इसे दोहराया औ फिर आखिर में लीना और वामा को लेकर भी इसे दोहराया. इस तरह से करने के बाद हम चारों में उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि इससे पहले कि हम कुछ और करते सान्या बेकाबू हो गई. मैंने तुरंत सान्या के जननांग में अपना लिंग डाला और तुरंत एक जोर की धार उसमे छोड़ दी. इसी तरह से मैंने थोडा थोडा रूककर लीना और वामा को भी शांत किया.
रात को खाने के बाद एक बार फिर ये दौर शुरू हुआ. सारी रात यह दौर चला.
आज वामा को हमारे शहर में आये एक साल हो चुका है. हम चारों हर महीने एक मौका ऐसा निकाल ही लेटे हैं जब हम चारों एक साथ सेक्स कर सकें. मैं लीना और सान्या तो हर दूसरे सप्ताह करते ही हैं. कभी लीना और मैं वामा को लेकर थोडा समय मिल जाता है. हम चारों जिन्दगी का भरपूर मजा लूट रहे हैं.
इस कड़ी के सातवें भाग में आपको एक और जबरदस्त केरेक्टर की एंट्री से मुंह में पानी आ जाए ऐसा पढने को मिलेगा. बस थोडा इंतज़ार करें.

मंगलवार, 3 अगस्त 2010

किसी से ना कहना : भाग पांचवा

मैं और लीना शादी के बाद सेक्स का पूरा पूरा मजा लेकर जी रहे थे. लीना अपने शरीर का पूरा ध्यान रखती थी. वो हर दो-तीन सप्ताह के बाद ब्यूटी पार्लर जाती और अपने शरीर को चिकना करवाकर आती. एक दिन वो ब्यूटी पार्लर गई .वो अपने साथ पर्स ले जाना भूल गई. उसने मुझे वहां से फोन किया. मैं रुपये लेकर पार्लर पहुंचा. जैसे ही मैंने पार्लर के काउंटर पर रूपये देने के लिए रखे तो सामने उसी लड़की को देखा जो मेरी शादी के दिन मेरे और वामा के साथ सेक्स में शामिल हुई थी. मैं पसीने पसीने हो गया. तभी लीना बाहर आ गई. उस लड़की ने मुझे बाय कहा और मुस्कुराने लगी.
उस दिन तो मैं घर लौट आया लेकिन मन में यह डर घर कर गया कि कहीं यह लड़की लीना को कुछ बता ना दे. हर समय मेरा मन इस अनजाने दर से घबराने लग गाय थ।
रविवार का दिन थ। मै और लीना नाश्ता कर रहे थे कि डोर बेल बजी। लीना ने दरवाजा खोला मैने देखा कि ब्यूटी पार्लर वाली लडकी थी। मै पसीने पसीने हो गया। वो लडकी मुस्कुराते हुए लीना के साथ भीतर आ गई. लीना ने मुझसे कहा " मेरी और सान्या की अच्छी दोस्ती हो गई है. संया ने कहा है कि अब वो घर आकर ही सब कर देगी और मुझे इसके ब्यूटी पार्लर नहीं जाना पडेगा." मैं समझ गया कि सान्या कोई गुल जरुर खिलाएगी. मैं सिर्फ हंस कर रह गया. सान्या चाय पीते पीते मुझे लगातार देखकर मुस्कुरा रही थी.
करीब एक सप्ताह के बाद शाम को जब मैं घर लौटा तो दरवाजा सान्या ने खोला. मैं चौंक गया. सान्या बोली " लीना मैडम का वेक्सिंग का काम चल रहा है. वे अन्दर लेटी हुई है." मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गया. कुछ देर के बाद लीना ने मुझे आवाज दी और मैं बेडरूम में गया. लीना केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई थी और सान्या लीना का मसाज कर रही थी. लीना ने मुझे देखा और बोली " तुम भी मसाज करवा लो. सान्या बहुत अच्छा करती है." मैंने मना किया. सान्या ने आँख मारकर मुझे ईशारा किया. मैं समझ गया कि वो मुझे धमकी दे रही है. सान्या ने मेरी कपडे उतारने में मदद की.
मैं केवल अंडर वेअर में बिस्तर पर लेट गया. सान्या मेरा मसाज करने लगी. सान्या ने मसाज करने से पहले अपना कुर्तिदार टॉप खोल दिया. उसने अन्दर एक स्लीव लेस टॉप पहना हुआ था जिसका गला काफी नीचे तक खुला हुआ था. सान्या ने मसाज शुरू किया. वो बहुत नीचे झुक कर मसाज कर रही थी. इससे उसके सीने के उभार मुझे छु रहे थे.  सान्या ने मेरे कान में धीमी आवाज में पुछा " उस दिन वो लड़की कौन थी?" मैंने आँख दिखाई और छुप रहने का ईशारा किया. सान्या ने अब लीना के चेहरे पर मसाज कर फेसियल उतरा और कहा " आप अपना चेहरा धो आइये." लीना जैसे ही बाथरूम में गई सान्या ने मेरे होंठ चूमे और मेरे ऊपर लेट गई.  सान्या ने अपने सीने से मुझे दबाया और बोली " एक दिन लीना के साथ उस दिन की तरह हम तीनों करें क्या?" मैंने गुस्से से कहा " बिलकुल भी मत कहना. ऐसा सोचना  भी मत." सान्या ने एक बार फिर मेरे होंठ चूमे और वापस खड़ी होकर मसाज करने लग गई.
मेरी चिंता अब बढती जा रही थी. लीना इन सब से बेखबर थी. करीब एक महीने के बाद सान्या एक बार फिर रविवार के दिन घर आई. लीना की उसने वेक्सिंग की और फिर उसे फेसियल लगाया. सान्या ने आज लीना की आँखों पर ककड़ी के टुकड़े रख दिए. लीना पलंग पर लेट गई. मैं बाहर ड्राइंग रूम में था. सान्या आई और मेरे गोद में बैठ गई. उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी अपनी मजबूरी देखते हुए सान्या को चूम लिया. मैंने सान्या के साथ एक लंबा फ्रेंच किस भी किया. तभी सान्या उठाकर लीना के पास चली गई. मैंने राहत महसूस की.
एक दिन इसी तरह शनिवार के दिन सान्या घर आई हुई थी. मेरी शनिवार को आधी छुट्टी रहती है. मैं जब घर पहुंचा तो सान्या लीना को सोप मसाज दे रही थी. मैं चौंक गया. मेरे दिमाग में तुरंत आया कि सान्या ने शुरुवात कर दी है. सान्या केवल ब्रा और पैंटी में थी और लीना ने केवल पैंटी पहन रखी थी. लीना के पूरे बदन पर ढेर सारा साबुन का झाग था. उस वक्त सान्या लीना के स्तनों को झाग के साथ मसल रही थी और लीना बहुत आनंद के साथ यह सब करवा रही थी. सान्या ने जैसे ही मुझे देखा उसने आँख मारी और लीना के स्तनों को मसलते मसलते अचानक उन्हें अपने होंठों से थोडा सा चूम लिया. लीना ने एक बहुत ही मीठी आवाज निकाली. सान्या ने एक बार फिर लींना के स्तनों को चूम लिया.  लीना मचल गई. सान्या ने लीना की इस हालत का फायदा उठाया और लीना के पास लेट गई और उसे बाहों में भर लिया. लीना ने आन्ल्खें खोली. सान्या बोली " मैडम ; आप लेटी रहिये. मैं एक अलग तरह का मसाज कर रही हूँ."  लीना लेटी रही. सान्या ने अब लीना के जिस्म पर खुद को लिटा लिया और एक मर्द की तरह उसे दबाने लगी. लीना को शायद बहुत ही मजा आया. उसने भी सान्या को गालों पर चूम लिया. अब लीना ने भी सान्या के चुम्बनों का जवाब उसी तरह से देना शुरू किया. मैंने ईशारे से सान्या को नहीं करने के लिए कहा लेकिन सान्या लगातार मुझे आँख मार मारकर मुस्कुरा रही थी. मैं खिड़की की आड़ से उन दोनों को देख रहा था. 
लीना ने सान्या से पानी पिलाने के लिए कहा. सान्या रसोई में गई. मैं तुरंत लीना के पास आया और बोला " लीनु; ये क्या करवा रही हो तुम? चलो उठो. उस लड़की के साथ इस तरह से मत लेटो. ये लडकीयाँ अच्छी नहीं होती है." लीना ने अचानक मुझे चूमा और बोली " जानेमन; बड़ा मजा आ रहा है मुझे. सान्या बहुत मस्ती करवा रही है. अब तुम ही बताओ केवल चार सौ रुपयों में इस शहर में ये सब मसाज कौन करके देता है और साथ में वेक्सिंग और फेसियल भी. बहुत सस्ता है. मैं तो कहती हूँ तुम भी सोप मसाज करवा लो. फ्रेश हो जाओगे. आज वैसे भी शनिवार है. हमें सारी रात जागना भी तो है. " मैं समझ गया कि सान्या का दांव सफल हो गया है. अब वो कभी भी मुझे साथ लेकर थ्रीसम सेक्स कर लेगी और मस्ती में उसके मुंह से वामा वाली बात भी निकल जायेगी. 
मैंने अब सान्या को अलग तरह से पटाने की सोची. लीना थोड़ी देर के बाद नहाने के लिए चली गई. मैंने सान्या को दबोच लिया. सान्या केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. सान्या खुश हो गई. मैं और सान्या बिस्तर पर आ गए. मैंने तुरंत सान्या की पैंटी नीचे की और अपने हाफ पैंट में से अपना लिंग निकालकर सान्या के जननांग में धकेल दिया. सान्या कराह उठी. मैंने जल्दी जल्दी सान्या को जोर जोर से ढेर सारे झटके दिए. सान्या को बहुत मजा आया. मैंने सान्या से कहा " हम लगातार मिलेंगे लेकिन उस दिन वाली बात तुम लीना से बिलकुल मत कहना. तुम्हें अलग से मैं खुश करता रहूंगा." सान्य ने मुझे जोर से चूमा और बोली " तुम बहुत अच्छे और मीठे हो. मैं तुम्हारी बात मानूंगी. बस तुम ऐसे ही मिलते रहना. मैं मैडम को इसी तरह से मस्त कर कर के एक दिन थ्रीसम में शामिल कर ही लुंगी. बस फिर उस दिन वाली बात हमेशा हमेशा के लिए दफ़न हो जायेगी. " मैं बहुत खुश हो गया. तभी बाथरूम का दरवाजा खुल गया. सान्या ने अपनी पैंटी पहनी और मेरी पीठ पर मसाज करने लग गई. लीना ये देखकर खुश हो गई.
अब सान्या लगभग हर दसवें दिन आने लगी और लीना भी उसे जल्दी जल्दी बुलाने लगी. अब यह होने लगा कि जब भी सान्या लीना के लिए घर आती लीना जब जब नहाने जाती तब तब मैं और सान्या जो भी समय होता हम दोनों हमबिस्तर हो जाते. यह सिलसिला लगातार चलने लगा.
एक दिन सान्या लीना की वेक्सिंग कर रही थी. सान्या ने लीना से कहा " मैडम; आपने कभी सूना है या पढ़ा है कि एक मर्द और दो औरतों के बीच का सेक्स बहुत मजेदार होता है. कामसूत्र में भी यह बात लिखी गई है." लीना एक छोटे शहर से थी और  एक मध्यमवर्गीय घर से; इसलिए इस तरह की किताबें उसने ना के बराबर पढ़ी थी. उसने ना में सर हिलाया. सान्या ने कहा " ये बहुत ही उतेजना वाला होता है. एक बार इसकी आदत पड़ जाए तो फिर हर समय बहार ही बहार होती है." लीना ने पूछा " क्या तुम कोई किताब दे सकती हो जिसमे ऐसी कोई कहानी या किसा है." सान्या ने हाँ कहा और  दुरे ही दिन एक इंग्लिश मैगजीन लाकर उसे दे दी. लीना उसे पढ़कर और उसकी तस्वीरें देखकर पागल सी हो गई. उसने सान्या से फोन पर बात की और कहा कि उसे बहुत अच्छा लगा है. सान्या ने लीना को और ऐसी ढेर सारी मेग्जीनें लाकर दे दी. 
रात को जब मैं बेडरूम में आया तो लीना वही मैगजीन देख रही थी. मैं उन मैगजीनों को देखते हे सब समझ गया कि ये सारा सान्या का किया हुआ है. लीना बड़े ही उत्साह से मुझे दिखाने लगी. मैंने उसे कुछ नहीं कहा केवल उसके साथ साथ देखता रहा और फिर हम दोनों एक दूसरे में खो गए.
दो दिन के बाद आखिर लीना ने मुझसे रात को उस वक्त कहा जब मेरे लिंग ने उसके जननांग को पूरी तरह से काबू में किया हुआ था " जानेमन; अगर हम दोनों के अलावा एक और औरत आ जाए तो हम दोनों को बहुत मजा आयेगा. मुझे सान्या की किताबें बहुत उत्तेजित कर गई है. अगर वो ही हमारे साथ आ जाए तो! हम उसे जानते हैं. अच्छी और मजेदार लड़की है. हम दोनों से खुली हुई भी है. सच कहती हूँ बहुत मजा आयेगा. बस अब तुम हाँ कह दो." इतना कहकर लीना ने मेरे होंठ सी दिए और उन्हें चूसने लगी. मैंने भी सोचा कि इससे सान्या की जुबान भी खामोश हो जायेगी और वामा वाला किस्सा भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. मैं हाँ कह दिया.
अगले ही दिन सान्या आ गई. उस दिन शनिवार था. लीना ने मेरे आने से पहले सान्या के साथ मिलकर सारी तैय्यारी कर ली. मैं जब नहाकर बाथरूम से बाहर आया तो बेडरूम में दोनों अपने सभी कपडे उतार कर बैठ हुई थी.  मुझे देखते ही दोनों मुस्कुरा दी. मैंने अपना तौलिया उतरा और दोनों के साथ मिल गया. सान्या और लीना को मैंने लगातार चूमा और फिर इसके बाद सान्या जिन मैगजीनों को लेकर आई थी; उन मैगजीनों से हम तीनों ने तस्वीरों जैसी सेक्स पोजीशंस की . इसके बाद मैंने लीना के साथ सेक्स किया. लीना ने सान्या को भी मेरे नीचे लेटने को कहा. मैंने सान्या के साथ भी सेक्स कर लिया.
अब हर शनिवार की रात थ्रीसम सेक्स की रात होने लगी. लीना भी अब काफी कामुक हो गई थी. उसके सेक्सुअल व्यवहार में बहुत बदलाव आ गया था और हरदम उत्तेजित रहने लग गई. मुझे भी अब बहुत मजा और मस्ती आने लगी थी. अब तो सान्या कभी भी आ जाती. कई बार तो सप्ताह में तीन तीन बार ये होने लगा. इस तरह से हम तीनों ने पूरे सात महीने निकाल लिए.
एक दिन लीना के पास वामा का फोन आया कि वो अपने पीटीआई के सात दो दिनों के लिए हमारे यहाँ आ रही है. उसके पति का हमारे ही शहर में किसी कंपनी में इंटरव्यू है. रात तो जब यह बात लीना ने मुझे बताई तो मेरी तो सांस ही रुक गई. लगातार एक के बाद एक नई नई मुसीबत. अगर वामा के पति की इसी शहर में नौकरी पक्की हो गई तो मैं तो बरबाद ही हो गया समझो. 
तय कार्यक्रम के अनुसार वामा और उसका पति पहुँच गए. मैं वामा को देख एक तरह से पागल हो गया. वामा अब और भी ज्यादा निखर गई थी. उसका अंग अंग जैसे खुद ही कह रहा हो कि देखो हर जगह रस ही रस छलक रहा है. आओ पिलो. वामा भी सबकी नजर बचाकर मुझे देखकर मुस्कुरा दी.
रात को खाना खाने के बाद हम चारों आपस में बातें करने लग गए. वामा लगातार सभी से नजरें बचाकर मुझे देखती और मुझसे नजरें मिलते ही एक शरारत भरी मुस्कान से मुझे हिला देती.
सवेरे मैं वामा के पति को लेकर रवाना हो गया. वामा और लीना ने पूरे दिन खूब गप्पें लड़ाई. वामा ने लीना को बहुत ही प्रभावित कर दिया. वैसे भी लीना बहुत भोली-भली है इसलिए बहुत जल्दी वामा से प्रभावित होकर उससे घुलमिल गई. वामा ने लीना को अपने पति के साथ के सेक्स के कई किस्से सूना डाले. लीना ने भी उसे ऐसे ही कई किस्से सुनाये. दोनों शाम तक बहुत ही खुल गई.
वामा का पति देर शाम को लौटा और उसने बताया कि उसका सेलेक्शन हो गया है और एक बार कल से ही उसे ड्यूटी ज्वाइन करी होगी. वामा और लीना यह खबर सुन  खुही से चिल्ला पड़ी. मैंने भी बहुत खुश हुआ कि लीं को एक अच्छी सहेली मिल गई है. लेकिन दूसरे ही पल यह ख्याल आया कि वामा का फिर से आना जाना शुरू हो जाएगा और मेरे लिए सान्या के अलावा एक और मुसीबत खड़ी हो जायेगी. मैं अपने कमरे में था. वामा अचानक मेरे कमरे में आई और बोली " देखो' हमारा मिलना फिर से होने लगेगा. खूब मजा आयेगा. अब तो हम दोनों को कोई नहीं रोक सकेगा." यह कहकर वो वापस चली गई. मेरी ख़ुशी अब एक बहुत बड़ी चिंता में बदल गई. अब मुझे ये पक्का विश्वास हो गया कि लीना को अब मेरे और वामा के बारे में सब कुछ पता चल ही जाएगा.
आगे क्या हुआ आप छठवें भाग का इंतज़ार करें.

शनिवार, 31 जुलाई 2010

किसी से ना कहना : भाग तीसरा

वामा की शादी हुई उन दिनों मैं एम् बी ए के ट्रिप पर यूरोप गया हुआ था. लौटने पर मुझे वामा की शादी की खबर मिली. मेरी किस्मत साथ दे रही थी . मुझे वामा के ससुराल के शहर में जाने का मौका मिला. मैं अपना काम निपटाकर वामा के घर पहुँच गया. वामा मुझे देखकर हैरान हो गई. उसने मुझे अपने पति से मिलवाया. उसके पति ने मुझसे रात को वहीँ रुके के लिए कहा दिया और मेरा सामान उठाकर अन्दर कमरे में रख दिया. वामा कुछ परेशान हो उठी. मैं उसकी परेशानी समझ गया. मैंने बहुत ना कहा लेकिन वामा के पति नहीं माने. मुझे मजबूरन रुकना पड़ा. खाना खाने के बाद हम बातें करने बैठ गए. वामा पूरे समय खामोश रही. मैं समझ गया कि वामा को अब अपने किये पर पछतावा हो रहा है.
मैं एक अलग कमरे में सो गया. रात के करीब दो बजे फोन की घंटी बजी. मेरी भी आँख खुल गई. पता चला कि वामा के पति जिस फेक्टरी में इन-चार्ज हैं वहां कोई दुर्घटना हुई है और उन्हें उसी वक्त जाना पड़ रहा है. वामा के पति चले गए. मैंने मौका देख वामा से कहा " मैं तुम्हारी परेशानी समझ गया हूँ हम दोनों के हित में यही है कि हम उन मुलाकातों को भूल जाएँ." वामा ने मेरी तरफ देखा और बोली " बात वो नहीं है जो तुम समझ रहे हो. मैं बहुत खुश हूँ इनके साथ. लेकिन आज तक मैं उन मुलाकातों को भुला नहीं पाई हूँ. ना ही तुम को भूल सकी हूँ. मैं जानती हूँ हमने सब गलत काम किया. हमारा रिश्ता क्या था और हमने क्या कर दिया. लेकिन कभी कभी ऐसा हो जाता है. तुम आज भी मेरे उतने ही करीब हो जितने उन दिनों थे. ये पागलपन ही सही ; हवस ही सही लेकिन मुझे इसमें कोई गलत नहीं लगता. आज भी देखो किस तरह से हमें मौका मिला है." मैं चौंक गया. वामा ने फिर वैसी ही मुस्कराहट मेरी तरफ फेंक दी. मैं कुछ देर तक सोचा लेकिन मुझसे रहा नहीं गया. वामा आगे आई और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया. वामा शादी के बाद थोडा निखर गई थी. वामा मझे लेकर अपने बेडरूम में आ गई. अगले ही पल हम दोनों एक बार फिर निर्वस्त्र हो चुके थे. आज वामा ने मुझे चूम चूमकर पागल कर दिया. कुछ ही देर में फोन के घंटी बजी. मैं वामा के ऊपर लेटा हुआ था. वामा मेर्नीचे दबी थी. वामा ने फोन उठाया. उसक पति ने उसे कहा कि वो एक निकल रहा है और आधे घंटे में पहुँच जाएगा. वामा ने मुझे जोर से चूमा और बोली " ये हमेशा हम आधे घंटे या एक घंटे की समय सीमा में ही क्यूँ मिलते हैं. वो आधे घंटे में पहुँच जायेंगे, जल्दी करो." मैंने बिना कोंडोम ही वामा के जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. वामा ने मुझे मना किया और कोंडोम लगा दिया. लगातार जोर लगाकर हम दोनों ने अपने को थका लिया. अब वामा ने मेरे होंठों को इतने जोर से चूसा कि मेरे लिंग से बहुत ही तेज धारा निकली और वामा के जननांग में एक सैलाब आ गया. हम दोनों ने बहुत कम समय में बहुत मजा ले लिया था. हमने कपडे पहने और मैं अपने कमरे में आकर सो गया.
सवेरे एक और मौका मिलता दिखाई दिया. वामा के पति दस बजते ही ऑफिस चला गया. मेरी ट्रेन दो घंटा देर हो गई. मैं वामा के घर पर ही रुक गया. वामा बहुत खुश हो गई. मैं और वामा एक बार फिर आपस में नंगे होकर लिपटे हुए थे. इस बार वामा की इच्छा पूरी हुई. मैंने लगातार पूरे दो घंटों तक वामा के जननांग को इतनी जोर से भेदा कि उसके आसपास गहरे लाली छा गई. वामा पूरी तरह से थककर पलंग पर लेती हुई थी. वो मुस्कुरा रही थी लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी. मैंने एक कोंडोम वामा से लिया और उसे अपने लिंग पर चढाते हुए वामा के ऊपर चढ़ गया. वामा का जननांग जैसे मेरे लिंग का ही इंतजार कर रहा था. मेरा लिंग एक सेकंड में उसमे घुस गया. लिंग के घुसते ही मेरे लिंग ने जैसे बौछार कर दी. वामा जोर से सिसकी और मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाकर मी मुंह में ढेर सारा लार का पानी छोड़ गई. उसके ठन्डे लार के पानी ने मुझे नशे में कर दिया. मैंने उसे चूमा और हम अलग हो गए.
जब मैं रवाना हुआ तो वामा बोली " आज ये तय रहा कि हम हमारा ये रिश्ता जारी रखेंगे. जब भी मौका मिलेगा हम यह सब करते रहेंगे. किसी से ना कहना."
------- ये किस्सा अगली मुलाकात के बाद ख़त्म हो गया. कैसे ख़त्म हुआ मैं आपको चोथे भाग में बताऊंगा.

शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

किसी से ना कहना : भाग दुसरा

मामाजी के लड़के की शादी के लिए हम ननिहाल आ गए थे. हमारा ननिहाल एक बड़ी हवेली जैसा है. दुमंजिला लेकिन करीब बीस कमरे. हम सभी अलग अलग कमरों में ठहरे थे. वामा और मैं एक दूजे को देख बहुत खुश हो गए. लेकिन मौसी लाटर हम्म दोनों पर नजर रखे हुए थी.
पहली रात थी. सभी खाना खाने के बाद एक साथ बैठे गप्पें लड़ा रहे थे. हम सभी बच्चे एक अलग बड़े कमरे में थे. तभी वामा ने मुझे इशारा किया. हम दोनों कमरे के बाहर आ गए. हमने देखा कि मौसी गप्पों में व्यस्त है. हम छत पर आ आगये. गुप्प अँधेरा था. हम दोनों आपस में लिपट गए और लगे एक दूजे को चूमने चाटने. एक दूजे के होंठों का रस पीकर हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था. तभी जोर की आवाजों ने हमें अलग होने पर मजबूर किया. सभी सोने जा रहे थे. हम भी अपने अपने कमरे में चले गए.
अगले दिन दोपहर को लडकी वालों के यहाँ कोई फंक्शन था. औरतें सभी वहां गई हुई थी. मैं घर पर ही था. दोपहर को रीब तीन बजे वामा लौट आई. उसने मुझे ढूँढा और हम दोनों एक खाली कमरे में आ गए. वामा ने कहा " केवल आधा घंटा है. वे लोग आधे घंटे में पहुँच जायेंगे. चलो जल्दी करो." मैंने और वामा ने अपने सिर्फ नीचे के कपडे उतारे. वामा ने मुझे कोंडोम थमा दिया. मैंने तुरंत कोंडोम लगाया लेकिन मेरा लिंग अभी कड़क और बड़ा नहीं हुआ था. वामा ने नीचे झुककर मेरे लिंग को चूमना शुरू किया. केवल दस सेकंड में वो एकदम कड़क और लंबा होकर खड़ा हो गया. मैंने कोंडोम चढ़ाया. वामा नेखड़े खड़े ही अपनी एक टांग ऊपर उठाकर मेरे हाथ में दे दी. मैंने उसकी टांग को और ऊंचा उठा दिया. अब उसका जननांग खुलकर चौड़ा हो गया था. मैंने अपना लिंग उसमे डाल दिया. हम दोनों खड़े खड़े सेक्स करने लगे. बीच बीच में थोडा रुकते और फिर करने लग जाते. तभी हमें लगा जैसे सभी औरतें लौट आई है. मैंने जोर लगाना शुरू किया. वामा ने मुझे होंठों पर जोर से चूमना शुरू किया. ताभिमेरे लिंग ने वामा के जननांग में कोंडोम में ढेर सारी मलाई छोड़ दी. वामा और मैं दोनों मदहोशी से एक दूजे को चूमने लगे. फिर किसी के आने के डर से अलग अलग हो आये. हमने अपने अपने कपडे पहने और बाहर आ गए. किसी को भी पता नहीं चल पाया. रात को हमने बहुत कोशिश की लेकिन मौसी की पैनी निगाहों ने हम दोनों को पास भी नहीं आने दिया.
रात के करीब दो बजे थे. मेरी आँख खुली. मैं अपने कमरे से निकलकर उस तरफ चला गया जिधर वामा का कमरा था. मैंने उस कमरे में छुपकर झाँका. थोड़ी रौशनी थी इसलिए मैं वामा को देख सका. वामा ने करवट बदली. अब वामा मरे बिलकुल सीध में आ चुकी थी. मैंने एक कंकर उसे मारा. निशाना सही लगा. वामा की आँख खुल गई. उसने देखा. मैं अँधेरे में था इसलिए वो मुझे नहीं देख पाई. लेकिन उसे कुछ शक हुआ मगर वो उठी नहीं. मैंने दूसरा कंकर मारा. इस बार वामा उठकर बैठ गई. उसने इधर उधर देखा और बाहर आई. इसके बाहर आते हीमैन उसके सामने आ गया. वो मुझे देखते ही मुझसे चिपक गई. मैंने पूछा " मौसी कहाँ सो रही है?" वामा ने कहा " मम्मी; दूसरे कमरे में है. किसी को कोई हक़ नहीं होगा लेकिन हम जायेंगे कहाँ?" मैंने कुछ सोचा और बोला " छत पर चलते हैं. कोई नहीं है वहां पर. " मैंने वामा का हाथ पकड़ा और छत पर आ गया. एक कोने में हम दोनों चले गए. सर्दीयों के दिन थे इसलिए मैंने वहीँ रखी एक रजाई ले ली और दोनों उसमे घुस गए. कुछ ही देर में आपस में चिपकने के कारण गरमाहट आ गई. वामा ने मुझे चूमा और बोली " तुमने तो बहुत ही अच्छा आइडिया निकाला यार. कल की एक रात और है. हम कल भी यहीं आ जायेंगे." हमने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार दिए. कमी यह हो गई कि हमारे पास कोंडोम नहीं था. वामा ने फिर भी मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसा लिया. मैं और वामा अब पूरा मजा ले रहे थे. मैं रुक रुक कर वामा के जननांग में अपना लिंग दाता और निकालता. इस तरह से करते करते एक घंटे से भी ज्यादा का वक्त हो गया. मुझे और वामा दोनों को ही अब यह डर लगने लगा था कि कहीं मेरे लिंग से कुछ निकलकर वामा के जननांग में घुस ना जाये. वामा ने मुझे लिंग बाहर निकलने को कहा. वामा ने रजाई को फाड़कर रुई निकाल ली और अपने जननांग पर लगा दी. मैंने लिंग को उससे छुआ दिया. अब फिर से मैं अपने लिंग से वामा के जननांग के आसपास की जगह में मस्ती करने लगा. इस मस्ती ने रंग दिखाया और कुछ ही देर के बाद मेरा लिंग बहने लगा. वामा के जननांग ली जगह भीग गई. उस ठंडक से वामा तड़प उठी और हमने एक दूजे को तड़प तड़पकर चूमना शुरू कर दिया. हम दोनों ने इसी भीगी हुई हालत में काफी देर तक मजा किया. वामा लगातार मुझे जगह जगह चूमे जा रही थी. हमें समाया का पता ही नहीं चल पाया. हम आपस में पूरी तह से चिपके हुए थे और रजाई में दुबके हुए थे इसलिए बाहर का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. अचानक जब इस चिपका-चिपकी में रजाई थोडा हटी तो हमने देखा कि दूर आसमान में थोडा थोडा नीलापन दिखाई दे रहा था. हम समझ गए कि दिन निकलने वाला है. हम दोनों ने आखिरी कुछ किस किये और साफ़ सफाई कर अपने अपने कमरे में आकर सो गए.
सवेरे के बाद जब जब मैं और वामा आमे सामने आये तब तब हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. मौसी को हम पर शक हो गया. वो अब वामा को अपने साथ साथ हिराहने को कह रही थी. मैं और वामा दोनों ही अब समझ गए कि अब आपस में मिलना मुश्किल है.
रात को बारात चल दी. वामा ने बहुत ही सुन्दर ड्रेस पहनी थी और बहुत अच्छा मेक-अप किया था. वो मुझे बार बार ललचा रही थी. उसके होंठों का लाल लिपस्टिक मुझे दावत दे रहा था. मौसी बरार वामा के साथ ही चल रही थी. फेरे हो रहे थे. सभी जहाँ हवन चल रहा था वहीँ बैठे शादी की विधियां देख रहे थे. अचनाक्वामा ने मुझे ईशारा किया. मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. मौसी देख नहीं पाई. शादी वाले हाल के बाहर कार पार्किंग का एरिया सुनसान था. मैनौर वामा एक कार के पीछे चले गए. वामा ने अपने होंठ मेरी तरफ बढाए और बोली " मिठाई खाओगे." मैंने वामा का निमंत्रण स्वीकार और उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया. हम दोनों पागलों की तरह से एक दूजे को होंठों पर चूमने लगे. कुछ ही देर में वामा के होंठों का सारा रंग गायब हो गया. हम दोनों वापस हाल में लौट आये.
मौसी की नजर वामा पर पड़ी. वामा के होंठों के उड़े हुए लिपस्टिक के रंग से मौसी का चेहरा तमतमा उठा. उसने वामा का हाथ पकड़ा और उसे एक तरफ ले गई. मैं दूर से दोनों को देखने लगा. वामा ने मौसी को कुछ समझाया. लेकिन मौसी कुछ नहीं मां रही थी. मैं डर गया. वामा ने ने आखिर में गुए से मुसी से अपना हाथ छुड़ाया और सभी के साथ आकर बैठ गई. उसका चेहरा उतर गया था. मौसी ने अब मेरी तरफ गुस्से से देखा. मैंने अपना चेहरा स्थिर रखा और दूसरी तरफ घुमा लिया. मौसी काफी देर तक मेरी तरफ देखती रही.
शादी संपन्न हो गई. हम सभी घर लौट आये. दोपहर को खाना था. मौसी वामा के आसपास ही घुमती रही. इसी तरह से शाम हो गई. वामा के चेहरे से लग रहा था कि वो मुझसे मिलना चाह रही है. मैं परेशान हो उठा. रात को नौ बजे हमें वापस लौटना था. मैं अब कोशिश करने लगा कि वामा से कैसे मिलूं. मेरी मम्मी सब से मिल रही थी. मौसी भी वहीँ खड़ी थी. मैंने दूर से देखा और वामा ऊपर छत पर दिखाई दी. मैं दौड़ता हुआ छत पर चला गया. छत पर वामा अकेली ही खड़ी थी. मैंने वामा को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा. वामा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन दिया. एक लम्बा फ्रेंच किस लिया. हम आपस में मिलने का वडा कर जुदा हो गए.
इसके बाद लेकिन हम दोनों कभी नहीं मिल पाए हैं. वामा की शादी हो चुकी है. आज केवल यादें है.
कभी कभी जवानी में ऐसा हो जाता है कि हम कोई पागलपन जैसी भूल या गलती कर बैठते हैं.
------- आप चौंकीए मत. मैं और वामा वामा कि शादी के तीन साल बाद मिल चुके हाँ. कैसे मिले ? कहाँ मिले ? क्या किया ? कितना साथ रहा ? तीसरे और आखिर भाग में बताऊंगा.

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

किसी से ना कहना भाग - पहला

मैं उन दिनों बी एस सी प्रथम वर्ष में था. पंद्रह अगस्त के समय छुट्टियां पड़ी. मैं अपनी मौसी के यहाँ चला गया. मौसी के एक ही लड़की थी. वामा. वामा मेरे से चार साल बड़ी थी. मौसी और मौसा जिस दिन मैं पहुंचा उसके अगले दिन एक शादी में जानेवाले थे. मैंने देखा कि वामा लगातार मुझे छेड़े जा रही थी. मैं जितना बचता वो उतना ही ज्यादा छेडती. वो कभी मेरे गालों पर चिकोटी काटती तो कभी मुझे गुदगुदी कर देती. मैं उसके इस शरारत से परेशान हो गया. अगले दिन मौसा और मौसी सवेरे ही शादी के लिए चले गए. वे अगले दिन सवेरे ही लौटने वाले थे. मैं और वामा अकेले रह गए.
वामा अपने कमरे में थी और मैं बाहर टी वी देख रहा था. कुछ देर के बाद मैंने देखा कि वामा बहुत ही कम लम्बाई का हाफ पैंट और ऊपर एक स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर आई. वो फ्रूट क्रीम खा रही थी. वो मेरे सामने सोए पर बैठ गई. मुझे उसका व्यवहार सही नहीं लग रहा था. वामा लगातार मुझे देखकर मुस्कुराए जा रही थी. मैं डर रहा था. अब वामा ने अपनी टांगें सेन्ट्रल टेबल पर रख दी और मेरे सामने ही फैला दी. उसकी टांगें बहुत गोरी थी और चिकनी थी. वो ऐसे चमक रही थी जैसे उन पर बहुत सारा तेल लगा था. मैं उन्हें देखने लगा. वामा को शायद अपनी जीत का अहसास हुआ. वो उठी और मेरे पास कर मेरे ही सोफे की सीट पर बैठ गई. मैं अपने में सिमटा तो वो मेरे से एकदम सट कर बैठ गई. अब इसके बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया. मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगा. उसने कहा " छुडाने की कोशिश मत करो मैं चिल्लाने लगूंगी. पड़ोस में सभी को पता चल जाएगा कि तुम मुझे तंग कर रहे हो.." मैं घबरा गया. वामा ने अब मुझे यहाँ वहां चूमने लगी. उसने मेरी शर्ट के बटन खोलकर उसे दूर फेंक दिया. इसके बाद उसने जबरदस्ती मेरी पैंट भी उतार दी. मैं अन्दर कमरे में जाने लगा तो वो मुझसे लिपट गई. उसने मुझसे लिपटे लिपटे ही अपनी हाफ पैंट उतार दी और अपना सारा भार मुझ पर डाल दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मैं कमरे की फर्श पर गिर गया. इस पर भी वामा ने मुझे नहीं छोड़ा बल्कि उसकी पकड़ और भी मजबूत हो गई. मैंने अपने मन में सोचा कि मैं चाहे कुछ भी करूँ वामा मुझे छोड़ेगी नहीं. अगर मैं मना भी कर दूँ तो वामा धमकी देकर मुझसे हर काम करवा लेगी. मैंने ये फैसला किया कि हर हालत मैं जब मौत लिखी है तो मौत से ही दोस्ती कर लेता हूँ. मैंने अचानक वामा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. वामा ने आश्चर्य से मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा. मैं भी मुस्कुरा दिया. वामा ने अपने होंठों से मेरे होंठों का रस खींचना शुरू किया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. वामा खुश हो गई. अब हम दोनों ही आपस में चुम्बनों की बौछार कर भीगने लगे. थोड़ी देर के बाद वामा मेरे ऊपर लेट गई और मुझे दबाते हुए ऊपर नीचे हिलने लगी. मैंने भी वामा को कसकर पकड़ लिया और लगा उसे चूमने और चाटने. वामा को खूब मजा आने लगा. उसने फिर खद को नीचे करते हुए मुझे खुद के ऊपर लेटने के लिए कहा. हम दोनों ने अपनी जगहें बदल बदलकर काफी देर तक मजा लिया.
वामा ने फिर मेरा अंडर वेअर निकाला और खुद भी नंगी हो गई. उसने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना और धीरे धीरे मसलना शुरू किया. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं वामा को लगातार गालों और होंठों पर चूमे जा रहा था. वामा ने मुझे अपनी ऊंगली अपने जननांग में डालने के लिए कहा. मैंने धीरे से अपनी ऊंगली उसके जननांग में डाल दी. मुझे बहुत ही गीलापन लगा. मेरी ऊंगली अन्दर बाहर होने लगी. वामा अजीब तरह की आवाजें निकालकर मजे लेने लगी. कुछ देर के बाद हम दोनों आपस में लिपट गए और मैंने अपना लिंग वामा की जाँघों के बीच डाल दिया. वामा ने अपनी जांघें पूरे जोर से दबा दी. हम दोनों को बहुत मज़ा आने लगा. वामा ने मुझे आजाद किया और रसोई में चली गई.
वामा जब रसोई से लौटकर आई तो उसके हाथ में बर्फ की ट्रे थी. उसने एक बर्फ का टुकडा अपने मुंह में लिया और उसे आधा बाहर रखकर मेरे गालों पर फेरने लगी. मुझे ठंडा बर्फ अच्छा लगा,. वामा ने फिर वो बर्फ का टुकडा मेरे मुह में डालकर छोड़ दिया. अब मैंने भी वामा के सारे जिस्म पर बर्फ के टुकड़े को फेरा. में आखिर में अपने मुंह में दूसरा बर्फ का बड़ा टुकडा लिया और वामा के गुप्तांग पर रखकर अपने मुंह से दबा दिया. वामा के मुंह से जोर के सिसकी निकल गई. मैंने काफी देर तक ऐसा ही किया. वामा लगातार तड़पती रही और मेरे मुंह को अपने गुप्तांग की तरफ जोर से दबाती रही.
मैंने अब सभी बर्फ के टुकड़े लेकर हम दोनों के जिस्मों के बीच में फंसा लिए और आपस में लिपटकर कसमसाने लगे. हम दोनों बैठे हुए थे इसलिए सभी टुकड़े नीचे की ताखिसक गए और सारा पानी हम दोनों के गुप्तांगों की तरफ चला जा रहा था. तभी मेरे लिंग में से कुछ निकलना शुरू हुआ और वामा के गुप्तांग से टकराने लगा. वामा ने मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया और लेट गई. हम दोनों की साँसे तेज चलने लगी. हम दोनों अब शांत हो गए. हम दोनों काफी देर तक युहीं सोये रहे.
दोपहर हो गई थी. वामा ने फोन कर एक होटल से खाना मंगवा लिया. हम दोनों ने खाना खाया. वामा कुछ देर के लिए सो गई. शायद वो थक गई थी. मैं कुछ राहत महसूस करने लगा.
करीब तीन बजे वामा उठ गई. मैं सोया हुआ था वो आकर मेरे पास आकर लेट गई. इससे पहले कि मेरी आँख खुलती वो मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा चुकी थी. एक बार फिर उसपर नशा छा गया था. नशा मेरा भी अभी तक उतरा नहीं था. मैंने भी उसी गर्मजोशी से जवाब दिया. वामा ने फिर अपने और मेरे सभी कपडे उतार दिए. इस बार वामा ज्यादा जोश से मुझ पर पिल पड़ी. ऐसा लग रहा था जैसे वो पागल हो गई हो. मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की तो वो बोली " मम्मी आज रात को सात बजे की बस से ही आ रही है. इसलिए समय बहुत कम है." मैं उसकी जल्दबाजी समझ गया. हम दोनों ही अब अब ऐसे आपस में उलझे कि कोई देखे तो ये समझे कि आज के बाद शायद हम ना मिलनेवाले हों. हम दोनों ने एक दूजे के जिस्म का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा जो हमारे चुम्बनों से गीला ना हो गया हो. पूरे दो घंटों तक हम दोनों ने एक दूजे को इसी तरह से चूमते चाटते बिताया. इसके बाद वामा ने तकिये के नीचे से एक कोंडोम निकाला और मुझे अपने लिंग पर चढाने को कहा. वामा ने मेरी मदद की. अब धीरे से वामा ने मेरे लिंग को अपने हाथों में लिया और लगी अपने जननांग में ठूंसने. वामा ने बताया कि उसके लिए ये पहला मौका है जब उसने किसी के गुप्तांग को छुआ है और अपने अन्दर लिया है. वो इससे पहले दो लड़कों के साथ गालों तक चुम्बन कर चुकी है और बाहों में ले चुकी है. लेकिन मेरे साथ ही उसने सारा खेल खेला है. मैंभी अपनी तरफ से जोर लगाना जारी रखा. तीन चार बार जोर करने से मेरा लिंग वामा के जननांग में थोडा घुस गया. वामा ने अपनी दोनों टांगें बैठे बैठे ही और फैला दी. मैंने भी बैठे बैठे ही जोर लगाकर जितनी दूर संभव हुआ अपने लिंग को उसके जननांग में घुसाता चला गया. वामा का जननांग थोड़ी देर के बाद अन्दर से मलाईदार लगने लगा. वामा मुझे बेतहाशा चूमने लगी. वो बार बार अपने मुंह में शक्कर के दाने डालती और मेरे मुंह में छोड़ देती. मैं भी अब यही करने लगा. कुछ ही देर में यह हुआ कि हम दोनों के मुंह से निकली बे-हिसाब लार ने हम दोनों के पूरे मुंह को गीला और चिपचिपा कर गया हम दोनों फिर भी एक दूसरे के मुंह को लगातार चूमे जा रहे थे. हम दोनों ने घडी देखी. छः बज चुके थे. वामा ने ढेर सारी शक्कर अपने मुंह में घोली और मेरे मुंह में शक्कर का घोल छोड़ते हुए अपने होंठों से मेरे होंठों को सी दिया. हम दोनों के अन्दर एक सरसराहट दौड़ गई. तभी मेरे लिंग में तेज हलचल होनी शुरू हो गई. मैंने वामा को जोर से अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लिपटा लिया. अब मैं और वामा धीरे से संभलकर बिस्तर पर लेट गए. लेकिन हम दोनों के मुंह चिपके हुए थे और मेरा लिंग उसके अन्दर फंसा हुआ था. अब वामा के जननांग में भी कुछ हलचल हुई. तभी मेरे लिंग से एक तेज धारा छूट गई और कोंडोम के भरने से वो फ़ैल गया. वामा ने और जोर से मुझे लिपटा लिया. हमारी साँसें भर गई. हम दोनों की पकड़ कुछ ढीली हुई. हमारे होंठों की जकड भी कम हुई इस जकड के कम होने से हम दोनों के मुंह से ढेर सारी चाशनी बाहर निकलकर हमारे जिस्म में हम दोनों के सीने पर फ़ैल गई. वामा और मैंने अपने अपने सीने को आपस में रगड़ना शुरू किया.
घडी में साढे छह बज गए थे. हम दोनों बाथरूम में दौड़े और नहाकर अपने कपडे बदल लिए. सात बजते ही मौसा और मौसी लौट आये. इस भाग दौड़ में हम बिस्तर को ठीक करते वक्त कोंडोम का खाली पैक हटाना भूल गए. मौसी ने उसे देख लिया. उन्हें हम पर शक हो गया. रात को मौसी ने वामा को अपने कमरे में सुलाया और मैं मौसा के कमरे में सोया. अगले दिन सारा समय मौसी हम दोनों को अलग अलग रखने की कोशिश करती रही. शाम को मुझे वापस बस पकडनी थी. मैं और वामा मिलने के लिए तड़प रहे थे. जब मैं रवाना हुआ तो वामा पहले ही दरवाजे से बाहर आकर सीढीयों में छुपकर खड़ी हो गई. मैं जैसे ही उतरा वामा ने मुझे बाहों में भार लिया. हम दोनों ने एक बहुत ही लम्बा और गीला फ्रेंच किस किया और जल्दी मिलने का वादा कर अलग हो गए. वामा ने मुझसे कहा " किसी से ना कहना." मैं हाँ कहा बस स्टैंड की तरफ चल पडा.
हम अगली मुलाकात का इंतज़ार करते रहे लेकिन मौका नहीं मिला. पूरे एक साल बाद मौका मिला. मेरे मामा के लड़के की शादी तय हुई. हम सभी पूरे तीन दिन एक साथ हमारे ननिहाल में रहने वाले थे. मैं और वामा ने उन तीन दिनों में मौसी से बचाकर कैसे अपनी अपनी प्यास बुझाई ये आपको दूसरे भाग में बताऊँगा. फिलहाल तो यह पढ़िए और गीले हो जाइए.

मंगलवार, 27 जुलाई 2010

थ्रीसम सेक्स

मैं और मेरी पत्नि दोनों पिछले बीस सालों से शादी सुदा जिन्दगी बिता रहे हैं. दोनों हर तरह से खुश है. हमारी सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी रही है. मेरी उम्र बयालीस साल और मेरी पत्नि की चालीस साल है. मैंने कुछ दिन पहले घर में कंप्यूटर लिया. मेरा बेटा होस्टल में पढ़ रहा है. हम दोनों अकेले ही रहते हैं. रात को अक्सर हम एक साथ कंप्यूटर पर सेक्सी तस्वीरें और फ़िल्में देखते रहते. हमने ये आदत पड़ गई थी कि रोज कम से कम डेढ़ - दो घन्टे तक हम कंप्यूटर पर ऐसी फिल्मे देखते हुए सेक्स नहीं करते तो हमें नींद नहीं आती. हम कहीं ब ही जाते रात को ग्यारह बजे तक कैसे भी लौट आते क्यूंकि हमारा समय फिक्स था.
एक दिन हम दोनों ने एक फिल्म देखी जिसमे एक मर्द दो-दो औरतों के साथ सेक्स कर रहा था. वो कभी को लेटा तो कभी दूसरी को. तीनों अलग अलग सेक्स मुद्राएँ कर रहे थे. ना जाने क्यूँ हम दोनों को ये बहुत ही अच्छा लगा. इसके बाद हम अक्सर ऐसी तस्वीरें और फ़िल्में देखने लगे. मेरे मन में कई बार आता कि आखिर हमें ऐसा कब मौका मिलेगा जब एक और हमारे साथ आ जायेगी. लेकिन मन ही मन पत्नी से डर भी लगता था. यही हालत पत्नि की थी. हालांकि ये मुझे पाता नहीं था और ना ही मेरे मन की यह बात मेरी पत्नि को पता थी.
मेरी साली एक बार दिल्ली से अपने पति के साथ आई. उसके पति किसी दौरे पर थे. दो दिन के लिए दोनों आये थे. मेरे मन में मेरी साली को देखते ही थ्रीसम सेक्स की बात मन में आई लेकिन पत्नि का ख़याल आते ही मैं मन मसोस कर रह गया. मेरी पत्नि के दिल में भी यही ख़याल आया लेकिन वो भी मेरे डर से कुछ ना बोली. मेरी साली दो दिन के बाद वापस लौट गई. अब धीरे धीरे हम दोनों के मन में ये इच्छा जोर पकड़ने लगी कि तीसरी कोई मिल जाय. दिन बीतते गए लेकिन हमारी ये इच्छा पूरी ना हो पा रही थी. आखिर एक दिन मेरी पत्नि ने मुझसे कह ही दिया " पता नहीं अब हमारी यह इच्छा पूरी होगी भी या नहीं. मेरी बहन मोना आई थी तो मेरे मन में ख़याल आया था लेकिन तुम्हारा डर लग रहा था." मैंने भी मेरी पत्नि को जब यही बात कही तो हम दोनों हो चौंक गए. मैं बोला " अगर हम दोनों तैयार भी हो जाएँ तो क्या मोना कभी तैयार होगी?" मेरी पत्नि रमोला भी इस बात से सोच में पड़ गई.
रविवार का दिन था. मेरे एक मित्र का फोन आया. वो बीती रात किसी मसाज पार्लर गया था वहां का किस्सा सुना रहा था.उस के किस्से से मेरी आँखों में चमक आ गई. मैंने मेरे मित्र से वहां का पता लिया और पार्लर चला गया. मैंने उसी लड़की से बात की और हम मियाँ-बीवी के मन की बात कही. उस लड़की ने अपनी दूसरी लड़की को मुझे मिलवाया और कहा कि ये तैयार है आप इसे ले जा सकते हो. हमने शनिवार के रात तय कर ली. मैंने घर आकर अपनी पत्नि को यह बात बता दी. वो रमोला बहुत ही खुश हो गई. रमोला ने विडिओ कैमरा इस तरह से फिट किया कि हमारा पूरा पलंग कवर हो गया. शनिवार की रात वो लड़की शाहिदा हमारे घर पहुँच गई. शाहिदा बहुत ही सेक्सी फिगर वाली थी. उसकी उमर करीब पच्चीस साल थी. उसके स्तन बहुत उभरे हुए थे. पहले तो हम तीनों ने ही शरबत पिया फिर इसके बाद बेड रूम में आ गए. शाहिदा ने अपने कपडे उतार दिए. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में रह गई थी. मैंने भी अपने और रमोला के कपडे उतारे. मैं केवल अंडर वेअर में और रमोला ब्रा-पैंटी में रह गई. शाहिदा हम दोनों के करीब आई और बोली " आप डरो नहीं. मैं आपको सब कुछ करवा दूंगी. हम तीनों की ये रात यादगार बनेगी." शाहिदा ने फिर मुझे और रमोला को गालों पर बारी-बारी से चूमा. हम तीनों ने एक गूजे को बाहों में भर लिया. अब अहम तीनों ने एक दूजे को चूमना शुरू कर दिया. धीरे धीरे हम तीनों के गाल और गरदन के हिस्सों के साथ साथ होंठ भी गीले हो गए थे. हम तीनों ने एक दूजे को इतना ज्यादा चूमा था.
शाहिदा ने अब रमोला को अपनी बाहों में भर लिया और मुझे कहा " आप अहम दोनों को सभी जगह चूमो." मैंने उन दोनों को सभी जगह चूमना शुरू किया. उधर शाहिदा और रमोला एक दूजे को चूम रही थी. इसके बाद शाहिदा ने हम तीनों के बचे हुए कपडे भी खोल दिए. अब शाहिदा ने रमोला को पलंग पर सीधा लेटने को कहा. फिर शाहिदा रमोला के ऊपर उलटा लेट गई. शाहिदा ने मुझे कहा " आप हम दोनों के जननांग जहाँ मिल रहे हैं उस जगह के बीच में अपना गुप्तांग फंसाओ और रगडो. देखो कैसा मजा आता है." मैंने वैसा ही किया. मेरे साथ साथ शाहिदा और रमोला को भी जबरदस्त मजा आने लगा. हम तीनों के गुदगुदे हिस्से आपस में टच होने से बहुत ही गीलापन हो रहा था और हम तीनों पर ही नशा छाने लगा था. इसके बाद शाहिदा ने मुझे रमोला के जननांग को गीला करने के लिए कहा. मैंने अपना लिंग रमोला के जननांग में घुसेड दिया. रमोला लेती हुई थी जबकि मैं उसकी टांगें नीचे से पकड़कर खड़ा होकर लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था. अब शाहिदा रमोला के ऊपर कुछ इस तरह से खड़ी हुई कि उसका मुंह मेरे मुंह के सामने था और उसका नीचे वाला हिस्सा रमोला के गुप्तांग से टकरा रहा था. शाहिदा मेरे होंठों को चूमे जा रही थी. मैं उसके स्तनों को मसले जा रहा तह और साथ ही साथ रमोला के जननांग में अपने लिंग को अन्दर बाहर किये जा रहा था. हम तीनों को इस से भी बहुत मजा आया. थोड़ी देर के बाद रमोला और शाहिदा ने आपस में अपनी अपनी जगहें बदल ली.
इसके बाद शाहिदा और रमोला आमने सामने अपनी टांगों को कैंची की तरह फंसाकर बैठ गई. वो एक दूसरे की तरफ खिसककर करीब आ गई. उन दोनों के गुप्तांग और जननांग आपस में सटकर चिपक गए. मैं इस तरह से उनपर लेता कि मेरा गुप्तांग उन दोनों के गुप्तांग तथा जननांग के बीच की जगह में चला गया. इस तरह से हम तीनों के गुप्तांग आपस में मिल गए और एक अलग तरह का गीलापन और गुदगुदपन हम तीनों को ही महसूस होने लगा. हमने इस पोजीशन का काफी देर तक मजा लिया. शाहिदा हम दोनों को लगातार जोश दिलाये जा आरही थी.
इसके बाद शाहिदा ने मुझे अपने और रमोला के बीच में लेकर सैंडविच मसाज किया. अब हम तीनों पर ही जबरदस्त नशा छा चुका था. शाहिदा ने अब मुझे कहा " हम दोनों दीवार के सहारे खड़ी हो जाती हैं." वे दोनों दीवार के सहारे खड़ी हो गई. शाहिदा ने अपनी एक टांग इस तरह से उठाई कि उसका जननांग खुल गया और मेरे सामने आ गया. शाहिदा के इशारे से मैंने अपने गुप्तांग को शाहिदा के जननांग में डाल दिया आर उसकी उठी हुई टांग को अपने हाथ से पकड़ कर और ऊंचा उठा दिया.. मैंने काफी देर तक अपने लिंग को अन्दर बाहर किया. फिर रमोला भी इसी तरह से खड़ी हो गई. उसके साथ भी मैंने यैसा ही किया. मैंने तीन तीन बार दोनों को खूब जोर जोर से हिला दिया.
अब हम तीनों ही थक गए थे. हम आराम करने बैठ गए. शाहिदा ने अपने साथ लाया एक एनेर्जी ड्रिंक हम सभो को पिलाया. मैं और रमोला शाहिदा के कहे अनुसार कर बहुत ही अच्छा महसूस कर रहे थे. कुछ देर के आराम के बाद शाहिदा ने रमोला को अपने साथ पलंग पर लिटाया. दोनों उलटा एक दूसरे के ऊपर लेट गई और अपनी अपनी टांगें फैला दी. मैंने दोनों की तान्ग्के बीच में खुद को खडा कर लिया और शाहिदा और रमोला के जननांगों को बारी बारी से अपने लिंग से भीतर तक भेदना शुरू किया.
हम दोनों को ही ऐसा लगा कि शाहिदा शायद इससे पहले भी इस तरह से कई बार थ्रीसम सेक्स कर चुकी है. मैंने शाहिदा से यह पूछ ही लिया. शाहिदा बोली " मैं कभी किसी के घर नहीं गिये पहला मौका है. आप की उमर और थ्रीसम सेक्स के बारे में उत्सुकता को देखते हुए मैंने हाँ कहा. मैं समझ गई कि आपकी नीयत खराब नहीं है. अब आप जब भी जी चाहे मुझे फोन कर देना मैं आ जाऊंगी. मेरी सहेली जया भी इस तरह का काम करती है. अरे हाँ ! परसों छुट्टी है. मैं जया को लेकर आ जाती हूँ. हम फोरसम सेक्स करेंगे, आप दोनों बहुत मजा आयेगा. " मैं और रमोला ख़ुशी से पागल हो गए.
रात को हम तीनों ने साथ ही खाना खाया. शाहिदा से केवल यहाँ तक की ही बात हुई थी. मैंने शाहिदा को तय रकम दे दी. शाहिदा ने रूपये लिए और बोली " मैंने आप की ख़ुशी को देखकर यह फैसला किया ई कि मैं आज की रात यहीं रुक जाऊंगी. हम तीनों आज की रात भी साथ गुजरेंगे. मैं जया से भी अभी फोन आर आत कर लेती हूँ. अगर वो कल कहीं नहीं जानेवाली तो उसे भी आज ही रात से कल की रात तक के लिए बुला लेती हूँ." मैं और रमोला एक दूसरे की तरफ देखकर मन ही मन रोमांचित हो गए. शाहिदा ने फोन पर जया से बात की. जया कहीं थी. उसने कहा कि वो सवेरे आठ बजे तक पहुँच जायेगी.
रमोला ने होम डिलवरी से आइसक्रीम मंगवाई. शाहिदा ने रमोला को आइक्रीम खिलाई और फिर अपनी जीभ से उस आइसक्रीम को निकालकर एरे मुंह में डाल दी. फिर मैंने और रमोला ने भी ऐसी ही किया. जब तक आइसक्रीम ख़तम नहीं हुई तब तक हम युहीं करते रहे. इससे उत्तेजना बहुत बढ़ गई. अब शाहिदा ने मेरे और रमोला के अपने साथ ले इक तेल से मसाज किया. बदले में मैंने और रमोला ने भी शाहिदा के मसाज किया. शाहिदा ने इसके बाद एक और बोतल से काफी गाढ़ा तेल निकाला और मेरे लिंग पर लगा दिया. उसने यह तेल रमोला के भी गुप्तांग और जननांग वाली जगह पर खूब सारा लगा दिया. रमोला ने फिर शाहिदा के भी गुप्ताग और जननांग वाली जगह पर ढेर सारा तेल लगा दिया. अब मैंने हले शाहिदा और उसक एबाद रमोला के जननांग में जब अपना लिंग डाला तो चिकनाई की वजह से लिंग तुरंत अन्दर घुस गया और एकदम अन्दर गहराई तक चला गया. मैं बारी बारी से दोनों के जननांगों को अपने लिंग से भेदने लगा. हम तीनों के जिस्म तेल की मसाज के कारण इतने चिकने हो गए थे कि आपस में रगड़ने के समय फिसल रहे थे और हममे उत्तेजना बढती ही जा रही थी. आखिर में रमोला के कहने पमैने शाहिदा के जननांग में अपने लिंग से पिचकारी छोड़ दी. शाहिदा मदहोश हो गई और रमोला के होंठों से अपने होंठ मिलाकर आपस में रस पान करने लगी. रात को हम करीब एक बजे सो गए क्यूंकि सवेर आठ बजे जया आने वाली थी.
हम तीनों सात बजे उठगये और शाहिदा के खाने पर एक साथ ही नहाये. साबुन के झाग में आपस में एक दूसरे के जिस्म से चिपकना बहुत ही अच्छा लग रहा था. रमोला ने मुझे इशारा किया और मैंने साबुन के झाग से ढके हुए उसके जननांग में अपना लिंग डाल दिया. शाहिदा भी मुझसे लिपट गई. अब मेरा लिंग रमोला के अन्दर था और मेरी एक ऊंगली शाहिदा के जननांग के अन्दर. दोनों ही तड़प रही थी. मैं कभी रमोला के होंठों को चूमता तो कभी शाहिदा के होंठों को. आखिर में मैंने शाहिदा और रमोला दोनों के होंठों को आपस में मिलाकर अपने होंठो से एक साथ चूम लिया. मेरा लिंग अब बेकाबू हो गया और रमोला का जननांग पूरा भर गया और थोडा रस बाहर आकर बहने लगा. रमोला के जननांग से भी रस बाहर आने लगा. हम तीनों आपस में कसकर लिपटे हुए थे. नहाने के बाद हम निराश हो गए क्यूंकि जया का फोन आ गया कि उसे एक बहुत ही अच्छा ग्राहक मिला गया है और वो वहां जा रही है. शाहिदा भी नाश्ते के बाद अपने घर चली गई. आज भी हम दोनों शाहिदा को महीने में एक बार बुला लेते हैं. लेकिन जया आज तक नहीं आ सकी है. हम उसी का इंतज़ार कर रहे हैं.

सोमवार, 26 जुलाई 2010

पता नहीं कैसे हो गया

गर्मी की छुट्टीयों में मेरे मामा और मामी हमारे यहाँ आये हुए थे. मेरी बी इ थर्ड इयर की परीक्षा ख़त्म हो चुकी थी. मेरी मामी बहुत ही मजाकिया थी. हम सब घूमने जाते तो मामी लगातार मुझसे मजाक करती रहती. मामी थी भी बहुत ही खुबसूरत. मेरी मामी मुझसे करीब बीस साल बड़ी थी. मेरी उमर बीस साल थी जबकि मामी की चालीस साल. मामी दिखने में तीस की ही लगती थी.
हम लोग रात को घूमकर लौटे. सभी थक गए थे. मैं जाकर सो गया. मैं चद्दर ओढ़कर सोया हुआ था. मामी ने दूर से ये समझा कि मामा सो रहे हैं. वो कमरे में आ गई. उन्होंने आते ही कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने कपडे उतारने लगी. मैं उन्हें देखने लगा. लाईट जल रही थी इसलिए उनका नंगा बदन मुझे साफ़ दिख रहा था. मैं डर गया. मामी ने सभी कपडे उतारे और मेरे बिस्तर में घुस गई. मैं इसके पहले कुछ समझ पाता मामी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोली " ये मुंबई तो बड़ा ही रंगीन शहर है. लडकीयाँ ऐसे ऐसे कपडे पहनती है कि मुझे लगा कि मैं भी ऐसी ही कपडे पहनूं और तुम्हारे सामने आ जाऊं." मामी ने मेरे गालों पर चुम्बनों के बौछार लगा दी. मैं हक्का बक्का रह गया. मैं लगभग हकलाते हुए बोला " मामी; मैं हूँ मुन्नू." अब मामी चौंक गई. उन्होंने चद्दर हटाई और मुझे देखते हुए बोली " तुम यहाँ कैसे सो रहे हो?" मैं बोला " मामाजी ने कहा कि आज वो बाहर बालकनी में सोयेंगे और मैं इसलिए यहाँ आ गया." मामी की बोलती बंद हो गई. उन्होंने अपने नंगे बदन को छुपाने के लिए चद्दर फिर से ओढ़ ली. चद्दर ओढने के बाद उनकी नंगी टांगें मेरी टांगों से टकरा गई. मैं अपनी आँखें बंद कर बैठ गया. मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली " तुम बाहर चले जाओ." मैं बोला " मामी; बेड रूम में माँ-पिताजी सो रहे हैं. ड्राइंग रूम में चिंटू-पप्पू और मोनू सो रहे हैं. बालकनी में मामा. कहीं भी जगह खाली नहीं है. मैं नीचे लेट जाता हूँ. आप ऊपर लेट जाओ." मामी ने मजाक करते हुए कहा " तुम नीचे और मई ऊपर!! क्या मतलब है तुम्हारा?" मैं शर्मा गया. पाता नहीं मामी को क्या सुझा उन्होंने कहा " तुम यहीं लेटे रहो. जमीन पर अच्छा नहीं लगेगा. अब ऐसी स्थिति हो ही गई है तो हम क्या कर सकते हैं. " मामी ने लेकिन कपडे नहीं पहने. वो वैसे ही चद्दर ओढ़कर मेरा साथ ही पलंग पर लेट गई. मैं असमंजस की स्थिति में आ गया. मामी की गरम साँसें मुझसे टकरा रही थी. अचानक मेरा हाथ मामी की कमर से टच हो गया. मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया. मामी ने मेरा हाथ छोड़ा नहीं. कुछ देर के बाद मामी ने अचानक ही मेरे गालों को सहलाना शुरू कर दिया. फिर मामी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली " आज जब मौका मिल ही गया है तो आओ इस मौके का फायदा उठा लिया जाए. वैसे भी मैं दोपहर को जो लडकीयाँ देखी थी अभी तक उन्हें और उनके कपड़ों को भूली नहीं हूँ. लेकिन जो भी आज होने जा रहा है उसके बारे में किसी को भी नहीं बताना. " अब मैं मामी के ईरादे को समझ गया. मामी ने मुझसे कपडे उतारने को कहा. मैंने चुपचाप कोड़े खोल दिए. मामी ने अब मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से छूते हुए बोली " तुम तो बड़ी जल्दी जवान हो गए मुन्नू." मैं कुछ ना बोला. मामी ने लगातार अब मेरे होंठों को चूमना जारी रखा. मेरा शरीर कांपने लगा. मामी ने अब अपनी ब्रा भी खोल दी. फिर उन्होंने अपनी पैंटी भी उतार दी. अब उनका गुदगुदा निचला हिस्सा मेरे निचले हिस्से से टच हो गया. मुझे यह स्पर्श बहुत अच्छा लगा. मामी ने मेरे लिंग पर अपना दबाव बढ़ा दिया. मुझे गुदगुदी होने लगी. मामी ने मुझे दबाया और बोली " आज से पहले तुमने कभी किसी औरत को छुआ है?" मैंने कहा " मैंने छुआ तो नहीं लेकिन एक किताब में औरत के सभी हिस्सों की तस्वीरें देखी है. नीचे की भी." मामी ने कहा " मुन्नू; मेरे और करीब आ जाओ. मुझे अब जोर से होंठों पर चूमो. मैंने मामी के होंठों को जोर से चूमा. मामी ने अपने मुंह से ढेर सारी मीठी लार मेरे मुंह में छोड़ दी. मेरा मुंह मीठा हो गया. मामी ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथ से पकड़ा और उसे अपनी जाँघों के बीच दबा दिया. मुझे बहुत ही मजा आने लगा. मामी ने जल्दी जल्दी में मेरे गुप्तांग को अपने जननांग के जगह अपने गुप्तांग में जोर लगाकर घुसा दिया. मैं उस छोटे से गड्ढे में अपने गुप्तांग को अन्दर बाहर करने लगा. मामी बोली " अरे ये तो गलत घर में मेहमान आ गया. चलो सही घर में चलते हैं." इतना कहकर मामी ने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में डाल दिया. मामी का जननांग काफी बड़ा और गुदगुदा था. मैंने अपना गुप्तांग तीन चार बार अन्दर बाहर किया तो मामी का जननांग अन्दर से गीला गीला हो गया. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने काफी देर तक इसी का आनंद उठाया. मामी ने मुझे बार बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए रोका और फिर करने को कहती गई और मैं उनके कहे अनुसार करता गया. इस तरह से यह काम मैंने करीब दो घंटों तक किया. फिर जब मामी ने मेरे होंठों को जोर से चूस लिया तो मेरे लिंग से एक धार तेजी से बहकर मामी के जननांग को अन्दर तक भिगो गई. मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं मामी को लगातार चूमने लगा. मामी ने भी मुझे खूब चूमा. देर रात तीन बजे मामी ने मुझे नींद से जगाया और एक बार फिर अपने जननांग में मेरे लिंग से धार चलवाई. मामी ने मुझे इतना खुश किया कि जब सवेरे मामी कमरे से बाहर जाने लगी तो मैं बोला " में जिंदगी की ये सबसे हसीं रात थी." मामी ने मेरे होंठों को चूमा और बोली " मुन्नू बाबू; बस एक रात ही मिलेगी. हाँ; इतजार करो. क्या पता फिर कभी कोई ऐसी रात आ जाये और हमें मौका मिल जाए." मैं आज भी ऐसी रात के आने के का इंतज़ार कर रहा हूँ. जबकि उस रात को बीते पूरा एक साल बीत गया है.
और मेरा प्रमोशन हो गया

मैं एक गारमेंट कंपनी में फैशन डिजाइनर हूँ. काफी मानत के बाद भी मेरा तीन साल से कोई प्रमोशन नहीं हो रहा था. मेरा बॉस बहुत ही खडूस किस्म का आदमी था. मैं बहुत परेशान था. एक दिन रविवार को मैं किसी दोस्त से मिलकर फिल्म देखने पहुंचा तो सिनेमा हाल के बाहर ही मेरा बॉस मिल गया. मेरी उम्मीद के खिलाफ वो काफी हंसकर मिला. फिर उसने मेरा परिचय अपनी बीवी से भी करवाया. उसकी बीवी गज़ब की खुबसूरत थी. मैं उसे देखता ही रह गया. उसकी बीवी ने भी मुझे छुप छुप कर कई बार देखा. इंटरवल में मैंने बॉस और उसकी बीवी को आइसक्रीम खिलाई. बॉस की बीवी बहुत खुश हो गई. मुझे कुछ उम्मीद दिखाई दी.
एक दिन और बॉस की बीवी बाज़ार में अकेली मिल गई. उसने मुझे नाश्ता करवाया और खुद भी किया. उसने मेरे साथ खूब खुलकर बातें की. मैंने नोट किया कि बार बार मुस्कुराकर मुझे देखती रही. जब मैं चलने को हुआ तो उसने कहा " मुझे कुछ अच्छे नाईट वेअर चाहिये. क्या तुम ला सकते हो? मैं कई जगह घूमी लेकिन जैसा चाहेवैसा नहीं मिला. तुम्हारे बॉस भी नहीं खोज सके हैं." मैंने कहा " जी; मैं ले आऊँगा. मेरा एक दोस्त ऐसी जगह काम करता है." उसने कहा " ऐसा करना तुम परसों दोपहर आना."
मैं अपने दोस्त से काफी सारे लेडीज नाईट वेअर लेकर बॉस के घर पहुँच गया. उस दिन बॉस किसी फैशन शो में गया हुआ था दूसरे शहर में. घर पर उसकी बीवी अकेली थी. मैंने उसे सभी कपडे दे दिए. उसने मुझे बैठने को खा और बोली " मैं एक एक कर पहर आती हूँ तुम बताना कौनसा अच्छा लगता है." अब मेरे चौंकने की बारी थी. मैंने कहा " मैडम; आप खुद ही शीशे में देख ले. इस तरह से तो अच्छा नहीं लगेगा." उसने कहा " सबसे पहले तो तुम मुझे मैडम नहीं कहोगे. तुम मुझे रीना कहो. तुम रुको मैं आती हूँ." रीना ने एक एक कर पहनकर मेरे सामने आती चली गई. कभी बिना बाहों वाला गाउन तो कभी खुले गले वाला लॉन्ग टी शर्ट. उसका गुलाबी और चिकना बदन गरमा गरम लग रहा था. रीना ने इसके बाद एक ट्यूब टॉप और हॉट स्कर्ट पहना और मेरे सामने आ गई. मुझे पसीना छूट गया. रीना ने कहा " कहो ये कैसा लग रहा है." मैंने सर हिलाकर हाँ कहा. उसकी जांघें और पिंडलीयां किसी मलाईदार कुल्फी के जैसी लग रही थी. रीना ने मुझे कहा " मैं ये सब रख लेती हूँ. कितने रुपये हुए बता दो." मैंने रुपये बता दिए. रीना ने उन कपड़ों में ही अपनी आलमारी से पैसे निकाले और मुझे दे दिए. रीना ने कहा " तुम रुको मैं शरबत लेकर आती हूँ." मैंने उसे जाहे देखता रहा. एक एक कदम मुझे ललचा रहा था. रीनाशार्बत के ले आई. स्ट्रिपटीस की डेमी मूर की तरह वो सोफे पर पैर पर पैर रखकर बैठ गई. मैं बार बार अपना पसीना पूछ रहा था. रीना ने कहा " तुम इतना घबरा क्यूँ रहे हो? तुमने बहुत अच्छे नाईट वेअर लाकर दिए हैं. ये लो चोकलेट्स. मुझे चोकलेट्स बहुत पसंद है. " मैंने जैसे ही चोकलेट अपनी जेब में रखी रीना ने चोकलेट को मुंह में डाला और खाने लगी. उसकी चोकलेट खाने की अदा कुछ ऐसी थी कि मैं उसके होंठों की तरफ देखने लगा. रीना के होंठों पर चोकलेट का गाढा घोल रिसकर फ़ैल गया था. उसने अपनी जीभ से उसे अपने मुंह में लिया. उसकी गुलाबी रस भारी जीभ ने मुझे मदहोश कर दिया. रीना ने मुस्कुराकर कहा " तुम चोकलेट अभी नहीं खाओगे?" मैंने ना कहा. रीना ने मुझे दरवाजे तक छोड़ा और कहा " और भी कुछ जरुरत रही तो मैं तुम्हें बुला लुंगी और बता दूंगी तुम अपना फोन नबर दे दो." मैं अपना फोन नंबर देकर घर आ गया. सारी रात मुझे रीना ट्यूब ओप में चोकलेट खाते हुए दिखती रही. मेरा अंडर वेअर गीला हो गया था.
इसके बाद रीना ने मुझे एक बार और बुलाया और कुछ नाईट वेअर्स मंगवाए. उसने पहनकर दिखलाए. उस रात फिर मेरा अंडर वेअर गीला हुआ. रीना ने मुझे अब अक्सर फोन करती और बातें करती.
एक दिन मैंने रीना को अपने प्रमोशन ना होने वाली बात बता दी. रीना ने कहा कि वो बॉस से बात करेगी. अगले दिन रीना ने मुझे फोन किया और मेरे घर का पता लिया. देर शाम को मेरे घर आते ही वो भी पहुँच गई. मैं अकेला ही रहता था. रीना ने मुझसे कहा " तुम्हारा प्रमोशन मैं करवा दूंगी. तुम्हारे बॉस मेरी बात कभी नहीं टालेंगे. बदले में तुम्हे मेरा एक काम करना होगा." मैंने काम पूछा. रीना ने कहा " तुम्हारे बॉस शनिवार और रविवार को अपनी बीमार मां को देखने के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं. इन दो दिन जैसा मैं कहूँ तुम करोगे. " मैंने फिर पुछा " मुझे करना क्या होगा?" रीना बोली " तुम घबराते बहुत हो. शुक्रवार की रात; शनिवार का दिन और शनिवार की रात. फिर रविवार का पूरा दिन मेरे साथ बिताना होगा. शुक्रवार की रात मैं तुम्हारे घर आ जाओंगी. मैं इसके बाद रविवार की रात घर लौट जाओंगी. मेरे ख़याल से तुम सब समझ गए होंगे." मैं सब समझ गया था. हर तरह से मुझे फायदा ही था. मैं तैयार हो गया.
शुक्रवार की रात दस बजे रीना एक बैग में अपने कुछ कपडे लेकर मेरे घर आ गई. रीना आते ही नहाने चली गई. नहाने के बाद वो बिना बाहों वाला बहुत ही नीचे गले तक खुला हुआ ते शर्ट और एक हाफ पैंट पहनकर बाहर आ गई. उसने आते ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों को चूमते हुए बोली " अब जैसा मैं कहूँ तुम करते जाओ. तुम्हारा प्रमोशन तय हुआ समझो." रीना मुझे लेकर बेडरूम में आ गई. उसने मेरे अंडर वेअर को छोड़कर सभी कपडे खुलवा लिए. अब मैं उसकी बाहों में था. मेरा बलात्कार होने जा रहा था.
रीना ने मुझे अब खुद को चूमने के लिए कहा. मैंने रीना को हर जगह चूमना शुरू किया. गालों पर ; गरदन पर ; बाहों पर ; जाँघों पर ;पिंडलीयों पर; कमर के हर हिस्से पर. कोई बभी जगह नहीं बची जहां मैंने रीना को नहीं चूमा हो. रीना के जिस्म का हर हिस्सा बहुत ही चिकना और मीठा था. रीना के साथ साथ मैं भी पागल हो रहा था. रीना ने अब मुझे अपने होंठों को चूमने को कहा. उसने पहले से ही चोकलेट क्रखी थी. मैंने जैसे ही रीना के होंठों को चूमा मेरा सारा शरीर जैसे नशे में पल हो गया. रीना के नाजुक ; मुलायम और गुलाबी होंठ और उस पर चोकलेट की मिठास. रीना को लेकर मैं बिस्तर पर लेट गया. रीना ने जल्दी से मेरे और अपने सारे कपडे उतार कर दूर फेंक दिए. अब हम दोनों बिना कों के आपस में लिपट गए. रीना ने मेरे कड़क और खड़े हो चुके लिंग को अपने कोमल हाथों से सहलाना शुरू किया. मेरी हालत खराब होने लगी. उसने मुझे अपने स्तनों के जोर से दबाया और अपनी टांगों के बीच में एक जगह बनाते हुए मुझे अपने लिंग को उसमे डालने के लिए कहा. कोंडोम के ना होने से मुझे डर लग रहा था. रीना ने जबरदस्ती मेरे लिंग को सीधा अपने जननांग में डालकर अपनी जाँघों के जोर से मेरे लिंग को उसमे फंसा दिया. मैं भी अब बिना किसी डर और घबराहट से रीना के जननांग को अपने लिंग से भेदने लगा. रीना ने मुझे और जोर लगाने के लिए कहा. मैं जितना जोर लगता रीना और जोर लगाने को कहती. करीब आधे घंटे तक इस कुश्ती का अंत उस वक्त हुआ जब मेरे लिंग ने जोर से पिचकारी रीना के जननांग में छोड़ दी. रीना जोर से उछली और मुलिपत्कर शांत हो गई. मैंने उसके रसीले होंठों को अपने होंठों के बीच दबा दिया. सारी रात मैं और रीना आपस में लिपटकर सोये रहे.
रीना ने मुझे शनिवार कि छुट्टी लेने को कह दिया. मैं भी मान गया. सारा दिन रीना मुझसे अपना नंगा जिस्म चुमवाती रही. मैं थक गया था लेकिन रीना ने मुझे रुकने नहीं दिया. रात को एक बार फिर रीना ने मेरे लिंग को अपने जननांग में फंसाया और मेरा रस पीने लगी. मुझे लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगा. करीब बाढ़ बजे रीना का जननांग मेरे लिंग से चुटी पिचकारी से भर गया तब कहीं जाकर रीना शांत हुई. एक बार फिर पूरी रात मैं और रीना आपस में लिपटे हुए सोए. जब भी रीना की आँख खुलती वो मुझे जगाती और मुझे खुद को चूमने को कहती.
अगला दिन रविवार था. एक बार फिर रीना ने मुझे अपना शिकार बनाया. आज तो रीना ने मेरे लिंग की तीन पिच्करीयाँ अपने अंदर लगवाई. सवेरे ; दोपहर में और शाम को. जब वो अपने घर रवाना हुई तो बोली " तुम बहुत ही मीठे हो. मैं आने पीटीआई के साथ बहुत खुश हूँ लेकिन रोज रोज एक ही स्वाद से मैं ऊब गई थी. इसलिए तुम्हें टेस्ट किया. बस अब तुम मुझे बहुत मीठे और टेस्टी लगे हो तो इसी तरह मेरा कहा मानते रहना. मैं तुम्हारी सिफारिश कर दूंगी."
अगले करीब दो महीनों में रीना ने मेरी चार पिचकारियाँ झेली. इसके दो दिन बाद मेरे बॉस ने मुझे बुलाकर कहा कि मेरे काम से वो बहुत खुश है और मैं अब सीनियर फैशन डिजाइनर बन गया हूँ." इस तरह से मेरा प्रमोशन हो गया. अब मैं इसी तरह से और आगे बढना चाहता हूँ.

रविवार, 25 जुलाई 2010

मैं ; मेरी बीवी और भाभी

मेरे तायाजी के लड़के यानि सुमित भैया कनाडा में दो साल के ट्रेनिंग के लिए गए तो विशाखा भाभी हमारे यहाँ रहने के लिया गई. कारण कि तायाजी चाहते थे कि भाभी को अकेलापन ना लगे. सुमित और विशाखा की शादी भी वाल एक महीने पहले हुई थी. तायाजी अकेले ही हैं इसलिए. भाभी मुझसे दो साल बड़ी है. मेरी शादी केवल दस दिन पहले ही हुई थी. सयाली और मैं नई नई शादी का पूरा मजा ले रहे थे. जब भी समय मिलता हम दोनों कमरे में बंद हो जाते. भाभी हमें खूब चिढाती. सयाली लेकिन चिढती नहीं बल्कि भाभी को उलटा चिढाती और कहती " भाभी कभी एकदम से कमरे में मत आ जाना नहीं तो और भी आपकी हालत खराब हो जायेगी." दोनों खूब मजाक करती.
धीरे धीरे भाभी की तड़प हम दोनों के सामने भी दिखाई देने लगी. एक दिन सयाली ने मुझसे कहा "जानूं, भाभी की हालत देखी नहीं जाती. कल रात को मैंने उन्हें तकिया दबाते हुए और सिसकी भरते हुए देखा तो मुझे उन पर बहुत या आ गई. भैया तो अभी दो साल के बाद आयेंगे. उन्होंने तो भाभी के साथ केवल तीन रातें बिताई है. " हम दोनों अब जब भी भाभी को अकेला कमरे में जाता देखते तो पीछे चले जाते. एक बार हम दोनों ने देखा कि भाभी ने अपने सभी कपडे उतार दिए और पलंग पर लेट गई. वो तड़पने लगी और तकिये को पकड़ कर लोटने लगी. फिर हमने देखा कि भाभी ने अपनी ऊँगली अपने जननांग में डाली और सिसकी भरते हुए ऊँगली अन्दर बहार करने लगी. हम दोनों को ही भाभी पर बहुत दया आई. हम दोनों भरे मन से अपने कमरे में लौट आये.
रात को सयाली जब भाभी के कमरे में गई तो सयाली ने देखा भाभी फिर वो ही दोहरा रही थी. सयाली ने धीरे से दरवाजा बंद किया और भाभी के पास पलंग पर बैठ गई. उसने भाभी का हाथ पकड़ा और बोली " भाभी आप ऐसा मत करो." भाभी बोली " तो फिर मैं क्या करूँ?
दो साल कैसे गुजारुंगी मैं?" सयाली कुछ ना बोली. भाभी ने सयाली का हाथ पकड़ लिया. भाभी का हाथ गरम हो रहा था. भाभी ने सयाली का हाथ पकड़ा और अपने गुप्तांग और जननांग से छुआ दिया. सयाली काँप गई. वो जैसे ही उठने को हुई तो भाभी ने उसे अपनी बाहों में भर लिया. भाभी निर्वस्त्र थी. सयाली को लगातार भाभी पर आती दया ने उठने नहीं दिया. वो कुछ देर बैठी रही. जब भाभी शांत हुई तो वो लौट आई. सयाली ने मुझे यह सब बताया तो मैंने कहा कि इसमें कोई गलत नहीं है. तुम उससे लिपट जाया करो भाभी की आग थोडा तो शांत हो जायेगी. अब दोनों इस तरह से कई बार आपस में मिलने लगी.
एक बार मुझे किसी जरुरी काम से रात की गाड़ी पकड़कर दिल्ली जाना था. मैं स्टेशन चला गया. पहले कहा गया कि ट्रेन एक घंटा लेट है. फिर कहा गया कि दो घंटा लेट है कोई अक्सिडेंट हुआ है इसलिए. रात के बारह बज गए और घोषणा हुई कि कल दोपहर तक कोई ट्रेन नहीं चलेगी. मैं घर के लिए वापस रवाना हो गया. करीब एक बजे मैं घर पहुंचा. मैं जैसे ही अपने कमरे में दाखिल हुआ तो मैंने देखा कि भाभी सयाली के साथ मेरे पलंग पर लेटी हुई है. सयाली विशाखा भाभी को चूम रही है. सयाली और भाभी दोनों ही निर्वस्त्र है.
मुझे ना जाने क्यूँ ये अच्छा लगा. मैंने सामान रखा और पलंग के पास आ गया. दोनों ने जैसे ही मुझे देखा तो सयाली ने भाभी के ऊपर एक चद्दर ओढा दी. मैंने सयाली से कहा " मेरी ट्रेन कल दोपहर के बाद ही जायेगी. सयाली ये तुमने बहुत अच्छा किया जो भाभी की मदद कर रही हो. दो साल तक भाभी कब तक तड़पेगी." सयाली ने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और बोली " जानूं, मुझे भी ख़ुशी हुई कि तुमने इस बात का बुरा नहीं माना.. भाभी आज मेरे साथ यहीं सो जायेगी; तुम पास वाले सोफे पर लेट जाओ." मैंने हाँ कह दी. तभी भाभी ने कहा " प्रभात सोफे पर कैसे सोयेगा. डबल बेड है. तुम हम दोनों के बीच आ जाओ और प्रभात को भी यहीं सोने दो. अब हम तीनों उसी पलंग पर सो गए. सयाली के एक तरफ मैं था तो दूसरी तरफ भाभी. मैं कपडे बदलने के लिए बाथरूम गया. जब वापस लौटा तो सयाली भाभी के स्तनों का मसाज कर रही थी. मैं पलंग पर बीत कर दोनों को देखने लगा. सयाली ने मेरी तरफ देखा. भाभी हम दोनों को देख रही थी. मैंने सयाली के होंठों को चूम लिया. सयाली ने भी मेरे होंठों को चूम लिया. इस दौरान सयाली भाभी के स्तनों का मसाज जारी रखे हुए थी. भाभी हम दोनों को इस तरह से चूमता देख बेकाबू होने लगी. उसके जिस्म में बढती हलचलों को काबू में रखने केलिए मैं भी उसके स्तनों पर मसाज करने लगा. भाभी अब तड़पने लगी. सयाली को और मुझे दोनों को भाभी को लेकर चिंता होने लगी. सयाली ने मेरे कान में कहा " जानूं; अगर तुम बुरा ना मानो तो मेरा यह सोचना है कि जब तक भाभी अकेली है हम इन्हें सबसे छुपाकर अपने साथ ही सुला लिया करेंगे. " मैंने हाँ कह दिया. सयाली ने मुझे कहा " जानूं; ये बात हम तीनों के बीच में ही रहेगी. " भाभी की हालत लगातार बिगड़ने लगी. उसके मुंह से अजीब अजीब आवाजें आने लगी. मैंने सयाली से कहा " इस तरह से हम भाभी को किस तरह से संभालेंगे." सयाली ने कुछ सोचा और बोली " जानूं; तुम हमेशा मेरे ही रहोगे लेकिन मेरा कहा मानो; जब तक भैया नहीं आ जाते; तुम भाभी को मेरे साथ साथ संभाल लो. भाभी के लिए तुम सुमित बन जाओ." मैंने सयाली की तरफ हैरानी से देखा. सयाली ने कहा " जब मुझे कोई आपत्ति नहीं तो! भाभी को देखो कैसा तड़प रही है. आओ मेरे साथ आ जाओ." सयाली के बार बार कहने पर मैं सयाली के साथ भाभी के साथ सटकर लेट गया. मैंने भाभी के गाल पर एक हल्का सा चुम्बन लिया. भाभी ने एक आह भारी और मुझसे लिपट गई. सयाली ने मुझे इशारा किया और मैंने भाभी को लगातार चूमना शुरू कर दिया. सयाली भी अब मुझे भाभी को संभालने में मदद करने लगी. उसने भी भाभी को गालों पर चूमा. अब भाभी मुझसे एकदम खुलकर चुम्बन लेने और देने लगी. सयाली भी अब शामिल हो गई और थ्रीसम सेक्स ग्रुप हो गया था. अब धीरे धीरे मैं भाभी को अपनी गिरफ्त में लेने लगा. सयाली ने मेरे लिंग को चूमकर एकदम खड़ा कड़क और लंबा कर दिया और उस पर कोंडोम चढ़ा दिया. सयाली ने भाभी को मुझसे अलग किया और उसकी टांगें फैला दी. मैंने तुरंत भाभी की टांगों के बीच में लेटकर अपना लिंग उसके जननांग के तरफ बढ़ा दिया. सयाली ने मेरे लिंग को भाभी के जननांग में थोड़े से जोर से अन्दर डाल दिया और फिर मैंने जोर लगाकर उसे और अन्दर पहुंचा दिया. भाभी के मुंह से ख़ुशी की आवाजें निकलने लगी. अब सयाली ने रहा नहीं गया. उसने मुझे इशारा किया. मैंने अपना लिंग भाभी के अन्दर से निकाला और सयाली के जननांग में घुसा दिया. भाभी हमारे करीब आ गई और हम दोनों को चूमने लगी. उसने भी अब सयाली की पूरी मदद की. कुछ देर के बाद मैंने सयाली के जननांग में अपने लिंग की धारा चला दी. यह देख भाभी ने भी जिद की. सयाली ने मुझे हाँ कहा., लेकिन मैंने भाभी को समझा लिया और अगली बार उनके जननांग में लिंग को ले जाने की बात कह दी. भाभ्मान गई.
हम दोनों इसी तरह से लेटे हुए थे. भाभी जब यह देखा तो उन्हें बहुत अच्छा लगा. सयाली ने भाभी से कहा " भाभी अगर आप बुरा नहीं मानो और आप की इजाजत हो तो कल ये आपके साथ कल एक बार फिर इनसे दोहरा दूंगी." भाभी ने सयाली को चूमा और बोली " तुम मेरा कितना ख़याल रख रही हो. मुझे मंज़ूर है लेकिन यह बात केवल हम तीनों तक ही रहनी चाहिये." मैंने भाभी के गाल चूमे और बोला " आप बिलकुल चिंता मत करो. इस कमरे के बाहर यह बात बिलकुल नहीं जायेगी.." भाभी ने मुझे और सयाली के होंठों को एक साथ जोर से चूम लिया. भाभी की आग थोड़ी बुझ चुकी थी. इस तरह से लगातार मैं सयाली के जननांग को भेदता रहा और भाभी को चूमता रहा और करीब करीब सारी रात ऐसे ही बिताई. जब हम थक कर चूर हो गए तो देखा कि सवेरे के छह बज गए हैं. हम सो गए.
अगले दिन मैं दिल्ली चला गया और जब दो दिन के बाद लौटा तो सयाली और भाभी दोनों ने मुझे एक साथ अपनी बाहों में भर लिया. वे दोनों ही तड़प रही थी. जैसे तैसे कर हमने दिन बिताया. रात को हम तीनों हमारे कमरे में थे. भाभी ने आज गहरे लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी. सयाली ने उसे होंठों पर गहरे लाल रंग की ढेर सारी लिपस्टिक भी लगाईं. भाभी एक बार गर्ल जैसी सेक्सी लगने लगी थी. मैंने भाभी को बाहों में लिया और एक साथ उसके होठों का सारा रंग अपने होंठों और जीभ पर ले लिया. भाभी का सारा बदन सरसरा उठा. फिर सयाली मेरे पास आ गई. हमने भाभी को और उत्तेजित कर ने लिए आपस में कई सेक्स मुद्राएँ की. भाभी अब पूरी तरह से चार्ज हो गई और मैंने कोंडोम लगाकर अपने को फुल्ली लोडेड कर लिया. भाभी पलंग पर लेटी. सयाली उसके पास लेट गई और उसे चूमने लगी. मैंने भाभी के जननांग पर अपना और सयाली का हाथ रखा. भाभी का जननांग एकदम कच्चा और गुदगुदा लग रहा था जैसे कोई फल आधा पका हुआ हो. सयाली और मैंने एक दूजे को देखा. सयाली ने मुझे होंठों पर चूमा और भाभी के जननांग को दिखाते हुए बोली " जानूं, इस कच्चे फल को आज तुम पूरी तरह से पका दो. उस दिन पहली बार तुमने इए छुआ था लेकिन देखो कैसा अनछुआ लग रहा है. उस दिन तुमने केवल थोड़े समय के लिए ही इसे छुआ था. आज तुम इसे पूरा छूलो और इसे लाल लाल कर पूरा पका दो. ये फल तुम्हारे लिए ही बना है ऐसा समझो. "
भाभी लेटी हुई थी और हम दोनों उसके जननांग को बैठे हुए देख रहे थे. मैंने अपने को भाभी के ऊपर लिटा लिया और सयाली ने तुरंत मेरे लिंग को भाभी की उस गुदगुदी गुफा में धकेल दिया. मैंने जोर लगाया
मेरा लिंग दूर बहुत दूर अन्दर तक चला गया. सयाली ने भाभी के होंठों को अपने होंठों से छु लिया. अब सयाली भी मुझसे चिपक गई. सयाली ने अपना एक हाथ भाभी के जननांग के पास ले जाकर मेरे लिंग को पकड़कर उसके अन्दर धकेलने लगी. मुझे और भाभी को यह बहुत अच्छा लगा. मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और एक मेरी और एक भाभी की ऊँगली साथ में मिलाकर सयाली के जननांग में दोनों उंगलीयाँ डाल दी. सयाली को बहुत अच्छा लगा. हम दोनों अपनी उंगलीयाँ सयाली के अन्दर धीरे धीरे सहलाते रहे. काफी देर तक इसी तरह करने के बाद अचानक हम तीनों ही जोर से तड़प उठे. सयाली का जननांग अब गीला होकर बहने लगा. हमारी उंगलीयों ने उस मलाईदार रस को बाहर आने से रोक दिया. तभी मेरा लिंग भी अपने से मलाई निकालकर भाभी के अन्दर छोड़ने लगा. अद्भुत नजारा था. हम तीनों इतना तडपे और आनंद में आये कि हमें मजा आ गया. इसके बाद मैंने सयाली के जननांग अपने लिंग से भर दिया. भाभी ने अब सयाली की भूमिका निभाई.
सारी रात हम तीनों इसी तरह से सेक्स का मजा लेटे रहे. सयाली की इच्छानुसार भाभी का जननांग अब पूरी तरह से गहरा लाल लाल हो चुका था.
सवेरे जब मैं ऑफिस के लिए रवाना होने लगा तो भाभी ने मुझे अपने कमरे में बुलाकर मेरे होंठों को चासनी से भरा हुआ एक चुम्बन दे दिया.
इसी तरह से दिन बीतने लगे. एक दिन खबर आई कि भैय्या को तीन दिन के लिए अपने परिवार से मिलने के लिए भारत आने का मौका मिल रहा है. मैं और सयाली खुश हो गए कि चलो अच्छा है भाभी और भैया का मिलन हो जाएगा. भैया आ गए लेकिन हम दोनों उस वक्त बहुत हैरान हो गए जब भाभी रात को भैया के कमरे से निकलकर हमारे कमरे में आ गई. भाभी ने कहा कि वो हम दोनों के ही साथ सोएगी. भाभी ने बताया कि भैया तो कब के सो गए हैं.दोनों हैरान कि आखिर भैया ऐसे कैसे सो गए जब कि पूरे एक साल बाद वो भाभी से मिल रहे हैं. भाभी हम दोनों के साथ ही सो गई. मैंने और सयाली ने भाभी के दर्द को समझा और उनसे संभोग किया. जब उन्हें नींद आने लगी तो मैंने उन्हें छोड़ दिया. अगले दिन भाभी ने बताया कि भैया का वहां एक औरत से दुसरा विवाह हो चुका है और वो अब भाभी को नहीं अपनाएंगे. भाभी ने मुझसे और सयाली से कहा कि यह बात घर में किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिये. भाभी का मतलब यह था कि जब किसी को पता नहीं चलेगा तो भाभी का मेरे और सयाली के साथ का रिश्ता कायम रह पायेगा. सयाली और मैं मान गए. भैया लौट गए.
आज उस भैया को गए दो साल हो गए हैं. भैया साल में एक बार आते हैं और तीन चार दिन रुक कर लौट जाते हैं. सयाली जब जब भैया आते हैं तो कमरे में उनके साथ सोती है लेकिन सिर्फ सभ्को बताने के लिए. भैया भाभी को छूते तक नहीं है.. सभी को यह लगता है कि सब कुछ सामान्य है. इस बार जब भैया गए तो कह गए कि अब उनका आना बहुत कम या नहीं के बराबर रहेगा. उन्हें कनाडा के नागरिकता मिल चुकी है.
सयाली और भाभी दोनों ही अब मां बनने वाली है. दोनों ही के पेट में मेरा ही बच्चा पल रहा है. मैं , सयाली और भाभी बहुत ही खुश हैं.

शनिवार, 10 जुलाई 2010

रेल का सफ़र और एक हमसफ़र

मैं ट्रेन में चढ़ा. रात का समय था. जोर से बारिश हो रही थी. प्रथम श्रेणी का डिब्बा पूरा खाली था. केवल एक केबिन में एक जोड़ा था. मैं दूसरे केबिन में अपना सामान रखकर बैठ गया. तभी एक युवती आई और मुझसे बोली " अच्छा हुआ आप आ गए. पूरा डिब्बा खाली है और इतनी जोर से बारिश हो रही है. मेरे पति को बहुत ही तेज बुखार है." मैंने जैसे ही सर उठाया उस युवती को देखकर चौंक गया. वो भी मुझे देखकर चौंक गई और बोली " सतीश तुम!" मैं बोला " निधि तुम यहाँ! तुम्हारे पति कौन हैं?" निधि मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई. उसने इक बुरा सा मुंह बनाया और बोली " मेरे पापा ने जबरदस्ती इस आदमी से मेरा रिश्ता कर दिया. केवल पैसा देखकर. या तो काम में रहता है या बीमार रहता है. मेरी कोई चिंता नहीं है. गोली लेकर सो गया है. चलो तुम मिल गए अब आराम से रात कट जायेगी." मैं और निधि कॉलेज में साथ साथ पढ़े थे. हम दोनों ही बहुत खुले विचारों वाले थे. एक बार हम दोनों मेरे घर पर साथ साथ बिस्तर पर भी लेटे थे लेकिन कुछ कर पाते किसी की आहट से भाग खड़े हुए.
हम दोनों को वो दिन याद आ गया. निधि ने कहा " सतीश; उस दिन वाला अधूरा काम हम आज कर लें . वो तो अब सवेरे से पहले उठेंगे ही नहीं. नींद की गोली लेकर सोये हैं." मुझे भी यह मौका अच्छा लगा. कारण यह था कि अब आनेवाले स्टेशन सभी छोटे छोटे थे और वहां से प्रथम श्रेणी में कोई नहीं चढ़नेवाला होगा. निधि ने तुरंत हमारे केबिन का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मैंने और निधि ने अपने कपडे उतार दिए. निधि शादी के बाद बहुत निखर गई थी. हम दोनों आपस में लिपट गए. निधि ने मुझे जबरदस्त गर्मी के साथ चूमा. मैंने भी उसे बराबर जवाब दिया. गाडी तेज गति से चल रही थी और उसके हिलने के करण हमें बड़ा ही मजा आ रहा था. अब मैं अपने लिंग को नहीं संभाल पा रहा था जो कि तानकर लंबा और खड़ा हो गया था. मैंने निधि की टांगों के बीच में उसे घुसा दिया. निधि ने तुरंत अपनी टांगें फैलाई और उसे अपने मखमली जननांग में ले लिया. अब हम सेक्स का पूरा आनंद उठाने लगे थे. रुक रुक लगातार हम सेक्स करते रहे. बहुत देर हो गई लेकिन निधि की प्यास थी कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी.
मैंने आखिर में निधि को जोर से अपनी तरफ खींचा और मेरे लिंग में से एक जोर का बहाव निकला और निधि के जननांग को पूरी तरह से भिगो गया. निधि मेरे होंठों को चूसने लगी. करीब एक घंटे के बाद हम अलग हुए. निधि ने दूसरी केबिन में झाँका और पाया कि उसका पति अब भी गहरी नींद में सिया हुआ है और पूरा डिब्बा अभी भी खाली है. बारिश अभी भी जारी थी. तभी हमारी गाडी रुक गई. कोई स्टेशन नहीं था. जंगल था और तेज हवा और बारिश थी. मैं और निधि डिब्बे के दरवाजे के पास खड़े हो गए और बारिश में भीगते हुए एक दुसे को किस करने लगे.गाडी चल पड़ी. अब हवा और भी तेज हो गई थी और पानी की बौछारें भी अन्दर तेजी से आने लगी थी. हम पूरी तरह से भीग गए थे और हमारे सारे कपडे भी भीग गए थे. मैं निधि को लेकर उस दरवाजे पर नीचे बैठ गया. निधि अब भी मुझे लगातार चूमे जा रही थी. बरसते पानी में चूमना बड़ा अच्छा लग रहा था.
अब निधि और मैं वहीँ लेट गए. पानी अब भी हमने भिगो रहा था. निधि ने अपनी साडी ऊपर की और मेरे पैंट की चैन खोलकर मेरा लिंग बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला और अपने जननांग में डाल दिया. एक बार फिर हम सेक्स करने लगे. दरवाजे पर ही लेटे हुए और बरसते हुए पानी में. मैंने दूसरी बार निधि का जननांग गीला किया और हम वापस केबिन में आ गए. एक बार फिर हम दोनों लेट गए. मैं निधि के ऊपर लेटा हुआ था और मेरा लिंग उसके जननांग में अन्दर. तभी निधि का पति जाग गया. हम केबिन का दरवाजा बंद करना भूल गए थे. उसने जब मेरे केबिन में झाँका तो वो उस नजारे को देखकर हैरान रह गया. निधि पूरी तरह से मेरे नीचे दबी हुई होने से वो उसे पहचान नहीं सका. उसने इधर उधर देखा और निधि को आवाज देने लगा. मैंने निधि को छुप रहने का इशारा किया और अपना काम जारी रखा. निधि भी अभी तक पूरी गरम थी. उसने यह अंदाज लगाते हुए कि निधि बाथरूम में है वो केबिन में गया और फिर सो गया. मैंने केबिन का दरवाजा बंद किया और वापस निधि को दबोच लिया. सवेरे छः बजे तक हम दोनों ने सेक्स किया. इस दौरान निधि ने अपना जननांग मुझसे चार बार गीला करवाया. सात बजे निधि का स्टेशन आ गया और वो मुझे अपना पता और टेलीफोन नंबर देकर उतर गई.

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

सीधा साधा छोरा बिगड़ गया

मैं राजस्थान के जैसलमेर में एक टूरिस्ट एजेंसी में काम पर लगा हुआ हूँ. आज से करीब छा महीने पहले मैं काम पर लगा था. मैं दसवीं तक पढ़ा हूँ लेकिन मेरी अंग्रेजी बहुत अच्छी है. इसी कारण मेरे मालिक ने मुझे विदेशी टूरिस्टों के लिए रखा. मैं दिखने में साधारण हूँ लेकिन मेरा कद ५ फुट ११ इंच और वजन ८० किलो है. किसी पहलवान से कम नहीं दिखता हूँ.
एक बार अमेरिका ने एक बड़ा ग्रुप आया. उस ग्रुप में पंच शादी शुदा जोड़े थे. उसके अलावा तीन युवक और पांच अन्य युवतीयां भी थी. मेरा मालिक खुश हो गया क्यूंकि मेरे अंग्रेजी ज्ञान के कारण उस ग्रुप के नेता ने मेरे मालिक के यहाँ ही अपना सारा घूमने का प्रोग्राम पका कर दिया. मेरे मालिक ने एक इम्पोर्टेड मिनी बस किराए पर करवा दी और उस ग्रुप को मेरे हवाले कर दिया. पहले दो दिन जैसलमेर ही घुमे. इसके बाद एक दिन थोड़ी दूर पर एक गाँव घूमने का कार्यक्रम बनाया गया. मैंने उन सभी को सब बताते हुए गाँव घुमाया.
हमने दोपहर का खाना गाँव से थोड़ी दूर पेड़ों के एक झुण्ड के नीचे बैठ कर खाया. ड्राइवर और उसका साथी बस के पास जाकर आराम करने लगे. सभी टूरिस्ट भी कुछ लेटे और कुछ अधलेटे आराम करने लगे.मैंने देखा कि जो पांच जोड़े थे वे पास पास बैठ हुए थे. आपस में बात करते करते एक दूजे को चूम लेते. कभी गालों पर ; कभी छाती पर ; कभी होंठों पर. मुझे ये गन्दा लगा क्यूंकि मैंने कभी ऐसा पहले देखा नहीं था. इन जोड़ों के अलावा बाकी के ग्रुप में भी मैंने जब यही चलता देखा तो मुझे गुस्सा आने लगा लेकिन क्या करता. हमारे मेहमान और अन्नदाता जो ठहरे.
मैं वहां से दूर आकर बैठ गया. कुछ देर के बाद जब मैं बस में रख एअपने बैग में से पानी पीकर वापस अपनी जगह जा रहा था तो मैंने देखा कि एक पेड़ के पीछे कोई लेटा हुआ है. मैं उधर देखने गया क्यूंकि वो पेड़ दूर था. मैंने वहां पहुंचकर जो देखा तो मेरे एक बार तो होश ही उड़ गए. उन पांच जोड़ों में से एक जोड़ा वहां अपने सभी कपडे उतारकर आपस में लिपट कर सोया हुआ था और उनमे उछलकूद चल रही थी. गुस्से तो आया लेकिन मैंने ऐसा कभी पहले देखा नहीं था इसलिए उन्हें चोरी छुपे देखने लगा. मैंने कभी इससे पहले किसी को भी सेक्स करते नहीं देखा था. इसी जिज्ञासावश मैं उन्हें देखता रहा. मुझे धीरे धीरे मजा आने लगा और साह ही मेरे शरीर में हलचल भी महसूस होने लगी.
मैं अपनी जगह लौटने को हुआ तो मैंने देखा कि मेरे ठीक पीछे एक युवती मुझे मुस्कुराकर देख रही थी. मैं झिझका तो वो मेरे पास आकर बोली " मैं जानती हूँ तुम्हे वो देखना अच्छा लगा था. अगर तुम चाहो तो मेरे साथ वो सब कुछ दोहरा सकते हो." मैं उस युवती की बेशर्मी देख गुस्से में आ गया लेकिन कुछ ना बोल कर अपनी जगह आकर बैठ गया
रात को हम लोग वापस जैसलमेर लौट आये. मेरे मालिक के एक छोटा सा होटल भी है. सभी उसमे ठहरे थे. उस होटल में केवल हार कमरे हैं. सभी उसमे खाने के बाद सोने चले गए. मैं उसी होटल की छत पर बने एक छोटे से कमरे में ही रहता था. कमरा क्या था; बस सूखे घास .से दीवारें और ऊपर एक प्लाईवुड का शीट लगाकर बस सोने लायक बना हुआ था. मैं जमीन पर एक मोटा कालीन बिछा हुआ था उसी पर सोता था. मैं जैसे ही लेटा वो ही युवती मेरे कमरे में आ गई. उसने आते ही बिना कोई लाग लपेट के अपना टी शर्ट उतार दिया और हाफ पैंट भी उतार दी. अब केवल चोली और चड्डी में वो मेरे सामने बैठ गई और मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी. मैं घबरा गया. वो मेरे करीब आ गई. उसने कहा " डरो मत. मुझे पता है उम उच्च नहीं जानते हो सेक्स के बारे में. मैं तुम्हें सब बता दूंगी और सिखा भी दूंगी. आओ मेरे पास आ जाओ." मैं पहले तो डरा लेकिन फिर उस युवती ने मुझे जब और करीब आकर पकड़ लिया तो मेरा बदन कांपने लगा. उसने मेरे कपडे उतार दिए. उसने मुझे गालों को चूमा. फिर उसने मुझे गाल; गरदन ; सीना और आखिर में होंठों को चूमना सिखाया. मैं अब अपना डर एक तरफ रखकर उस युवती से सब कुछ सीखे जा रहा था. तभी उसके साथ वाली एक और लड़की आ गई. वो तो पहले से ही केवल चोली पहने हुए थी और नीचे एक छोटा कपड़ा लपेटा हुआ था. उसने हम दोनों को चिपके हुए देखा तो उसने पहली वाली युवती से कहा " मुझे तो तुमने कहा था कि हम दोनों इसके साथ मजा करेंगे. लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया." पहली ने कहा " बिलकुल नहीं. इसे तो सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं है. मैंने इसे अभी किस के बारे में बताया है." अब दूसरी भी मेरे पास बैठ गई. उसने अपनी चोली खोली और फिर अपने नीचे लपेटा हुआ कपड़ा खोल दिया. वो अब वो बिलकुल ही नंगी थी. मैंने आज पहली बार किसी औरत को नग्नावस्था में देखा था. पहली ने अब दूसरी के गुप्तांग और जननांग को मेरी ऊँगली से टच कराया. मुझे दोनों जगहें बहुत गुदगुदी और गीली गीली लगी. अब दूसरी ने पहली वाली की चोली और चड्डी खोल दी. अब दोनों ने मुझसे कहा " अब तुम हमारे साथ आ जाओ. हम तुम्हें सक्स करना सिखा देते हैं." उन दोनों के गोरे गोरे और ग्द्गुदे जिस्म देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया. मैं उनसे लिपट गया. वो दोनों मुझे चूमने लगी और मैं भी उनकी तरह उन्हें चूमने लगा. अब उन दोनों ने मुझे दोनों तरफ से अपने कब्जे में लेकर दबाना शुरू कर दिया. मुझे यह बहुत अच्छा लगा. अब उन दोनों ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथोसे धीरे धीरे सहलाना और दबाना शुरू किया. मेरा लिंग इससे कड़क; लंबा और एकदम खडा हो गया. पहली वाली ने अपने पास से एक पैक निकाला और उसे खोलकर मेरे लिंग को, यह कहते हुए कि इसे कोंडोम कहते हैं, उसमे घुसकर पूरा ऊपर तक ढँक दिया. दूसरी अपनी टांगें फैलाकर सो गई. पहली ने मुझे उस पर झुकने को कहा. अब पहली ने मेरे गुप्तांग को पकड़ा और दूसरी के जननांग में धीरे से डाल दिया और मुझे जोर लगाने को कहा. मैंने थोडा जोर लगाया. धीरे धीरे मेरा गुप्तांग अन्दर की तरफ बढ़ने लगा और मुझे एक गुदगुदा अहसास होने लगा. अब पहली भी लेट गई. मैंने उसके अन्दर भी अपना गुप्तांग डाला. मैं एबारी बारी से दोनों के अन्दर अपने गुप्तांग को कई बार डाला. एक बार जब मैंने पहली के अन्दर से निकलकर दुसिर के अन्दर डालने जा ही रहा था कि दोनों ने बैठकर मुझे रोक दिया. उन्होंने मेरे गुप्तांग पर से कोंडोम हटा दिया.अब दोनों ने मुझे एक साथ चूमना और मेरे गुप्तांग को हाथों से सहलाना शुरू किया. तभी मेरे लिंग में से एक सफ़ेद गाढा दूध निकलना शुरू हो गया. उन दोनों न उसे अपने हाथों में ले लिया और अपने अपने गुप्तांग के अस पास उसे लगा लिया और नीच एलेट कट मुझे अपने गुप्तांग को उनके गुप्तांग से रगड़ने को कहा.एकदम च्पिचिपे और गीले जगहों पर मुझे गुप्तांग रगड़ने में बहुत मजा आया. उन दोनों ने देर रात तक मुझे अपने साथ ही लिटाया और चूमा चाटी करती रही. सवेरा होने तक मैं सेक्स की हर बात बारीकी से जान गया था.
अब हमारा कार्यक्रम जैसलमेर के आस पास रेट के टीलों को घूमने का था. हमारे टेंट्स भी थे जो टीलों पट बाँध दिए जाते और टूरिस्ट रातें वहीँ बिताते. इस ग्रुप के लिए कुल चार टेंट्स लगाये गए. पूरा दिन हमने टीलों पर पूरे ग्रुप को खूब घुमाया. शाम को राजस्थानी नाच गाना भी हुआ. रात हो गई. सभी ने खाना खा लिया. चांदनी रात थी. चाँद की जबरदस्त रौशनी थी. मैं रेत पर ही लेट गया. एक एक कर एनी अलोग भी सोने चले गए. तम्बुओं में लालटेन जल रही थी. अन्दर से दिखती परछाइयों से मुझे पता चल गया कि सभी आपस में सेक्स करने लग गए हैं.
तभी मैंने देखा कि दो जोड़े तो बाहर रेत पर ही काम कर रहे हैं. उन्होंने चद्दर बिछाई हुई है और आपस में लिपटे हुए हैं. मेरा भी मन अब मचल रहा था. कुछ देर के बाद मैं उठा और उस तम्बू की तरफ गया जिसमे बाकी के युवक और युवतीयां थी. मैं जैसे ही उस तम्बू के अन्दर पहुंचा मैंने देखा कि अन्दर तो जैसे नंगे लोगों का मेला लगा हुआ है. सभी नंगे थे. कोई किसी से चिपक रहा था तो कोई किसी से. मुझे यह देख बड़ा अजीब लगा. मैं उन सभी देखने लगा. सभी युवतीयां अच्छे हौसले वाली थी जब कि मर्द कमजोर. करीब एक घंटे के अन्दर तीनों मर्द थक कर सो गए. पाँचों युवतीयां अभी भी भूखी थी. उन्होंने मुझे देखा. कुछ इशारा किया. मैंने हाँ कहा. मैंने उन्हें रेत पर आने को कहा. पाँचों मेरे साथ बाहर आ गई. वे पाँचों नंगी थी. मैंने भी अपने कपडे उतार लिए. उनमे से एक ने मुझे कोंडोम दे दिया. अब मैं था और वो पांच. मुझे अपनी ताकत पर पूरा विश्वास था. ठंडी रेत पाँचों को बहुत पसंद आई. वे पाँचों रेत पट नंगी लेट गई. मैं एक एक के पास गया. जिसके साथ भी मैं होता; हम दोनों एक दूजे को खूब चूमते और फिर मैं अपने गुप्तांग को उसके जननांग के भीतर तक घुसाकर उसे खुश कर देता. इसी तरह मैंने सभी पाँचों को दो दो बार पांच पांच मिनट तक खुश किया. वे पंचों इतनी खुश हो गई कि उन्होंने मुझे होंठों पट खूब चूमा. मेरा मुंह मीठा हो गया.
जब हम यह सब कर रहे थे तो टेंट के अन्दर विबाहित जोड़ों में से एक महिला ने हमें देख लिया. सवेरे उस महिला ने मुझ एआन्ख मारते हुए कहा कि मैं बहुत ही ताकत वाला हूँ और वो मुझे आजमाना चाहती ई. अब मैं उनके जैसा हो गया था. उसके साथ एक पेड़ के पीछे आ गया. वो पेड़ छोटा था और उसकी डालीयाँ जमीन छु रही थी. मैं डालियों के नीचे उसे लेकर इस तारा से लेटा कि किसी को हम नजदीक से भी दिखाई ना दे. मैंने उस औरत को नंगा कर दिया. अब मैंने अपने लम्बे और गरम गुप्तांग को उसके जननांग में जोर से डाल दिया. उसके मुंह से सिसकी निकली. उस औरत को जबरदस्त मजा आया. मैंने उसे आधे घंटे तक गरम रखा. उसने मुझे वहीँ रुकने को कहा और खुद कपडे पहनकर तम्बू में चली गई.
मैंने देखा कि वो मुझे तम्बू में आने का इशारा कर रही है. मैं तम्बू में चला गया. मैंने देखा कि वो महिला मुझे फिर से बिस्तर पर आने के लिए कह रही है. मैंने आव देखा ना ताव और उस महिला पर टूट पडा. वो महिला भी गज़ब की मजबूत थी. मैं जितना जोर लगता वो उसे सह जाती और वापस मुझे गरमगरम चुम्बन से जवाब देती. इसी बीच वो पाँचों युवतीयां भी अन्दर आ चुकी थी. वे भी हम दोनों का मुकाबला देखने लगी. मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी. करीब एक घन्टे तक हमारा मुकाबला चला और आखिर में उस महिला ने जब मुझे कसकर पकड़ लिया तो मैंने भी अपने लिंग में जमा हुए सारे मलाईदार दूध को उसके जननांग में छोड़ दिया
रात के करीब एक दो बज चुके थे. वे पाँचों युवतीयां फिर से तैयार थी. अब मैं अकेला छह. मैंने सभी को जमीन पर लिटाकर अपनी पूरी ताकत से चित्त कर दिया.
सवेरा होने तक एक सीधा सदा छोरा पूरी तरह से बिगड़ चुका था. .

बुधवार, 7 जुलाई 2010

चित्रकारी कहाँ से कहाँ ले गयी



मेरा नाम प्रताप सिंह रजा साहब है. मैं एक माना हुआ पेंटर हूँ. मेरे नाम से ही पेंटिंग्स हजारों रुपयों में बिकती है. मेरी शादी शहर के सबसे राईस परिवार की लडकी करिश्मा के साथ हुई थी. करिश्मा मेरे रुतबे के कारण प्रभावित हुई और हमारी शादी हो गई. करिश्मा बेहद खुबसूरत है. ये बात अलग है कि उसका स्वभाव बहुत ही अलग है. मैंने शादी के बाद से उसकी अनगिनत पेंटिंग्स बनाई है. उकी जिद से मैंने उसकी दो न्यूड पेंटिंग्स भी बनाई थी. वो उस दौरान पूरे पूरे दिन बिना कपड़ों के मेरे सामने स्टूडियो में बैठी रहती जिस मुद्रा में मैं चाहता उसी मुद्रा में. उन दिनों मेरे दो ही काम होते थे. या तो करिश्मा की पेंटिंग बनाना या करिश्मा के साथ सेक्स का आनंद उठाना.

करिश्मा को दावतें देने का बहुत शौक था. मैं भी उसे मना नहीं करता था. लेकिन एक बार ऐसी ही एक दावत में वो एक विदेशी टूरिस्ट लड़के से मिली और उसे लेकर हमारी हवेली के एक कमरे में चली गई. मुझे यह खबर हमारे घर के एक नौकर ने बताई. जब मैं उस नौकर के बताये कमरे में गया तो मैंने देखा कि करिश्मा और वो अंग्रेज लड़का पूरी तरह से नंगे हैं और जमीन पर बिछे कालीन पर लेटे हुए सेक्स कर रहे हैं. मेरा खून खौल गया. मैं कमरे में घुसा और उस लड़के को ननगा ही खींच कर बाहर ले आया और उसे मारते हुए हवेली के बाहर फेंक आया. करिश्मा मुझ पर चीख पड़ी. उस दिन के बाद हम दोनों के रिश्ते बहुत नाजुक दौर में पहुँच गए. हमामे बात चीत बंद हो गई. वो अब बिना मुझे बताये कभी भी बाहर चली जाती.

मैं परेशान रहने लगा. मुझे फ्रांस के लिए कुछ न्यूड पेंटिंग्स बनाने का आर्डर मिला. मैं मोडलों की तलाश में मुंबई और दिल्ली गया. अंत में मुंबई से दो लडकीयों से सारा सौदा तय कर उन्हें अपने साथ ले आया. उन्हें मेरे सामने वाले कमरे में ही ठहरा दिया. करिश्मा को मैंने दोनों लड़कीयों मोना और शीना से मिलवाया. करिश्मा को मैंने सब कुछ बता दिया.

मुझे करीब बीस पेंटिंग्स बनाने का आर्डर मिला था. यह काम करीब तीन महीने चलने वाला था. सबसे पहले मोना की पेंटिंग्स बनानी शुरू की. मोना गोवा से थी और एंग्लो इंडियन थी. उसके जिस्म के कर्व ऐसे खतरनाक थे कि कोई भी बहक जाए. मुझे तो उसे तीन महीने तक बिना कपड़ों के देखना था. जब मैं उसकी पेंटिंग बनाता तो शीना भी कभी कभी मेरे पास बैठ जाती. कभी कभी मोना के कुछ हिस्सों को मुझे chhuna भी पड़ जाता. लेकिन मोना बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. वो ज्यादातर मुस्कुरा देती.

करीब एक सप्ताह में मोना की एक पेंटिंग पूरी हो गई. अब मैंने शीना की पेंटिंग बनानी शुरू की. शीना का जिस्म मोना जैसा घुमावदार तो नहीं था लेकिन मोना से ज्यादा गदराया हुआ था. पता नहीं कैसे लेकिन पहले ही दिन शीना के सभी कपडे उतारे जाने के बाद मेरी जब शीना से नजर मिली तो शीना ने भी मेरी ही तरह देखा. आँखों में कुछ अनजाने से बिना किये इशारे हो गए.

रात को मैं और करिश्मा सोये हुए थे. यहाँ मैं यह बता दूँ कि उस अंग्रेज लड़के के घटना के बाद मेरा करिश्मा से निस्मानी सम्बन्ध नहीं हुआ था. मैंने देखा कि मेरे सामने वाले कमरे की लाईट रात को एक बजे के बाद भी जल रही है. इस कमरे में तो शीना और मोना दोनों रुकी हुई थी. मैं उठकर बाहर आ गया. मैंने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है. मैं

कमरे में दाखिल हुआ. मोना तो खर्राटे भर सो रही थी. शीना जाग रही थी. मैंने जैसे उसकी तरफ देखा तो मेरी उससे नजर मिल गई. वो पलंग से उठी और मेरे पास आ गई. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मैं और शीना उस कमरे से बाहर आ गए. मेरे बगल में एक और कमरा खाली था. यह मेरा पेंटिंग्स का स्टोर था. दीवारों पर पेंटिंग्स ही पेंटिंग्स टंगी हुई थ. एक कोने में एक बहुत ही पुँराना पलंग बिषा हुआ था. मैं और शीना उस पलंग पर लेट गए. हमने धीरे धीरे अपने सारे कपडे उतार दिए और हम बिस्तर हो गए. पहली ही बार में शीना ने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में घुसाने की बात की और मैंने भी उसकी बात मान ली. हमने सारी रात साथ बिताई. सवेरा होने से पहले हम अपने अपने कमरे में आ गए. किसी को कोई पता नहीं चला. .

पेंटिंग बनाते समय भी जैसे ही मोना कमरे से बाहर चली जाती मैंने शीना के नंगे शरीर से कहलें लग जाता. इस तरह से शीना की पहली पेंटिंग बारह दिनों में पूरी हो पाई इन बारह दिनों में हमने सात रातें साथ साथ बिताई.

मोना की दूसरी पेंटिंग बननी शुरू हुई. पहली बार करिश्मा स्टूडियो में आई. मोना एक सोफे पर बहुत ही उत्तेजित कर दे वाली मुद्रा में लेटी हुई थी. शीना मेरे बगल में ही बैठी हुई थी और मैं पेंटिंग बना रहा था. करिश्मा कब अन्दर आकर खड़ी हुई मुझे पता नहीं चला. मेरी पीठ दरवाजे कीतरफ थी इसलिए. मोना ने अब मेरे कहे अनुसार अपनी पीठ मेरी तरफ की हुई थी. मैंने पेंटिंग अनाते बनाते शीना के तरफ एखा. शीना ने मुझे आँख मारी. मैं बिना यह देखे कि करिश्मा दरवाजे के पास ही खड़ी हुई है; शीना के पास गया और उसके होंठों को चूमने लग गया. शीना ने भी मेरे गालों को अपने हाथों से दबाया और मुए ही वापस उसी गर्मी से चूमा. करिश्मा ने अपना गला खंकारा. मैंने चौंक कर करिश्मा की तरफ देखा लेकिन बिलकुल नहीं घबराया.मैंने शीना के होंठ चूमना जारी रखा. करिश्मा चीखती हुई बाहर चली गई. मोना और शीना दोनों घबरा गई. इस दौरान मोना ने भी मुझे और शीना को एक दूजे को चूमते हुए देख लिया. वो हमें देखकर मुस्कुराई. मोना ने एक तौलिउया अपने बदन पर डाला और मेरे करीब आकर बोली " मैंने क्या कुसूर किया है जो मैं इससे अलग हो गई हूँ." मैंने मुस्कुराया और मैंने उसके होंठ भी चूम लिए.

अब मैं एक रात मोना के साथ तो दूसरी रात शीना के साथ गुजारने लगा. करिश्मा ने मुझसे खूब झगडा किया. मैंने उसे साफ़ कह दिया जब वो मेरे होते हुए किसी और से अपनी भूख मिटा सकती है तो मैं भी ऐसा कर सकता हूँ. मोना और शीना के साथ चार महीने बीत गए और मेरा काम पूरा हो गया. मोना और शीना वापस मुंबई लौट गई. मैं एक बार फिर अकेला हो गया.

एक दिन मैं कहीं बाहर से लौट रहा था कि मैंने देखा कि करिश्मा दो तीन गाँव की औरतों से बात कर रही है. मेरे पूछने पर उसने बताया कि दो दो नौकर छोड़ कर चले गए हैं. सारा काम ठहर गया है. मैंने एक पहचान वाले आदमी को बुलाकर नौकरों का इंतजाम करने को कहा. वो आदमी तुरत दो मर्दों और तीन औरतों को ले आया. मैंने बिना करिश्मा को बात या पूछे दो मर्द पक्के कर लिए. बाद में एक और औरत आई. वो एक आदिवासी युवती थी. जवान थी. गज़ब का जिस्म था. खूब कसा हुआ. किसी पहलवान के जैसा. रंग सांवला लेकिन शक्ल सूरत बहुत ही सेक्सी. मैंने उसे भी रख लिया. मैंने उस औरत को मेरे स्टूडियो और स्टोर रूम के सफाई का काम सौंप दिया.

मैं सारा दिन उस युवती जिसका नाम सोमा था; देखता रहता. वो केवल एक बहुत ही कसा हुआ ब्लाउज पहनती. नीचे बड़े ही अजीब तरह का लहंगा जो घुटनों तक की उंचाई का था. मैं उसकी टांगें देख देखकर पागल हो उठा. उसका सीना तो जैसे दो बम के गोले थे जो कभी भी ब्लाउज फाड़कर बाहर आ सकते थे.

मैंने उसे एक दिन सफाई करते वक्त कुछ पेंटिंगों पर टंगे कपडे भी बदलने को कहा. ये सभी न्यूड पेंटिंग्स थी. उसने जैसे ही वे पेंटिंग देखी उसने मेरी तरफ देखा. मैं मुस्कुरा दिया. वो बड़े गौर से सभी पेंटिंग देखने लगी. मैंने उसे फिर सेक्स करते हुए जोड़ों के कई पेंटिंग्स दिखाई. अब सोमा की सांस तेज चलने लगी. उसके माथ एपर पसीना आ गया. पसीने की बूंदों से वो और भी सेक्सी लगने लगी थी. मैंने मौके का फ़ायदा उठाना इ ठीक समझा. मैंने उसके करेब गया और उसे कसकर अपनी बाहों में ले लिया. सोमा ने कुछ नहीं कहा. वो केवल पेंटिंग देखती रही. मैंने उसे कहा " सोमा; अच्छा लग रहा है ना." सोमा मुस्कुराकर बोली " आपने मुझे ऐसे पकड़ा है ना ये बहुत अच्छा लग रहा है." बस अंधे को क्या चाहिये दो आँखें. मैं सोमा को लेकत बिस्तर पर आ गया. मैं सोमा पर लेट गया. मैंने जैसे ही उसके ब्लाउज को छुआ तो किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई दी. मैंने सोमा को यह कहते हुए कि कोई आ रहा है; बाहर जाने को कह दिया. सोमा बाहर चली गई. वो करिश्मा ही आई थी.

अगले एक सप्ताह तक मुझे सोमा को दबोचने का मौका नहीं मिल पाया. करिश्मा को शक हो गया था. उस दिन सवेरे से लगातार बारिश हो रही थी. दोपहर को सोमा सफाई करने के बाद बरामदे में कपडे हटाते वक्त बारिश में पूरी तरह से भीग गई. वो मेरे कमरे के सामने से गुजरी. मैंने देखा उसका लहंगा इस कदर भीग गया था कि उसकी जाँघों के साथ साथ उसके गुप्तांग वाला हिस्सा भी उस सफ़ेद झीने लहंगे से अपने सारे उभारों के साथ मुझे दिख रहा था. उसके स्तनों पट पानी की बूंदें अभी भी चमक रही थी. मुझे अब होश नहीं रहा मैं उसे अन्दर हाथ पकड़कर खींच लिया और दबोचकर पलंग के ऊपर ले गया. मेरी इच्छाएं इस कदर पागल हो गई थी कि केवल एक मिनट के अनादर हम दोनों पूरे नंगे हो गए थे. मैं सोमा को लगातार चूमे जा रहा था. सोमा भी मचल मचलकर अपना जिस्म चुमवाती जा रही थी. अंत मैं मैंने सोमा की टांगों को अपने हाथों के जोर से एला दिया और अपने लिंग को उसकी जाँघों के बेच फंसा दिया. सोमा को अच्छा लगा. अमीन जैसे ही अपने लिंग को उसके जननांग में डालने को हुआ कि ना जाने कहाँ से करिश्मा कमरे में आ गई और हम दोनों रंगे हाथों पकडे गए. करिश्मा जोर जोर से चीखने लगी. सोमा घबरा गई. लेकिन मैंने उसे शांत रहने को कहा और उसके जननांग में अपना लिंग डाल ही दिया. सोमा जोर से चीखने लगी. ये उसका पहला संभोग जो था. करिश्मा गुस्से से पागल हो गई. उसने मुझे और सोमा को अपने हाथों से मारना शुरू कर दिया. लेकिन मैंने सोमा को नहीं छोड़ा और अपना लिंग उसके जननांग के अन्दर बाहर करता रहा. सोमा लगातार अब जोर जोर से आहन भरने लगी थी. उसे आननद आ रहा था लेकिन सोमा करिश्मा की मारसे काँप भी रही थी. अब करिश्मा मुझसे हाथापाई पर उतार आई. इसी हाथापाई में करिश्मा का कुर्ता फट गया और नीचे का पायजामे का नादा भी टूट गया. उसका पायजामा खुलकर नीचे गी पडा. करिश्मा ने आज अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी. अब वो मेरे सामने केवल ब्रा में खड़ी थी. मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. तभी सोमा जोर से चीखी और मेरे लिंग ने उसके जननांग के भीतर पिचकारी चला दी. करिश्मा लाल लाल आँखों से हमने घूरते हुए अपने कमरे में चली गई. थोड़ी देर के बाद मैंने सोमा को छोड़ दिया. सोमा ने दूसरे कपडे पहने और नीचे पलंग पर बेजान सी लेट गई. उसे तुरंत ही नींद आ गई.

अगले दिन करिश्मा ने सोमा को अपने कमरे में बुलाया और अपने जिस्म की मालिश करने को कहा. करिश्मा अपने सारे कपडे उतार कर पलंग पर लेट गई. उसने सोमा से भी सभी कपडे उतारकर मालिश करने के लिए कहा. सोमा भी अब पूरी तरह से नंगी हो गई और तेल लेकर करिश्मा के बहुत ही गोरे गोरे और चिकने सपाट जिस्म की मालिश करने लगी. सोमा को भी करिश्मा का जिस्म बड़ा ही अच्छा लग रहा था और वो भी किये जा रही थी. करिश्मा दरअसल सोमा को खुद के पास रोक कर मुझसे दूर रखना चाह रही थी. जब सोमा ने करिश्मा के पीछे के हिस्से की मालिश करचुकी तो कषमा सीधी लेट गई. करिश्मा के उभ्रेहुए स्तन सोमा को रोमांचित कर गए, उसने स्तनों की मालिश सबसे पहले आरम्भ की. इसके बाद उसने करिश्मा की टांगों और फिर जाँघों तथा आखिर में पिंडलीयों की मालिश की. सोमा करिश्मा के कहने पर एक बार फिर उस्केतानोंकी मालिश करने लगी. मैं काफी देर से यह सब दरवाजे की ओट से रहा था. सोमा करिश्मा के सतनों को मसलते हुए थोडा तेल लगाने के लिए थोड़ा झुकी. उसने जैसे ही तेल स्तनों पर गिराया करिश्मा ने सोमा को खींच कर अपने सीने से लगा लिया और अपने हाथों से उसके सीने को अपने सीने से सटकर दबा दिया.सोमा हाकी बक्की हो गई. उसने शायद ऐसा कभी नहीं सोचा होगा. करिश्मा ने अब सोमा को खुद से लिपटाया और उसे ऐसे ही लेटे रहे का आदेश दिया. अब करिश्मा ने तेल की चिकनाई का फायदा उठाकर अपने सीने से सोमा के सीने को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया. सोमा को भी इसमें आनंद आने लगा और वो भी अपना पूरा सहयोग देने लगी. मेरे लिए ये एक चिंता का विषय बन गया. सोमा करिश्मा के नाजुक और मुलायम जिस्म को छोड़कर मेरे पास कभी नहीं लेतेगी. कामसूत्र में भी शायद ऐसा लिखा गया है कि जब दो औरतों के जिस्म आपस में मिलते हैं तो पूरे ब्रह्माण्ड का सबसे नाजुक और देखने लायक नजारा होता है. मैंने देखा कि अब दोनों एक दूजे को चूमने भी लगी है. मैं उन दोनों को करीब दस मिनातोंतक देखता रहा और फिर गुस्से में अपने पैर पटकता हुआ अपने कमरे में आ गया..

देर शाम को वही हुआ जिसका मुझे डर था. सोमा मरे स्टूडियो के सफाई कर रही थी. मैंने उसे अपने साथ पलंग पर आने का इशारा किया. सोमा ने कहा " नहीं रजा साहब; बीबीजी जारज हो जायेगी. आज जब मैंने उनकी मालिश करी तो मुझे बहुत भाया. बहुत मीठा लगा. कितना गोरा और रसीला अंग है बीबीजी का. मुझे उनका साथ बहुत मीठा लगा है. " मैं अपने हाथ पलंग पर मारने लगा.

रात ओ मैं चोरी-छुपे करिश्मा के कमरे में जाकर छुप गया. करिश्मा सोमा को लेकर कमरे में आई. दोनों ने एक दूजे के सभी कपडे उतारे. सोमा ने एक बार फिर करिश्मा का मसाज किया. करिश्मा ने फिर से सोमा को बाहोंमे भरा और पलंग पर लेट गई. दोपहर ही की तरह चूमना चलता रहा. इसके बाद तो हद ही हो गई. करिश्मा ने सोमा के जननांग में अपनी उंगली डाल दी. वो ऊँगली को अंडर बाहर करने लगी. सोमा तड़पने लगी. करिश्मा उसे जगह जगह चूमने लगी. सोमा को इससे असीम आनद आने लगा. करिश्मा ने सोमा को बैठने को कहा. सोमा बैठ गई. करिश्मा की ऊँगली उसके जननांग में ही घूम रही थी. करिश्मा ने अपने दूसरे हाथ से सोमा का हाथ पकड़ा और उसकी ऊँगली खुद के जननांग में डलवा ली. अब दोनों एक दूजे के जननांग में ऊँगली डालकर एक दूजे को आनंद देने लगी और खुद भी आनंदित होने लगी. कुछ ही देर के बाद दोनों ने एक दूजे को कसकर पकड़ लिया और मैं समझ गया के अब आनंद पूरा हो गया है और दोनों के जननांग पूरी तरह से लबालब भरकर गीले हो गए हैं और थोड़ी मलाई बहकर बाहर भी आनी शुरू हो गई है. अब करिश्मा ने सोमा को खुद से लिपटा लिया और उसे अपनी बाहों में भरकर लेट गई. मैं समझ गया कि अब सोमा कभी भी मेरे पास नहीं आएगी.

इसके बाद मैंने कई बार सोमा को बहलाया ; फुसलाया और कई तरह के लालच दिए लेकिन सोमा नहीं आई. करिश्मा कहने पर अब सोमा ने मेरे स्टूडियो और दसरे कमरों म सफाई का काम भी करना बंद कर दिया. मैं बहुत उदास हो गया. मैंने अपन आदमीयों से कई औरतें बुलवाई लेकिन मुझे एक भी पसंद नहीं आई.

मुझे एक मौका और मिला.ग्वालियर के एक बड़े घराने से मुझे कुछ न्यूड पेंटिंग्स बनाने का ऑर्डर मिला. मोना तो कहीं और गई हुई थी. शीना तुरंत आने के लिए तैयार हो गई. मैंने शीना को अपने साथ एक और लड़की लाने के लिए कहा. शीना आ गई. उसके साथ करीब सत्रह साल की एक पहाड़ी लड़की थी. शीना ने उसका नाम जोई किमना बताया. जोई सत्रह साल की उमर में ही पूरी जवान दिख रही थी. करिश्मा और सोमा मुझ पर कड़ी नजर रख रही थी. उन दोनों का पहरा इतना कडा था कि मेरा काम दस दिनों में काफी हद तक पूरा हो गया था लेकिन मैं शीना के साथ एक बार भी बिस्तर में नहीं जा पाया था. जोई को तो छु भी नहीं पाया था जबकि जोई मुझे अपने स्तन दिखा दिखाकर ललचाती रहती. शीना ने मुझे बताया था कि जोई ने कई मर्दों से सेक्स किया हुआ है.

मेरा शीना और जोई के साथ काम पूरा हो गया. मैंने उन दोनों को आसपास के जंगलों की सैर का सुझाव दिया. दोनों ही मान गई. मैं करिश्मा को बिन बताये दोनों के साथ जीप और कुछ जरुरी सामान लेकर निकल पड़ा.

हमने एक पुराने किले में अपना तम्बू लगा दिया. जोई शीना और मैं उस तम्बू में बंद हो गए. जोई तो जैसे सेक्स के लिए तड़प रही थी. वो अपने कपडे उतारकर मुझे ऐसी चिपटी कि मैं और शीना उसे देखते रह गए. उसने मेरे लिंग को अपने जानांग में इस कदर फंसाया कि उसकी ऊम्र सत्रह साल की है शक होने लगा. जोई ने मेरे लिंग को करीब एक घंटे के बाद छोड़ा. इसके बाद शीना की बारी थी. शीना ने भी एक घंटे तक मेरे साथ सेक्स किया. फिर हम घुमे. शाम को एक बाद फिर हमने खुले में ही सेक्स किया. हरी घास को ही बिस्तर बना लिया. रात को भी तम्बू में हम तीनों ने एक साथ सेक्स किया. सवेरे पास एक पहाड़ी नदी में हम नहाने चले गए. जोई ने उसी नदी में मेरे साथ पानी के अन्दर सेक्स किया. पानी की तेज बहती धर में सेक्स करने का एक अलग ही मजा आया. दोपहर को खाने के बाद हम तीनों बिना कपड़ों के ही घास पर लेट गए.

करिश्मा ने सोमा के साथ मिलकर हमें बहुत खोजा लेकिन हम नहीं मिले. शाम के करीब चार बजे थे. मैं अपनी जीप को अब हमारे शहर से थोड़ी दूर एक छोटे पहाड़ी कसबे की तरफ मोड़ लिया. इस कसबे में हमारा एक खानदानी कोठी है. मैंने शीना और जोई से जब यह बताया तो उन दोनों ने ख़ुशी समुझे चूमते हुए कहा कि अगले दो दिन हम यहीं रुक जाएँ तो बेहतर होगा. मैं भी तैयार हो गया. देर शाम को हम वहाँ पहुँच गए. अंधरा हो चला था. इस गाँव में बिजली नहीं थी. हर तरफ केवल अँधेरा. अँधेरे का लाभ उठाकर शीना और जोई आपस में खेलने लगी. एक दूसरे के शरीर के जिस्म को चुटी या गुदगुदी करती और भाग जाती. धीरे धीरे उन्होंने एक दूसरे के कपडे भी उतार दिए. अब वे दोनों केवल ब्रा और पैंटी में ही रह गई थी. खुले बरामदे में दो लालटेनें जल रही थी. उसकी रौशनी में दोनों के जिस्म सोने जैसे चमक रहे थे. अब उन दोनों ने मुझे भी इस खेल में शामिल कर लिया और मेरे भी कपडे खोल दिए.

उस बरामदे में एक झुला टंगा हुआ था. झुला क्या था एक पूरा पलंग था. आपस में चिपट कर सोये तो तीन जाने समा जाए. मैं शीना को लेकर झूले में आ गया. जोई हवा का मजा लेने लगी और इधर मैं और शीना सभी कपडे उतारकर संभोग में लिप्त हो गए. गाँव का शुद्ध वातावरण और ठंडी हवा में एक अलग ही मजा आ रहा था. जोई ने जब देखा कि मैं और शीना काफी कर चुके तो उसने शीना को मुझे छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा " अब मेरी बारी है. तुम दोबारा रात को आजाना."

अब जोई मेरे साथ थी. शीना उस झूले से उतरी नहीं बालक हम दोनों को एकदम करीब से देखने लगी. कभी कभी वो अपने हाथ को मेरे लिंग और जोई के जननांग के बीच में ले आती और हम दोनों को गुदगुदी कर एक अलग मजा देने लग जाती. जब हम सभी थक गए तो तीनों आपस में लिपट कर सो गए. कुछ देर के बाद किसी के आने की आहट सुनाई देने लगी. मैंने नौकर को ऊपर आने से मना कर रखा था. तो फिर कौन हो सकता है. मुझे अचानक ऐसा लगा कि करिश्मा पहुँच गई है. हम तीनों ने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन लिए. मेरा शक्साही निकला. वो करिश्मा ही निकली. सोमा भी उसके साथ थी. मैं चौंक गया. मरिश्मा शीना के करीब गई. उसने शीना को गुस्से से देखा और बोली " तुम और ये पहाड़ी बिल्ली कल सवेरा होने के बाद यहाँ से निकल जाना नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. " मैंने करिश्मा से कहा " तुम इन्हें नहीं निकाल सकती. ये मेरी मेहमान है." करिश्मा मेरे सामने आ गई. उसने फुफकारते हुए कहा " मैं रात को यहीं रुकने वाली हूँ. देखती हूँ तुम इन दोनों को कैसे रोकते हो"

इस बार तो करिश्मा के इस गुस्से से मैं भी पहली बार डर गया था. शीना और जोई उदास हो गई. हम तीनों की रात जो खराब हो गई थी. अब हम पाँचों एक ही बरामदे में बैठे थे. सभी खामोश थे. एक गहरा सन्नाटा था. रात को हमने खाना खाया. रात को हम सभी सोने चले गए. शीना और जोई एक कमरे में; सोमा और करिश्मा दूसरे कमरे में; तीसरे और अंतिम कमरे में मैं अकेला.

आधी रात को जोई हिम्मत कर मेरे पास आ गई. शीना तो करिश्मा से ऐसा दरी कि खाने के बाद तुरंत वो गहरी नींद में सो गई.

जोई आते ही मुझसे लिपट गई. वो बोली " इससे पहले कि दिन निकल आये एक बार तो मेरे निचले हिस्से की प्यास बुझा दो." जोई ने तुरंत मेरे और खुद के कपडे उतारे और जोई मेरे उपट बीत गई. उसने बैठे बैठे ही मेरे कडक होकर खड़े हुए लिंग को अपने जननांग में ले लिया. अपने को ऊपर नीचे कर वो मेरे लिंग को अपने जननांग में अन्दर बाहर कने लगी. ऐसा करने से उसके मुंह से आवाजें भी आने लगी. हम दोनों यह भी भूल गए कि शान्ति इतनी ज्यादा है कि ये आवाज कहीं भी जा सकती है. सोमा और करिश्मा ने क्या योजना बनाई थी मुझे नहीं पता. उन दोनों ने यह आवाज सुनी. सोमा मेरे कमरे में आ गई. जोई अभी भी उसी तरह से आवाज निकालते हुए सेक्स का मजा ले रही थी. मैंने सोमा को देखा. सोमा ने मेरे सामने अपने कपडे उतार दिए. मैं सोमा के लिए पागल तो था ही; सोमा के सा तरह से कपडे उतारते ही मेरा लिंग और बड़ा , कड़क और लंबा हो गया. जोई को और भी मजा आने लगा. वो अब और ज्यादा उंचा उठने लगी. करण मेरा लिंग और थोडा बढ़ गया था. जैसे ही जोई का जननांग मेरे लिंग कि मलाई से गीला हुआ मैंने जोई को पलंग पर लिटाया और सोमा को बुलाया. सोमा वहीँ खड़ी रही. मैं सोमा के करीब गया. सोमा ने कहा " साहब, आप बीबी जी के पास वापस आओ तो ही मैं आपके साथ आने को तैयार हूँ." मैं सोमा की इस बात से हैरान रह गया. तो सोमा अब पूरी तरह से करिश्मा के तरफ हो चुकी है. मैं कुछ ओलूं; सोमा ने अपने कपडे उठाये और वो ऐसे ही कमरे से बाहर चली गई. मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा. सोमा करिश्मा के कमरे में चली गई.

सोमा कमरे में जाने के बाद करिश्मा के पलंग पर लेट गई. करिश्मा पहले ही वहां लेटी हुई थी. सोमा ने करिश्मा के बदन से चद्दर हटा दी. करिश्मा निर्वस्त्र थी. सोमा उसके जिस्म पर मालिश करने लगी. करिश्मा करवटें बदल बदलकर आहें भरने लगी. कुछ ही देर में सोमा और करिश्मा आपस में लिपट गई. इसके आगे का नजारा और भी चौंकाने वाला था. सोमा ने करिश्मा के गुप्तांग और जननांग को अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया. करिश्मा सोमा को लगातार अपनी तरफ खींच रही थी. करिश्मा के हाव भाव से यह साफ़ नजर आ रहा था कि उसके शरीर को किसी मर्द की जरुरत है. अब सोमा ने करिश्मा के जननांग में अपनी ऊँगली डालकर उसे शांत करने का प्रयास करने लगी. थोड़ी ही देर में करिश्मा ने सोमा को अपने से लिपटा लिया.

मैं अब करिश्मा के गुस्से को समाजः गया और साथ ही सोमा का करिश्मा की तरफ झुकाव समझ में आ गया. मैं अपने कमरे में लौट आया. सवेरे मैंने अपनी जीप में शीना और जोई को रवाना कर दिया. मैं करिश्मा के कमरे में आया.करिश्मा और सोमा अभी भी सोई हुई थी. अभी भी दोनों निर्वस्त्र थी. मैंने अपने सभी कपडे उतार दिए. मैंने करिश्मा की कमको छुआ. करिश्मा ने आँख खोली और मुझे देखा. मेरी आँखों में पचतावा देखकर उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया. मैं आंसू बहाता हुआ उससे लिपट गया. करिश्मा भी रोने लगी. हम दोनों आपस में लिपट गए और पागलों की तरह बेतहाशा आपस में एक दूजे को जगह जगह चूमने और चाटने लगे. सोमा की इससे आँख खुल गई. हम दोनों को साथ देखकर वो भी रोने लग गई. करिश्मा ने मुझे कहा " सोमा को हम हमेशा अपने सात रखेंगे. ये ना होती तो हम दोनों आपस में फिर से नहीं मिल पाते." करिश्मा ने सोमा को हमारी तरफ खींच लिया. करिश्मा ने मुझे दोनों को एक साथ शांत करने के लिए कहा. मैंने पहले करिश्मा के जननांग को भेदा फिर सोमा को भेदा. करिश्मा ने मुझे फिर दोनों को एक साथ शांत करने का तरीका समझाया. सोमा पहले सीधा लेट गई. करिश्मा उसके ऊपर उलटा लेट गई. दोनों ने एक दूजे को होंठों को आपस में मिला लिया. करिश्मा का जननांग सोमा के जनानाग के ठीक ऊपर था. करिश्मा के कहे अनुसार मैंने अपने लम्बे और कड़क लिंग को उन दोनों के जननांगों के मिलने की जगह के बीच में घुसा दिया. इस तरह मेरा लिंग करिश्मा और सोमा दोनों के गुप्तांग और जननांग के हिस्सों को एक साथ टच कर रहा था. मैंने अपने लिंग को दोनों के उन निचले हिस्सों के दबाव से बने एक नयी डी जगह में अन्दर घुसाना और बाहर लाना शुरू किया. मुझे ये नया तरीका बेहद पसंद आया. हम तीनों जबरदस्त आनद में थे. करीब दस मिनट के बमेरे लिंग ने एक जोर की पिचकारी उस नयी जगह में छोड़ दी. हम तीनों मिल गए थे.