मैं उन दिनों बी एस सी प्रथम वर्ष में था. पंद्रह अगस्त के समय छुट्टियां पड़ी. मैं अपनी मौसी के यहाँ चला गया. मौसी के एक ही लड़की थी. वामा. वामा मेरे से चार साल बड़ी थी. मौसी और मौसा जिस दिन मैं पहुंचा उसके अगले दिन एक शादी में जानेवाले थे. मैंने देखा कि वामा लगातार मुझे छेड़े जा रही थी. मैं जितना बचता वो उतना ही ज्यादा छेडती. वो कभी मेरे गालों पर चिकोटी काटती तो कभी मुझे गुदगुदी कर देती. मैं उसके इस शरारत से परेशान हो गया. अगले दिन मौसा और मौसी सवेरे ही शादी के लिए चले गए. वे अगले दिन सवेरे ही लौटने वाले थे. मैं और वामा अकेले रह गए.
वामा अपने कमरे में थी और मैं बाहर टी वी देख रहा था. कुछ देर के बाद मैंने देखा कि वामा बहुत ही कम लम्बाई का हाफ पैंट और ऊपर एक स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर आई. वो फ्रूट क्रीम खा रही थी. वो मेरे सामने सोए पर बैठ गई. मुझे उसका व्यवहार सही नहीं लग रहा था. वामा लगातार मुझे देखकर मुस्कुराए जा रही थी. मैं डर रहा था. अब वामा ने अपनी टांगें सेन्ट्रल टेबल पर रख दी और मेरे सामने ही फैला दी. उसकी टांगें बहुत गोरी थी और चिकनी थी. वो ऐसे चमक रही थी जैसे उन पर बहुत सारा तेल लगा था. मैं उन्हें देखने लगा. वामा को शायद अपनी जीत का अहसास हुआ. वो उठी और मेरे पास कर मेरे ही सोफे की सीट पर बैठ गई. मैं अपने में सिमटा तो वो मेरे से एकदम सट कर बैठ गई. अब इसके बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया. मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगा. उसने कहा " छुडाने की कोशिश मत करो मैं चिल्लाने लगूंगी. पड़ोस में सभी को पता चल जाएगा कि तुम मुझे तंग कर रहे हो.." मैं घबरा गया. वामा ने अब मुझे यहाँ वहां चूमने लगी. उसने मेरी शर्ट के बटन खोलकर उसे दूर फेंक दिया. इसके बाद उसने जबरदस्ती मेरी पैंट भी उतार दी. मैं अन्दर कमरे में जाने लगा तो वो मुझसे लिपट गई. उसने मुझसे लिपटे लिपटे ही अपनी हाफ पैंट उतार दी और अपना सारा भार मुझ पर डाल दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मैं कमरे की फर्श पर गिर गया. इस पर भी वामा ने मुझे नहीं छोड़ा बल्कि उसकी पकड़ और भी मजबूत हो गई. मैंने अपने मन में सोचा कि मैं चाहे कुछ भी करूँ वामा मुझे छोड़ेगी नहीं. अगर मैं मना भी कर दूँ तो वामा धमकी देकर मुझसे हर काम करवा लेगी. मैंने ये फैसला किया कि हर हालत मैं जब मौत लिखी है तो मौत से ही दोस्ती कर लेता हूँ. मैंने अचानक वामा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. वामा ने आश्चर्य से मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा. मैं भी मुस्कुरा दिया. वामा ने अपने होंठों से मेरे होंठों का रस खींचना शुरू किया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. वामा खुश हो गई. अब हम दोनों ही आपस में चुम्बनों की बौछार कर भीगने लगे. थोड़ी देर के बाद वामा मेरे ऊपर लेट गई और मुझे दबाते हुए ऊपर नीचे हिलने लगी. मैंने भी वामा को कसकर पकड़ लिया और लगा उसे चूमने और चाटने. वामा को खूब मजा आने लगा. उसने फिर खद को नीचे करते हुए मुझे खुद के ऊपर लेटने के लिए कहा. हम दोनों ने अपनी जगहें बदल बदलकर काफी देर तक मजा लिया.
वामा ने फिर मेरा अंडर वेअर निकाला और खुद भी नंगी हो गई. उसने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना और धीरे धीरे मसलना शुरू किया. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं वामा को लगातार गालों और होंठों पर चूमे जा रहा था. वामा ने मुझे अपनी ऊंगली अपने जननांग में डालने के लिए कहा. मैंने धीरे से अपनी ऊंगली उसके जननांग में डाल दी. मुझे बहुत ही गीलापन लगा. मेरी ऊंगली अन्दर बाहर होने लगी. वामा अजीब तरह की आवाजें निकालकर मजे लेने लगी. कुछ देर के बाद हम दोनों आपस में लिपट गए और मैंने अपना लिंग वामा की जाँघों के बीच डाल दिया. वामा ने अपनी जांघें पूरे जोर से दबा दी. हम दोनों को बहुत मज़ा आने लगा. वामा ने मुझे आजाद किया और रसोई में चली गई.
वामा जब रसोई से लौटकर आई तो उसके हाथ में बर्फ की ट्रे थी. उसने एक बर्फ का टुकडा अपने मुंह में लिया और उसे आधा बाहर रखकर मेरे गालों पर फेरने लगी. मुझे ठंडा बर्फ अच्छा लगा,. वामा ने फिर वो बर्फ का टुकडा मेरे मुह में डालकर छोड़ दिया. अब मैंने भी वामा के सारे जिस्म पर बर्फ के टुकड़े को फेरा. में आखिर में अपने मुंह में दूसरा बर्फ का बड़ा टुकडा लिया और वामा के गुप्तांग पर रखकर अपने मुंह से दबा दिया. वामा के मुंह से जोर के सिसकी निकल गई. मैंने काफी देर तक ऐसा ही किया. वामा लगातार तड़पती रही और मेरे मुंह को अपने गुप्तांग की तरफ जोर से दबाती रही.
मैंने अब सभी बर्फ के टुकड़े लेकर हम दोनों के जिस्मों के बीच में फंसा लिए और आपस में लिपटकर कसमसाने लगे. हम दोनों बैठे हुए थे इसलिए सभी टुकड़े नीचे की ताखिसक गए और सारा पानी हम दोनों के गुप्तांगों की तरफ चला जा रहा था. तभी मेरे लिंग में से कुछ निकलना शुरू हुआ और वामा के गुप्तांग से टकराने लगा. वामा ने मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया और लेट गई. हम दोनों की साँसे तेज चलने लगी. हम दोनों अब शांत हो गए. हम दोनों काफी देर तक युहीं सोये रहे.
दोपहर हो गई थी. वामा ने फोन कर एक होटल से खाना मंगवा लिया. हम दोनों ने खाना खाया. वामा कुछ देर के लिए सो गई. शायद वो थक गई थी. मैं कुछ राहत महसूस करने लगा.
करीब तीन बजे वामा उठ गई. मैं सोया हुआ था वो आकर मेरे पास आकर लेट गई. इससे पहले कि मेरी आँख खुलती वो मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा चुकी थी. एक बार फिर उसपर नशा छा गया था. नशा मेरा भी अभी तक उतरा नहीं था. मैंने भी उसी गर्मजोशी से जवाब दिया. वामा ने फिर अपने और मेरे सभी कपडे उतार दिए. इस बार वामा ज्यादा जोश से मुझ पर पिल पड़ी. ऐसा लग रहा था जैसे वो पागल हो गई हो. मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की तो वो बोली " मम्मी आज रात को सात बजे की बस से ही आ रही है. इसलिए समय बहुत कम है." मैं उसकी जल्दबाजी समझ गया. हम दोनों ही अब अब ऐसे आपस में उलझे कि कोई देखे तो ये समझे कि आज के बाद शायद हम ना मिलनेवाले हों. हम दोनों ने एक दूजे के जिस्म का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा जो हमारे चुम्बनों से गीला ना हो गया हो. पूरे दो घंटों तक हम दोनों ने एक दूजे को इसी तरह से चूमते चाटते बिताया. इसके बाद वामा ने तकिये के नीचे से एक कोंडोम निकाला और मुझे अपने लिंग पर चढाने को कहा. वामा ने मेरी मदद की. अब धीरे से वामा ने मेरे लिंग को अपने हाथों में लिया और लगी अपने जननांग में ठूंसने. वामा ने बताया कि उसके लिए ये पहला मौका है जब उसने किसी के गुप्तांग को छुआ है और अपने अन्दर लिया है. वो इससे पहले दो लड़कों के साथ गालों तक चुम्बन कर चुकी है और बाहों में ले चुकी है. लेकिन मेरे साथ ही उसने सारा खेल खेला है. मैंभी अपनी तरफ से जोर लगाना जारी रखा. तीन चार बार जोर करने से मेरा लिंग वामा के जननांग में थोडा घुस गया. वामा ने अपनी दोनों टांगें बैठे बैठे ही और फैला दी. मैंने भी बैठे बैठे ही जोर लगाकर जितनी दूर संभव हुआ अपने लिंग को उसके जननांग में घुसाता चला गया. वामा का जननांग थोड़ी देर के बाद अन्दर से मलाईदार लगने लगा. वामा मुझे बेतहाशा चूमने लगी. वो बार बार अपने मुंह में शक्कर के दाने डालती और मेरे मुंह में छोड़ देती. मैं भी अब यही करने लगा. कुछ ही देर में यह हुआ कि हम दोनों के मुंह से निकली बे-हिसाब लार ने हम दोनों के पूरे मुंह को गीला और चिपचिपा कर गया हम दोनों फिर भी एक दूसरे के मुंह को लगातार चूमे जा रहे थे. हम दोनों ने घडी देखी. छः बज चुके थे. वामा ने ढेर सारी शक्कर अपने मुंह में घोली और मेरे मुंह में शक्कर का घोल छोड़ते हुए अपने होंठों से मेरे होंठों को सी दिया. हम दोनों के अन्दर एक सरसराहट दौड़ गई. तभी मेरे लिंग में तेज हलचल होनी शुरू हो गई. मैंने वामा को जोर से अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लिपटा लिया. अब मैं और वामा धीरे से संभलकर बिस्तर पर लेट गए. लेकिन हम दोनों के मुंह चिपके हुए थे और मेरा लिंग उसके अन्दर फंसा हुआ था. अब वामा के जननांग में भी कुछ हलचल हुई. तभी मेरे लिंग से एक तेज धारा छूट गई और कोंडोम के भरने से वो फ़ैल गया. वामा ने और जोर से मुझे लिपटा लिया. हमारी साँसें भर गई. हम दोनों की पकड़ कुछ ढीली हुई. हमारे होंठों की जकड भी कम हुई इस जकड के कम होने से हम दोनों के मुंह से ढेर सारी चाशनी बाहर निकलकर हमारे जिस्म में हम दोनों के सीने पर फ़ैल गई. वामा और मैंने अपने अपने सीने को आपस में रगड़ना शुरू किया.
घडी में साढे छह बज गए थे. हम दोनों बाथरूम में दौड़े और नहाकर अपने कपडे बदल लिए. सात बजते ही मौसा और मौसी लौट आये. इस भाग दौड़ में हम बिस्तर को ठीक करते वक्त कोंडोम का खाली पैक हटाना भूल गए. मौसी ने उसे देख लिया. उन्हें हम पर शक हो गया. रात को मौसी ने वामा को अपने कमरे में सुलाया और मैं मौसा के कमरे में सोया. अगले दिन सारा समय मौसी हम दोनों को अलग अलग रखने की कोशिश करती रही. शाम को मुझे वापस बस पकडनी थी. मैं और वामा मिलने के लिए तड़प रहे थे. जब मैं रवाना हुआ तो वामा पहले ही दरवाजे से बाहर आकर सीढीयों में छुपकर खड़ी हो गई. मैं जैसे ही उतरा वामा ने मुझे बाहों में भार लिया. हम दोनों ने एक बहुत ही लम्बा और गीला फ्रेंच किस किया और जल्दी मिलने का वादा कर अलग हो गए. वामा ने मुझसे कहा " किसी से ना कहना." मैं हाँ कहा बस स्टैंड की तरफ चल पडा.
हम अगली मुलाकात का इंतज़ार करते रहे लेकिन मौका नहीं मिला. पूरे एक साल बाद मौका मिला. मेरे मामा के लड़के की शादी तय हुई. हम सभी पूरे तीन दिन एक साथ हमारे ननिहाल में रहने वाले थे. मैं और वामा ने उन तीन दिनों में मौसी से बचाकर कैसे अपनी अपनी प्यास बुझाई ये आपको दूसरे भाग में बताऊँगा. फिलहाल तो यह पढ़िए और गीले हो जाइए.
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