गर्मी की छुट्टीयों में मेरे मामा और मामी हमारे यहाँ आये हुए थे. मेरी बी इ थर्ड इयर की परीक्षा ख़त्म हो चुकी थी. मेरी मामी बहुत ही मजाकिया थी. हम सब घूमने जाते तो मामी लगातार मुझसे मजाक करती रहती. मामी थी भी बहुत ही खुबसूरत. मेरी मामी मुझसे करीब बीस साल बड़ी थी. मेरी उमर बीस साल थी जबकि मामी की चालीस साल. मामी दिखने में तीस की ही लगती थी.
हम लोग रात को घूमकर लौटे. सभी थक गए थे. मैं जाकर सो गया. मैं चद्दर ओढ़कर सोया हुआ था. मामी ने दूर से ये समझा कि मामा सो रहे हैं. वो कमरे में आ गई. उन्होंने आते ही कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने कपडे उतारने लगी. मैं उन्हें देखने लगा. लाईट जल रही थी इसलिए उनका नंगा बदन मुझे साफ़ दिख रहा था. मैं डर गया. मामी ने सभी कपडे उतारे और मेरे बिस्तर में घुस गई. मैं इसके पहले कुछ समझ पाता मामी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोली " ये मुंबई तो बड़ा ही रंगीन शहर है. लडकीयाँ ऐसे ऐसे कपडे पहनती है कि मुझे लगा कि मैं भी ऐसी ही कपडे पहनूं और तुम्हारे सामने आ जाऊं." मामी ने मेरे गालों पर चुम्बनों के बौछार लगा दी. मैं हक्का बक्का रह गया. मैं लगभग हकलाते हुए बोला " मामी; मैं हूँ मुन्नू." अब मामी चौंक गई. उन्होंने चद्दर हटाई और मुझे देखते हुए बोली " तुम यहाँ कैसे सो रहे हो?" मैं बोला " मामाजी ने कहा कि आज वो बाहर बालकनी में सोयेंगे और मैं इसलिए यहाँ आ गया." मामी की बोलती बंद हो गई. उन्होंने अपने नंगे बदन को छुपाने के लिए चद्दर फिर से ओढ़ ली. चद्दर ओढने के बाद उनकी नंगी टांगें मेरी टांगों से टकरा गई. मैं अपनी आँखें बंद कर बैठ गया. मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली " तुम बाहर चले जाओ." मैं बोला " मामी; बेड रूम में माँ-पिताजी सो रहे हैं. ड्राइंग रूम में चिंटू-पप्पू और मोनू सो रहे हैं. बालकनी में मामा. कहीं भी जगह खाली नहीं है. मैं नीचे लेट जाता हूँ. आप ऊपर लेट जाओ." मामी ने मजाक करते हुए कहा " तुम नीचे और मई ऊपर!! क्या मतलब है तुम्हारा?" मैं शर्मा गया. पाता नहीं मामी को क्या सुझा उन्होंने कहा " तुम यहीं लेटे रहो. जमीन पर अच्छा नहीं लगेगा. अब ऐसी स्थिति हो ही गई है तो हम क्या कर सकते हैं. " मामी ने लेकिन कपडे नहीं पहने. वो वैसे ही चद्दर ओढ़कर मेरा साथ ही पलंग पर लेट गई. मैं असमंजस की स्थिति में आ गया. मामी की गरम साँसें मुझसे टकरा रही थी. अचानक मेरा हाथ मामी की कमर से टच हो गया. मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया. मामी ने मेरा हाथ छोड़ा नहीं. कुछ देर के बाद मामी ने अचानक ही मेरे गालों को सहलाना शुरू कर दिया. फिर मामी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली " आज जब मौका मिल ही गया है तो आओ इस मौके का फायदा उठा लिया जाए. वैसे भी मैं दोपहर को जो लडकीयाँ देखी थी अभी तक उन्हें और उनके कपड़ों को भूली नहीं हूँ. लेकिन जो भी आज होने जा रहा है उसके बारे में किसी को भी नहीं बताना. " अब मैं मामी के ईरादे को समझ गया. मामी ने मुझसे कपडे उतारने को कहा. मैंने चुपचाप कोड़े खोल दिए. मामी ने अब मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से छूते हुए बोली " तुम तो बड़ी जल्दी जवान हो गए मुन्नू." मैं कुछ ना बोला. मामी ने लगातार अब मेरे होंठों को चूमना जारी रखा. मेरा शरीर कांपने लगा. मामी ने अब अपनी ब्रा भी खोल दी. फिर उन्होंने अपनी पैंटी भी उतार दी. अब उनका गुदगुदा निचला हिस्सा मेरे निचले हिस्से से टच हो गया. मुझे यह स्पर्श बहुत अच्छा लगा. मामी ने मेरे लिंग पर अपना दबाव बढ़ा दिया. मुझे गुदगुदी होने लगी. मामी ने मुझे दबाया और बोली " आज से पहले तुमने कभी किसी औरत को छुआ है?" मैंने कहा " मैंने छुआ तो नहीं लेकिन एक किताब में औरत के सभी हिस्सों की तस्वीरें देखी है. नीचे की भी." मामी ने कहा " मुन्नू; मेरे और करीब आ जाओ. मुझे अब जोर से होंठों पर चूमो. मैंने मामी के होंठों को जोर से चूमा. मामी ने अपने मुंह से ढेर सारी मीठी लार मेरे मुंह में छोड़ दी. मेरा मुंह मीठा हो गया. मामी ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथ से पकड़ा और उसे अपनी जाँघों के बीच दबा दिया. मुझे बहुत ही मजा आने लगा. मामी ने जल्दी जल्दी में मेरे गुप्तांग को अपने जननांग के जगह अपने गुप्तांग में जोर लगाकर घुसा दिया. मैं उस छोटे से गड्ढे में अपने गुप्तांग को अन्दर बाहर करने लगा. मामी बोली " अरे ये तो गलत घर में मेहमान आ गया. चलो सही घर में चलते हैं." इतना कहकर मामी ने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में डाल दिया. मामी का जननांग काफी बड़ा और गुदगुदा था. मैंने अपना गुप्तांग तीन चार बार अन्दर बाहर किया तो मामी का जननांग अन्दर से गीला गीला हो गया. मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने काफी देर तक इसी का आनंद उठाया. मामी ने मुझे बार बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए रोका और फिर करने को कहती गई और मैं उनके कहे अनुसार करता गया. इस तरह से यह काम मैंने करीब दो घंटों तक किया. फिर जब मामी ने मेरे होंठों को जोर से चूस लिया तो मेरे लिंग से एक धार तेजी से बहकर मामी के जननांग को अन्दर तक भिगो गई. मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं मामी को लगातार चूमने लगा. मामी ने भी मुझे खूब चूमा. देर रात तीन बजे मामी ने मुझे नींद से जगाया और एक बार फिर अपने जननांग में मेरे लिंग से धार चलवाई. मामी ने मुझे इतना खुश किया कि जब सवेरे मामी कमरे से बाहर जाने लगी तो मैं बोला " में जिंदगी की ये सबसे हसीं रात थी." मामी ने मेरे होंठों को चूमा और बोली " मुन्नू बाबू; बस एक रात ही मिलेगी. हाँ; इतजार करो. क्या पता फिर कभी कोई ऐसी रात आ जाये और हमें मौका मिल जाए." मैं आज भी ऐसी रात के आने के का इंतज़ार कर रहा हूँ. जबकि उस रात को बीते पूरा एक साल बीत गया है.
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