गुरुवार, 1 जुलाई 2010

मेरी भाभीयों ने मुझे बर्बाद किया और फिर आबाद भी किया

मैं अपने तायाजी के यहाँ मुंबई में पढने के लिए आया था आज से दो साल पहले. मेरे तायाजी के दो लड़के हैं. दोनों शादी शुदा. बड़े भैया की बीवी है रजनी और छोटे भैया की रीता. मैं रीता की उमर काहूँ. रजनी मुझसे कल दो साल बड़ी है. मेरे तायाजी का ट्रेडिंग का बहुत बड़ा व्यवसाय है. दोनों भैय्या तायाजी के साथ ही काम करते हैं.ताईजी का देहांत हो चुका है. तीनों जाने केवल रुपया कमाने में लगे रहते हैं. बड़े भैया की तीन साल पहले और छोटे भैया की दो साल पहले शादी हो चुकी है लेकिअभी तक दोनों के कोई बच्चा नहीं है. मैं बहुत खुबसूरत हूँ. बहत जल्द रजनी भाभी और रीता भाभी दोनों मेरे से बहुत हिलमिल गई.
वे दोनों मुझे बहत मज़ाक करती. धीरे धीरे मैंने नोट करना शुरू किया कि वे दोनों मुझे कई बार छूने की कोशिश भी करती. कभी मुझे गुदगुदी कर देती. माभी मेरे गालों पर चिकोटी काट लेती. मैंने ध्यान नहीं दिया. मैंने यह भी नोट किया कि दोनों के पति अपनी से बिलकुल भी दोस्ताना नहीं थे. रजनी और रीता दोनों अपने पतियों के जाने के बाद खिल जाती और मेरे साथ खूब बातें करती. मेरी कॉलेज सवेरे सात बजे से बारह बजे तक थी. मैं दस मिनट में घर आ जाता. उसी वक्त तायाजी और दोनों भैया काम पर निकल जाते. रात को करीब दस बजे तक लौटते.
एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. तभी मैं पानी पीने के लिए किचन में गया. जब मैं पानी पीकर वापस अपने कमरे में लौटने लगा तो मैंने देखा कि रजनी अपने कमरे में कांच के सामने केवल ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. वो अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलती और फिर एक आह निकालती. मैं वहीँ खडा होकर देखने लगा. मैं तुरंत समझ गया कि यह सब सेक्स की कमी के कारण है. तभी रजनी की नजर मुझ पर पड़ गई. उसने तुरंत एक तकिया अपने सीने पर रखा और मुझे अन्दर आने का इशारा किया. मैं अन्दर आ गया. रजनी मेरे सामने उसी तह बैठ गई. उसने तकिये से सीना छुपा रखा था. वो बोली " वे मेरी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते. महीने में एकाध बार ही मेरे साथ सोते हैं. मैं इसी तरह से तड़पती रहती हूँ. अब तुम ही बताओ एक औरत इस तरह से कैसे रह सकती है. रीता की भी यही हालत है." मैं सोच में पड़ गया. मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और अपने कमरे में आ गया.
मुझे रजनी का इस तरह से देखना अच्छा लगा था. अब मैं उसे इस तरह से देखने की कोशिश करता. वो अक्सर इस तरह से मुझे खड़ी मिल जाती. कभी कभी रजनी की मुझसे नजर मिल जाती तो वो बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. एक दिन रजनी मेरे कमरे में आ गई. मैं बैठा हुआ पढ़ रहा था. उस वक्त घर में कोई नहीं था. रीता भी कहीं बाहर गई हुई थी. रजनी मेरे पास बैठ गई. हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे. ताहि रजनी बोली " अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं कुछ कहना चाहती हूँ." मैं कुछ नहीं बोला. रजनी ने कहा " तुम मेरा साथ दो. मैं अब इस तरह से नहीं रह सकती.मैं पागल हो जाउंगी. मेरा सीना धडकता है. दिल घबराता रहता है. मैं सारी सारी रात तड़पती हूँ." मैं रजनी की तरफ देखने लगा. ये क्या कह रही है रजनी भाभी! ऐसा कभी होता है क्या? अचानक रजनी का जिस्म थर थर कांपने लगा. उसने मुझे पकड़ लिया. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने भी उसे अपनी बाँहों में लिया. अब रजनी ने मेरे गालों पर अपने हाथ फिराए और आँखों में आंसू लाते हुए बोली " मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी" रजनी ने मेरे गाल चूम लिए. मैंने भी उसके गालों को चूम लिया. बस इसी चुम्बन ने मेरी जिंदगी बदल डाली. रजनी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. उसने अपने सारे कपडे उतार डाले. फिर मेरे पास आकर मेरी भी सभी कपडे खोल दिए. मुझे अपनी बाहों में लिया और पलंग की तरफ बढ़ने लगी. उसकी गर्म गर्म साँसें मुझे मदहोश करने लगी थी.दो मिनट बाद हम दोनों पलंग पर लेते हुए थे. रजनी मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. धीरे धीरे हम दोनों पर नशा इतना छा गया कि रजनी ने मुझे वश में कर लिया. रजनी ने मेरे गुप्तांग को इतना सहलाया कि वो एकदम कड़क हो गया. अब उसने अपनी टांगें फैलाकर मुझे अपना जननांग दिखलाया. मैंने उसके जननांग को हाथों से सहलाया और फिर चूमा. रजनी मीठी मीठी आहें भरने लगी. अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने रजनी के जननांग को अपने गुप्तांग से पाट दिया. अब उसके जननांग में मेरा गुप्तांग ऐसे घुसा हुआ था जैसे बोल्ट में कोई नट घुसा दिया गया हो. रजनी ने मुझसे कहा " जल्दी कोई आनेवाला नहीं है. तुम लगे रहो." रजनी ने पहले ही दिन पूरे एक घन्टे अपने जननांग की प्यास बुझाई. उसने मुझे इसके बाद मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमा. वो बहुत ही खुश नजर आ रही थी. उसने आखिर में अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए.
मुझे पता नहीं था कि रजनी रीता को सब कुछ बता देगी. रात को जब मैं सो गया तो ना जाने कब रीता मेरे कमरे में आ गई. वो मेरे पास लेट गई और मुझे चूमने लगी. मेरी आँख खुल गई. मैं रीता को देख हिरन हो गया.रीता ने कहा कि रजनी ने उसे सब कुछ बता दिया है. अब मैं पूरी तरह से मुसीबत में फंस चुका था. रीता थोड़ी देर ही मेरे साथ रही लेकिन उसने मुझे गालोपर चूम चूमकर मेरा सारा मुंह गीला कर दिया था. उसने मुझसे कहा " आधी रात बाद मैं लौट कर आउंगी. तुम तैयार रहना. आज से तुम मेरे और रजनी दीदी के हो."
करीब दो बजे रजनी फिर आई. इस बार वो एक नाईटी में थी. उसने आते ही कमरे की लाईट लगा दी. मैंने देखा उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी हुई थी. उसका हर अंग उससे बाहर झाँक रहा था. उसका सांवला रंग गज़ब ढा रहा था. उसने एक कंडोम मेरी तरफ उछाला और एक ही झटके में नाईटी को खोल कर फेंक दिया. उसने लाईट बंद नहीं की और पलंग पर कूद गई. मैंने रीता को अपि बाहों में कसकर भींच लिया. कुछ देर तक हम एकदूसरे के जिस्म से खेलते रहे. फिर रीता ने मुझे लिटाकर कंडोम खोला और मेरे कड़क हो चुके गुप्तांग पर लगा दिया. रीता ने अब अपने जननांग को मेरे मुंह के करीब ले आई. उसका चिकना जननांग बहुत खुबसूरत लग रहा था. मैंने उसे जोर से चूम लिया.रीता तड़पकर एक सिसकी के साथ दबी आवाज में चीख उठी. मैंने रीता को नीचे लिटाया और उस खुबसूरत गुफा में अपने गुप्तांग को अन्दर तक घूमने के लिए घुसेड दिया. रीता को अब आनंद आए लगा था. मुझे भी रीता का जननांग बहुत गीला और गुदगुदा लग रहा था. मैंने रीता ओ भी रजनी की तरह एक घंटे तक प्यास बुझाने के बाद ही छोड़ा.
सवेरे मैं कॉलेज चला गया. लेकिन कॉलेज में भी रजनी और रीता के साथ किये गए संभोग याद आते रहे. दोपहर को मैं लौट कर घर आ गया. आते ही रजनी ने मुझे पकड़ लिया. रीता भी घर पर थी. रजनी मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई. एक बार फिर मैं रजनी के साथ बिस्तर में था. मैंने रजनी की प्यास को आज लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक बुझाया. इसके बाद रीता मेरे कमरे में आ गई. रीता ने भी रजनी की तरह अपनी प्यास दो घंटों से कुछ ज्यादा ही देर तक बुझ्वाई.
अब यह सिलसिला लगातार होने लगा. मेरी पढ़ाई अब पूरी तरह से छूटने लगी थी. जब भी समय मिलता मैं इन दोनों में से किसी के भी साथ संभोग करने लग जाता. मैं पूरी तरह से भटक चुका था. रजनी और रीता जहाँ खुश थी वहीँ मेरी बिगडती पढ़ाई के कारण मैं परेशान और तनाव में रहने लगा था.
रजनी और रीता को मैंने सारी बात बताई. वे दोनों भी इस बात से चिंतित हो गई. उनकी चिंता अलग थी. उन्होंने ओछा कि अगर मैं फेल हो गया तो मुझे वापस घर लौट जाना पडेगा. फिर उन दोनों का क्या होगा. उन द्नोंने आपस में ना जाने क्या सोचा.
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने देखा कि रजनी और रीता दोनों मेरे कमरे में थी. उन दोनों ने मुझे अपने बीच में बिठाया और दोनों ही मेरे गालों और गरदन के आसपास चूमने लगी. अब एक और नयी मुसीबत पैदा हो रही थी. रजनी और रीता ने मेरे सभी कपडे उतार दिए.इसके बाद वे दोनों मेरे सामने खड़ी हो गई. उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतारकर इधर उधर फेंकना शुरू किया. जब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई तो उन दोनों ने अब एक दूसरे को बाहों में भरा और मुझे ललचाने के लिए अपने स्तनों को आपस में रगड़कर उन्हें दबाने लगी. कब्जी वे दुए को चूमती तो कभी आपस में एक मर्द और एक औरत की तरह से अलग अलग सेक्स पोझिशन बनाकर मुझे दिखाती. मेरे ऊपर ऐसा नशा छाया जैसे मैंने बेहिसाब शराब पी ली हो.
अब रजनी और रीता दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. दोनों ने मेरे लिंग को अपने होंठों से चूमना शुरू किया. जब वो एकदम कड़क और बड़ा हो गया तो उन्होंने उस पर कंडोम लगा दिया. अब वे दोनों पलंग पर साथ साथ सीधी लेट गई और अपनी अपनी टांगें फैला दी. मैंने उन दोनों के जननांगों को देखा. मेरे मुंह में पानी भर आया. मैं झुक गया. मैंने दोनों के जननांगों को चूमना शुरू किया. फिर मैंने उनके गुप्तांगों को भी चूमा. इसके बाद मैंने उनके गुप्तांगों जननांगों का एक पूरी बोतल क्रीम लगाकर मसाज किया. अब दोनों के वो हिस्से बहुत ही मुलायम और गीले गीले हो चुके थे. सारा कीम उन्क्गुप्तान्गों ; जननांगों और आस पास के हिस्से पर फ़ैल गया था. मैं एक बार फिर उस क्रीम से अपने हाटों से मालिश करने लगा. रीता ने मुझे एक और बड़ी बोतल थमा दी. मैंने वो सारी बोतल रजनी और रीता के स्तनों पर उंडेल दी. मैंने उस सारे क्रीम से उनके स्तनों की खूब मालिश की. अब उन दोनों के पूरे जिस्म पर क्रीम फ़ैल गया था. मैंने उन दोनों को एक बार फिर आपस में अपने स्तनों को मिलाकर आपस में ही मसाज करने को कहा. उनकी चतीयाँ जब आपस में मिली तो क्रीम दूं के स्तनों के बीच में से बूंद बूंद रिसने ;लगा. मैंने वो क्रीम हाथ में लिया ऊँके गालों पर लगा दिया. अब तो रजनी और रीता दोनों मारे उत्तेजना के पागल हो उठी थी. मैंने भी अपनी उत्तेजना चरम पर पहुंची देखा उन दोनों को साथ साथ सीधा लिटाया. दोनों ने अपनी अपनी टांगें फिर फैला दी. मैंने एक एक को लिया और उनके जननांगों को अपने कड़क और लम्बे हो गए लिंग से बारे बारी से भेदने लगा. क्रीम के कारण चिकनाई हो गई थी और हमें बहुत मजा आ रहा था. दोपहर को एक बजे से हम तीनों शुरू हुए थे और अब शाम के सात बजे थे. तब से लगातार मैं कभी रजनी तो कभी रीता के जननांग को लिंग से भेदे जा रहा था. साढे सात के करीब दोनों पूरी तरह से चित्त हो गई. मैंने घडी देखी. आठ बज चुके थे. अभी भी करीब दो घन्टे बाकी थे सभी के लौट कर आने में.
मैंने उन दोनों के होंठों को खूब चूमा और फिर जोर जोर से चूसा. उन दोनों के ढीले पड़ गए जिस्मों में इससे एक बार फिर हलचल होने लगी. मैंने उन दोनों को एक बार फिर अपने पास ले लिया. इस बार मैंने बाथरूम से शम्पू लिया और एक स्पोंज पर लगाकर उनके जिस्म पर पानी कि थोड़ी बूंदों के साथ रगडा. थोड़ी ही देर में उन दोनों के जिस्म पर ढेर सारा झाग बन गया. हम तीनों जमीन पर चटाई पर लेट गए. अब हम तीनों उस झाग से एक दूसरे के बदन पर मलने और खेलने लगे. झाग से खेलते खेलत एक बार फिर मैंने रजनी और रीता के साथ संभोग किया. हमने घडी देखी साढे नौ बज चुके थे. हम तीनों बड़ी मुश्किल से अलग अलग हुए. सारी रात मैं भी अपने कमरे में तडपता रहा और दूसरी तरफ रजनी और रीता दोनों भी तड़पती रही. मैं अब दलदल में फंस गया था. मुझे अपनी बर्बादी साफ साफ़ नजर आने लगी थी.
मैंने अब रजनी और रीता को अपनी परेशानी खुलकर बता दी. रजनी और रीता ने अपना दिमाग दौड़ाया. रजनी के पिता का भी अपना कारोबार था. रजनी अपने पिता की अकेली संतान थी. रजनी के पति को अपने ससुर के कारोबार में कोई रूचि नहीं थी. रजनी और रीता ने अपने जिस्म का स्वार्थ देखा और दोनोंने रजनी के पिता से मुझे मिलवाया. उन्होंने मुझे अपने साथ तुरंत शामिल कर लिया अब मेरे और रजनी-रीता के लिए रास्ता सा हो चुका था. मेरे घरवाले भी खुश हो गए. उन्होंने भी मुझे पढ़ाई छोड़ कर इसी कारोबार में शामिल होने की मंज़ूर दे दी.
आज उस बात को पूरा एक साल बीत चुका है. पिछले एक साल से रजनी और रीता मुझसे सेक्स सम्बन्ध रखे हुए हैं. मैं कई बार उन्हें अब होटल में भी ले जाता हूँ. वहां भी हमारे बीच संभोग होता रहता है. सबसे आखिर में एक बात बता रहा हूँ. रजनी चार माह से और रीता तीन माह से गर्भवती है. दोनों के पति और तायाजी बहुत खुश है. लेकिन राज की बात यह है कि दोनों के होनेवाले बच्चे मेरी ही देन है.

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