मेरा नाम प्रताप सिंह रजा साहब है. मैं एक माना हुआ पेंटर हूँ. मेरे नाम से ही पेंटिंग्स हजारों रुपयों में बिकती है. मेरी शादी शहर के सबसे राईस परिवार की लडकी करिश्मा के साथ हुई थी. करिश्मा मेरे रुतबे के कारण प्रभावित हुई और हमारी शादी हो गई. करिश्मा बेहद खुबसूरत है. ये बात अलग है कि उसका स्वभाव बहुत ही अलग है. मैंने शादी के बाद से उसकी अनगिनत पेंटिंग्स बनाई है. उकी जिद से मैंने उसकी दो न्यूड पेंटिंग्स भी बनाई थी. वो उस दौरान पूरे पूरे दिन बिना कपड़ों के मेरे सामने स्टूडियो में बैठी रहती जिस मुद्रा में मैं चाहता उसी मुद्रा में. उन दिनों मेरे दो ही काम होते थे. या तो करिश्मा की पेंटिंग बनाना या करिश्मा के साथ सेक्स का आनंद उठाना.
करिश्मा को दावतें देने का बहुत शौक था. मैं भी उसे मना नहीं करता था. लेकिन एक बार ऐसी ही एक दावत में वो एक विदेशी टूरिस्ट लड़के से मिली और उसे लेकर हमारी हवेली के एक कमरे में चली गई. मुझे यह खबर हमारे घर के एक नौकर ने बताई. जब मैं उस नौकर के बताये कमरे में गया तो मैंने देखा कि करिश्मा और वो अंग्रेज लड़का पूरी तरह से नंगे हैं और जमीन पर बिछे कालीन पर लेटे हुए सेक्स कर रहे हैं. मेरा खून खौल गया. मैं कमरे में घुसा और उस लड़के को ननगा ही खींच कर बाहर ले आया और उसे मारते हुए हवेली के बाहर फेंक आया. करिश्मा मुझ पर चीख पड़ी. उस दिन के बाद हम दोनों के रिश्ते बहुत नाजुक दौर में पहुँच गए. हमामे बात चीत बंद हो गई. वो अब बिना मुझे बताये कभी भी बाहर चली जाती.
मैं परेशान रहने लगा. मुझे फ्रांस के लिए कुछ न्यूड पेंटिंग्स बनाने का आर्डर मिला. मैं मोडलों की तलाश में मुंबई और दिल्ली गया. अंत में मुंबई से दो लडकीयों से सारा सौदा तय कर उन्हें अपने साथ ले आया. उन्हें मेरे सामने वाले कमरे में ही ठहरा दिया. करिश्मा को मैंने दोनों लड़कीयों मोना और शीना से मिलवाया. करिश्मा को मैंने सब कुछ बता दिया.
मुझे करीब बीस पेंटिंग्स बनाने का आर्डर मिला था. यह काम करीब तीन महीने चलने वाला था. सबसे पहले मोना की पेंटिंग्स बनानी शुरू की. मोना गोवा से थी और एंग्लो इंडियन थी. उसके जिस्म के कर्व ऐसे खतरनाक थे कि कोई भी बहक जाए. मुझे तो उसे तीन महीने तक बिना कपड़ों के देखना था. जब मैं उसकी पेंटिंग बनाता तो शीना भी कभी कभी मेरे पास बैठ जाती. कभी कभी मोना के कुछ हिस्सों को मुझे chhuna भी पड़ जाता. लेकिन मोना बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. वो ज्यादातर मुस्कुरा देती.
करीब एक सप्ताह में मोना की एक पेंटिंग पूरी हो गई. अब मैंने शीना की पेंटिंग बनानी शुरू की. शीना का जिस्म मोना जैसा घुमावदार तो नहीं था लेकिन मोना से ज्यादा गदराया हुआ था. पता नहीं कैसे लेकिन पहले ही दिन शीना के सभी कपडे उतारे जाने के बाद मेरी जब शीना से नजर मिली तो शीना ने भी मेरी ही तरह देखा. आँखों में कुछ अनजाने से बिना किये इशारे हो गए.
रात को मैं और करिश्मा सोये हुए थे. यहाँ मैं यह बता दूँ कि उस अंग्रेज लड़के के घटना के बाद मेरा करिश्मा से निस्मानी सम्बन्ध नहीं हुआ था. मैंने देखा कि मेरे सामने वाले कमरे की लाईट रात को एक बजे के बाद भी जल रही है. इस कमरे में तो शीना और मोना दोनों रुकी हुई थी. मैं उठकर बाहर आ गया. मैंने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है. मैं
कमरे में दाखिल हुआ. मोना तो खर्राटे भर सो रही थी. शीना जाग रही थी. मैंने जैसे उसकी तरफ देखा तो मेरी उससे नजर मिल गई. वो पलंग से उठी और मेरे पास आ गई. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मैं और शीना उस कमरे से बाहर आ गए. मेरे बगल में एक और कमरा खाली था. यह मेरा पेंटिंग्स का स्टोर था. दीवारों पर पेंटिंग्स ही पेंटिंग्स टंगी हुई थ. एक कोने में एक बहुत ही पुँराना पलंग बिषा हुआ था. मैं और शीना उस पलंग पर लेट गए. हमने धीरे धीरे अपने सारे कपडे उतार दिए और हम बिस्तर हो गए. पहली ही बार में शीना ने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में घुसाने की बात की और मैंने भी उसकी बात मान ली. हमने सारी रात साथ बिताई. सवेरा होने से पहले हम अपने अपने कमरे में आ गए. किसी को कोई पता नहीं चला. .
पेंटिंग बनाते समय भी जैसे ही मोना कमरे से बाहर चली जाती मैंने शीना के नंगे शरीर से कहलें लग जाता. इस तरह से शीना की पहली पेंटिंग बारह दिनों में पूरी हो पाई इन बारह दिनों में हमने सात रातें साथ साथ बिताई.
मोना की दूसरी पेंटिंग बननी शुरू हुई. पहली बार करिश्मा स्टूडियो में आई. मोना एक सोफे पर बहुत ही उत्तेजित कर दे वाली मुद्रा में लेटी हुई थी. शीना मेरे बगल में ही बैठी हुई थी और मैं पेंटिंग बना रहा था. करिश्मा कब अन्दर आकर खड़ी हुई मुझे पता नहीं चला. मेरी पीठ दरवाजे कीतरफ थी इसलिए. मोना ने अब मेरे कहे अनुसार अपनी पीठ मेरी तरफ की हुई थी. मैंने पेंटिंग अनाते बनाते शीना के तरफ एखा. शीना ने मुझे आँख मारी. मैं बिना यह देखे कि करिश्मा दरवाजे के पास ही खड़ी हुई है; शीना के पास गया और उसके होंठों को चूमने लग गया. शीना ने भी मेरे गालों को अपने हाथों से दबाया और मुए ही वापस उसी गर्मी से चूमा. करिश्मा ने अपना गला खंकारा. मैंने चौंक कर करिश्मा की तरफ देखा लेकिन बिलकुल नहीं घबराया.मैंने शीना के होंठ चूमना जारी रखा. करिश्मा चीखती हुई बाहर चली गई. मोना और शीना दोनों घबरा गई. इस दौरान मोना ने भी मुझे और शीना को एक दूजे को चूमते हुए देख लिया. वो हमें देखकर मुस्कुराई. मोना ने एक तौलिउया अपने बदन पर डाला और मेरे करीब आकर बोली " मैंने क्या कुसूर किया है जो मैं इससे अलग हो गई हूँ." मैंने मुस्कुराया और मैंने उसके होंठ भी चूम लिए.
अब मैं एक रात मोना के साथ तो दूसरी रात शीना के साथ गुजारने लगा. करिश्मा ने मुझसे खूब झगडा किया. मैंने उसे साफ़ कह दिया जब वो मेरे होते हुए किसी और से अपनी भूख मिटा सकती है तो मैं भी ऐसा कर सकता हूँ. मोना और शीना के साथ चार महीने बीत गए और मेरा काम पूरा हो गया. मोना और शीना वापस मुंबई लौट गई. मैं एक बार फिर अकेला हो गया.
एक दिन मैं कहीं बाहर से लौट रहा था कि मैंने देखा कि करिश्मा दो तीन गाँव की औरतों से बात कर रही है. मेरे पूछने पर उसने बताया कि दो दो नौकर छोड़ कर चले गए हैं. सारा काम ठहर गया है. मैंने एक पहचान वाले आदमी को बुलाकर नौकरों का इंतजाम करने को कहा. वो आदमी तुरत दो मर्दों और तीन औरतों को ले आया. मैंने बिना करिश्मा को बात या पूछे दो मर्द पक्के कर लिए. बाद में एक और औरत आई. वो एक आदिवासी युवती थी. जवान थी. गज़ब का जिस्म था. खूब कसा हुआ. किसी पहलवान के जैसा. रंग सांवला लेकिन शक्ल सूरत बहुत ही सेक्सी. मैंने उसे भी रख लिया. मैंने उस औरत को मेरे स्टूडियो और स्टोर रूम के सफाई का काम सौंप दिया.
मैं सारा दिन उस युवती जिसका नाम सोमा था; देखता रहता. वो केवल एक बहुत ही कसा हुआ ब्लाउज पहनती. नीचे बड़े ही अजीब तरह का लहंगा जो घुटनों तक की उंचाई का था. मैं उसकी टांगें देख देखकर पागल हो उठा. उसका सीना तो जैसे दो बम के गोले थे जो कभी भी ब्लाउज फाड़कर बाहर आ सकते थे.
मैंने उसे एक दिन सफाई करते वक्त कुछ पेंटिंगों पर टंगे कपडे भी बदलने को कहा. ये सभी न्यूड पेंटिंग्स थी. उसने जैसे ही वे पेंटिंग देखी उसने मेरी तरफ देखा. मैं मुस्कुरा दिया. वो बड़े गौर से सभी पेंटिंग देखने लगी. मैंने उसे फिर सेक्स करते हुए जोड़ों के कई पेंटिंग्स दिखाई. अब सोमा की सांस तेज चलने लगी. उसके माथ एपर पसीना आ गया. पसीने की बूंदों से वो और भी सेक्सी लगने लगी थी. मैंने मौके का फ़ायदा उठाना इ ठीक समझा. मैंने उसके करेब गया और उसे कसकर अपनी बाहों में ले लिया. सोमा ने कुछ नहीं कहा. वो केवल पेंटिंग देखती रही. मैंने उसे कहा " सोमा; अच्छा लग रहा है ना." सोमा मुस्कुराकर बोली " आपने मुझे ऐसे पकड़ा है ना ये बहुत अच्छा लग रहा है." बस अंधे को क्या चाहिये दो आँखें. मैं सोमा को लेकत बिस्तर पर आ गया. मैं सोमा पर लेट गया. मैंने जैसे ही उसके ब्लाउज को छुआ तो किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई दी. मैंने सोमा को यह कहते हुए कि कोई आ रहा है; बाहर जाने को कह दिया. सोमा बाहर चली गई. वो करिश्मा ही आई थी.
अगले एक सप्ताह तक मुझे सोमा को दबोचने का मौका नहीं मिल पाया. करिश्मा को शक हो गया था. उस दिन सवेरे से लगातार बारिश हो रही थी. दोपहर को सोमा सफाई करने के बाद बरामदे में कपडे हटाते वक्त बारिश में पूरी तरह से भीग गई. वो मेरे कमरे के सामने से गुजरी. मैंने देखा उसका लहंगा इस कदर भीग गया था कि उसकी जाँघों के साथ साथ उसके गुप्तांग वाला हिस्सा भी उस सफ़ेद झीने लहंगे से अपने सारे उभारों के साथ मुझे दिख रहा था. उसके स्तनों पट पानी की बूंदें अभी भी चमक रही थी. मुझे अब होश नहीं रहा मैं उसे अन्दर हाथ पकड़कर खींच लिया और दबोचकर पलंग के ऊपर ले गया. मेरी इच्छाएं इस कदर पागल हो गई थी कि केवल एक मिनट के अनादर हम दोनों पूरे नंगे हो गए थे. मैं सोमा को लगातार चूमे जा रहा था. सोमा भी मचल मचलकर अपना जिस्म चुमवाती जा रही थी. अंत मैं मैंने सोमा की टांगों को अपने हाथों के जोर से एला दिया और अपने लिंग को उसकी जाँघों के बेच फंसा दिया. सोमा को अच्छा लगा. अमीन जैसे ही अपने लिंग को उसके जननांग में डालने को हुआ कि ना जाने कहाँ से करिश्मा कमरे में आ गई और हम दोनों रंगे हाथों पकडे गए. करिश्मा जोर जोर से चीखने लगी. सोमा घबरा गई. लेकिन मैंने उसे शांत रहने को कहा और उसके जननांग में अपना लिंग डाल ही दिया. सोमा जोर से चीखने लगी. ये उसका पहला संभोग जो था. करिश्मा गुस्से से पागल हो गई. उसने मुझे और सोमा को अपने हाथों से मारना शुरू कर दिया. लेकिन मैंने सोमा को नहीं छोड़ा और अपना लिंग उसके जननांग के अन्दर बाहर करता रहा. सोमा लगातार अब जोर जोर से आहन भरने लगी थी. उसे आननद आ रहा था लेकिन सोमा करिश्मा की मारसे काँप भी रही थी. अब करिश्मा मुझसे हाथापाई पर उतार आई. इसी हाथापाई में करिश्मा का कुर्ता फट गया और नीचे का पायजामे का नादा भी टूट गया. उसका पायजामा खुलकर नीचे गी पडा. करिश्मा ने आज अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी. अब वो मेरे सामने केवल ब्रा में खड़ी थी. मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. तभी सोमा जोर से चीखी और मेरे लिंग ने उसके जननांग के भीतर पिचकारी चला दी. करिश्मा लाल लाल आँखों से हमने घूरते हुए अपने कमरे में चली गई. थोड़ी देर के बाद मैंने सोमा को छोड़ दिया. सोमा ने दूसरे कपडे पहने और नीचे पलंग पर बेजान सी लेट गई. उसे तुरंत ही नींद आ गई.
अगले दिन करिश्मा ने सोमा को अपने कमरे में बुलाया और अपने जिस्म की मालिश करने को कहा. करिश्मा अपने सारे कपडे उतार कर पलंग पर लेट गई. उसने सोमा से भी सभी कपडे उतारकर मालिश करने के लिए कहा. सोमा भी अब पूरी तरह से नंगी हो गई और तेल लेकर करिश्मा के बहुत ही गोरे गोरे और चिकने सपाट जिस्म की मालिश करने लगी. सोमा को भी करिश्मा का जिस्म बड़ा ही अच्छा लग रहा था और वो भी किये जा रही थी. करिश्मा दरअसल सोमा को खुद के पास रोक कर मुझसे दूर रखना चाह रही थी. जब सोमा ने करिश्मा के पीछे के हिस्से की मालिश करचुकी तो कषमा सीधी लेट गई. करिश्मा के उभ्रेहुए स्तन सोमा को रोमांचित कर गए, उसने स्तनों की मालिश सबसे पहले आरम्भ की. इसके बाद उसने करिश्मा की टांगों और फिर जाँघों तथा आखिर में पिंडलीयों की मालिश की. सोमा करिश्मा के कहने पर एक बार फिर उस्केतानोंकी मालिश करने लगी. मैं काफी देर से यह सब दरवाजे की ओट से रहा था. सोमा करिश्मा के सतनों को मसलते हुए थोडा तेल लगाने के लिए थोड़ा झुकी. उसने जैसे ही तेल स्तनों पर गिराया करिश्मा ने सोमा को खींच कर अपने सीने से लगा लिया और अपने हाथों से उसके सीने को अपने सीने से सटकर दबा दिया.सोमा हाकी बक्की हो गई. उसने शायद ऐसा कभी नहीं सोचा होगा. करिश्मा ने अब सोमा को खुद से लिपटाया और उसे ऐसे ही लेटे रहे का आदेश दिया. अब करिश्मा ने तेल की चिकनाई का फायदा उठाकर अपने सीने से सोमा के सीने को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया. सोमा को भी इसमें आनंद आने लगा और वो भी अपना पूरा सहयोग देने लगी. मेरे लिए ये एक चिंता का विषय बन गया. सोमा करिश्मा के नाजुक और मुलायम जिस्म को छोड़कर मेरे पास कभी नहीं लेतेगी. कामसूत्र में भी शायद ऐसा लिखा गया है कि जब दो औरतों के जिस्म आपस में मिलते हैं तो पूरे ब्रह्माण्ड का सबसे नाजुक और देखने लायक नजारा होता है. मैंने देखा कि अब दोनों एक दूजे को चूमने भी लगी है. मैं उन दोनों को करीब दस मिनातोंतक देखता रहा और फिर गुस्से में अपने पैर पटकता हुआ अपने कमरे में आ गया..
देर शाम को वही हुआ जिसका मुझे डर था. सोमा मरे स्टूडियो के सफाई कर रही थी. मैंने उसे अपने साथ पलंग पर आने का इशारा किया. सोमा ने कहा " नहीं रजा साहब; बीबीजी जारज हो जायेगी. आज जब मैंने उनकी मालिश करी तो मुझे बहुत भाया. बहुत मीठा लगा. कितना गोरा और रसीला अंग है बीबीजी का. मुझे उनका साथ बहुत मीठा लगा है. " मैं अपने हाथ पलंग पर मारने लगा.
रात ओ मैं चोरी-छुपे करिश्मा के कमरे में जाकर छुप गया. करिश्मा सोमा को लेकर कमरे में आई. दोनों ने एक दूजे के सभी कपडे उतारे. सोमा ने एक बार फिर करिश्मा का मसाज किया. करिश्मा ने फिर से सोमा को बाहोंमे भरा और पलंग पर लेट गई. दोपहर ही की तरह चूमना चलता रहा. इसके बाद तो हद ही हो गई. करिश्मा ने सोमा के जननांग में अपनी उंगली डाल दी. वो ऊँगली को अंडर बाहर करने लगी. सोमा तड़पने लगी. करिश्मा उसे जगह जगह चूमने लगी. सोमा को इससे असीम आनद आने लगा. करिश्मा ने सोमा को बैठने को कहा. सोमा बैठ गई. करिश्मा की ऊँगली उसके जननांग में ही घूम रही थी. करिश्मा ने अपने दूसरे हाथ से सोमा का हाथ पकड़ा और उसकी ऊँगली खुद के जननांग में डलवा ली. अब दोनों एक दूजे के जननांग में ऊँगली डालकर एक दूजे को आनंद देने लगी और खुद भी आनंदित होने लगी. कुछ ही देर के बाद दोनों ने एक दूजे को कसकर पकड़ लिया और मैं समझ गया के अब आनंद पूरा हो गया है और दोनों के जननांग पूरी तरह से लबालब भरकर गीले हो गए हैं और थोड़ी मलाई बहकर बाहर भी आनी शुरू हो गई है. अब करिश्मा ने सोमा को खुद से लिपटा लिया और उसे अपनी बाहों में भरकर लेट गई. मैं समझ गया कि अब सोमा कभी भी मेरे पास नहीं आएगी.
इसके बाद मैंने कई बार सोमा को बहलाया ; फुसलाया और कई तरह के लालच दिए लेकिन सोमा नहीं आई. करिश्मा कहने पर अब सोमा ने मेरे स्टूडियो और दसरे कमरों म सफाई का काम भी करना बंद कर दिया. मैं बहुत उदास हो गया. मैंने अपन आदमीयों से कई औरतें बुलवाई लेकिन मुझे एक भी पसंद नहीं आई.
मुझे एक मौका और मिला.ग्वालियर के एक बड़े घराने से मुझे कुछ न्यूड पेंटिंग्स बनाने का ऑर्डर मिला. मोना तो कहीं और गई हुई थी. शीना तुरंत आने के लिए तैयार हो गई. मैंने शीना को अपने साथ एक और लड़की लाने के लिए कहा. शीना आ गई. उसके साथ करीब सत्रह साल की एक पहाड़ी लड़की थी. शीना ने उसका नाम जोई किमना बताया. जोई सत्रह साल की उमर में ही पूरी जवान दिख रही थी. करिश्मा और सोमा मुझ पर कड़ी नजर रख रही थी. उन दोनों का पहरा इतना कडा था कि मेरा काम दस दिनों में काफी हद तक पूरा हो गया था लेकिन मैं शीना के साथ एक बार भी बिस्तर में नहीं जा पाया था. जोई को तो छु भी नहीं पाया था जबकि जोई मुझे अपने स्तन दिखा दिखाकर ललचाती रहती. शीना ने मुझे बताया था कि जोई ने कई मर्दों से सेक्स किया हुआ है.
मेरा शीना और जोई के साथ काम पूरा हो गया. मैंने उन दोनों को आसपास के जंगलों की सैर का सुझाव दिया. दोनों ही मान गई. मैं करिश्मा को बिन बताये दोनों के साथ जीप और कुछ जरुरी सामान लेकर निकल पड़ा.
हमने एक पुराने किले में अपना तम्बू लगा दिया. जोई शीना और मैं उस तम्बू में बंद हो गए. जोई तो जैसे सेक्स के लिए तड़प रही थी. वो अपने कपडे उतारकर मुझे ऐसी चिपटी कि मैं और शीना उसे देखते रह गए. उसने मेरे लिंग को अपने जानांग में इस कदर फंसाया कि उसकी ऊम्र सत्रह साल की है शक होने लगा. जोई ने मेरे लिंग को करीब एक घंटे के बाद छोड़ा. इसके बाद शीना की बारी थी. शीना ने भी एक घंटे तक मेरे साथ सेक्स किया. फिर हम घुमे. शाम को एक बाद फिर हमने खुले में ही सेक्स किया. हरी घास को ही बिस्तर बना लिया. रात को भी तम्बू में हम तीनों ने एक साथ सेक्स किया. सवेरे पास एक पहाड़ी नदी में हम नहाने चले गए. जोई ने उसी नदी में मेरे साथ पानी के अन्दर सेक्स किया. पानी की तेज बहती धर में सेक्स करने का एक अलग ही मजा आया. दोपहर को खाने के बाद हम तीनों बिना कपड़ों के ही घास पर लेट गए.
करिश्मा ने सोमा के साथ मिलकर हमें बहुत खोजा लेकिन हम नहीं मिले. शाम के करीब चार बजे थे. मैं अपनी जीप को अब हमारे शहर से थोड़ी दूर एक छोटे पहाड़ी कसबे की तरफ मोड़ लिया. इस कसबे में हमारा एक खानदानी कोठी है. मैंने शीना और जोई से जब यह बताया तो उन दोनों ने ख़ुशी समुझे चूमते हुए कहा कि अगले दो दिन हम यहीं रुक जाएँ तो बेहतर होगा. मैं भी तैयार हो गया. देर शाम को हम वहाँ पहुँच गए. अंधरा हो चला था. इस गाँव में बिजली नहीं थी. हर तरफ केवल अँधेरा. अँधेरे का लाभ उठाकर शीना और जोई आपस में खेलने लगी. एक दूसरे के शरीर के जिस्म को चुटी या गुदगुदी करती और भाग जाती. धीरे धीरे उन्होंने एक दूसरे के कपडे भी उतार दिए. अब वे दोनों केवल ब्रा और पैंटी में ही रह गई थी. खुले बरामदे में दो लालटेनें जल रही थी. उसकी रौशनी में दोनों के जिस्म सोने जैसे चमक रहे थे. अब उन दोनों ने मुझे भी इस खेल में शामिल कर लिया और मेरे भी कपडे खोल दिए.
उस बरामदे में एक झुला टंगा हुआ था. झुला क्या था एक पूरा पलंग था. आपस में चिपट कर सोये तो तीन जाने समा जाए. मैं शीना को लेकर झूले में आ गया. जोई हवा का मजा लेने लगी और इधर मैं और शीना सभी कपडे उतारकर संभोग में लिप्त हो गए. गाँव का शुद्ध वातावरण और ठंडी हवा में एक अलग ही मजा आ रहा था. जोई ने जब देखा कि मैं और शीना काफी कर चुके तो उसने शीना को मुझे छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा " अब मेरी बारी है. तुम दोबारा रात को आजाना."
अब जोई मेरे साथ थी. शीना उस झूले से उतरी नहीं बालक हम दोनों को एकदम करीब से देखने लगी. कभी कभी वो अपने हाथ को मेरे लिंग और जोई के जननांग के बीच में ले आती और हम दोनों को गुदगुदी कर एक अलग मजा देने लग जाती. जब हम सभी थक गए तो तीनों आपस में लिपट कर सो गए. कुछ देर के बाद किसी के आने की आहट सुनाई देने लगी. मैंने नौकर को ऊपर आने से मना कर रखा था. तो फिर कौन हो सकता है. मुझे अचानक ऐसा लगा कि करिश्मा पहुँच गई है. हम तीनों ने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन लिए. मेरा शक्साही निकला. वो करिश्मा ही निकली. सोमा भी उसके साथ थी. मैं चौंक गया. मरिश्मा शीना के करीब गई. उसने शीना को गुस्से से देखा और बोली " तुम और ये पहाड़ी बिल्ली कल सवेरा होने के बाद यहाँ से निकल जाना नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. " मैंने करिश्मा से कहा " तुम इन्हें नहीं निकाल सकती. ये मेरी मेहमान है." करिश्मा मेरे सामने आ गई. उसने फुफकारते हुए कहा " मैं रात को यहीं रुकने वाली हूँ. देखती हूँ तुम इन दोनों को कैसे रोकते हो"
इस बार तो करिश्मा के इस गुस्से से मैं भी पहली बार डर गया था. शीना और जोई उदास हो गई. हम तीनों की रात जो खराब हो गई थी. अब हम पाँचों एक ही बरामदे में बैठे थे. सभी खामोश थे. एक गहरा सन्नाटा था. रात को हमने खाना खाया. रात को हम सभी सोने चले गए. शीना और जोई एक कमरे में; सोमा और करिश्मा दूसरे कमरे में; तीसरे और अंतिम कमरे में मैं अकेला.
आधी रात को जोई हिम्मत कर मेरे पास आ गई. शीना तो करिश्मा से ऐसा दरी कि खाने के बाद तुरंत वो गहरी नींद में सो गई.
जोई आते ही मुझसे लिपट गई. वो बोली " इससे पहले कि दिन निकल आये एक बार तो मेरे निचले हिस्से की प्यास बुझा दो." जोई ने तुरंत मेरे और खुद के कपडे उतारे और जोई मेरे उपट बीत गई. उसने बैठे बैठे ही मेरे कडक होकर खड़े हुए लिंग को अपने जननांग में ले लिया. अपने को ऊपर नीचे कर वो मेरे लिंग को अपने जननांग में अन्दर बाहर कने लगी. ऐसा करने से उसके मुंह से आवाजें भी आने लगी. हम दोनों यह भी भूल गए कि शान्ति इतनी ज्यादा है कि ये आवाज कहीं भी जा सकती है. सोमा और करिश्मा ने क्या योजना बनाई थी मुझे नहीं पता. उन दोनों ने यह आवाज सुनी. सोमा मेरे कमरे में आ गई. जोई अभी भी उसी तरह से आवाज निकालते हुए सेक्स का मजा ले रही थी. मैंने सोमा को देखा. सोमा ने मेरे सामने अपने कपडे उतार दिए. मैं सोमा के लिए पागल तो था ही; सोमा के सा तरह से कपडे उतारते ही मेरा लिंग और बड़ा , कड़क और लंबा हो गया. जोई को और भी मजा आने लगा. वो अब और ज्यादा उंचा उठने लगी. करण मेरा लिंग और थोडा बढ़ गया था. जैसे ही जोई का जननांग मेरे लिंग कि मलाई से गीला हुआ मैंने जोई को पलंग पर लिटाया और सोमा को बुलाया. सोमा वहीँ खड़ी रही. मैं सोमा के करीब गया. सोमा ने कहा " साहब, आप बीबी जी के पास वापस आओ तो ही मैं आपके साथ आने को तैयार हूँ." मैं सोमा की इस बात से हैरान रह गया. तो सोमा अब पूरी तरह से करिश्मा के तरफ हो चुकी है. मैं कुछ ओलूं; सोमा ने अपने कपडे उठाये और वो ऐसे ही कमरे से बाहर चली गई. मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा. सोमा करिश्मा के कमरे में चली गई.
सोमा कमरे में जाने के बाद करिश्मा के पलंग पर लेट गई. करिश्मा पहले ही वहां लेटी हुई थी. सोमा ने करिश्मा के बदन से चद्दर हटा दी. करिश्मा निर्वस्त्र थी. सोमा उसके जिस्म पर मालिश करने लगी. करिश्मा करवटें बदल बदलकर आहें भरने लगी. कुछ ही देर में सोमा और करिश्मा आपस में लिपट गई. इसके आगे का नजारा और भी चौंकाने वाला था. सोमा ने करिश्मा के गुप्तांग और जननांग को अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया. करिश्मा सोमा को लगातार अपनी तरफ खींच रही थी. करिश्मा के हाव भाव से यह साफ़ नजर आ रहा था कि उसके शरीर को किसी मर्द की जरुरत है. अब सोमा ने करिश्मा के जननांग में अपनी ऊँगली डालकर उसे शांत करने का प्रयास करने लगी. थोड़ी ही देर में करिश्मा ने सोमा को अपने से लिपटा लिया.
मैं अब करिश्मा के गुस्से को समाजः गया और साथ ही सोमा का करिश्मा की तरफ झुकाव समझ में आ गया. मैं अपने कमरे में लौट आया. सवेरे मैंने अपनी जीप में शीना और जोई को रवाना कर दिया. मैं करिश्मा के कमरे में आया.करिश्मा और सोमा अभी भी सोई हुई थी. अभी भी दोनों निर्वस्त्र थी. मैंने अपने सभी कपडे उतार दिए. मैंने करिश्मा की कमको छुआ. करिश्मा ने आँख खोली और मुझे देखा. मेरी आँखों में पचतावा देखकर उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया. मैं आंसू बहाता हुआ उससे लिपट गया. करिश्मा भी रोने लगी. हम दोनों आपस में लिपट गए और पागलों की तरह बेतहाशा आपस में एक दूजे को जगह जगह चूमने और चाटने लगे. सोमा की इससे आँख खुल गई. हम दोनों को साथ देखकर वो भी रोने लग गई. करिश्मा ने मुझे कहा " सोमा को हम हमेशा अपने सात रखेंगे. ये ना होती तो हम दोनों आपस में फिर से नहीं मिल पाते." करिश्मा ने सोमा को हमारी तरफ खींच लिया. करिश्मा ने मुझे दोनों को एक साथ शांत करने के लिए कहा. मैंने पहले करिश्मा के जननांग को भेदा फिर सोमा को भेदा. करिश्मा ने मुझे फिर दोनों को एक साथ शांत करने का तरीका समझाया. सोमा पहले सीधा लेट गई. करिश्मा उसके ऊपर उलटा लेट गई. दोनों ने एक दूजे को होंठों को आपस में मिला लिया. करिश्मा का जननांग सोमा के जनानाग के ठीक ऊपर था. करिश्मा के कहे अनुसार मैंने अपने लम्बे और कड़क लिंग को उन दोनों के जननांगों के मिलने की जगह के बीच में घुसा दिया. इस तरह मेरा लिंग करिश्मा और सोमा दोनों के गुप्तांग और जननांग के हिस्सों को एक साथ टच कर रहा था. मैंने अपने लिंग को दोनों के उन निचले हिस्सों के दबाव से बने एक नयी डी जगह में अन्दर घुसाना और बाहर लाना शुरू किया. मुझे ये नया तरीका बेहद पसंद आया. हम तीनों जबरदस्त आनद में थे. करीब दस मिनट के बमेरे लिंग ने एक जोर की पिचकारी उस नयी जगह में छोड़ दी. हम तीनों मिल गए थे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें