मंगलवार, 10 अगस्त 2010

किसी से ना कहना भाग सातवाँ



मैं ; लीना , वामा और सान्या चारों की जिंदगी बड़े मजे से गुज़र रही थी. सान्या तो जैसे एक तरह से हमारे घर की तीसरी सदस्या बन चुकी थी. लीना उससे इतना चाहने लगी थी कि अब सान्या सप्ताह में कभी चार तो कभी पांच दिन हमारे घर हमारे साथ ही सोती. वामा के पति को लगभग हर महीने दो दिन के लिए दूसरे शहर ऑफिस के काम से जाना पड़ता. उन दो दिन के लिए वामा हमारे घर रहने आ जाती. लीना सान्या को भी बुला लेटी. अब दो रातें हम चारों के नाम हो जाती.



एक दिन मैं हमेशा की तरह शनिवार के दिन सान्या के पार्लर उसे लेने के लिए पहुंचा ( हर शनिवार संया को मैं घर ले आता और वो फिर वापस सोमवार की सुबह सीधे अपने पार्लर चली जाती. ) सान्या पार्लर में कोई कस्टमर अटेंड कर रही थी. मैं सामने वाली पान की दुकान पर खडा हो गया. कुछ देर के बाद सान्या बाहर आई. मैंने देखा कि उसके साथ एक महिला और भी थी. दूर से देखने से वो महिला ज्यादा उम्र वाली लग रही थी. मैंने सोचा शायद कोई कस्टमर ही होगी. तभी सान्या ने ईशारा किया और मैं उसके पार्लर की तरफ आ गया. सान्या ने मेरे करीब आकर बोली " ये मेरी दूर के रिश्ते की मौसी है. ये जिस पार्लर में काम करती थी वो बंद हो गया. ये अकेली है. इनकी अभी तक शादी भी नहीं हुई है. मैंने इन्हें सब समझाकर बता दिया है. ये भी आज से हमारे साथ शामिल हो रही है. " मैंने सान्या से कहा " ये क्या पागलों जैसी बात कर रही हो? हम चारों की उमर देखो और तुम्हारी मौसी कि देखो." सान्या बोली " वो भले ही हमसे करीब बारह साल बड़ी है लेकिन जबरदस्त सेक्सी है. वो और मैं जब एक ही पार्लर में काम करती थी तब उन्होंने ही मुझे लेबियाँ सेक्स और थ्रीसम सेक्स करना सिखाया था. लेकिन ये आज तक थ्रीसम सेक्स में कभी शामिल नहीं हुई है. आज तक ल्वेस्बियाँ सेक्स ही किया है."
मैंने अब सान्या की मौसी को करीब से देखा. सान्या ने उनका नाम माल्या बताया था. माल्या बहुत ही सुन्दर लगी. उसके स्तनों के उभार तो देखने के लायक थे. मैंने आज तक इतने बड़े अतन नहीं देखे थे. हम तीनो घर आ गए. लीना सान्या और माल्या से मिलकर बहुत खुश हुई. हम सभी ने चाय नाश्ता किया. इसके बाद सान्या ने माल्या के बारे में सब बताया. अब सात बजे थे. सान्या ने माल्या को अपने करीब लिया और उसकी शर्ट उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा में थी. माल्या का रंग एकदम गोरा गुलाबी था. उसने रोयल ब्लू रंग कि ब्रा पहन रखी थी. उसके स्तन इस रंग में जबरदस्त उभरकर चमक रहे थे. सान्या ने कहा माल्या की कप छतीस डी है. अब सान्या ने माल्या के जींस भी खोल दी. लीना उसकी जंगों को छुआ और माल्या के गालों को चूम लिया. माल्या ने मुझे मुस्कुराकर देखा. मैं माल्या के करीब गया. माल्या के होंठ मेरे सामने थे और उस पर लगा गहरा लाल रंग का लिपस्टिक इतना ज्यादा लगा हुआ था कि होंठ और ज्यादा मोटे लग रहे थे. मैंने धीरे से अपने होंठ माल्या के होंठों पर रख दिए. माल्या ने अपना मुंह खोल दिया. मैंने धीरे से अपने होंठों को माल्या के खुले होंठों के बीच में रख दिए और धीरे धीरे माल्या के होंठों पर लगे लिपस्टिक को चाटने लगा. माल्या के होंठों पर इतनी गहरी लिपस्टिक लगी थी कि मेरे इतने चाटने पर भी वो ख़त्म ही नहीं हो रही थी. तभी लीना ने मुझे हटाया और माल्या के होठों को चूमना शुरू कर दिया. संय मुझे देख हंसने लगी क्यूंकि माल्या के लिपस्टिक का रंग मेरे होंठों पर और होंठों के आसपास की जगह पर फ़ैल गया था. माल्या और लीना ने काफी देर तक फ्रेंच किस किया. मैंने और सान्या ने भी फ्रेंच किस किया. सान्या ने मेरे होंठों के रंग को अपने होंठों पर चूस चूस कर ले लिया.
काफी देर तक हम चारों ने आपस में फ्रेंच किस किया. सान्या ने माल्या के साथ लेस्बियन सेक्स की कई मुद्राएँ की. मैं और लीना बहुत मजे से ये सब देखते रहे. लीना ने अपना दिमाग दौड़ाया और वामा को फोन किया. वामा ने जब माल्या के आने की बात सुनी तो उसने अपने पति से कोई बहाना किया और हमारे घर आ गई. उसने अपने पति से कहा कि लीना आज रात अकेली ही है क्यूंकि मैं बहुत लेट घर आने वाला हूँ. वामा का पति मां गया. वामा के आते ही अब मैं अकेला और मेरे साथ चार चार रसीली हसीनाएं हो गई थी. \
मेरा बेडरूम अब छोटा पड़ गया. लीना ने दभी गद्दे नीचे जमीन पर बिछाकर इसे हम पाँचों के लायक बड़ा बना दिया. सभी ने मुझे सबसे पहले माल्या के साथ सेक्स करने के लिए कहा. सान्या ने मजाक में कहा " आज माल्या की तो सुहागरात है." हम सभी ने अपने अपने कपडे खोल दिए. माल्या लेट गई. मैंने अपने लिंग पर कोंडोम चढ़ा लिया. माल्या का जननांग अभी तक किसी ने नहीं भेदा था फिर भी वो काफी ढीला और बड़ा था. मेरा लिंग बहुत ही आसानी से अन्दर चला गया. माल्या मेरे लिंग के अपने जननांग के अन्दर घुसते ही बहुत खुश हो गई. उसने मेरे साथ फ्रेंच किस किया. कुछ देर के बाद मैंने माल्या को आजाद कर दिया.



मैं और लीना खड़े होकर एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे कि तभी माल्या मेरे पीछे आकर मुझे जकड़कर खड़ी हो गई. उसके बड़े बड़े स्तनों का गुदगुदा दबाव मुझे मचलाने लगा. तभी सान्या मेरी बायीं तरफ और वामा मेरी दायीं तरफ आकर एकदम सटकर खड़ी हो गई. अब मैं चारों के बीच में था. मुझे सभी तरफ से स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैं सब की तरफ एक एक कर घुमा और चारों के साथ एक लंबा और बहुत ही गीला फ्रेंच किस किया. इससे मेरी हालत बहुत ही अजीब हो गई. मुझे लगने लगा जैसे मेरा लिंग बहने लगेगा. मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला.
मैं कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गया. माल्या ने तीनों को अपने साथ लिया और लेस्बियन सेक्स में लग गई. माल्या ने वामा के साथ और सान्या ने लीना के साथ जोड़ी बनाई. अब इन सभी चुम्बनों के साथ साथ अपने स्तनों को आपस में मिलाकर दबाना ; अपने जीभ से दूसरे की जीभ से मिलाकर चूमना , एक दूसरे की गरदन पर लंबा चुम्बन देना और ना जाने कितने ही इस तरह के क्रिया-कलाप शुरू हुए कि मैं दंग रह गया. मैं सोचने लगा कि किसी ने सच ही कहा है कि दो अय्रतों को आपस में सेक्स करते देखना सबसे गरम और सेक्सी नजारा होता है. मैं तो चार चार को एक साथ देख रहा था. करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक चारों की लेस्बियन लीला चलती रही. चार नाजुक ; मुलायम और चिकने बदन आपस में मिलते रहे और मुझे ललचाते रहे.
फिर माल्या ने मुझे भी शामिल कर लिया. अब लगभग वही सब क्रियाएं फिर से होने लगी. काफी देर तक यह चलता रहा. मैंने अब एक एक को अपने पास सुलाने का तय किया. सबसे पहले आज की मुख्य मेहमान माल्या की बारी थी. दस मिनट के भीतर मैंने माल्या के जननांग को पूरी तरह से लाल कर दिया और आखिर में गीला कर दिया. इसके बाद सान्या , फिर वामा और आखिर में लीना. यह सब होते होते रात के आठ बज गए. सब थक गए थे. सभी नहाए ; थोडा आराम किया और फिर सभी ने एक साथ खाना खाया और सुस्ताने लगे.
कुछ देर के आराम के बाद हम फिर से आपस में लिपटने लगे थे. वे चार थी और मैं अकेला. कितनी बार एक एक को सेटिस्फाई करूँ मेरी ताकत के बाहर था. चारों भूखी शेरनीयों की तरह मुझे रह रहकर दबोच रही थी. मैं जैसे ही एक को संभालता कि दूसरी आकर मुझे पकड़ लेती. मैं लगातार एक एक को संभालते संभालते थक सा गया. मैं लेट गया. मेरे लेटते ही चारों मुझ पर झपट पड़ी. चारों में मुझे जगह जगह चूम चूमकर गीला कर दिया. मैं छटपटाने लगा. अब लीना ने एक एक कर सभी को फिर से मेरे चुना. मैंने सभी के जननांगों को अपने लिंग से तरबतर किया.
माल्या हम सब से मिलकर बहुत ही खुश हुई. वो बार बार लगातार किसी ना किसी के साथ चुम्बनों का दौर जारी रखे हुए थी. मैंने माल्या के होंठों के रस को पी पीकर करीब करीब ख़त्म ही कर दिया.
वामा को सवेरा होते ही अपने घर जाना था जबकि बाकी सब रुकने वाली थी. वामा के कहने पर मैंने वामा को दुबारा बिस्तर पर लिया और उसके जननांग में मेरा लिंग फंसा दिया. वामा को जोर जोर से झटके अपने लिंग से दिए और फिर आखिर में अपने लिंग से उसके जननांग में तेज धार मारी. वामा निहाल हो गई. अब सभी थक गए थे. सभी सो गए. सवेरा होते ही वामा घर चली गई. माल्या और सान्या ठहर गई.
रविवार के दिन सान्या का पार्लर करीब ग्यारह बजे खुलता था. इसलिए मैंने माल्या और सान्या के साथ एक और दौर सेक्स का किया. लीना काफी थक गई थी इसलिए वो शामिल नहीं हुई. सान्या और माल्या दोनों हमारे यहीं नहाकर तैयार होकर अपने पार्लर चली गई. इसके बाद मैं और लीना सारे दिन बिस्तर में रहे. शाम होते होते मेरा बदन ऐसा दुखना शुरू हुआ कि मैं चार बजे सोया तो सोमवार को सवेरे पांच बजे उठा.
इसी तरह का एक दौर इस दिन के ठीक एक महीने बाद हुआ. उस दिन भी वामा ने कोई बहाना किया और हमारे साथ शामिल हो गई. मगर इसके बाद वामा को मौका नहीं मिल पाया. वामा के पति को कुछ शक हो गया कि वामा का किसी के साथ चाकर है. उसका शक हम पर नहीं हुआ था किसी और पर हुआ था. हम बाल बाल बच गए थे. लेकिन मैं लीना , सान्या और माल्या के साथ हर सप्ताह सेक्स कर ही रहा था. लीना की आदत अब ऐसी हो गई थी कि अब वो मेरे साथ अकेली नहीं सो सकती थी. इसलिए कभी सान्या तो कभी माल्या को बुलवा ही लेती. अब यह होने लगा कि सप्ताह में करीब पांच दिन हम तीन जने सोते.

माल्या के आने के बाद संया का पार्लर बहुत अच्छा चलने लगा था. इसलिए माल्या अब हमेशा के लिए सान्या के साथ ही रहने का फैसला कर चुकी थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. हम सभी बहुत खुश थे. हमें पता नहीं था कि हमारी ख़ुशी और भी बढ़ जायेगी. इतनी ज्यादा ख़ुशी कि किसी को कभी विश्वास नहीं होगा.
अगले भाग में बताऊंगा कि ख़ुशी कैसे बढ़ी.



बुधवार, 4 अगस्त 2010

किसी ने ना कहना : भाग छठवां

वामा और उसका पति अब हमारे शहर में रहने के लिए आ गए. वामा ने अपने पति को समझा बुझाकर हमारे गहर से केवल दो मिनट के रास्ते पर अपना घर ले लिया. जो घर उन्होंने पसंद किया था उसमे थोड़ी साफ़-सफाई का काम बाकी था. इसलिए वे दोनों करीब चार दिनों के लिए हमारे घर रुक गए.
रात का समय था. मैं देर रात पानी पीने के लिए रसोई में पानी लेने के लिए गया हुआ था. मैं जैसे ही वापस लौटने को हुआ कि चनक पीछे से वामा ने मुझे पकड़ लिया. मैंने उसे आँखों ही आँखों में दानाता लेकिन वामा पर कोई असर नहीं हुआ. वो मुझे पीछे से धीरे धीरे दबाने लगी. तभी किसी कमरे में कोई आहट हुई और वामा अपने कमरे में भाग गई.
अगले ही दिन वामा के पति सवेरे बहुत जल्दी  ऑफिस चले गए क्यूंकि उनका एम् डी आ रहा था. लीना नहाने गई हुई थी. मैं नहाकर आया ही था और कपडे पहन रहा था. वामा ने आकर मुझे कपडे पहनने से रोक लिया और मुझे लेकर बिस्तर में घुस गई. उसने जल्दी से अपना पेटीकोट उठाया और मेरे लिंग को हाथ से पकड़कर अपने जननांग में घुसा दिया. मेरे पास और कोई चारा नहीं था. मैंने वामा की ईच्छा पूरी करनी शुरू कर दी. करीब पांच मिनट ही हुए होंगे कि लीना की आवाज आई. " जानेमन; बस आ रही हूँ. नाश्ता तैयार दो मिनट में तैयार हो जाएगा." वामा लीना की आवाज सुनकर मुझसे अलग हुई और अपने कमरे में चली गई.
वामा अपने नए घर में रहने चली गई. लेकिन लगभग रोजाना वो लीना से मिलने आने लगी. करीब एक सप्ताह के बाद हर बार की तरह सान्या लीना के बुलावे पर घर आई हुई थी. वो लीना के वेक्सिंग कर रही थी. लीना केवल ब्रा और पैंटी में थी. तभी वामा आ गई. सान्या ने दरवाजा खोला. जैसे ही सान्या और वामा ने एक दूजे को देखा तो दोनों ही चौंक गई. वामा थोडा डरी लेकिन सान्या ने वामा क एक तरफ लिया और बाहर बालकनी में ही रोक लिया. सान्या ने वामा को सारी बात बता दी. यहाँ तक कि मेरे , लीना और सान्या के बीच के थ्रीसम सेक्स की भी. वामा सारी बात सुनकर पहले तो चौंकी और फिर बहुत ही खुश हो गई.  वामा और सान्या ने आपस में कुछ बात की और फिर दोनों भीतर आ गई. लीना वामा को देखकर बहुत खुश हुई. वामा ने बताया कि अभी अभी उसकी सान्या से बात हुई है और सान्या पहली बार में ही बहुत अच्छी दोस्त बन गई है. सान्या ने लीना की वेक्सिंग के बाद उसका फेसियल किया. सान्या ने फिर वामा के मसाज किया. वामा भी अब ब्रा और पैंटी में आ गई. लीना तो पहले से ही ब्रा और पैंटी में थी. मसाज क्रेट वक्त सान्या ने भी अपने अन्य कपडे उतार दिए. अब तीनों ही ब्रा और पैंटी में रह गई थी.
सान्या ने वामा के वेक्सिंग की. इसके बाद जब लीना अपने हाथ मुंह धोने बाथरूम में गई तो सान्या ने वामा से कहा " फिर कभी उस दिन वाला थ्रीसम सेक्स करें क्या?"  वामा बोली " तुम मुझे कह देना , मैं हरदम तैयार रहूंगी." सांय ने वामा को चूमा और बोली " बहुत मजा आयेगा. वो बहुत ही मीठा है. " वामा ने सान्या को वापस चूमा और बोली " मैं उसे कई बार चख चुकी हूँ. हर बार मीठा लगा है वो. तुम मौके की तलाश में रहना और मौका मिलते ही मुझे खबर कर देना. ये मेरा फोन नंबर लेलो." वामा और सान्या फ्रेंच किस करने लगी . तभी लीना बाथरूम से बाहर निकल आई. लीना ने उन दोनों को इस हालत में देखा तो उसकी साँसें तेज चलने लगी. उसने उन दोनों को छुपकर काफी देर तक देखा.
अब वामा और लीना दनों सान्या से एक साथ वेक्सिंग वगैरह करवाने लगी. सान्या उन दोनों को अक्सर चुपके से कभी चूम लेती तो कभी उनसे लिपट जाती. धीरे धीरे इन तीनों के बीच दोस्ती काफी आगे तक बढ़ गई थी.
एक बार मैं अपने किसी दोस्त से मिलने के लिए निकल ही रहा था कि वामा आ गई. उसने मुझे बाजार में कहीं छोड़ने के लिए कह दिया. मैं उस अपने स्कूटर पर लेकर चल निकला. वामा ने मुझे सान्या के ब्यूटी पार्लर के सामने स्कूटर रुकवाया औए बोली " चलो अन्दर चलते हैं. सान्या हमारा इंतज़ार कर रही है." मैं और वामा अन्दर आ गए. सान्या तैयार थी. उसने सामने का मेन दरवाजा बंद कर दिया जिससे ऐसा लगे कि पार्लर बंद है. उसने पिछला दरवाजा खोला और हम अन्दर बंद हो गए. मैंने वामा और सांय के साथ दो घंटों तक सेक्स किया. जब मैं वापस वामा को लेकर रवाना होने लगा तो वामा ने कहा "  एक बार तुम मेरे और लीना के साथ भी थ्रीसम करो ना." मैंने वामा को डांट लगाईं और बोला " तुम्हें हमारा रिश्ता पता है ना> फिर ऐसी बात क्यूँ कर रही हो." सान्या ने कहा " लीना को मैं तैयार कर रही हूँ धीरे धीरे. एक बार मैं इन दोनों को आपस में बिस्तर मेमिलवा दूँ फिर आप भी शामिल हो जाना. लीना मैडम बिलकुल बुरा नहीं मानेगी. अब वो सेक्स को बहुत जोश से लेती है." मैं परेशान हो उठा कि ये कैसी मुसीबत होती जा रही है.
थोड़े दिन शान्ति से बीते. एक दिन ऐसा हुआ कि वामा के पति को टूर पर जाना पड़ा. वामा दो दिन के लिए हमारे यहाँ आ गई. बस यहीं से ऐसा दौर शुरू हुआ कि अब क्या बताऊँ.
वामा का पति जिस रात को टूर पर गया , वो वापस तीसरी रात के बाद आनेवाला था. अगले ही दिन सान्या घर आ गई. जब शाम को मैं ऑफिस से लौटा तो सान्या को देखकर हैरान हो गया. वो ज्यादातर दोपहर में आती थी. लीना ने कहा " इसे दोपहर में काफी काम था इसलिए मैंने और वामा ने इसे अभी बुला लिया. हमने खाना बाहर से मंगवा लिया है. तुम नहा लो तब तक हम हमारा काम कर लेटे हैं. तुम भी मसाज करवा लेना. सान्या से हमने कह दिया है कि वो खाना हमारे साथ खाकर ही आराम से घर जाए.
मैं नहाने चला गया. मैं जैसे ही नहाकर वापस आया तो मैंने देखा कि वामा और लीना दोनों एक ही पलंग पर केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई है और सान्या उन दोनों के बारी बारी से मसाज कर रही है.  सान्या ने मुझे भी वहीँ सोफे पर लेट जाने को कहा. सान्या ने अब मेरे भी मसाज किया. बीच बीच में सान्या लीना और वामा के साथ साथ मुझे भी लीना से छुपकर चूमने लगी. मुझे लगा कि आज माहौल शायद बहुत गरम होने वाला है.  तभी मैं देखा कि सान्या ने लीना को चूमा  और फिर लीना के सामने पहली बार वामा के होंठों को चूमने लगी. लीना थोडा उत्तेजित हो गई. मौका देखकर वामा ने लीना का एक हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया और अपना एक स्तन दबवाने लगी. लीना को यह अच्छा लगा. उसने वामा के स्तन को लगातार दबाना शुरू कर दिया. सान्या अब भी वामा को चूमे जा रही थी.
यह उत्तेजना अब धीरे धीरे बढ़ रही थी. सान्या ने अब लीना को चूमना शुरू किया.  वामा ने लीना के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया. अब तीनों ही आपस में बहुत करीब आ गई थी. लीना और मेरी नजरें मिली तो लीना ने मुझे अपनी तरफ आने का ईशारा किया. हब मैं उसके करीब गया तो उसने मुझे झुकने को कहा. मेरे झुकते ही उसने मुझे होंठों पर चूम लिया. मैं भी उसे होंठों पर चूम लिया.
तभी सान्या ने मुझे लीना पर झुका दिया और लीना ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया. सान्या और वामा ने मिलकर मेरे सभी कपडे उतार दिए.
अब मैं अकेला और तीन तीन जवानीयाँ मेरे सामने मुझे बुला रही थी. मैंने लीना के साथ सेक्स सबसे पहले करना शुरू किया. सान्या और वामा हम दोनों को उत्तेजित करने के लिए हमें चूम रही थी. तभी सान्या ने वामा के स्तनों से अपने स्तन टच कर दिए उअर दोनों उन्हें आपस में एक दूसरे की तरफ दबाने लगी. मुझसे यह देखा नहीं गया. मेरे अन्दर जोर की बिजलीयाँ चमकने लगी. मैंने अपना लिंग लीना के अन्दर से निकाला और लीना को भी उन दोनों के साथ मिला दिया. अब तीनों ही अपने अपने स्तनों को हाथ से पकड़कर एक दूसरे की तरफ दबा रही थी. मैंने उन सभी को गालों पर चूमा. सान्या ने मुझे बिस्तर पर लिटाया. इसके बाद सांय और वामा दोनों ने अपने को बाहोंमे भर लिया. अब दोनों एक दूसरे को होंठों पर चूमने लगी. मेरे लिंग पर कोंदों लगा हुआ था. सान्या और वामा दोनों आपस में लिपटी हुई मेरे ऊपर आकर धीरे से बैठ गई. सान्या ने मेरा लिंग वामा के अन्दर डाल दिया. लिंग तुरंत अन्दर चला गया. अब सान्या और वामा दोनों आपस में एक दूसरे के होंठों को चूमती हुई ऊपर नीचे बैठने उठने लगी. इससे मेरा लिंग वामा के अन्दर बाहर होने लगा.
अब मैंने मेरा लिंग सान्या के अन्दर डाल दिया. ये एक बिलकुल ही नया तरीका था और सभी को खूब अच्छा लगा.
इस जोड़ी के बाद सान्या और लीना को लेकर मैंने इसे दोहराया औ फिर आखिर में लीना और वामा को लेकर भी इसे दोहराया. इस तरह से करने के बाद हम चारों में उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि इससे पहले कि हम कुछ और करते सान्या बेकाबू हो गई. मैंने तुरंत सान्या के जननांग में अपना लिंग डाला और तुरंत एक जोर की धार उसमे छोड़ दी. इसी तरह से मैंने थोडा थोडा रूककर लीना और वामा को भी शांत किया.
रात को खाने के बाद एक बार फिर ये दौर शुरू हुआ. सारी रात यह दौर चला.
आज वामा को हमारे शहर में आये एक साल हो चुका है. हम चारों हर महीने एक मौका ऐसा निकाल ही लेटे हैं जब हम चारों एक साथ सेक्स कर सकें. मैं लीना और सान्या तो हर दूसरे सप्ताह करते ही हैं. कभी लीना और मैं वामा को लेकर थोडा समय मिल जाता है. हम चारों जिन्दगी का भरपूर मजा लूट रहे हैं.
इस कड़ी के सातवें भाग में आपको एक और जबरदस्त केरेक्टर की एंट्री से मुंह में पानी आ जाए ऐसा पढने को मिलेगा. बस थोडा इंतज़ार करें.

मंगलवार, 3 अगस्त 2010

किसी से ना कहना : भाग पांचवा

मैं और लीना शादी के बाद सेक्स का पूरा पूरा मजा लेकर जी रहे थे. लीना अपने शरीर का पूरा ध्यान रखती थी. वो हर दो-तीन सप्ताह के बाद ब्यूटी पार्लर जाती और अपने शरीर को चिकना करवाकर आती. एक दिन वो ब्यूटी पार्लर गई .वो अपने साथ पर्स ले जाना भूल गई. उसने मुझे वहां से फोन किया. मैं रुपये लेकर पार्लर पहुंचा. जैसे ही मैंने पार्लर के काउंटर पर रूपये देने के लिए रखे तो सामने उसी लड़की को देखा जो मेरी शादी के दिन मेरे और वामा के साथ सेक्स में शामिल हुई थी. मैं पसीने पसीने हो गया. तभी लीना बाहर आ गई. उस लड़की ने मुझे बाय कहा और मुस्कुराने लगी.
उस दिन तो मैं घर लौट आया लेकिन मन में यह डर घर कर गया कि कहीं यह लड़की लीना को कुछ बता ना दे. हर समय मेरा मन इस अनजाने दर से घबराने लग गाय थ।
रविवार का दिन थ। मै और लीना नाश्ता कर रहे थे कि डोर बेल बजी। लीना ने दरवाजा खोला मैने देखा कि ब्यूटी पार्लर वाली लडकी थी। मै पसीने पसीने हो गया। वो लडकी मुस्कुराते हुए लीना के साथ भीतर आ गई. लीना ने मुझसे कहा " मेरी और सान्या की अच्छी दोस्ती हो गई है. संया ने कहा है कि अब वो घर आकर ही सब कर देगी और मुझे इसके ब्यूटी पार्लर नहीं जाना पडेगा." मैं समझ गया कि सान्या कोई गुल जरुर खिलाएगी. मैं सिर्फ हंस कर रह गया. सान्या चाय पीते पीते मुझे लगातार देखकर मुस्कुरा रही थी.
करीब एक सप्ताह के बाद शाम को जब मैं घर लौटा तो दरवाजा सान्या ने खोला. मैं चौंक गया. सान्या बोली " लीना मैडम का वेक्सिंग का काम चल रहा है. वे अन्दर लेटी हुई है." मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गया. कुछ देर के बाद लीना ने मुझे आवाज दी और मैं बेडरूम में गया. लीना केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई थी और सान्या लीना का मसाज कर रही थी. लीना ने मुझे देखा और बोली " तुम भी मसाज करवा लो. सान्या बहुत अच्छा करती है." मैंने मना किया. सान्या ने आँख मारकर मुझे ईशारा किया. मैं समझ गया कि वो मुझे धमकी दे रही है. सान्या ने मेरी कपडे उतारने में मदद की.
मैं केवल अंडर वेअर में बिस्तर पर लेट गया. सान्या मेरा मसाज करने लगी. सान्या ने मसाज करने से पहले अपना कुर्तिदार टॉप खोल दिया. उसने अन्दर एक स्लीव लेस टॉप पहना हुआ था जिसका गला काफी नीचे तक खुला हुआ था. सान्या ने मसाज शुरू किया. वो बहुत नीचे झुक कर मसाज कर रही थी. इससे उसके सीने के उभार मुझे छु रहे थे.  सान्या ने मेरे कान में धीमी आवाज में पुछा " उस दिन वो लड़की कौन थी?" मैंने आँख दिखाई और छुप रहने का ईशारा किया. सान्या ने अब लीना के चेहरे पर मसाज कर फेसियल उतरा और कहा " आप अपना चेहरा धो आइये." लीना जैसे ही बाथरूम में गई सान्या ने मेरे होंठ चूमे और मेरे ऊपर लेट गई.  सान्या ने अपने सीने से मुझे दबाया और बोली " एक दिन लीना के साथ उस दिन की तरह हम तीनों करें क्या?" मैंने गुस्से से कहा " बिलकुल भी मत कहना. ऐसा सोचना  भी मत." सान्या ने एक बार फिर मेरे होंठ चूमे और वापस खड़ी होकर मसाज करने लग गई.
मेरी चिंता अब बढती जा रही थी. लीना इन सब से बेखबर थी. करीब एक महीने के बाद सान्या एक बार फिर रविवार के दिन घर आई. लीना की उसने वेक्सिंग की और फिर उसे फेसियल लगाया. सान्या ने आज लीना की आँखों पर ककड़ी के टुकड़े रख दिए. लीना पलंग पर लेट गई. मैं बाहर ड्राइंग रूम में था. सान्या आई और मेरे गोद में बैठ गई. उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी अपनी मजबूरी देखते हुए सान्या को चूम लिया. मैंने सान्या के साथ एक लंबा फ्रेंच किस भी किया. तभी सान्या उठाकर लीना के पास चली गई. मैंने राहत महसूस की.
एक दिन इसी तरह शनिवार के दिन सान्या घर आई हुई थी. मेरी शनिवार को आधी छुट्टी रहती है. मैं जब घर पहुंचा तो सान्या लीना को सोप मसाज दे रही थी. मैं चौंक गया. मेरे दिमाग में तुरंत आया कि सान्या ने शुरुवात कर दी है. सान्या केवल ब्रा और पैंटी में थी और लीना ने केवल पैंटी पहन रखी थी. लीना के पूरे बदन पर ढेर सारा साबुन का झाग था. उस वक्त सान्या लीना के स्तनों को झाग के साथ मसल रही थी और लीना बहुत आनंद के साथ यह सब करवा रही थी. सान्या ने जैसे ही मुझे देखा उसने आँख मारी और लीना के स्तनों को मसलते मसलते अचानक उन्हें अपने होंठों से थोडा सा चूम लिया. लीना ने एक बहुत ही मीठी आवाज निकाली. सान्या ने एक बार फिर लींना के स्तनों को चूम लिया.  लीना मचल गई. सान्या ने लीना की इस हालत का फायदा उठाया और लीना के पास लेट गई और उसे बाहों में भर लिया. लीना ने आन्ल्खें खोली. सान्या बोली " मैडम ; आप लेटी रहिये. मैं एक अलग तरह का मसाज कर रही हूँ."  लीना लेटी रही. सान्या ने अब लीना के जिस्म पर खुद को लिटा लिया और एक मर्द की तरह उसे दबाने लगी. लीना को शायद बहुत ही मजा आया. उसने भी सान्या को गालों पर चूम लिया. अब लीना ने भी सान्या के चुम्बनों का जवाब उसी तरह से देना शुरू किया. मैंने ईशारे से सान्या को नहीं करने के लिए कहा लेकिन सान्या लगातार मुझे आँख मार मारकर मुस्कुरा रही थी. मैं खिड़की की आड़ से उन दोनों को देख रहा था. 
लीना ने सान्या से पानी पिलाने के लिए कहा. सान्या रसोई में गई. मैं तुरंत लीना के पास आया और बोला " लीनु; ये क्या करवा रही हो तुम? चलो उठो. उस लड़की के साथ इस तरह से मत लेटो. ये लडकीयाँ अच्छी नहीं होती है." लीना ने अचानक मुझे चूमा और बोली " जानेमन; बड़ा मजा आ रहा है मुझे. सान्या बहुत मस्ती करवा रही है. अब तुम ही बताओ केवल चार सौ रुपयों में इस शहर में ये सब मसाज कौन करके देता है और साथ में वेक्सिंग और फेसियल भी. बहुत सस्ता है. मैं तो कहती हूँ तुम भी सोप मसाज करवा लो. फ्रेश हो जाओगे. आज वैसे भी शनिवार है. हमें सारी रात जागना भी तो है. " मैं समझ गया कि सान्या का दांव सफल हो गया है. अब वो कभी भी मुझे साथ लेकर थ्रीसम सेक्स कर लेगी और मस्ती में उसके मुंह से वामा वाली बात भी निकल जायेगी. 
मैंने अब सान्या को अलग तरह से पटाने की सोची. लीना थोड़ी देर के बाद नहाने के लिए चली गई. मैंने सान्या को दबोच लिया. सान्या केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. सान्या खुश हो गई. मैं और सान्या बिस्तर पर आ गए. मैंने तुरंत सान्या की पैंटी नीचे की और अपने हाफ पैंट में से अपना लिंग निकालकर सान्या के जननांग में धकेल दिया. सान्या कराह उठी. मैंने जल्दी जल्दी सान्या को जोर जोर से ढेर सारे झटके दिए. सान्या को बहुत मजा आया. मैंने सान्या से कहा " हम लगातार मिलेंगे लेकिन उस दिन वाली बात तुम लीना से बिलकुल मत कहना. तुम्हें अलग से मैं खुश करता रहूंगा." सान्य ने मुझे जोर से चूमा और बोली " तुम बहुत अच्छे और मीठे हो. मैं तुम्हारी बात मानूंगी. बस तुम ऐसे ही मिलते रहना. मैं मैडम को इसी तरह से मस्त कर कर के एक दिन थ्रीसम में शामिल कर ही लुंगी. बस फिर उस दिन वाली बात हमेशा हमेशा के लिए दफ़न हो जायेगी. " मैं बहुत खुश हो गया. तभी बाथरूम का दरवाजा खुल गया. सान्या ने अपनी पैंटी पहनी और मेरी पीठ पर मसाज करने लग गई. लीना ये देखकर खुश हो गई.
अब सान्या लगभग हर दसवें दिन आने लगी और लीना भी उसे जल्दी जल्दी बुलाने लगी. अब यह होने लगा कि जब भी सान्या लीना के लिए घर आती लीना जब जब नहाने जाती तब तब मैं और सान्या जो भी समय होता हम दोनों हमबिस्तर हो जाते. यह सिलसिला लगातार चलने लगा.
एक दिन सान्या लीना की वेक्सिंग कर रही थी. सान्या ने लीना से कहा " मैडम; आपने कभी सूना है या पढ़ा है कि एक मर्द और दो औरतों के बीच का सेक्स बहुत मजेदार होता है. कामसूत्र में भी यह बात लिखी गई है." लीना एक छोटे शहर से थी और  एक मध्यमवर्गीय घर से; इसलिए इस तरह की किताबें उसने ना के बराबर पढ़ी थी. उसने ना में सर हिलाया. सान्या ने कहा " ये बहुत ही उतेजना वाला होता है. एक बार इसकी आदत पड़ जाए तो फिर हर समय बहार ही बहार होती है." लीना ने पूछा " क्या तुम कोई किताब दे सकती हो जिसमे ऐसी कोई कहानी या किसा है." सान्या ने हाँ कहा और  दुरे ही दिन एक इंग्लिश मैगजीन लाकर उसे दे दी. लीना उसे पढ़कर और उसकी तस्वीरें देखकर पागल सी हो गई. उसने सान्या से फोन पर बात की और कहा कि उसे बहुत अच्छा लगा है. सान्या ने लीना को और ऐसी ढेर सारी मेग्जीनें लाकर दे दी. 
रात को जब मैं बेडरूम में आया तो लीना वही मैगजीन देख रही थी. मैं उन मैगजीनों को देखते हे सब समझ गया कि ये सारा सान्या का किया हुआ है. लीना बड़े ही उत्साह से मुझे दिखाने लगी. मैंने उसे कुछ नहीं कहा केवल उसके साथ साथ देखता रहा और फिर हम दोनों एक दूसरे में खो गए.
दो दिन के बाद आखिर लीना ने मुझसे रात को उस वक्त कहा जब मेरे लिंग ने उसके जननांग को पूरी तरह से काबू में किया हुआ था " जानेमन; अगर हम दोनों के अलावा एक और औरत आ जाए तो हम दोनों को बहुत मजा आयेगा. मुझे सान्या की किताबें बहुत उत्तेजित कर गई है. अगर वो ही हमारे साथ आ जाए तो! हम उसे जानते हैं. अच्छी और मजेदार लड़की है. हम दोनों से खुली हुई भी है. सच कहती हूँ बहुत मजा आयेगा. बस अब तुम हाँ कह दो." इतना कहकर लीना ने मेरे होंठ सी दिए और उन्हें चूसने लगी. मैंने भी सोचा कि इससे सान्या की जुबान भी खामोश हो जायेगी और वामा वाला किस्सा भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. मैं हाँ कह दिया.
अगले ही दिन सान्या आ गई. उस दिन शनिवार था. लीना ने मेरे आने से पहले सान्या के साथ मिलकर सारी तैय्यारी कर ली. मैं जब नहाकर बाथरूम से बाहर आया तो बेडरूम में दोनों अपने सभी कपडे उतार कर बैठ हुई थी.  मुझे देखते ही दोनों मुस्कुरा दी. मैंने अपना तौलिया उतरा और दोनों के साथ मिल गया. सान्या और लीना को मैंने लगातार चूमा और फिर इसके बाद सान्या जिन मैगजीनों को लेकर आई थी; उन मैगजीनों से हम तीनों ने तस्वीरों जैसी सेक्स पोजीशंस की . इसके बाद मैंने लीना के साथ सेक्स किया. लीना ने सान्या को भी मेरे नीचे लेटने को कहा. मैंने सान्या के साथ भी सेक्स कर लिया.
अब हर शनिवार की रात थ्रीसम सेक्स की रात होने लगी. लीना भी अब काफी कामुक हो गई थी. उसके सेक्सुअल व्यवहार में बहुत बदलाव आ गया था और हरदम उत्तेजित रहने लग गई. मुझे भी अब बहुत मजा और मस्ती आने लगी थी. अब तो सान्या कभी भी आ जाती. कई बार तो सप्ताह में तीन तीन बार ये होने लगा. इस तरह से हम तीनों ने पूरे सात महीने निकाल लिए.
एक दिन लीना के पास वामा का फोन आया कि वो अपने पीटीआई के सात दो दिनों के लिए हमारे यहाँ आ रही है. उसके पति का हमारे ही शहर में किसी कंपनी में इंटरव्यू है. रात तो जब यह बात लीना ने मुझे बताई तो मेरी तो सांस ही रुक गई. लगातार एक के बाद एक नई नई मुसीबत. अगर वामा के पति की इसी शहर में नौकरी पक्की हो गई तो मैं तो बरबाद ही हो गया समझो. 
तय कार्यक्रम के अनुसार वामा और उसका पति पहुँच गए. मैं वामा को देख एक तरह से पागल हो गया. वामा अब और भी ज्यादा निखर गई थी. उसका अंग अंग जैसे खुद ही कह रहा हो कि देखो हर जगह रस ही रस छलक रहा है. आओ पिलो. वामा भी सबकी नजर बचाकर मुझे देखकर मुस्कुरा दी.
रात को खाना खाने के बाद हम चारों आपस में बातें करने लग गए. वामा लगातार सभी से नजरें बचाकर मुझे देखती और मुझसे नजरें मिलते ही एक शरारत भरी मुस्कान से मुझे हिला देती.
सवेरे मैं वामा के पति को लेकर रवाना हो गया. वामा और लीना ने पूरे दिन खूब गप्पें लड़ाई. वामा ने लीना को बहुत ही प्रभावित कर दिया. वैसे भी लीना बहुत भोली-भली है इसलिए बहुत जल्दी वामा से प्रभावित होकर उससे घुलमिल गई. वामा ने लीना को अपने पति के साथ के सेक्स के कई किस्से सूना डाले. लीना ने भी उसे ऐसे ही कई किस्से सुनाये. दोनों शाम तक बहुत ही खुल गई.
वामा का पति देर शाम को लौटा और उसने बताया कि उसका सेलेक्शन हो गया है और एक बार कल से ही उसे ड्यूटी ज्वाइन करी होगी. वामा और लीना यह खबर सुन  खुही से चिल्ला पड़ी. मैंने भी बहुत खुश हुआ कि लीं को एक अच्छी सहेली मिल गई है. लेकिन दूसरे ही पल यह ख्याल आया कि वामा का फिर से आना जाना शुरू हो जाएगा और मेरे लिए सान्या के अलावा एक और मुसीबत खड़ी हो जायेगी. मैं अपने कमरे में था. वामा अचानक मेरे कमरे में आई और बोली " देखो' हमारा मिलना फिर से होने लगेगा. खूब मजा आयेगा. अब तो हम दोनों को कोई नहीं रोक सकेगा." यह कहकर वो वापस चली गई. मेरी ख़ुशी अब एक बहुत बड़ी चिंता में बदल गई. अब मुझे ये पक्का विश्वास हो गया कि लीना को अब मेरे और वामा के बारे में सब कुछ पता चल ही जाएगा.
आगे क्या हुआ आप छठवें भाग का इंतज़ार करें.