मैं ; लीना , वामा और सान्या चारों की जिंदगी बड़े मजे से गुज़र रही थी. सान्या तो जैसे एक तरह से हमारे घर की तीसरी सदस्या बन चुकी थी. लीना उससे इतना चाहने लगी थी कि अब सान्या सप्ताह में कभी चार तो कभी पांच दिन हमारे घर हमारे साथ ही सोती. वामा के पति को लगभग हर महीने दो दिन के लिए दूसरे शहर ऑफिस के काम से जाना पड़ता. उन दो दिन के लिए वामा हमारे घर रहने आ जाती. लीना सान्या को भी बुला लेटी. अब दो रातें हम चारों के नाम हो जाती.
एक दिन मैं हमेशा की तरह शनिवार के दिन सान्या के पार्लर उसे लेने के लिए पहुंचा ( हर शनिवार संया को मैं घर ले आता और वो फिर वापस सोमवार की सुबह सीधे अपने पार्लर चली जाती. ) सान्या पार्लर में कोई कस्टमर अटेंड कर रही थी. मैं सामने वाली पान की दुकान पर खडा हो गया. कुछ देर के बाद सान्या बाहर आई. मैंने देखा कि उसके साथ एक महिला और भी थी. दूर से देखने से वो महिला ज्यादा उम्र वाली लग रही थी. मैंने सोचा शायद कोई कस्टमर ही होगी. तभी सान्या ने ईशारा किया और मैं उसके पार्लर की तरफ आ गया. सान्या ने मेरे करीब आकर बोली " ये मेरी दूर के रिश्ते की मौसी है. ये जिस पार्लर में काम करती थी वो बंद हो गया. ये अकेली है. इनकी अभी तक शादी भी नहीं हुई है. मैंने इन्हें सब समझाकर बता दिया है. ये भी आज से हमारे साथ शामिल हो रही है. " मैंने सान्या से कहा " ये क्या पागलों जैसी बात कर रही हो? हम चारों की उमर देखो और तुम्हारी मौसी कि देखो." सान्या बोली " वो भले ही हमसे करीब बारह साल बड़ी है लेकिन जबरदस्त सेक्सी है. वो और मैं जब एक ही पार्लर में काम करती थी तब उन्होंने ही मुझे लेबियाँ सेक्स और थ्रीसम सेक्स करना सिखाया था. लेकिन ये आज तक थ्रीसम सेक्स में कभी शामिल नहीं हुई है. आज तक ल्वेस्बियाँ सेक्स ही किया है."
मैंने अब सान्या की मौसी को करीब से देखा. सान्या ने उनका नाम माल्या बताया था. माल्या बहुत ही सुन्दर लगी. उसके स्तनों के उभार तो देखने के लायक थे. मैंने आज तक इतने बड़े अतन नहीं देखे थे. हम तीनो घर आ गए. लीना सान्या और माल्या से मिलकर बहुत खुश हुई. हम सभी ने चाय नाश्ता किया. इसके बाद सान्या ने माल्या के बारे में सब बताया. अब सात बजे थे. सान्या ने माल्या को अपने करीब लिया और उसकी शर्ट उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा में थी. माल्या का रंग एकदम गोरा गुलाबी था. उसने रोयल ब्लू रंग कि ब्रा पहन रखी थी. उसके स्तन इस रंग में जबरदस्त उभरकर चमक रहे थे. सान्या ने कहा माल्या की कप छतीस डी है. अब सान्या ने माल्या के जींस भी खोल दी. लीना उसकी जंगों को छुआ और माल्या के गालों को चूम लिया. माल्या ने मुझे मुस्कुराकर देखा. मैं माल्या के करीब गया. माल्या के होंठ मेरे सामने थे और उस पर लगा गहरा लाल रंग का लिपस्टिक इतना ज्यादा लगा हुआ था कि होंठ और ज्यादा मोटे लग रहे थे. मैंने धीरे से अपने होंठ माल्या के होंठों पर रख दिए. माल्या ने अपना मुंह खोल दिया. मैंने धीरे से अपने होंठों को माल्या के खुले होंठों के बीच में रख दिए और धीरे धीरे माल्या के होंठों पर लगे लिपस्टिक को चाटने लगा. माल्या के होंठों पर इतनी गहरी लिपस्टिक लगी थी कि मेरे इतने चाटने पर भी वो ख़त्म ही नहीं हो रही थी. तभी लीना ने मुझे हटाया और माल्या के होठों को चूमना शुरू कर दिया. संय मुझे देख हंसने लगी क्यूंकि माल्या के लिपस्टिक का रंग मेरे होंठों पर और होंठों के आसपास की जगह पर फ़ैल गया था. माल्या और लीना ने काफी देर तक फ्रेंच किस किया. मैंने और सान्या ने भी फ्रेंच किस किया. सान्या ने मेरे होंठों के रंग को अपने होंठों पर चूस चूस कर ले लिया.
काफी देर तक हम चारों ने आपस में फ्रेंच किस किया. सान्या ने माल्या के साथ लेस्बियन सेक्स की कई मुद्राएँ की. मैं और लीना बहुत मजे से ये सब देखते रहे. लीना ने अपना दिमाग दौड़ाया और वामा को फोन किया. वामा ने जब माल्या के आने की बात सुनी तो उसने अपने पति से कोई बहाना किया और हमारे घर आ गई. उसने अपने पति से कहा कि लीना आज रात अकेली ही है क्यूंकि मैं बहुत लेट घर आने वाला हूँ. वामा का पति मां गया. वामा के आते ही अब मैं अकेला और मेरे साथ चार चार रसीली हसीनाएं हो गई थी. \
मेरा बेडरूम अब छोटा पड़ गया. लीना ने दभी गद्दे नीचे जमीन पर बिछाकर इसे हम पाँचों के लायक बड़ा बना दिया. सभी ने मुझे सबसे पहले माल्या के साथ सेक्स करने के लिए कहा. सान्या ने मजाक में कहा " आज माल्या की तो सुहागरात है." हम सभी ने अपने अपने कपडे खोल दिए. माल्या लेट गई. मैंने अपने लिंग पर कोंडोम चढ़ा लिया. माल्या का जननांग अभी तक किसी ने नहीं भेदा था फिर भी वो काफी ढीला और बड़ा था. मेरा लिंग बहुत ही आसानी से अन्दर चला गया. माल्या मेरे लिंग के अपने जननांग के अन्दर घुसते ही बहुत खुश हो गई. उसने मेरे साथ फ्रेंच किस किया. कुछ देर के बाद मैंने माल्या को आजाद कर दिया.
मैं और लीना खड़े होकर एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे कि तभी माल्या मेरे पीछे आकर मुझे जकड़कर खड़ी हो गई. उसके बड़े बड़े स्तनों का गुदगुदा दबाव मुझे मचलाने लगा. तभी सान्या मेरी बायीं तरफ और वामा मेरी दायीं तरफ आकर एकदम सटकर खड़ी हो गई. अब मैं चारों के बीच में था. मुझे सभी तरफ से स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैं सब की तरफ एक एक कर घुमा और चारों के साथ एक लंबा और बहुत ही गीला फ्रेंच किस किया. इससे मेरी हालत बहुत ही अजीब हो गई. मुझे लगने लगा जैसे मेरा लिंग बहने लगेगा. मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला.
मैं कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गया. माल्या ने तीनों को अपने साथ लिया और लेस्बियन सेक्स में लग गई. माल्या ने वामा के साथ और सान्या ने लीना के साथ जोड़ी बनाई. अब इन सभी चुम्बनों के साथ साथ अपने स्तनों को आपस में मिलाकर दबाना ; अपने जीभ से दूसरे की जीभ से मिलाकर चूमना , एक दूसरे की गरदन पर लंबा चुम्बन देना और ना जाने कितने ही इस तरह के क्रिया-कलाप शुरू हुए कि मैं दंग रह गया. मैं सोचने लगा कि किसी ने सच ही कहा है कि दो अय्रतों को आपस में सेक्स करते देखना सबसे गरम और सेक्सी नजारा होता है. मैं तो चार चार को एक साथ देख रहा था. करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक चारों की लेस्बियन लीला चलती रही. चार नाजुक ; मुलायम और चिकने बदन आपस में मिलते रहे और मुझे ललचाते रहे.
फिर माल्या ने मुझे भी शामिल कर लिया. अब लगभग वही सब क्रियाएं फिर से होने लगी. काफी देर तक यह चलता रहा. मैंने अब एक एक को अपने पास सुलाने का तय किया. सबसे पहले आज की मुख्य मेहमान माल्या की बारी थी. दस मिनट के भीतर मैंने माल्या के जननांग को पूरी तरह से लाल कर दिया और आखिर में गीला कर दिया. इसके बाद सान्या , फिर वामा और आखिर में लीना. यह सब होते होते रात के आठ बज गए. सब थक गए थे. सभी नहाए ; थोडा आराम किया और फिर सभी ने एक साथ खाना खाया और सुस्ताने लगे.
कुछ देर के आराम के बाद हम फिर से आपस में लिपटने लगे थे. वे चार थी और मैं अकेला. कितनी बार एक एक को सेटिस्फाई करूँ मेरी ताकत के बाहर था. चारों भूखी शेरनीयों की तरह मुझे रह रहकर दबोच रही थी. मैं जैसे ही एक को संभालता कि दूसरी आकर मुझे पकड़ लेती. मैं लगातार एक एक को संभालते संभालते थक सा गया. मैं लेट गया. मेरे लेटते ही चारों मुझ पर झपट पड़ी. चारों में मुझे जगह जगह चूम चूमकर गीला कर दिया. मैं छटपटाने लगा. अब लीना ने एक एक कर सभी को फिर से मेरे चुना. मैंने सभी के जननांगों को अपने लिंग से तरबतर किया.
माल्या हम सब से मिलकर बहुत ही खुश हुई. वो बार बार लगातार किसी ना किसी के साथ चुम्बनों का दौर जारी रखे हुए थी. मैंने माल्या के होंठों के रस को पी पीकर करीब करीब ख़त्म ही कर दिया.
वामा को सवेरा होते ही अपने घर जाना था जबकि बाकी सब रुकने वाली थी. वामा के कहने पर मैंने वामा को दुबारा बिस्तर पर लिया और उसके जननांग में मेरा लिंग फंसा दिया. वामा को जोर जोर से झटके अपने लिंग से दिए और फिर आखिर में अपने लिंग से उसके जननांग में तेज धार मारी. वामा निहाल हो गई. अब सभी थक गए थे. सभी सो गए. सवेरा होते ही वामा घर चली गई. माल्या और सान्या ठहर गई.
रविवार के दिन सान्या का पार्लर करीब ग्यारह बजे खुलता था. इसलिए मैंने माल्या और सान्या के साथ एक और दौर सेक्स का किया. लीना काफी थक गई थी इसलिए वो शामिल नहीं हुई. सान्या और माल्या दोनों हमारे यहीं नहाकर तैयार होकर अपने पार्लर चली गई. इसके बाद मैं और लीना सारे दिन बिस्तर में रहे. शाम होते होते मेरा बदन ऐसा दुखना शुरू हुआ कि मैं चार बजे सोया तो सोमवार को सवेरे पांच बजे उठा.
इसी तरह का एक दौर इस दिन के ठीक एक महीने बाद हुआ. उस दिन भी वामा ने कोई बहाना किया और हमारे साथ शामिल हो गई. मगर इसके बाद वामा को मौका नहीं मिल पाया. वामा के पति को कुछ शक हो गया कि वामा का किसी के साथ चाकर है. उसका शक हम पर नहीं हुआ था किसी और पर हुआ था. हम बाल बाल बच गए थे. लेकिन मैं लीना , सान्या और माल्या के साथ हर सप्ताह सेक्स कर ही रहा था. लीना की आदत अब ऐसी हो गई थी कि अब वो मेरे साथ अकेली नहीं सो सकती थी. इसलिए कभी सान्या तो कभी माल्या को बुलवा ही लेती. अब यह होने लगा कि सप्ताह में करीब पांच दिन हम तीन जने सोते.
माल्या के आने के बाद संया का पार्लर बहुत अच्छा चलने लगा था. इसलिए माल्या अब हमेशा के लिए सान्या के साथ ही रहने का फैसला कर चुकी थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. हम सभी बहुत खुश थे. हमें पता नहीं था कि हमारी ख़ुशी और भी बढ़ जायेगी. इतनी ज्यादा ख़ुशी कि किसी को कभी विश्वास नहीं होगा.
अगले भाग में बताऊंगा कि ख़ुशी कैसे बढ़ी.