बुधवार, 30 जून 2010

जन्नत

देहरादून का गेलार्ड क्लब. इस क्लब की मेम्बर्स केवल सेना के अफसरों की बीवियां ही है. मैं इस क्लब में बार काउंटर संभालता हूँ और साथ ही इस क्लब की कार का ड्राईवर भी हूँ. मेरा काम बार पर सभी महिलाओं को ड्रिंक्स सर्व करना और जो भी कहे उसे उसके घर तक छोड़ना है. मैं अभी तक कुंवारा ही हूँ.
मेरी किस्मत है कि सेना के अफसरों की इन खुबसूरत बीवियों को बहुत करीब से देखने का मौका मिलता रहता है. जा किसी को घर चोदता हूँ तो अच्छी टिप भी मिल जाती है. दोपहर को एक ग्रुप आता है. इसमें दो मेजर की बीवियां है और तीन अन्य अच्छी पोस्ट वाले अफसरों की. एक है मेजर आनंद की पत्नी माया मैडम . माया गज़ब की खुबसूरत है. एकदम लाल गोरा रंग. एक एक हिस्सा जैसे तराशा हुआ संगमरमर की कोई मूरत. दूसरी थी सीमा मैडम; मेजर सिंह की पत्नी. सीमा अपनी उमर से बहुत छोटी नजर आती थी. उसकी आवाज भी किसी कॉलेज जानेवाली लड़की जैसी थी. सीमा यूँ तो दुबली थी लेकिन उसके बूब्स बड़े थे. अन्य तीन थी हीना ; गुलनार और चित्रा. पाँचों आपस में बहुत ही अच्छी सहेलीयां. ताश की बाजियां चलती रहती और मैं लगातार उनके ग्लास भरते रहता. मैं अक्सर इन्हें इनके घर छोड़ने जाया करता.
एक दिन ये सभी कुछ ज्यादा ही खुश थी. उस दिन माया मैडम ने खूब चढ़ा ली. उनके कदम डगमगा रहे थे. सीमा ने मुझे माया मैडम को घर छोड़ने के लिए कहा. मैं उन्हें सहारा डॉ कार में बैठाया और उनके घर के तरफ चलने लगा. माया का घर आ गया. मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभालते हुए उनके घर में ले गया. उन्होंने मुझे नशे में ही कहा " मेरे बे रूम में पहुंचा दो." मैंने उन्हें उनके बेडरूम में ले गया. उन्हें पलंग पर बिठा दिया. अचानक माया मैडम पलंग पर ही ढेर हो गई. जब माया पलंग पर गिरी तो उनके द्वारा पहनी हुई लॉन्ग ड्रेस थोड़ी खिंच गई और उनकी गोरी टांगें घुटनों तक नंगी हो गई. उनकी मजबूत टांगें चमक रही थी. मैंने उनके सैंडल उतारने शुरू किये जिससे कि वो आराम से लेट जाय. मैंने एक सैंडल उतार दिया. जैसे ही दूसरे सैंडल को उतारने लगा माया के पैर में हलचल हुई और उसका पैर ऊपर उठाकर मेरे गालों से टकरा गया. मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ी. मैंने माया की मजबूत पिंडलीयों को अपने हाथ से दबाया और पता नहीं क्या मेरे मना में आया मैंने उस पिंडली को अपने होंठों से हलके से चूम लिया. माया थोडा हिली और नशे में ही बड़बड़ाई " नौटी बॉय." मैं वापस क्लब लौट आया.
अगले दिन जब वे पाँचों आई तो मैंने माया मैडम से नजरें चुराता रहा. माया कुछ नहीं बोली. जब सभी घर रवाना होने लगी तो अचानक माया ने मुझसे कहा " तुम्हें आज भी तकलीफ होगी. मेरा बायाँ पैर बहुत दर्द कर रहा है. आते वक्त भी बड़ी मुश्किल से कार चला पाई थी. तुम ड्राइव करो. वापसी में तुम तक्सी से आ जाना मैं अलग से पैसे दे दूंगी." मैं माया मैडम के साथ चला गया. जब हम घर पहुंचे तो माया बेडरूम में चली गई. मैं बाहर ही खड़ा रहा.माया ने आवाज देकर मुझे अन्दर बुलाया. मुझे सौ रुपये का एक नोट दिया. मैंने अहा " मैडम तक्सी के तो केवल बीस रुपये लगेंगे. " माया ने कहा " बाकी के रुपयों के लिए तुम्हें एक काम और करना होगा और वो भी अभी और यहीं." मैं बोला " जी मैं समझा नहीं." माया पलंग पर बैठ गई. उन्होंने आज साड़ी पहन रखी थी. उन्होंने साड़ी को पकड़ा और घुटनों तक ऊपर कर दिया. फिर मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " कल भी तुमने इन्हें चूमा था. आज भी चूमोगे. मुझे बहुत अच्छा लगा था. इसके साथ साथ तुम यहाँ पर थोड़ी मसाज भी करा देना." मैं अब कुछ नहीं कर सकता था. मैं जमीन पर बैठ गया और माया के दोनों पैरों की पिंडलीयां चूमने लगा. बीच बीच में अपने दोनों हाथों से उनकी मसाज भी करने लगा. माया मैडम को गुदगुदी सी हुई लेकिन उन्होंने अपनी दोनों टांगों से एक क्रोस बनाया और मेरे मुंह को उसमे जकड लिया. मैंने कुछ देर लगातार चूमा; मसाज किया और फिर माया ने कहा " अब तुम जा सकते हो." मैं सारे रास्ते अपने होंठों पर एक मिठास महसूस करता रहा.
अब तो लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन माया मैडम मुझे अपने साथ ले जाती और अपनी टाँगें चुमवाती ; मसाज करवाती और फिर एक सौ रुपये का नोट हाथ में थमा देती. एक दिन सीमा मैडम भी माया की कार में आई हुई थी. वापसी में उन दोनों को माया मैडम की कार में लेकर उन्हें घर छोड़ने गया. सीमा मैडम का घर माया मैडम से कुछ कदम की ही दूरी पर था. हमने सीमा मैडम को उनके घर छोड़ा और माया मैडम के घर आ गए. हमेशा की तरह मैं माया मैडम के बेडरूम में था. माया मैडम सोफे पर बैठी हुई थी. आज माया मैडम ने अपनी ड्रेस को घुटनों से भी थोडा सा ऊपर किया हुआ था. मैं उनकी टांगों की मसाज करते हुए बीच बीच उन्हें चूम रहा था. तभी सीमा मैडम भीतर आ गई. उसने मुझे माया मैडम के पैरों को चूमते हुए देख लिया. माया मैडम तो यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए उनकी आँखें बंद थी. मेरी और सीमा मैडम की ऑंखें मिल गई. सीमा मैडम ने में चुप रहने और माया मैडम को यह बात ना बताने का इशारा किया और मेरे करीब आकर मेरे हाथ में एक सौ रूपये का नोट रख दिया.
अब अगले दिन मेरी हालत बुरी हो रही थी. सीमा मैडम मुझे बार बार तिरछी नज़रों से देखती; फिर मुस्कुराती और फिर अपने होंठों को गोल कर के चूमने का इशारा करती. जब सभी रवाना होने लगी तो माया मैडम तो सीधी अपनी कार में चली गई. उनका ड्राईवर आया था. सीमा मैडम रुक गई. हीना ; गुलनार और चित्रा मैडम के जाने के बाद सीमा मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज तुम मुझे छोड़ने चल रहे हो. जाओ गाडी निकालो और मेरा इंतज़ार करो." अब मेरे पसीने छुटने लगे. सीमा मैडम घर पहुँचने के बाद बोली " तुम रुको मैं अभी आई." कुछ देर के बाद सीमा मैडम की अपने बेड रूम में से आवाज आई " सुनो , तुम अन्दर आ जाओ ." मैं जब अन्दर गया तो सीमा मैडम पलंग पर बैठी हुई थी और मुस्कुरा रही थी. उसने मुझसे कहा " अब तुम्हें वही करना है जो तुम माया के साथ करते हो. मेरी टांगें दर्द कर रही है. अपने होंठों से जरा मालिश कर दो." अब मेरी हालत खराब हो गई. लेकिन मन ही मन मैं खुश भी हो रहा था कि जिन टांगों को केवल उनके पति ही टच करते हैं मैं आज ना सिर्फ उन्हें अपने हाथों से मसल रहा था बल्कि उन्हें चूम भी रहा था. सीमा ने पलंग के सामने एक स्टूल रख दिया और उस पर अपनी टांगें फैलाकर रख दी. फिर मुझे उन दोनों टांगों के बीच में बैठ जानेको कह दिया. अब मेरा काम शुरू हो चुका था. सीमा बार बार अपने मुंह से कुछ मीठी मीठी आवाजें आह आह करके निकालती और मुझे यह सुन मजा और जोश आ जाता. सीमा मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे के बाद छुट्टी दी और मेरे हाथ में सौ रुपये दे दिए.
अब मेरा रोज का काम हो गया था. कभी कभी दोनों के यहाँ एक ही दिन मसाज और चूमने के मौके से मुझे दो सौ रुपये मिल जाते और साथ हो दो जोड़ी गोरी चिकनी टांगों को हाथ से छूने और होंठों से चूमने का मौका भी. मेरे लिए तो अब यही जन्नत थी.
एक दिन उन पांच के अलावा और काफी सारी आर्मी की महिलाओं ने एक बड़ी पार्टी रखी. उन सभी ने जमकर मजा किया. बहुत इ औरतों ने शराब पी और इधर उधर कदम फेंककर उलटा सीधा नाच भी किया. इस शोर शाराबे में सीमा मैडम ने मुझसे एक जाम भरवाया और पीते हुए मुझे एक आँख मारी. मैं एकदम हंस पडा. सीमा मैडम ने मेरा हाथ पकड़ा और क्लब के एक कोने में खम्बे के पीछे ले गई. सीमा मैडम ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में जकड लिया. अपने मुंह से एक फूंक मेरे मुंह पर मारी और बोली " आज तो तुम बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रहे हो " मैं कुछ ना बोला और इधर उधर यह देखने लगा कि कोई हमें देख ना ले. तभी समा मैडम ने तेजी से मेरे गालों को चूमा और बोली " अब तुम भी जल्दी से एक प्यारा सा किस दो. जल्दी कोई भी आ सकता है." मैं पहले तो थोडा डरा लेकिन फिर ऐसे सुनहरे मौके को ना गंवाते हुए सी मैडम के गालों पर एक चुम्बन जड़ दिया.
नाच गाना काफी देर तक चलता रहा. इस बीच सीमा मैडम ने मुझे दो बार और इसी तरह से कोने में लिया और मुझे भी चूमा और खुद को भी चुमवाया.
जब पार्टी ख़त्म हुई तो एक भी औरत अपने होश में नहीं थी. सीमा और माया मैडम बुरी तरह से लड़खड़ा रही थी. मैं दोनों को सीमा की कार में बिठाया और कार चला दी. पहले माया मैडम को उनके घर में छोड़ा. माया मैडम तो बाहर सोफे पर ही लेट गई. मैं सीमा मैडम कौंके घर में ले आया. सीमा मैडम थोड़े होश में थी. मैंने उन्हें जैसे ही उनके बेडरूम में उनके पलंग पर लेटते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.फिर अपनी आँखें घुमती हुई बोली " तुम कहा चल दिए जोंनी. मेरा पूरा बदन अज टूट रहा है. मसाज कौन करेगा!" मैं समझ गया. सीमा मैडम ने सीधे अपनी जींस खोल दी और अपन्खुब्सुरत टांगें फैलाते हुए बोली " प्लीज मसाज कर दो." मैंने उन खुबसूरत टांगों पर अपने हाथ रखे और धीरे धीरे मसाज शुरू कर दिया. सीमा मैडम ने मेरे हाथों को अपने हाथों से खींचते हुए आज पहली बार अपनी जाघों तक ले गई. मेरे हाथ कांपने लगे. सीमा मैडम की जांघें बहुत ही मुलायम और जबरदस्त चिकनी थी. मुझे मजा आने लगा. सीमा मैडम ने मुझे कहा " जॉनी मेरी कमर पर भी मसाज करो आज." सीमा मैडम पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी कुर्ती उतार दी. अब सीमा मैडम केवल ब्रा और पंटी में ही थी. उनका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने था. उनके अंग अंग से खुशबू आ रही थी. मैंने उनकी पीठ और बाहों पर भी मसाज की. अब सीमा मैडम पीठ केबल लेट गई. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेट पर रख दिया. मैंने उनके पेट और कमर के आसपास भी काफी देर तक मसाज की. करीब पौन घंटे की मसाज के बाद सीमा मैडम उठी. उन्होंने एक चद्दर अपने बदन पर लपेट ली. अपने पर्स में से उन्होंने सौ सौ के तीन नोट निकाले और मेरे हाथ में रखते हुए बोली " किसी को मत कहना कि तुमने मेरे बदन पर जगह जगह मसाज किया है." मैंने हाँ कहा. सीमा मैडम ने आगे बढाकर मेरे गालों पर छोटे छोटे दो चुम्बन रख इए उर बोली " दो दिन बाद हम तुमसे मसाज करवाएंगे. तैयार रहना जॉनी." मैं लगभग नाचता हुआ क्लब लौट आया.
करीब तीन दिन के बाद मैं माया मैडम को उनके घर छोड़ने गया. माया मैडम आज बहुत ही ज्यादा बहक चुकी थी. मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से कार से उअतारा और घर में ले आया. उन्होंने मुझे कसकर पकड़ रखा था. मैंने उन्हें पलंग पर लिटाया.उनके सैंडल खोले. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ रखा था. मैंने जैसे ही अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की उन्होंने एक झटके से मुझे खुद पर गिरा लिया. मेरी साँसें उनके गालों से टकरा रही थी. माया ने मुझे अपनी बाहों में भरा और बोली "आज तुम मेरे सारे शरीरी की मसाज करो मेरा बदन टूट रहा है." मैंने माया मैडम की भिईमा मैडम की तरह मसाज की. माया मैडम का सीना सीमा मैडम से बड़ा था लेकिन टांगें सीमा मैडम की ज्यादा रसीली थी. माया मैडम का व्यवहार ज्यादा खुला हुआ लगा. जब काफी मसाज हो गई तो मैं रुक गया.माया मैडम भी पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी टांगें मेरी गोद में रख दी. मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " एक औरत इस तरह से तुम्हारे सामने है और तुम शर्मा रहे हो." मैंने उनकी टांगें हटाई. अब माया मैडम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा और मेरे मुंह पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं तुरंत हुए इस हमले से अपना होश खो बैठा. माया मैडम ने मेरे सारे कपडे उतार दिए. उन्होंने मेरे पूरी मसाज की और बाद में मुझे पकड़कर पलंग पर ही लेट गई. मेरी उत्तेजना अब काबू से बाहर थी. माया ने तभी मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी इसी तरह जवाब दिया. अब हम आपस में गूँथ गए थे. माया और मैं एक दूसरे को चूमने लगे. तभी अचानक मैडम ने घडी देखी और मुझे कहा " अब तुम तुरंत भाग जाओ मेजर के आने का समय हो गया है." मैं क्लब लौट आया .
मैं अब जब भी सीमा और माया मैडम को देखता तो मुझे उनके जिस्म का एक एक मोड़ और गोलाई नजर आने लगती. एक दिन सीमा मैडम ने मुझे रविवार को बड़े सवेरे घर पर बुलाया. घर पहुँचने पर पता चला कि सीमा मैडम के पति मेजर दो दिन के लिए कहीं बाहर गया है. सीमा मैडम ने पहले मुझसे अपने पूरे जिस्म पर मसाज करवाया और उसके बाद मुझे अपनी बाहों में लिया और बिस्तर में आ गई. आज सीमा मैडम ने मुझे जगह जगह बहुत जोश के साथ चूमा. जब मुझ पर नशा छाने लगा तो सीमा मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. अब उन्होंने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया जब वो उत्तेजित होकर कड़क और सीधा हो गया तो तुरंत उस पर एक कंडोम चढ़ाया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मेरे लिंकों अपनी दोनों टांगों के बीच में फंसा लिया. अब धीरे धीरे मेरा लिंग सीमा मैडम के जननांग की तरफ बढ़ा और फिर उस बाहर से छोटे और कड़क लेकिन अन्दर से बहुत ही गुदगुदे छिद्र यानि कि जननांग में घुस गया.एक झटका सा लगा और हम दोनों पूरे आनंद में थे. सीमा मैडम ने मेरे लिंग को अपने जननांग में करीब आधे घंटे तक फंसाए रखा. जब मेरा लिंग ठंडा होने लगा तब मुझे छोड़ा. मुझे अगले दिन फिर इसी वक्त आने का कहकर सीमा मैडम ने मेरी ख़ुशी को दोगुना कर दिया था. इन सबसे बढ़कर बात यह थी कि सीमा मैडम ने मुझे पूरे चार सौ रुपये भी दिए थे. मैं मन ही मन जबरदस्त खुश होकर सीमा मैडम के घर से निकला. माया मैडम अपने घर के बाहर ही खड़ी थी. उन्होंने मुझे देख लिया. लेकिन मुझे पता नहीं चल पाया कि माया मैडम ने मुझे देखा है. दोपहर को क्लब में माया मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज सवेरे तुम सीमा के घर क्या करने आये थे?" मैं इस सवाल से घबरा गया. माया ने मेरे घबराये हुए चेहरे को दखा और बोली " तुम्हारी घबराहट सब बता रही है कि तुमने क्या किया है? चलो बताओ मुझे कि तुमने वहां क्या किया?" मैंने इस से कि मैं एक बहुत ही छोटा नौकर हूँ और कुछ ना कहने से मेरी नौकरी भी जा सकती है. साथ ही इन दोनों से मिल रही कमाई भी बंद हो सकती है; मैंने सीमा के घर हुई सारी घटना बता दी. माया ने मेरे गाल पर एक चिकोटी कटी और बोली " एक बहुत ही छोटा मुलाजिम और किस्मत तो देखो! तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे काम आ रही है. अब तो तुम्हें मेरे घर भी आना पडेगा!"
अगले दिन मैं पहले माया मैडम के घर गया. उनके पति तब तक ड्यूटी पर जा चुके थे. माया मैडम मुझे लेकर घर के पिछवाड़े सर्वेंट क्वार्टर में ले आई. उस छोटे से कमरे में एक बिस्तर बिछा हुआ था. माया मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर इसके बाद हम दोनों उस बिस्तर पर लेट गए. मैंने माया मैडम के सारे जिस्म की मसाज की. माया मैडम का गोरा और मजबूत जिस्म सीमा मैडम से कहीं ज्यादा गरम और आकर्षक था. माया मैडम की कमर औए बाहें ऐसी थी कि कोई भी पिघले बिना ना रहे. अब मैंने माय्म्दम के कहने पर उनके एक एक अंग को चूमना शुरू कर दिया था. माया मैडम बहुत ही आराम से मुझसे यह काम करवा रही थी. मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था. मैंने माया मैडम की सुराहीदार गरदन के नीचे चूमा तो मेरे सारे बदन में आग लग गई. माया मैडम का सारा जिस्म जैसे मलाई था. मैं माया मैडम को अब हर जगह चूमने लगा. माया मैडम ने भी मुझे गालों पर चूमा और मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया. आखिर में माया मैडम ने एक कंडोम मेरे हाथों में दिया. मैंने तुरंत अपने तने हुए लिंग पर चढ़ा लिया. अब माया मैडम ने अपनी दोनों टांगों अंग्रेजी के वी की तरह फैला दी. मैं माया मैडम के गोरे गुलाबी और घुंघराले बालों से ढके हुए जननांग को देख अपना होश गँवा बैठा. माया मैडम ने इशारा किया और मैं उन पर लेट गया. जैसे ही ने माया मैडम के जननांग से अपना लिंग स्पर्श कराया हम दोनों के जिस्म में बिजलीयाँ दौड़ गई. मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को उनके जननांग पर मसाज जैसे किया. फिर माया मैडम ने मेरे लिंग को अकडा और धीरे से अपने मखमली और रस से लबालब भरे हुए जननांग में डाल दिया. मैंने थोडा जोर लगाया और मेरा लिंग माया मैडम के जननांग के भीतर था. माया मैडम का जननांग सीमा मैडम के जननांग से कहीं ज्यादा गुदगुदा और गीला था. मुझे बहुत मजा आने लगा. ना तो मुझे और ना ही माया मैडम को समय का पता चल पाया. करीब एक घंटे से भी ज्यादा देर तक मैंने माया मैडम के जननांग को भेद भेद कर गरम का दिया. माया मैडम का गोरा जननांग इस से गहरा लाल हो गया था. माया मैडम ने मुझे मेरे होंठों पर अपने नम नरम और रसीले होंठों से बहुत ही नाजुकता से चूमा. न्होंने जैसे ही मुझे इस तरह से चूमा मेरे लिंग से अचानक ही गाढे रस की धार बहकर कंडोम में भरने लगी. कंडोम फैलने लगा और माया मैडम के जननांग में जोर की गुदगुदी होने लगी. माया मैडम ने मुझे जोर से पकड़ लिया. हम दोनों तडपे और फिर दो मिनट के बाद सब शांत हो गया. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.
उधर सीमा मैडम दरवाजे के बाहर खड़ी मेरे आने की राह देख रही थी. जब सीमा ने मुझे आते नहीं देखा तो वो अपने घर की छत पर युहीं आकर खड़ी हो गई. वो अब इधर उधर देखने लगी. सीमा जिस जगह खड़ी थी वहां से माया मैडम के पिछवाड़े वाला सर्वेंट क्वार्टर साफ़ दिखाई दे रहा था. तभी माया मैडम ने दरवाजे को थोडा सा खोल दिया जिससे कि थोड़ी हवा आने लग जाय. हम दोनों को बहुत गर्मी लग रही थी. इधर माया का दरवाजा खोलना हुआ और उधर सीमा का उसी दरवाजे की तरफ देखना हुआ. सीमा ने माया के नगे जिस्म की एक झलक देख ली. सीमा को ना जाने कैसे थोडा शक हो गया और वो तुरंत अपने घर से बाहर निकालकर माया के घर की तरफ आ गई. उसने बगीचे का दरवाजा खोला और दबे पाँव पिछवाड़े की तरफ आ गई. थोडा सा दरवाजा खुला और अन्दथानी हवा आने लगी. इससे माया मैडम को एक बार फिर थोडा नशा आ गया और उन्होंने मुझे फिर से लिपटा लिया. मैं भी उन्हें फिर से चूमने लगा. सीमा ने तभी दरवाज के ओट से अन्दर झांका और हम दोनों को इस हालत में देख लिया. मैं माया मैडम के नीचे था और वो मेरे ऊपर इसलिए मैं सीमा को नहीं देख पाया. सीमा और माया की अज्रें आपस में मिल गई. दोनों ने आपस में कोई इशारा किया और सीमा उस कमरे में आ गई. माया ने मेरी पकड़ ढीली की तब मुझे पता चला कि सीमा अन्दर आ चुकी है. मैं कुछ समझ पाटा सीमा ने अपने कपडे उतार दिए. माया ने मुझे गालों पर चूमा और बोली " अब सीमा तुम्हे अपना शिकार बनाएगी. आज तुम्हें बिलकुल आराम नहीं मिलने वाला." सीमा नीचे बैठ गई. उसने माया के स्तनों को चुमौर बोली " अब तो हट जाओ यार. अब मेरी बारी है." माया ने भी सीमा के गालों को चूमा और बोली " तुम्हें किसने रोका है? चलो शुरू हो आओ." सीमा ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मुझे अपने जिस्म का मसाज करने को कहा. मैंने सीमा के जिस्म की मसाज करना शुरू किया. माया मैडम भी हमारे पास ही बैठी थी. मुझे बहुत अटपटा लग रहा था. तभी माया मैडम ने थोड़ी थोड़ी देर से मुझे गालों पर चूमना शुरू कर दिया. सीमा ने आया की तरफ देखा और बोली " ये क्या बात हुई! मैंने कहा ना कि मेरी बारी है." माया ने हँसते हुए कहा " अगर ये अपना काम बराबर कर रहा है तो करने दो ना. तुम्हें मजा आ रहा है. इसे भी मजा आ रहा है और मुझे भी. सब चलने दो." सीमा मुस्कुराने लगी.
सीमा की पूरी मसाज करने के बाद माया ने एक और कंडोम निकला और मेरे लिंग पर चढ़ा दिया. फिर मुझे सीमा पर धकेलते हुए बोली चलो शुरू हो जाओ." सीमा ने मेरे लिंग को पकड़ा और अपने जननांग में धकेलते हुए बोली " अब तुम माया और मुझे बता दो कि तुममे इतनी ताकत है कि तुम हम दोनों का एक साथ शिकार बनने के काबिल हो." मैंने अपनी सारी ताकत लगा दी और सीमा के जननांग की आखिरी गहराई तक पहुंचा दिया. सीमा के गालों और होठों पर पसीने की बूंदें दिखने लगी. माया नीचे झुकी और मुझसे बोली " देखो इस गालों और होंठों पर कितनी नमी हो गई है. चलो. इसे चूम कर साफ़ करो." मैंने समा के गालों पर का पसीना चूम कर साफ़ किया. फिर माया ने मेरे मुंह को सीमा के मुंह की तरफ धकेला. सीमा ने अपने गीले और नाजुक होंठ खोल दिए. मैंने उन होंठों को भी चूमा. अब सीमा ने मुझे कहा " अब तुम थोड़ा और तेज करो. " मैंने थोडा जोर और लगाया ही था कि एक घन्टे के अन्दर दोबारा मेरा लिंग एक बार फिर गाढ़ा रस बहाने लगा. एक बार फिर कंडोम फैला और इस बार सीमा ने मुझे कसकर पकड़ा. उसे माया से भी ज्यादा गुदगुदी हुई थी. मैं और सीमा सब तरफ से एक दूजे से लिपट गए. मैंने देखा कि माया उठी और वो मेरे ऊपर लेट गई. सीमा थोडा उछली और कुछ ऐसा हुआ कि मैं टेढा लेट गया और सीमा और माया मेरे ओनों तरफ आ गई. माया ने मुझसे कहा " तुम्हें पता है थाईलैंड में इसे संद्विच मसाज कहा जाता है. हम दोनों तुम्हारा सैंडविच मसाज कर रही है. समझे तुम बुद्धू कहीं के." मैं इसके बाद अपने चुदै कोशिश करने लगा. सीमा ने मेरे लिंग को छोड़ दिया. माया ने मुझे अपनी तरफ किया और मुझे एक और कंडोम थमाते हुए कहा " चलो फिर से सुरु ओ जाओ." मुझे अब बिलकुल हिम्मत नहीं थी. लेकिन मेरी मज़बूरी थी. मैंने एक बार फिर माया के जननांग में अपना लिंग फंसाया. माया ने एक बार फिर मुझे कसकर पकड़ा और मुझे ऐसा लगा कि आज मेरा लिसमे से बाहर आ ही नहीं पायेगा और अगर आ गया तो एक बार सीमा उसे अपने अन्दर फंसा लेगी.
जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ. जैसे ही माया ने अपनी पकड़ ढीली कर मेरा लिंग अपने जननांग से बाहर निकलने दिया तो सीमा ने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी एक टांग ऊँची की और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़कर अपने पूरी तरह से गीले हो चुके जननांग के भीतर फंसा लिया. अब मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हैं. माया ने सीमा से कहा " अब इस बिचारे को थोडा ब्रेक दे देते हैं. नहीं तो ये बेहोश हो जाएगा." सीमा मां गई. उन दोनों ने मुझे सीधा लेटने को कहा. मेरी सांस बहुत तेज चल रही थी. सीमा और माया ने दोनों ने अपने नाजुक नाजुक हाथों से मेरे जिस्म पर हौले हौले मसाज आ शुरू किया. मुझे बहुर अच्छा लगा. करीब दस मिनट के मसाज के बाद मुझे अपनी कमजोरी कम लगने लगी. अब माया ने अपनी टांग ऊपर क मेरे लीं को पकड़कर अपने जननांग के अन्दर डाल दिया. इस तरह सीमा और माया ने अगले दो घंटों तक और मेरे लिंग को अपने अपने जननांगों के भीतर पांच पांच बार और डाला. अंत में उन दोनों ने मेरे होंठों को चूसा और मेरे हाथ में एक हजार रूपये रख दिए. मैं हर तरह से थका हारा अपने घर आ गया. उस दिन मैं क्लब नहीं जा पाया.
यह दिन मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा मैंने नहीं सोचा था.मैं एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाऊंगा कि उससे निकलना नामुमकिन हो जाएगा ये भी मैंने नहीं सोचा था. दो दिन के बाद मुझे माया ने क्लब में टेबल के पास बुलाया. उस वक्त माया और सीमा के अलावा हीना ; गुलनार और चित्रा मदमें भी थी. माया ने मुझसे कहा " जॉनी ; हम जानती है तुम बहुत ही सीधे लड़के हो. मैं और सीमा तो तुम्हारी मदद कर ही रही है. अब हीना ; गुलनार औए चित्रा भी तुम्हारी मदद करने को तैयार हो गई है. तुम्हारा जीवन संवर जाएगा. " माया मैडम की इस बात से मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई.
दो दिन बाद सीमा ने क्लब में ही बने एक रेस्ट रूम में मुझे बुलाया और चित्रा के सामने खडा करते हुए बोली " चित्रा मैडम का पूरा ध्यान रखना." सीमा बाहर चली गई. चित्रा मदुरै की रहनेवाली थी. उनकी उम्र तो केवल तीस साल ही थी लेकिन जैसा कि दक्षिण भारत की महिलाओं का होता उनका भी जिस्म जबरदस्त भरा हुआ था. था मेरे कहने का मतलब हर जगह मांसलता झलक करा बाहर आ रही थी उनके होंठ थोड़े मोटे थे लेकिन थे बहुत ही ज्यादा रसवाले. सीना भी जबरदस्त चोडा. चित्रा मैडम ने मेरे सारे कपडे खुलवा लिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी. जैसे ही मैंने उन्हें ब्लाउज उतारने के बाद देखा तो मैं काँप उठा. उनका सीना मेरे अंदाज से भी कहीं ज्यादा उभरा हुआ और फैला हुआ था. एक एक स्तन एक बम के जैसा दिखाई दे रहा था कि इस बम से अब कोई नहीं बचने वाला. चित्रा ने मुझे अपने पेटीकोट के नाड़े को खोलने के लिए कहा. मैंने कांपते हाथों से नाडा खोल दिया. अब चित्रा का करीब करीब नब्बे फ़ीसदी नंगा जिस्म मेरे सामने था. उस रेस्ट रूम में सिर्फ इतनी जगह थी कि कोई एक अकेला ही वहां बिछे तीन फुट चौड़े सोफे पर लेट सकता था. बस इसके आवा और कोई जगह नहीं थी. वो कमरा चार फुट चोडा और सात फुट लम्बा था. चित्रा उस रेस्ट रूम के सोफे पर लेट गई. मैं उनके जिस्म की मसाज करने लगा. मुझे चित्रा मैडम का जिस्म बहुत गरम लग रहा था. उनकी सांसें भी गरम गरम थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग के पास बैठा हुआ हो. जैसे ही मैंने उनके सीने पर मसाज के लिए हाथ रखा तो मेरे हाथ उस गुदगुदे और उभरे हुए गोल गोल स्तन के स्पर्श से मेरे पसीने छुट गए. चित्रा को यह मसाज बहुत अच्छा लगा. अब चित्रा मैडम ने अपनी ब्रा उतार दी. अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई कि मैं किस तरह से अपने पर काबू रखूं. चित्रा मम के दोंन स्तन इतने बड़े थे कि मेरे दोनों हाथ मिलकर भी उनमे से एक को भी पूरा ढक नहीं पा रहे थे. चित्रा ने मुझे अचानक अपनी तरफ खीच लिया और मैं उन पर गिर गया. चित्रा ने मुझे अपने ऊपर अच्छी तरह से लिटा लिया. मैं चित्रा मैडम के गद्दे जैसे जिस्म पर लेट कर बड़ा अच्छा महसूस कर रहा था. अब मैंने चित्रा मैडम के कहे अनुसार उन्हें शुरू किया. सी तरह चित्रा मैडम भी मुझे चूमती रही. करीब दस मिनट क एबाद चित्रा ने मुझसे अपना जिस्म अगभाग हर जगह से चुमवाया और फिर मेरे हाथ में एक सौ रुपये का नोट रखा और मुझे छोड़ दिया.
जब मैं बहार आया रो माया मैडम ने मुझे देखा और बोली " कहाँ जा रहे हो. वापस रेस्ट रूम में जाओ. हीना भी आ रही है." तभी हीना मैडम उठी और मेरे साथ रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे अपने कपडे उतारने को कहा. मैंने हीना मैडम के एक एक कर सभिकप्दे उतार दिए केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर. हीना उस सोफे पर उलटा लेट गई. इसके बाद मैंने चित्रा मैडम की तरह उनके भी जिस्म का मसाज किया. हीना का जिस्म ठीक ठाक था. ना ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली. बस उनकी कमर जबरदस्त घुमावदार थी. इसके बाद हीना उठी और मुझे सोफे पर लेटने को कहा. फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने जिस्म को मेरे जिस्म से रगडने लगी. उसने इस मसाज का भी पूरा मजा लिया और फिर मुझे बिना अपना जिस्म चुम्वाये एक सुआ रूपये देकर बाहर जाने को कहा.
माँ ने मुझे कहा कि गुलनार को मुझे उसके घर छोड़ना है.
मैं गुलनार मैडम को लेकर माया मैडम की कार में उनके घर चल पडा. माया मैडम भी हमारे साथ थी लेकिन वो बीच रास्ते में किसी दुकान पर उतर गई. गुलनार मैडम ने बड़े तड़क भड़क कपडे पहन रखे थे. काले रंग की सलमा सितारों वाली कुर्ती और उसके नीचे काला लेकिन सफ़ेद छापा हुआ लहंगा. गुलनार मैडम ने होंठों पर गहरा बैंगनी रंग कि लिपस्टिक भी लगा रखी थी. वैसे मुझे सुरु से गुलनार मैडम सबसे ज्यादा पसंद थी. ये पसंद उनके अलग अलग रंग के गहरे शेड्स के लिपस्टिक की वजह से थी. मैं कार चलाते चलाते उनके बैंगनी होंठों को ही देख रहा था.
घर आते ही गुलनार मुझे अपने कमरे में ले गई. उनके कमरे से लग गया कि गुलनार बहुत रंगीन जाज की औरत है. कमरे में सभी खिड़की दरवाजों पर परदे टंगे हुए थे और तेज लाल बल्ब की रौशनी थी. इस रौशनी में गुलनार किसी गुलाब जामुन से कम नहीं लग रही थी. गुलनार ने अपना एक पैर उठाया और मुझे इशारा किया. मैंने उनका पैर पकड़ा और सामने की स्टूल पर रख दिया. अब गुलनार ने धीरे धीरे अपना लहंगा ऊपर उठाना शुरू किया. मैं उनके पैर देखकर दंग रह गया. मैंने आज तक इतना गोरा रंग किसी भी औरत का नहीं देखा था. सुर्ख गुलाबी और चमकदार गोरा रंग और लम्बी तराशी हुई टांगें. उतनी ही घुमावदार जांघें. किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. मैंने अब गुलनार मैडम की उस टांग का मसाज करना शुरू किया. मेरे हाथ फिसलने लगे अपने आप. ऐसा लगा जैसे किसी ने ढेर सारा क्रीम पहले से ही उस टांग पर लगा रखा हो. फिर गुलनार ने अपनी दूसरी तंग स्टूल पर रख दी. मेरे अर्मानाब मचलने लगे थे. गुलनार मैडम ने शायद यह सब भांप लिया. उसने कब दस मिनट तक अपनी टांगों का मसाज करवाया औए फिर मेरे हाथ में एक सौ रूपये रखे और बोली " बाकी माज कल करना. वैसे तुम मसाज बहुत ही अच्छा करते हो. माया ने ठीक ही कहा था." मैं सच कहता हूँ उस रात मैं बिलकुल नहीं सोया. मुझे रह रहकर गुलनार मैडम की टांगें दिखती रही.
अगले दिन जब मैं क्लब पहुंचा तो हीना के अलावा कोई भी आया हुआ नहीं था. हीना मुझे लेकर रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे धीमी आवाज में कहा " माया ने बता कि तुमने माया की भूख भी मिटाई है. आज सभी थोड़ी देर से आनेवाली है.तुम आज मेरी भी भूख मिटा दो ना ." मैं तुरंत तैयार हो गया., हीना ने पहले मेरे और फिर बाद में कहके सभी कपडे उत दिए. अब हम दोनों पूरी तरह से बिना कपड़ों में थे. हीना ने मुझे यहाँ हाँ चूमा और मेरा लिंग तुरंत कड़क होकर खडा हो गया. हीना ने तुरंत उस पर कंडोम लगा दिया और मुझे लेकर उस संकरे सोफे पर लेट गई. मैंने थोड़ा डरते डरते कि कहीं कोई आ ना जाए और हमें देख ना लें; अपना लिंग उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. हीना ने तुरंत अपने हाथ से मेर अलिंग पकड़ा और अपने जननांग में घुसेड दिया. कुछ ही संमे हम दोनों बादलों में उड़ने लगे. हीना ने मुझे बहुत तंग किया. मुझे पता था कि मुझे पूरे दिन क्लब में काम करना है लेकिन हीना मैडम मुझे बार बार जोर लगाने को कहती रही और मुझे मजबूरी में उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ी. हीना मैडम ने मुझे पूरे एक घंटे के बाद जब चोडा तब मेरे लिंग ने मेरा सारा रस उस कंडोम में छोड़ कर भर दिया था जो कि हीना मैडम के जननांग में दूर तक घुसा हुआ था और हीना मैडम ने अपनी टांगों को जोर से दबाकर मेरे लिंग को फंसा रखा था. मैं बहुत तडपा लेकिन हीना मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे तक तड़पाया और फिर बाद में मुझे छोड़ा. अब मेरी सारी ताकत ख़त्म हो चुकी थी.
इस दिन के बाद मैं अगले दो दिन कब नहीं जा पाया. मुझे बुखार आ गया. मेरा सारा बदन टूट रहा थ. मैंने देहरादून से भागने का सोचा लेकिन फिर यह दिमाग में आते ही कि मैं अपनी मां को लेकर कहाँ कहाँ भटकुंगा और उसे क्या खिलाउंगा मैंने सारे इरादे छोड़ दिए और ये ठान ल्या कि अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा. मैं अपनी ताकत बढ़ाऊंगा और उन पांचो से ढेर सारा पैसा कमाऊँगा. अब मैंने उन से मिले हुए रुपयों से फल और दूध रोज लेने लगा. करीब एक सप्ताह के बाद जब मैं क्लब पौंचा तो मैं बहुत कुछ संभल चुका था. एक सप्ताह के इस खाने पीने ने मेरी ताकत थोड़ी सी ही सही लेकिन बढ़ा दी थी अब मैं उन पाँचों से मिलने को तैयार था और संभालने को भी तैयार था.
मैं जैसे ही क्लब पहुंचा वे पाँचों मुझे देख बहुत खुश हो गई. मेरा हाल चाल पूछा. जब मैंने खुलकर उन्हें सारी बात बताई तो माया ने मुझसे कहा " तुमने बहुत सही फैसला किया है जॉनी.. ये तुम जब हम पाँचों के लिए इतना कुछ सोच रहे हो तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है तुम्हारे लिए. ये लो पूरे एक हजार रुपये. ये हम तुम्हें हर महीने अलग से देंगे. इससे तुम अच्छी खुराक लेते रहना. " मैंने खुश होकर रुपये ले लिए. सीमा मैडम ने मुझे रेस्ट रूम में जाने का इशारा किया. मैं रेस्ट रूम में गया. तभी चित्रा मैडम भीतर आ गई. पहले ही दिन मुझे चित्रा मैडम का भरा हुआ जिस्म मिला. मैंने कंडोम लगाकर अपने लिंग को चित्रा मैडम के उस बड़े और ढीले दरवाजे वाले जननांग को करीब आधे घंटे तक अंतिम दूरी तक भेदा. चित्रा मैडम उस छोटे सोफे पर बड़ी मुश्किल से आ पाई थी लेकिन उसने मुझे ऐसा जकड़ा कि मुझे लगने लगा कि अब और कितनी दूर तक मेरा लिंग आगे जा सकता है. चित्रा मैडम ने मुझे सौ रुपये थमाए और मुझे चूमते हुए बोली " आज बहुत मजा आया जॉनी. अब जब कभी कर्नल बाहर जाएगा तो तुम आने के लिए तैयार रहना."
दूसरे दिन गुलनार मैडम मुझे ले माया मैडम के घर आई. मैंने देखा कि हीना मैडम पहले से ही वहां मौजूद थी. गुलनार और हीना मैडम मुझे माया मैडम के सर्वेंट क्वार्टर में आ गई. आज मैंने गुलनार मैडम का अंग अंग ध्यान से देखा. उस जैसी कोई दूसरी कहीं नहीं है. गुलनार से पता चला उनके पति सेक्स में बिलकुल ही रूचि नहीं लेते हैं. आज गुलनार मैडम ने जब अपने सारे कपडे उतार दिए तो मैं और हीना मैडम दोनों उन्हें निहारने लग गए. हीना मैडम खुद केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. हीना ने मुझे गुलानर को मसाज के लिए कहा. मैंने पूरे तन मन से गुलनार के जिस्म पर मसाज करना आरम्भ किया. गुलनार मैडम का सारा जिस्म फिसल रहा था. हीना मैडम ने भी मेरे साथ गुलनार मैडम के जिस्म पर मसाज किया. गुलनार मैडम के मुंह से आहें निकलने लगी थी. हीना मैडम ने गुलनार मदम के गालोपर एक चुम्बन दिया. गुलनार तड़प उठी. गुलनार मैडम ने हीना मैडम के गाल चूमे. हीना मैडम ने मुझे गुलनार मैडम के ऊपर लेटने को कहा और वो गुलनार के गालों और गरदन के नीचे छोटे छोटे चुम्बन देने लगी. गुलनार मैडम लगातार तड़प रही थी. मैंने हीना मदम के इशाए से अपने लिंग पर कंडोम चढ़ा लिया. हीना ने गुलनार के होठों पर एक नाजुक सा चुम्बन दिया और मुझे अपना लिंग उसकी टांगों के बीच ले जाने को कहा. गुलनार मैडम का अंग इतना फिसलन भरा था कि मुझे एकही टच में गर्मी आ गई. गुलनार मैडम ने मुहे कसकर पकड़ लिया. हीना मैडम ने अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग की तरफ बढ़ाया. गुलनार मैडम का गला सूखने लगा था. हीना मैडम ने उन्हें पानी पिलाया. जब गुलनार वापस लेटने लगी तो हीना ने गुलनार की टांगें फैला दी. मैंने और हीना ने उनके गुप्तांग और जननांग को देखा. एकदम साफ़ सुथा शावे किया हुआ. गुलाबी गुलाबी चमड़ी जो चिकनी ही और चमक रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आगे बढाकर अपने हाथ से उसे छुआ. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मखमल का कपड़ा छु लिया हो. हीना ने मेरा हाथ वहाँ से हटाया और अपने होंठों से गुलनार माम के गुप्तांग को चूम लिया. मेरे मुंह से एक आह निकल गई. मेरे बदन में बिजली सी फ़ैल गई. मैंने भी अपना मुंह आगे किया और गुलनार मैडम के गुप्तांग पर अपने होंठों से एक चुम्बन रख दिया. गुलनार ने मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. अब हीना मैडम ने मेरे लंग को पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग के अन्दर ठूंस दिया और मेरे कमर पर अपने हाथों से जोर लगाने लगी. थोडा सा समय लगा लेकिन मेरा लिंग गुलनार के मलाईदार जननांग के भीतर पहुँच गया. मैंने गुलनार के गुलाब जननांग को आधे घंटे के बेरोक मेहनत से पूरा गहरा लाल कर दिया.
गुलनार मैडम के हटते ही हीना मैडम लेट गई. हीना मैडम ने अपने आप ही मेरा लिंग पकड़ा और तुरंत ही जोर लगाकर और दबाकर अपने जननांग में एकदम गहराई तक घुसा दिया. मैंने हीना मैडम की इच्छा के हिसाब से करीब आधा घंटा अपना लिंग उनके जननांग में ही घुसाए रखा और रुक रुक कर अन्दर बाहर करता रहा. उस छोटे क्वार्टर में हम तीनों काफी करीब करीब केते हुए थे. हीना मैडम की जब प्यास बुझ गई तो मैं खडा हो गया. अब उन दोनों ने भी कपडे पहन लिए. सीमा मैडम ने एक आवाज माया मैडम को दी. माया भी अन्दर आ गई. वो कमरा था सात फुट चौड़ा और आठ फुट लंबा और उसमे चार फुट चौड़ा और सात फुट लंबा पलंग बिछा हुआ था. उस पर मारे अलावा माया ; हीना और गुलनार मैडम भी आ गई थी. वो अब एक अच्छा खासा मसाज पार्लर लग रहा था. अब माया मैडम की बारी थी. हीना और गुलनार कपडे पहनकर बाहर चली गई.
अब माया मैडम ने मुझे पकड़ लिया. मैं थोडा थक गया था और इसका पूरा फायदा माया मैडम उठा रही थी. वो अब मेरे ऊपर बैठ गई. मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसाया और खुद ही अपने पैरों के बल ऊपर नीचे होकर मेरे ली को जानांग से अन्दर बाहर करने लगी. मुझे माया मैडम का यह अंदाज बहुत पसंद आया. माया मैडम ने पूरे आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक इसी अंदाज में मेरे साथ मजा किया. जब मैंने माया मैडम के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए तो माया मैडम मेरे ऊपर से उठ गई. तीनों ने मुझे रूपये दिए औरन अपनी ड्यूटी पर क्लब आ गया.
अब तो माया मैडम का सर्वेंट क्वार्टर तय जगह बन गई थी. हर दूसरे दिन शाम को दो या तीन वहाँ आ जाती और मैं एक के बाद एक सभी को बारी बारी से अपनी पूरी मेहनत से उनकी प्यास को बुझाता. कभी कभी जब माया मैडम के पति रात के ड्यूटी पते तो शाम से देर रात तक यह कार्यक्रम चलता रहता. सीमा माया मैडम की पड़ोसन थी इसलिए सीमा मैडम कई बार रात के बारह बारह बजे तक रुक जाती. वो अपने पति से यह कहती कि माया अकेली है. इसलिए वो उसके यहाँ जा रही है. इस तरह की रात मेरे लिए जन्नत हो जाती. एक ही बिस्तर पर माया और सीमा मैडम मेरा साथ होती और मुझे लगातार हर तरह से इस्तेमाल करती.
एक दिन की घटना बताये बगैर ये कहानी खत्म नहीं कर सकता. उस दिन मैं माया मैडम के उसी क्वार्टर में था. माया मैडम के साथ चित्रा मैडम भी थी. चित्रा मैडम कोटि थी इसलिए हम तीनों बहुत ही मुश्किल से उस बिस्तर पर आ पा रहे थे. मैं लगातार दोनों के बीच फंसा हुआ एक एक की इच्छा उरी कर रहा था. तभी माया मैडम के पति आ गए. माया मैडम तुरंत कपडे पहनकर चली गई. अब मैं और चित्रा मैडम उस कमरे में रह गए. आवाजों से यह पता चल गया कि उनके पति के साथ और भी तीन चार लोग है. अब हम बाहर जा ही नहीं सकते थे. क्यूंकि सभी बगीचे में बैठे थे. दोनों रास्ते बगीचे से ही होकर बाहर जाते थे. मैं बुरी तरह गहरा गया. लेकिन चित्रा मैडम ने मेरा हौसला बढाया. चित्रा मैडम ने मुझे अपने से लिपटा लिया. चित्रा मैडम ने मुझे लगातार आजमाया. मैंने अपने लिंग को उनके जननांग में आगे से ; पीछे से, कभी खड़े होकर तो कभी उनके ऊपर बैठ कर ; हर तरह से उनके जनांग को भिगोये रखा. कि कभी ऐसा अगता जैसे चित्रा मैडम का जननांग एकदम ढीला और बड़ा हो गया है. मैं थोडा भी हिलता तो मेरा लिंग बाहर आ जाता.
शायद किसी को भी विश्वास नहीं होगा. उस दिन मैंने चित्रा मैडम के जननांग में मेरा लिंग लगातार दो घंटों तक रखा था. बीच बीच में एकाध मिनट के लिए निकालता और फिर डाल देता. चित्रा मैडम मेरी हिम्मत से बहुत खुश हो गई. बाहर से आवाजें अब भी आ रही थी. अब हम दोनों ही थक चुके थे. हम दोनों को नींद आ गई. मेरा लिंग अभी भी चित्रा मैडम के जनांग में था और उसी तरह हम दोनों सो गए. जब वे लोग चले गए और माया के पति उन्हें छोड़ने गए तब माया अन्दर आई. उन्होंने जब हमें इस हालत में सोते देखा तो उन्हें बड़ा अच्छा लगा. उन्होंने हमें जगाया और हम अपने अपने घर लौट आये.
इस घटना के बाद अब करीब सात महीने बीत चुके हैं. आज भी मेरा यह मसाज और संभोग का काम बिना किसी रोक टोक के जारी है. मेरी क्लब कि तनख्वाह तीन हजार है और मुझे इन पाँचों से कभी चार तो कभी कभी छह हजार तक मिल जाता है. मैं मेरी जन्नत में बहुत खुस हूँ.

शुक्रवार, 25 जून 2010

मेरी दोस्त या .......
मैं दिल्ली में एक नामी वकील हूँ. मेरी उमर चवालीस साल है. मेरी पत्नी का मुझसे तलाक हो चुका है. मेरी पत्नी ने अपने केगे के जमाने के एक दोस्त से अपना रिश्ता स्वीकारते हुए मुझसे तलाक ले लिया. तबसे मैं अकेला हूँ. यह करीब बीस साल पहले की बात है. करीब सात महीने पहले हमारे घर के सामने एक नया परिवार रहने के लिए आया. वे पति पातीं और उनकी एक बीस साल के बेटी. मैं खुश हुआ कि मुझे नए दोस्त मिल गए. हम लोगों की दोस्ती हो गई. खूब महफिलें जमने लगी. उनकी बेटी मुझसे बहुत हिलमिल गई. वो मुझसे घंटों बतियाती. मुझसे हर तरह के सवाल पूछती. वो मेरी दोस्त बन गई.
बारिशों के मौसम आ गए थे. एक दिन खूब बरसात हो रही थी. डौली ( उसका यही नाम है ) एक प्लेट में कुछ पकौड़े मेरे लिए लेकर आ गई. उसने छटा लगाया हुआ था लेकिन फिर भी थोडा भीग गई. उसने कहा " आप यह खाइए मैं और लेकर आती हूँ." इस बार जब वो लौट रही थी कि तेज हवा ने उसका छटा उलटा कर दिया और वो पूरी तरह से भीग गई. उसने मुझे प्लेट पकड़ाई और बोली " मुझे कपडे बदलने पड़ेंगे. मैं आपका कोई टी शर्ट पहन लेती हूँ." वो मेरे कमरे में चली गई. मैं पकौड़े खाने लगा. तभी मुझे ख्याल आया कि आलमारी ई चाबी तो मेरे पास है. मैं डौली को चाबी देने के लिए मेरे कमरे में चला गया. मैंने देखा कि डौली ने अपना टी शर्ट उतार दिया है और तौलिये से अपना बदन पौंछ रही है. उसका गोरा गोरा चिकना उपरी हिस्सा गीला होकर चमकने लगा था. ना जाने कितने सालों बाद मैंने किसी महिला को इस तरह से देखा था. मैं उसे देखता रह गया.
उसने जब अपना बदन पौंछ लिया तो तौलिया नीचे रखकर टी शर्ट खोजने लगी. वो केवल अपनी हरे रंग की ब्रा में थी. मेरी नज़रें बार बार उसके इस खुले हुए जिस्म को देख रही थी. उसे जब कोई टी शर्ट नहीं दिखा तो वो मुझे आवाज देने के लिए मुड़ी तो मुझे सामने देखकर चौंक गई. हम दोनों की नजरें मिली. डौली ने मेरी आँखों में एक अलग तरह का रंग नजर आया. ना जाने ऐसा क्या हो गया कि वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली " क्या आप को मैं इस तरह बहुत अच्छी लग रही हूँ?" मैं कुछ नहीं बोल पाया. बस उसकी तरफ देखता रहा. वो चलकर मेरे पास आकर खड़ी हो गई. अब उसका खुला हुआ सीना मेरे सामने था. डौली बोली " आप इस तरह से चुप क्यूँ है." मैंने अपनी नजरें झुका ली. डौली ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने हाथ में लेकर बोली " आप डरो नहीं. हम दोस्त हैं. दोस्ती में डर कैसा." डौली ने अपने आप को मेरे सीने से लगा लिया. एक साथ हजारों बिजलीयाँ चमकी और मैंने डौली को अपनी बाहों में भर लिया. हम दोनों ऐसे मिले जैसे बरसों के बिछुड़े हुए प्रेमी आपस में मिले हों. डौली ने मेरा टी शर्ट खोला और हम दोनों छत पर बारिश में आ गए. डौली अभी भी ब्रा और कैप्री में थी.
डौली का जवान जिस्म मेरे जिस्म में गर्मी और भूख बढ़ाने लगा. मैंने अब डौली के बदन पर अपना हाथ फिराना शुरू किया. डौली सिमटकर मेरी बाहों में कसमसाने लगी. फिर अचानक उसने मुझे होंठों पर चूम लिया और कुछ इस तरह नीचे लटकी कि हम दोनों जमीन पर गिर गए. अब हम आपस में लिपटे एक दूजे को चूमने लगे. अब मैंने डौली की कैप्री उतारनी शुरू की. डौली ने मेरा भी शोर्ट खोल दिया. फिर डौली ने अपनी ब्रा उतार दी. अब हम दोनों केवल अपनी अंडर वेअर्स में रह गए. जब तक बारिश रही हम दोनों ऐसे ही लिपटे एक दूजे का जिस्म चूमते रहे. करीब दो घंटों के बाद डौली ने मेरे होंठ जोरों से चूसे और अपने कपडे पहनकर घर भाग गई. मैं पूरी रात डौली के बारे में सोचता रहा. आज की घटना का मुझे अब तक यकीन नहीं हो रहा था.
इस घटना के बाद से अब डौली मुझसे काफी खुल गई थी. जब भी वो अकेली आती तो आते ही मुझे लिपट जाती. इस तरह से कई दिन बीत गए. एक दिन मैंने डौली को दोपहर में बुलाया. उसके घर में सभी बाहर गए हुए थे. मैं और डौली मेरे बेड रूम में थे. हम दोनों एक दूजे को चूमने में लगे थे. तभी मैंने अपने और डौली के सभी कपडे उतार दिए. डौली कुछ समझे उसके पहले ही ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर लेट गया. डौली ने मेरे कान में कहा " कंडोम तो लगाओ." बस फिर क्या था मैंने उस दिन डौली को अपना बना लिया. दो घंटों तक डौली का जननांग मेरे लिंग के साथ खेलता रहा.
अब तो हर दूसरे तीसरे दिन डौली आ जाती और हम दोनों हमबिस्तर हो जाते. कभी कभी तो ऐसा हो जाता कि उसके घर में कोई ना होता और मैं घंटों उसे संतुष्ट करता रहता. डौली गज़ब की हिम्मतवाली लड़की थी. एक बार तो मुझे तीन तीन कंडोम इस्तेमाल करने पड़े फिर भी डौली नहीं थकी और मैं पस्त होकर लेट गया. अब दिन-ब-दिन डौली और मैं एक दुसरे में खोते जा रहे थे. एक दिन डौली रात को मेरे घर ठहर गई. उसने कहा कि वो पूरी रात मेरे साथ बिताना चाहती है क्यूंकि वे लोग लुधिअना शिफ्ट हो रहे हैं और अब मिला मुश्किल होगा. डौली सारी रात मेरे साथ रही. हम दोनों पूरी रात नहीं सोये. कोई शायद विश्वास नहीं करेगा . उस रात मैंने चार कंडोम इस्तेमाल किये. डौली के चेहरे से बार भी नहीं लगा कि उसे कोई थकावट हो रही है. वो हर बार पूरे जोश से अपना जननांग मेरे लिंग से मिलवाती और फिर उसे तब ताका बाहर नहीं आने देती जब तक कंडोम गाढे रस से नहीं भरा जाता.
आज डौली मेरे पास नहीं है लेकिन मुझे वो बहुत याद आती है. क्या वो मेरी दोस्त थी या फिर ........

मंगलवार, 22 जून 2010

अब मैं क्या करूँ ???

मैं शारदा अपने पति करण के साथ शिमला में पिछले दो सालों से हूँ. मेरे पति यहाँ एक थ्री स्टार होटल में मेनेजर हैं. हम दोनों आपस में बहुत प्यार करते हैं. हमारी सेक्स लाइफ भी पूरी तरह से संतुष्ट है. मैं तो इतनी ज्यादा रोमांटिक हूँ कि करण के घर आने के बाद केवल ब्रा और पैंटी में ही उसके सामने रहती हूँ. उसे हर वक्त मुझसे छिपते रहने को ललचाती रहती हूँ. अब धीरे धीरे करण भी ऐसे ही हो गया है. वो भी केवल शोर्ट में रहता है.
एक दिन मुझे पता चला कि मेरी छोटी बहन सौम्या का शिमला के एक होटल में मेनेजर की पोस्ट पर सेलेक्शन हो गया है और वो यहीं आ रही है. मैं बहुत खुश हो गई. सौम्या हमारे साथ रहने आ गई. सौम्य मुझसे केवल दो साल छोटी है. वो भी मेरी तरह बेहद खुबसूरत है. कुछ दिन तो मुझे सौम्य के आने से बहुत अच्छा लगा लेकिन धीरे धीरे मुझे और करण दोनों को ये लगने लगा कि हमारे आज़ादी ख़त्म हो गई है. अब हम उस तरह से हमारी सेक्स लाइफ एन्जॉय नहीं कर पा रहे हैं जैसी पहले करते रहे हैं. अब केवल रात को मौका मिलता और वो भी आधी रात के बाद क्यूंकि सौम्य देर रात तक जागती और हमारे साथ कभी ती वी देखने कि जिद करती कभी गप्पें लड़ाती. मैं सौम्या के इस व्यवहार से परेशान होने लगी थी.
एक दिन सौम्य को लगातार चौबीस घंटे की ड्यूटी मिली. हम दोनों बहुत खुश हो गए. करण उस दिन शाम को जल्दी आ गया. मैं और करण शाम से ही हमबिस्तर हो गए. रात को खाना खाया और इसके बाद फिर करण मेरे जननांग को अपने लिंग से लगातार गरम किये जा रहा था. एक लम्बे अरसे के बाद मेरे जननांग को इतनी गर्मी मिली थी. करण जब भी अलग होने की कोशिश करता मैं उसके होंठों को चूम लेती और वो पिघलकर फिर मुझसे लिपट जाता. मुझे लग रहा था कि काश आज की रात ख़त्म ही ना हो.
रात के करीब एक बजे थे. मुझे लगा जैसे कोई आहट हुई है. लेकिन फिर वापस क आत नहीं हुई तो मैंने सोचा ये मेरा भ्रम होगा.
अब मैं और करण जमीन पर लेटे सेक्स कर रहे थे. करण बार बार मेरी कमर के आस पास चूम रहा था. मैं मछली की तरह इधर उधर मचल रही थी. वो आहट मेरा भ्रम नहीं थी. सौम्या आई थी. वो अपने कमरे में गई ; उसने कपडे बदले और रसोई में शायद पानी पीने गई. जाते जाते उसने एक निगाह हमारे कमरे में डाली. दरवाजा खुला था. उसने मुझे और करण को कमरे में जमीन पर लोटपोट होते और सेक्स करते देख लिया. सौम्या की अभी शादी नहीं ही थी. हर लडकी के अपने अरमां तो होते ही हैं. उसे यह सब बहुत अच्छा लगा.वो एक दुरी बनाकर हमें देखने लगी. काफी देर तक हमें बिलकुल पता नहीं चला. बाद में अचानक मेरी निगाह उस पड़ी. मैंने नजर बचाकर उसे देखा. वो लगातार हमें देखे जा रही थी मैंने बड़ी चालाकी से करण और मुझे दरवाजे के सामने से हटाया और दूसरी तरफ आ गए.
सवेरे जब हम चाय पी रहे थे तो सौम्या ने मुझसे धीरे से कहा " कल रात को तो बड़ा मजा किया तुमने जीजू के साथ! मैंने बहुत कुछ देखा ." मैंने सौम्या की बेशरमी पर उसे डांटते हुए कहा " ये क्या तरीका है बात करने का." सौम्या बोली " तुम भी शारू क्या शर्मातो हो? अरे मजा ही तो किया था. मैंने देख लिया तो क्या बुरा किया. बस यही समझो कि मैंने कोई ब्लू फिल्म देख ली थी." सौम्या ने अचानक मेरी कमर पर अपना हाथ रखा और बोली " हाय; अभी तक बदन में गर्मी है. कुछ भी कहो शारू. जीजू हैं बड़े गरम." मैंने सौम्या के तरफ शरारत भरी नजर से देखा और हम दोनों एक साथ हंसने लगे. बस मेरी यह हंसी ही हमारे घर में एक नया माहौल पैदा कर गई. रात को मैं बालकनी में खड़ी थी. सौम्या मेरे पास आई और बोली " शारू; क्याज भी तुम जीजू के साथ ...." मैंने उसकी तरफ देखा और बोली " तुम अचानक ऐसा व्यवहार कैसे करने लगी हो सोमू." सौम्या बोली " सच कहूँ तो उस रात से मेरा दिल डोल गया है. तुम दोनों आपस में लिपटे हुए बड़े अच्छे लग रहे थे." मुझे सौम्या का व्यवहार समझ नहीं आया. मैंने ये सब करण को बताया. करण ने कहा कि ये सभ स्वाभाविक बातें हैं. हर लड़के और लडकी के सेक्स जीवन की शुरुआत ऐसे ही किसी घटना से होती है. अगर सौम्या हमें देखे तो देखने दो. हमें क्या फर्क पड़ता है."
करण की बात सुन मेरा दिल थोडा हल्का हुआ लेकिन मैं यह सोचने लगी कि एक बार सही है लेकिन अगर सौम्या हर बार ऐसी ही जिद कने लगी तो मैं क्या करुँगी? रात को मैं और करण पलंग में हमबिस्तर थे. सौम्या खिड़की से झांकर हमें देखे जा रही थी. मुझे शुरू शुरू में बड़ी शर्म आई लेकिन करण ने जोश दिलाया तो मैं भी सहज होकर करण से संभोग कराने लगी. लगातार तीन रात सौम्या ने हमें इसी तरह से देखा. अब मुझे भी यह अच्छा लगने लगा. सौम्या अब हमारे कमरे में आने लगी और सोफे पर बैठकर हम दोनों को बहुत ही करीब से देखने लगी. कभी कभी वो मुझे छु लेती.
रविवार को करण और सौम्या दोनों की ही छुट्टी थी. मैंने सौम्या के कमरे के बाहर से निकली. मैंने देखा सौम्या बिना कपड़ों के बिस्तर पर लेटी हुई है और तकिये को दबाकर तड़प रही है. मैं उसकी इस हालत को मेरे और करण का सेक्स देखने का परिणाम समझी और यही सच था. सौमा बार बार तकिये को दबाती और कभी कभी अपने स्तनों को दबाने लग जाती. उसका बदन पसीने पसीने हो चुका था. मैंने करण को बुलाया. करण औ मैं सौम्या को देखने लगे. कुछ देर के बाद सौम्या पलंग पर उसी अवस्था में लेट गई.
मैंने सौम्या को अब लगभग हर दिन कभी ना कभी इस अवस्था में देखती. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर दया आ गई. मैंने करण से कहा. करण हैरान हो गया. उसने मुझे खूब डांटा. मैंने उसे बार बार समझाया. लेकिन करण नहीं मना.
मैंने सौम्या को करण वाली बात बताई. सौम्या को मैंने अपनी योजना समझाई. सौम्या तैयार हो गई. करण नहाने चला गया. मैं और सौम्या रसोई में नाश्ता बनाने लगी.हमने अपनी योजना के मुताबिक हॉट शोर्ट्स पहन ली और ऊपर स्पोर्ट्स ब्रा. करण नाश्ते के लिए जैसे ही रसोई में आया तो हम दोनों को देखकर चौंक गया. हम दोनों उसे देखकर मुस्कुराने लगी. करण सब समझ गया कि मैंने अपनी जिद छोड़ी नहीं है. आखिर करण भी तो मर्द ही था. वो आखिर में पिघल गया. सौम्या ने एक प्लेट में नाश्ता लिया और करण के सामने रखते हुए उसकी गोद में बैठ गई. करण कुछ समझे सौम्या ने उसे गालों पर चूम लिया. मैंने कुछ फल काट कर रखे थे. मैंने केले का एक छोटा टुकडा अपने मुंह में डाल और करण के मुंह को खोलकर उसे खिलाने लगी. हम दोनों के मुंह में केले का गुदा भर गया. सौम्या ने भी अपना मुंह हम दोनों के मुंह के साथ मिला लिया और हम तीनों इसके बाद केले के और भी टुकड़े लेने लगी और लगातार खाने लगी. सौम्या का पहला ही अनुभव कामयाब और यादगार बनता जा रहा था. करण ने अब पकौड़े भी इसी तरह से खाने को कहा. हम तीनों ने पूरा नाश्ता ऐसे ही किया.
दोपहर का खाना भी ऐसे ही खाने की सौम्या ने जिद की. उसकी यह जिद भी पूरी की. इसके बाद करण सोने चला गया. मैं और सौम्या करण के दायें और बाएं जाकर लेट गई. करण अब समझ गया कि आगे क्या होना है. मैंने और सौम्या ने करण को चूमना आरम्भ किया . करण ने भी गर्मजोशी से जवाब दिया. अब हम तीनों आपस में लगातार चुम्बनों का दौर जारे रखे हुए थे. जब उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई तब मैंने सौम्या को करण के सामने कर दिया. करण ने उसके सभी कपडे खोल दिए. मैंने भी अपने सभी कपडे उतार दिए. अब हम तीनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे..करण ने सौम्या को पूरी तरह से उत्तेजित किया और फिर कंडोम से कवर किया हुआ लिंग उसके जननांग में घुसा दिया. सौम्या के मुंह से एक जोर के चीख निकल गई. इसके बाद मैंने करण को अपनी तरफ खींचा और उसके लिंग को अपने जननांग में घुसा दिया. करण तो जैसे निहाल हो गया. उसीक साथ दो दो जननांग मिल गए थे. देर रात तक हम तीनों रुक रुक कर सेक्स करते रहे.
अब लगभग हर दिन हम तीनों इसी तरह सेक्स करते. कभी मेर अमूद नहीं होता तो सौम्या अकेली ही करण के साथ लेट जाती. यह सिलसिला लगातार पांच महीनों तक चला. एक दिन मेरी मां का फोन आया कि उन्होंने सौम्या की सगाई दिल्ली के एक लड़के एक साथ तय कर दी है. हमने सौम्या को जब यह खबर सुनाई तो उसने सगाई और शादी से साफ़ इनकार कर दिया. उसने कहा कि वो हमेशा हमारे साथ ही रहेगी. मैं यौर करण ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानी ही नहीं. मैं परेशान रहने लगी. करण ने मुझे समझाया कि धीरे धीरे सौम्या को समझा बुझा कर घर वास भेज देंगे .
हम तीनों अपनी सामान्य जिन्दगी में आ गए. फिर से रातें रंगीन होने लगी. मैंने देखा कि अब सौम्या करण को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने लगी थी. लेकिन मेरे साथ उसका व्यवहार पूरी तरह से सामान्य था. इस तरह से एक महीना बीत गया. एक दिन अचानक मेरी मां और पिताजी आ गए. उन्होंने सौम्या की शादी की तारीख पक्की करने के बात कही तो सौम्या ने सगाई ही तोड़ दी. मां और पिताजी हारकर घर वापस लौट गए.
अब मेरी परेशानी और भी बढ़ गई है. करण ने भी मुझे कह दिया है कि अगर सौम्या को हमारे दोनों के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है तो फिर हमें भी उसे अपने साथ रख लेना चाहिये. उसने मुझे कहा कि सौम्या हम दोनों के बिना जी ही नहीं सकेगी. मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करती हूँ. मैं उसकी ज़िन्द्गे बर्बाद होते नहीं देखना चाहती. लेकिन मुझे यह भी डर है कि करण और मुझमे कोई दूरी नहीं हो जाए उसकी वजह से. करण अपनी खुद की काम कहकर कह चुका है कि वो मुझे कभी धोखा नहीं देगा. मैं भी कच्चे मन से यह चाहती हूँ कि सौम्या रहेगी तो कोई गलत नहीं होगा. लेकिन फिर भी दिल घबरा उठता है.
अब मैं क्या करूँ?

सोमवार, 21 जून 2010

वो प्यासी आंटी

मैं अपनी मामी के यहाँ रहकर पढ़ रहा हूँ. मैं बी कोम फर्स्ट इयर में हूँ. घटना पिछले साल की है. मामी के घर के सामने वाले घर में एक स्टील के बर्तनों के व्यापारी सेठ रकम चन्दजी रहते थे. उनके कोई औलाद नहीं थी. उनकी पत्नी का नाम था शांति देवी. शांति देवी कि उमर थी करीब पैंतालीस साल. उनका वजन करीब एक सौ किलो. रंग एकदम गोरा. अगर वजन ना हो तो मिस इंडिया बन जाए. गुलाबी गुलाबी होंठ. ब्लाउज में भी ना समाने वाला सीना. हरदम मुस्कुराता चेहरा. सभी कहते हैं कि सेठजी की रूचि केवल पैसे कमाने में थी और उन्होंने कभी पत्नी की कोई ख़ुशी नहीं देखी इसलिए उनके कोई औलाद हुई नहीं.
शांति आंटी से मेरी भी अच्छी पहचान हो गई. वो कई बार हमारे यहाँ आती और मेरे और मामी के साथ घंटों गप्पें लड़ती. मेरे मामा रेलवे में गार्ड थे. इसलिए सप्ताह में पांच दिन बाहर रहते सर्दीयों के दिन थे. जबरदस्त ठण्ड पड़ रही थी. एक दिन मेरी मामी ने मुझे एक टिफिन दिया और शांति आंटी को देने के लिए कहा. मैं उनके घर चला गया. दरवाजा खुला हुआ था. मैं भीतर चला गया. शांति आंटी कहीं दिखाई नहीं दी. मैंने हर कमरे में देखा लेकिन शांति आंटी कहीं नहीं मिली. मैं वापस रवाना होने को ही था कि मुझे रसोई के पीछे एक खुला आँगन दिखाई दिया. मैं उस आँगन के तरफ चला गया. जैसे ही मैंने आँगन में प्रवेष किया मैंने जो नजारा देखा वो मुझे डराने के लिए काफी था. मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी ऐसा ना तो देखा था और ना ही सुना था. मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई. शान्ति आंटी का ब्लाउज खुला हुआ था. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. उनकी गोरी गोरी और जगह जगह से उभारवाली और मांसल खुली पीठ बहुत ही अच्छी लग रही थी. मैंने देखा कि कोई उनकी बाहों में है और उनकी छाती से चिपटा हुआ है. मैं थोडा दूसरी तरफ चला आया. मैंने जैसे ही अपनी नजर दौड़ाई मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. वो सुरेन्द्र था. मेरी ही स्कुल में पढनेवाला एक लड़का. सुरेन्द्र मुझसे भी एक साल छोटा था. शांति आंटी उसे रह रहकर अपने सीने से दबाती जा रही थी और बोलती जा रही थी " तू भी मुझे जोर से दबा. और जोर से दबा. मेरे सीने को चूम. शर्मा मत. डर मत. कुछ नहीं होगा. बस तू मुझे एक बार तो चूम." मैं सब समझ गया. सेठजी वाली बात सही थी. वो केवल धंधे में मगन थे.
मैं वापस घर आ गया. सारी रात मुझे नींद नहीं आई. मुझे बार बार शांति आंटी कि पीठ दिखाई दे रही थी और उनकी आवाज सुनाई दे रही थी " मुझे एक बार तो चूम." मैं करवटें बदलने लगा. दूसरे दिन जब शांति आंटी मिली तो ना जाने क्यूँ मेरी नजरें उनके जिस्म के हर खुले हिस्से तो घूरने लगी. वो घर में चली गई तो मैं भी उनके पीछे पीछे अन्दर चला आया. उन्होंने मुझे देखते ही कहा " तो आज पहली बार तुझे फुर्सत मिली है मेरे घर आने में. बड़ा पढ़ाकू हो चला है रे तू . आ बैठ मैं तेरे लिए गरम दूध लेकर आती हूँ. एक काम कर तू अंगम में चल. धूप है तो ठण्ड भी कम लगेगी." मैं ना जाने क्यूँ समझ गया कि अब सुरेन्द्र के बाद मेरी भी बारी हो सकती है. मैं आँगन में रखी खाट पर बैठ गया. शांति आंटी आई. उन्होंने मुझे दूध का गिलास थमा दिया. मैं दूध पीने लगा. दूध पीते पीते मैंने देखा कि शांति आंटी ने अपना आँचल गिरा दिया है. उनका ब्लाउज नजर आने लगा. उनके भारी भारी स्तन दिखने लगे. उन दोनों भारी स्तनों के बीच की रेखा कोई गहरी घाटी जैसी लग रही थी. अब शांति आंटी ने अपनी साडी को घुटनों तक उठाया और बोली " सर्दी में धूप अच्छी लगती है." मैंने उनकी टांगें देखी. एकदम गोरी. मोटी मोटी लेकिन बहुत मीठी लग रही थी. शांति आंटी अब मेरे एकदम पास आ गई. मैं थोडा घबराया लेकिन मन ही मन खुश भी हो रहा था.
शांति आंटी ने एकदम से मुझे अपनी बाहों में जकड लिया. मैं उनकी दो मजबूत बाहों में पकड़ा गया. लेकिन मैंने भी तुरंत अपने दोनों हाथ उनके कमर के चारों तरफ फैला दिए
शांति आंटी को ये अच्छा लगा. अब उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए. मैं उनके चोली में दिख रहे दोनों भारी भारी स्तनों को देखकर पागल हो गया. मेरे चेहरे पर आई हवास को शांति आंटी तुरंत समझ गई. वो उठी और मेरा हाथ पकड़कर अपने कमरे में ले गई. उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद किया और ब्लाउज खोलकर फेंक दिया. मैं उन्हें देखने लगा. इसके बाद उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी. फिर उन्होंने मेरा शर्ट पकड़कर खोला और मुझे अपने सीने से चिपका लिया. उनके सीने से आ रही भीनी भीनी महक मुझे अच्छी लग रही थी. शांति आंटी बोली " मेरी छातीयों को चूम." मैंने अपने होंठों से उनके दोनों स्तनों को चूमने लगा. शांति आंटी के मुंह से अजीब अजीब आवाजें करने लगी. उन्होंने अपनी चोली के हुक निकाले और कमर के ऊपर के हिस्से को पूरी तरह से नंगा कर दिया. अब शांति आंटी की साँसें तेज चलने लगी. वो मुझसे लिपट गई और मुझे लेकर बिस्तर पर गिर गई. मैं उनकी पकड़ में कसमसाने लगा. अब शांति आंटी ने मेरे गालों को चूमना शुरू किया. मेरा सारा जिस्म तड़पने लगा. उन्होंने मेरा मुंह पकड़ा और मेरे होंठों को दूसरे हाथ से पकड़कर अपने होंठों के पास ले लिया. फिर शांति आंटी ने एकदम से ही मेरे होंठों को कसकर अपने होंठों मेदबा लिया और लगी जोर जोर से चूमने और चूसने. मैंने भी अब वापस उनके होंठ ऐसे ही चूमे और चूसे.
शांति आंटी के शरीरी की हलचलें बढ़ती चली गई. उन्होंने मुझे छोड़ा और पलंग से उतार गई. उन्होंने अपने पेटीकोट का नाडा खोल दिया. अब शांति आंटी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी. उन्होंने मेरा भी पैंट खोल दिया और खींच खींच कर अंडर वेअर भी खोल दिया. अब मैं डरने लगा. सोचने लगा कि अगर किसी ने देख लिया तो मामा-मामी तो मुझे मार मारकर घर से निकाल देंगे. मैंने शांति आंटी को रोकने की कोशिश की लेकिन शांती आंटी एक तरह से आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो चुकी थी. उन्होंने मुझे कसकर पकड़ा और फिर से पलंग पर गिर गई. अफ्ली बार किसी औरत का पूरा नंगा शरीर मैंने देखा था और अब मुझे लिपटा हुआ था. एक बार फिर शांति आंटी ने मुझसे अपने गाल; गरदन ; होंठ ; स्तन और अपनी जांघें चुमवाई. आखिर में उन्होंने मुझे पण यूपर लिटाया और मेरे शरीरी के निचले हिस्से को अपनी टांगों में दबा लिया. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा गुप्तांग किसी मलमली जगह से टकरा गया है. ये शांति आंटी का गुप्तांग था. शांति आंटी ने मेरा हाथ पकड लिया. पहले उन्होंने मेरे हाथ से अपना गुप्तांग सहलावाया और फिर अपना जनानानंग भी सहल्वाया. मुझे दोनों गुदगुदी जगहें बहुत अच्छी लगी. अब शांति आंटी ने मेरे गुप्तांग को अपने गुप्तांग और जननांग के करीब ले जाकर अपनी जाँघों में दबाकर मुझे ऊपर नीचे करना शुरू किया. मेरी धड़कने बहुत तेज हो गई. मैंने अपने गुप्तांग को शान्ति आंटी की जाँघों के बीच उनके गुप्तांग और जननांग के करीब लगभग तीन मिनट तक ऊपर नीचे घुमाया ही था कि अचानक मेरे गुप्तांग से कुछ बहाने लगा. मैं तड़प उठा. शांति आंटी ने मेरे होंठ दबाकर चूस लिए और खुद भी तड़पने लगी. मैं इसके बाद चुपचाप बचता बचाता अपने घर पर आ गया.
दो दिन बाद जब मैंने चोरी छुपे शांति आंटी के घर के पिछवाड़े से उनके आँगन में झांककर देखा तो शांति आंटी हमारे ही मौहल्ले के एक और मेरे हम उम्र लड़के घनश्याम से लिपटी हुई थी. मैं सोचने लगा कि आखिर एक औरत के ये भूख कितनी बढ़ जाती है जब उसका पति रकम चन्दजी जैसा होता होगा. अगले दिन एक बार फिर मैंने झाँका. आज फिर सुरेन्द्र था. तीसरे दिन तो हद हो गई. मामी बाहा गई हुई थी. दूध वाला आया. मैं दूध ले रहा था. आज दूधवाले का भतीजा दूध लेकर आया था. उसकी उम्र करीब अठारह साल रही होगी. तभी शांति आंटी ने उसे आवाज लगाईं. दूधवाला उधर चला गया. शांति आंटी उसे लेकर भीतर चली गई. मैंने दूध का पतीला अन्दर रखा और शांति आंटी के घर में चुपचाप घुस गया. शांति आंटी ने दूध लेने के बाद उस लड़के को पकड़ना चाहा लेकिन वो लड़का घबराकर बाहर आ गया. मैं उसके पीछे पीछे आया और उसे समझाया कि वो मजाक कर रही है. शांति आंटी अब तेज सांसें लेने लगी थी. मेरी नियत ख़राब हो गई. मैं उनके सामने जाकर खड़ा हो गया. शांति आंटी मुझे देखे ही खुश हो गई. मैं उनके साथ उनके कमरे में चला गया. एक मिनट के भीतर ही हम दोनों के बार फिर नंगे हो चुके थे. शांति आंटी का भारी भरकम शरीर मेरी बाहों में नहीं आ पा रहा था. उसने मेरे मुंह को अपने दोनों स्तनों के बीच में फंसा लिया और दबा दिया. मैं पागलों की तरह उन दोनों भरे हुए स्तनों को चूमने लगा. आज मैं ज्यादा जोश में था. शांति आंटी और मैंने एक बार फिर उस दिन की तरह अपने गुप्तांगों को आपस में मिलाया और मेरे गुप्तांग से निकले गीले गाढे पानी ने उनकी जान्ग्झों के बीच के हिस्से को एक बार फिर भिगो दिया.
इसी तरह मैं और शांति आंटी सप्ताह में दो दिन मिलते और यही सब दोहराते. लेकिन शांति आंटी थी कि वो मेरे इतने के बाद भी सुरेन्द्र और दो और उसके दोस्तों को बुलाती और उन्हें अपने साथ दोपहर को सुलाती और लिपटाती . मुझे यह देख ना जाने क्यूँ गुस्सा आने लगा था.
एक दिन मैंने अपने मामा-मामी को सवेरे सवेरे अपने कमरे में पलंग पर सेक्स करते देख लिया. मैंने उन्हें पूरे ध्यान से देखा. बाद में चुपचाप मामा कि आलमारी से एक कंडोम निकालकर अपनी जेब में रख लिया. अगले दिन दोपहर को शांति आंटी के घर गया. पिछवाड़े के आँगन की दीवार को लांग कर मैं अन्दर आ गया. मैंने देखा कि शान्ति आंटी ने सुरेन्द्र और मन्नू दोनों को अपनी बाहों में भर रखा है. वे दोनों उसे जगह जगह चूम रहे थे. शांति आंटी अब पलंग पर लेट गई. पहले मन्नू उन पर चढ़ गया. उसने जोर जोर से शांति आंटी के कमर के निचले हिस्से पर अपना गुप्तांग मरना शुरू किया. शांति आंटी बड़े मजे से यह सब कर वाने लगी. फिर सुरेन्द्र चढ़ा. उसने भी यही किया. मुझे अब इन दोनों पर गुस्सा आने लगा था. केवल एक ही बात मुझे मेरी तरफ लगी वो ये कि शांति आंटी ने केवल अपना ब्लाउज निकाला रखा था. चोली पहनी हुई थी. नीचे पेटीकोट और उस पर साड़ी भी थी. करीब आधे घंटे के बाद वे दोनों चले गए. शांति आंटी ने अपना ब्लाउज पहना और बाहर आ गई.
सवेरे मैंने कॉलेज जाते वक्त शांति आंटी से मुलाकात की. मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें अपनी जेब से निकालकर कंडोम दिखाया. वे खुश होते हुए बोली " तू अभी आजा. सेठजी दूसरे शहर गए हैं. दोपहर में हो सकता है लौट आयें. चल पिछवाड़े से अन्दर आजा. तेरी मामी को भी पता नहीं चलेगा." मैं पिछले दरवाजे से अन्दर चला गया. अमिन और शांति आंटी तुरंत ही पूरी तरह से नंगे हो गए. अब शांति आंटी ने मेरा लिंग पकड़ लिया और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी. उसने मुझा होंठों पर चूमा. फिर मैंने उनके स्तनों पर अपने हाथ फेरे. मेरा लिंग एकदम कड़क और बड़ा हो गया. मैंने और शांति आंटी ने मिलकर उसे मेरे लिंग पर धीरे धीरे चढ़ा दिया. शांति आंटी का निचला हिस्सा इतना बड़ा था कि मैं उस पर लेटता तो भी वो निचला हिस्सा आधा ही छुप पाता. उनके उस हिस्से की उंचाई भी बहुत थी. जब मैंने अपना ताना हुआ लिंग उनकी टांगों के बीच में घुसाया तो वो उनके जननांग तक पहुँच ही नहीं पाया. अब शांति आंटी ने अपनी टांगें फैला दी. मैंने अपने आपको उन फैली हुई टांगों के बीच में ले लिया. अब मैंने अपने तने हुए लिंग को उनके जननांग से टच करा दिया. शांति आंटी ने मेरे लिंग को पकड़ा और एक ही झटके में अपने जननांग के भीतर धकेल दिया. उनका जननांग इतना बड़ा; गुदगुदा और गीला गीला था कि मेरा गुपतांग पूरा का पूरा उसमे घुस गया. शांति आंटी का जिस्म अब एक तरह से नाचने लगा. उन्होंने मुझे जोर से दबा दिया. इस दबाव से मेरा लिंग और अन्दर चला गया. अब मैंने शांति आंटी के होंठ अपने होंठों के बीच ले लिए. करीब दस मिनट तक मैंने अपने लिंग से शांति आंटी के जननांग के अन्दर झटके लगाए. उनका गुदगुदा शरीर मुझे पागल किये जा रहा था. मैं लगा रहा. शांति आंटी और मैंने अपनी होंठों को बिलकुल भी अलग नहीं किया और लगातार बार बार चूसते रहे. मैंने और पांच मिनट तक ऐसे ही किया फिर मुझे मेरे लिंग के अन्दर कुछ बहता हुआ महसूस हुआ. शांति आंटी को भी इस चीज का अहसास होने लगा. अब उन्होंने मुझे और भी कसकर पकड़ा और पास रखी स्टूल से एक मावे की बर्फी उठाकर अपने मुंह में ले ली. और मेरे होंठों के अनादर उस बर्फी को दे दिया. अब मैं और शांति आंटी उस बर्फी को एक साथ खा रहे थे. इस मिठाई ने हमें और भी उत्तेजित कर दिया. तभी मेरे लिंग से बहुत सारा गाढ़ा मलाईदार रस निकलना शुरू हो गया और कंडोम में भरना शुरू हो गया. इस भराव से शांति आंटी के जननांग के अन्दर जोर से गुदगुदी शरू हो गई. हम दोनों इसका मजा लेने लगे. कुछ देर बाद हमारी सारी ताकत ख़तम हो गई. हम युहीं लेटे रहे.
मैं बाद में उठा. कंडोम को बाहर फेंका और कपडे पहन लिए. शांति औनी ने मेरे होंठ फिर चूमे और बोली " अब हम हर सप्ताह में एक बार यह जरुर करेंगे." मैं खुश हो हो घर लौट आया. मैं मन ही मन खुश हो गया कि अब सुरेन्द्र और मन्नू नहीं आयेंगे. अब शांति आंटी मेरी है. लेकिन जब मैं अगले दिन दोपहर को ऐसे ही शांति आंटी के पिछवाड़े से अन्दर झाँका तो मैंने देखा कि मन्नू और सुरेन्द्र के साथ एक और लड़का है जिसे शांति आंटी ने अपनी टांगों के बीच दबा रखा था.
मैं सोचने लगा कि आखिर शांति आंटी कितनी प्यासी है.
वो खाली दुकान और चार मीठे पकवान : भाग चौथा
 
रविवार के दिन गोवा में छुट्टी थी. योजना के अनुसार वीरा और पूनम बड़े सवेरे ही मेरे घर आ गई. मैं वीरा और सुमन के साथ हमबिस्तर हो गया. तारा और किट्टी के आने में अभी एक घंताथा और मैं इस वक्त का पूरा फायदा उठा लेना चाहता था. मैंने यह फायदा उठा भी लिया.
उन दोनों को मैंने पलंग के पीछे वाले दरवाजे कि ओट में छुपाकर खड़ा कर दिया. तारा पहले आई और उसके तुरंत बाद में किट्टी भी आ गई. मैंने उन दोनों को चूमा और मेरे बेडरूम में आ गए. तारा और किट्टी दोनों ने पहले एक दूसरे को देखा और फिर मुस्कुरा दी. मैंने आगे बढ़कर पहले किट्टी को निर्वस्त्र कर दिया. फिर मैंने अपने कपडे उतारे और आखिर में तारा के सभी कपडे उतार दिए. तारा और किट्टी को मैंने आमने सामने कर दिया.
तारा ने किट्टी को अपने गले से लगाया. किट्टी ने तारा के गालों को चूमा. तारा ने किट्टी के गरदन के नीचे चूमा. इसके बाद दोनों को हल्का सा नशा छाया. अब वे दोनों अपने आप धीरे धीरे एक दूजे को जगह जगह चूमने लगी. मैं उनके एक दम पास आ गया और उन दोनों को आपस में और दबाकर करीब ले आया. तारा और किट्टी के जब बूब्स आपस में मिले और दबे तो मेरा सारा जिस्म अन्दर तक हिलने लग गया. उनके कोमल कोमल नाजुक नाजुक उभरे हुए स्तन आपस में ऐसे मिलकर लग रहे थे जैसे दो पानी से भरे हुए गुब्बारों को हम आपस में मिलाकर दबा रहे हों. मेरे सिखाये अनुसार तारा किट्टी के ऊपर लेट गई और उसने किट्टी के जननांग को अपने जननांग से दबाना शुरू किया. दोनों अब मदहोश हो गई. इस नज़ारे को देख पीछे छुपी हुई वीरा और पूनम से भी नहीं रहा गया और वे भी आपस में चिपक गई. मैंने उन्हें देखा तो तुरंत परदे के पीछे गया और उन दोनों को अपनी बाहों में दबाकर उन्हें चूमा और जल्दी से वापस तारा और किट्टी के पास आ गया. अब किट्टी तारा के ऊपर लेट गई. दोनों को बड़ा मजा आ रहा था. उन दोनों के लिए यह पहला मौका था लेस्बियन सेक्स का लेकिन पहली बार में ही उन दोनों ने करीब एक घंटे से भी ज्यादा वक्त तक मजा लिया. अब मैं उनके साथ शामिल हो गया.
मैंने पहले तारा को अपने साथ संभोग के लिए चुना. मैंने तारा और किट्टी को वीरा-पूनम के कमरे में होने की बात बता दी. तारा ने उन दोनों को भी साथ लेने को कहा. मैंने उन दोनों को भी बुला लिया. मैं तारा के ऊपर था और किट्टी वीरा के ऊपर चढ़ गई. पूनम हम दोनों जोड़ों के बीच आ गई और बारी बारी से दोनों जोड़ों को चूम चूमकर उत्तेजित करने लगी. मैंने एक एक कर चारों के साथ करीब आधे आधे घंटे तक संभोग किया. मुझ पर थकान हावी हो रही थी. मैंने आराम करने का सोचा. वीरा ने सभी को एक सुझाव दिया. अब चारों अपने अपने पार्टनर बदल बदलकर लेस्बियन सेक्स करने  लगी. मैं लेटा हुआ उन्हें देखता रहा. मैं अपने को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था जो इस रात में चार चार लडकीयों के साथ शामिल था. मुझे लेस्बियन सेक्स देखना बहुत ही भा रहा था. मेरी यह इच्छा हो रही थी कि वे चारों इसी तरह से सेक्स करती रहें और मैं उन्हें देखता ही रहूँ.  अब पूनम के कहने पर वे चारों एक घेरा बनाकर बैठ गई. फिर एक दूसरे को बारी बारी से फेंच किस करने लगी. इसे स्विन्गिंग किस कहा जाता है. इसके बाद वीरा के कहने पर चारों ने एक दूसरे के जननांग को अपने बायीं और दायीं ओर बैठी दोनों से उनकी उंगलीयों से सहलाने और दबाने को कहा. जब उन चारों ने ऐसा करना शुरू किया तो मेरा लिंग भी रस बहाने लग पडा.
काफी देर तक यह सब चला फिर सभी कुछ देर के लिए लेट गई. इसके बाद हम सभी ने खाना खाया. मैंने किट्टी के लाये केक को सभी को खाने को कहा इसके बाद सभी को एक दूसरे के मुंह से खाने और खिलने को कहा. इससे जो सभी ने एक दूसरे के मुंह ; होंठ और जीभ को जो चूमा और चूसा वो देखने लायक था. सभी एक दूसरे के मुंह पर लगे केक को खा रहे थे.
इसके बाद सभी ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया. अब एक एक मेरे ऊपर आती और लेट जाती. इसके बाद मुझे जगह जगह चूमती. इस तरह से करते करते हम सभी एकदम पूरी तरह से उत्तेजित हो गए. वीरा ने मेरे लिंग पर कंडोम कास दिया. मैंने सबसे पहले तारा; फिर किट्टी ; उसके बाद पूनम और आखिर में वीरा के जननांग को अपने लिंग से खुद जोर से गरम किया. उनके जननांग के आसपास का रंग इससे लाल हो गया.  सभी को मैंने तीन तीन बार अपने साथ लिया.
अंत में मैंने सभी को एक लाईन में लिटाया और एक एक को जल्दी जल्दी थोड़ी थोड़ी देर के लिए गरम किया और उनके जननांगों को दूर तक भेद दिया. देर रात तक इसके बाद भी उन चारों ने मुझे नहीं छोड़ा. वे बार बार मुझे करवाती रही और मैं बार बार करता रहा. सभी ने करीब करीब छह - सात बार मुझसे अपना जननांग गरम और गीला करवाया.
इस रात के बाद हम कई बार ऐसी राते गुज़ार चुके हैं. वो दुकान अब भी खाली है. वहां भी रंगरलीयां जारी है. मेरी जिन्दगी बहुत रसीली हो चुकी है. सबसे अहम् बात यह है कि वीरा और पूनम अब मेरे घर में मेरे साथ ही रहने लगी है.

शनिवार, 19 जून 2010

वो खाली दुकान और चार मीठे पकवान : भाग तीसरा
 
अब हर बुधवार मैं वीरा और पूनम के घर उनके साथ सोने लगा. हम हर बुधवार की पूरी रात संभोग करते. वीरा और पूनम भी मुझे लेस्बियन सेक्स करके दिखाती रहती. अब मुझे भी धीरे धीरे उन दोनों को इस तरह के सेक्स करता देख अच्छा लगने लगा था. कभी कभी हमें उस खाली दुकान में भी मौका मिल जाता. तारा और किट्टी के साथ मैं बहुत सावधानी से फ्लर्ट कर रहा था. पूरा एक महिना हो गया था लेकिन उन दोनों को मैंने अब तक पता नहीं चलने दिया था.
एक दिन लेकिन मेरी चोरी पकड़ी गई. उस दिन तारा कहीं गई हुई थी. उसे दो कस्टमर के यहाँ जाना था. मैंने मौका देख किट्टी को लिया और उस खाली दुकान में घुस गया. मैं किट्टी पूरी तरह नशे में सेक्स कर रहे थे. मेरा लिंग किट्टी के काफी भीतर तक घुसा हुआ था. तभी तारा लौट आई. वीरा और पूनम दोनों कस्टमर के साथ थी इसलिए तारा बाहर ही खड़ी हो गई. किट्टी के मुंह से मेरे झटकों से आवाजें निकल रही थी. तभी एक जोर से झटका लगा और उसके मुंह से एक चीख निकल गई. तारा ने वो चीख सुनली. उसने उस खाली दुकान से अपना कान लगाया. उसने फिर दरवाजे को धकेला लेकिन वो अन्दर से बंद था. तारा वहीँ खड़ी हो गई. जब मैंने और किट्टी ने अपना काम पूरा कर लिया तो हम दोनों दुकान से बाहर निकलने लगे. तारा ने हम दोनों को एक साथ निकलते देखा. किट्टी घबरा गई. मैं बिलकुल नहीं डरा. किट्टी पार्लर में चली गई. तारा ने मुझसे कहा " तुम अब मेरी हर लड़की के साथ सोने लगे हो." मैं बोला " इसमें बुरा क्या है तारा. उसे भी मेरा साथ अच्छा लगता है. तुम्हे भी मेरा साथ अच्छा लगता है. तुम्हे ज्यादा वक्त दिया करूंगा." तारा ने एक मुस्कान मेरी तरफ फेंकी और बोली " अगर ऐसा नहीं हुआ तो ...." मैं बोला " अगर ऐसा हुआ तो किट्टी को सामने खड़ा करूंगा और तुम्हारे साथ करता रहूँगा और उसे तड़पने दूंगा." तारा ने हाँ कह दी और पार्लर में चली गई. मैंने किट्टी को तारा की सारी बात बता दी और उसे सचेत कर दिया.
वो बुधवार का दिन था और मैं  पूनम और वीरा के घर था. हम तीनों बिस्तर में थे. रात के करीब बारह बजे थे. तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी. हम डर गए. हम तीनों अपने अपने कपडे पहने. पूनम ने दरवाजे के छोटे छेद से देखने के बाद बताया कि वीरा की मौसी और मौसा हैं. मैं घर की बालकनी से कूद कर वहां से निकल गया. मेरे घर के रास्ते में एक सिनेमा हॉल आता था. मैं जब वहां से गुज़र रहा था तो लास्ट शो छुटा ही था. मुझे उस शो में से तारा कुछ लडकीयों के साथ निकलती दिखाई दी. उसने भी मुझे देख लिया. उसने बताया कि वे सभी उसके बंगले में पेईंग गेस्ट हैं. तारा को पता था कि मैं अकेला ही हूँ. उसने उन लडकीयों को घर जाने के लिए कहा और मुझे बोली " आज की रात मैं तुम्हारी मेहमान बनना चाहती हूँ." मैंने तारा का हाथ पकड़ा और बोला " मुझे भी आज की रात किसी साथी की जरुरत है. चलो." मैं तारा को लेकर अपने घर आ गया. तारा ने तुरंत ही अपने सारे कपडे उतार दिए. मैं तारा को नंगे बदन बाथरूम में ले गया. मैंने अपने कपडे उतारे और शोवर चलाकर उसके साथ नहाने लगा. हम दोनों ने नहाने का खूब मजा लिया. उसके बाद तारा ने मेरे सारे बदन पर साबुन मलकर स्पोंज किया. ढेर सारा झाग पैदा हो गया. मैंने भी तारा के बदन पर यही सब किया. हम दोनों के बदन पर इतना सारा झाग आ गया कि ऐसा लगने लगा कि हमने झाग के बने कपडे पहन रखे हों. हम दोनों बैठे हुए एक दूजे से लिपटे हुए थे और आपस में अपने नंगे जिस्मों को रगड़ रहे थे. बहुत ही मजा आ रहा था. मैंने इसी हालत में बिना कंडोम के तारा के जननांग में अपना लिंग फंसा दिया. तारा को पहले तो गुस्सा आया लेकिन बाद में वो हंस पड़ी. हम काफी देर तक इसी स्थिति में बैठे रहे. फिर हम दोनों बिस्तर पर आ गए. अब मैंने कंडोम लगाया और तारा के जननांग को करीब एक घंटे तक लाल करता रहा. तारा ने बड़े मजे से अपने जननांग को लाल कराया. सवेरे तारा घर चली गई इस वादे के साथ कि अब वो हर सप्ताह में एक रात मेरे साथ जरुर बिताएगी. 
अब  एक सप्ताह की दो रातें मेरे लिए सुहावनी हो गई थी. किट्टी का परिवार काफी बड़ा था. उसके घरवाले उस पर कड़ी नजर भी रखते थे. इसलिए किट्टी पार्लर या फिर उस खाली दुकान में ही मिल सकती थी. हम दोनों कई बार एक दूसरे को छूने तक के लिए तड़पने लगे थे. कोई भी रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था. मैंने किट्टी को एक रास्ता सुझाया. किट्टी को मैंने पार्लर खुलने के एक घन्टे पहले बुलाना शुरू किया. अब हम दोनों सवेरे करीब नौ-दस बजे आ जाते और फिर दस या साढे दस बजे तक उस खाली दुकान में पलंग पर हमबिस्तर हो जाते. अब किट्टी के साथ भी मेरी इच्छा पूरी होने लगी थी. मुझे किट्टी और तारा बहुत ही सेक्सी और हॉट लगती थी. वीरा और पूनम के साथ मुझे सेक्स करने के बाद अब मेरे मान में ये ख्याल बार बार आने लगा था कि अगर तारा और किट्टी दोनों एक  साथ लेस्बियन सेक्स करें तो कितना खुबसूरत नज़ारा होगा. उससे भी गरम और सेक्सी होगा मेरा उन दोनों के साथ सेक्स करना.
मैंने सबसे पहले तारा से बात करते हुए कहा " तुमने एक दिन पूनम और वीरा के लेस्बियन होने की बात कही थी. लेकिन मुझे तो उसमे कोई गलत बात नज़र नहीं आई." तारा बोली " गलत कुछ नहीं है. लेकिन ऐसे रिश्ते अच्छे नहीं होते. वे फिर सारी उम्र आपस में ही अधूरी सेक्स लाइफ बिताते हैं. मर्द का साथ उन्हें पसंद नहीं आता." मैंने कहा " तुम गलत कह रही हो. मैंने ये सब गलत सिद्ध कर दिया है. मैंने हर बुधवार की रात पूनम और वीरा के घर एक ही बिस्तर पर बिताता हूँ. " तारा हैरान हो गई. उसने कहा " ये कैसे हो सकता है?" मैंने कहा " तुम्हें यकीन नहीं होता तो इस बुधवार को ..." तारा बोली " तुम हो तो ये हुआ होगा. तुम कितने गरम और सेटिसफाई करने वाले मर्द हो ये मुझे अच्छी तरह से पता है. " मैं बोला " तारा जब दो लेस्बियन सेक्स करते हैं तो सबसे सुन्दर नजारा होता है. औरत का जिस्म सबसे कोमल और गुदगुदा होता है. जब ऐसे दो बदन आपस में टच होते हैं तो ....." तारा " तो तुम बहुत मजे ले रहे हो आजकल! एक नहीं चार चार." मैं बोला " तारा ; अगर तुम शुरू नहीं करती तो शायद आज भी मैं अकेला ही होता. तुम एक बार मुझे वीरा और पूनम के साथ देखो तो! सच कहता हूँ तुम भी ऐसा ही सेक्स करने को कहोगी. पार्टनर मैं ला दूंगा." तारा ने हाँ कह दी वीरा और पूनम के साथ सेक्स होता देखने के लिए. मैंने एक योजना बना ली.
मैंने पूनम और वीरा को बुधवार को मेरे घर इनवाईट किया. तारा को मैंने उन दोनों से पहले बुला लिया. मेरे बेडरूम की खिड़की के परदे के पीछे तारा को छुपकर बैठा दिया. इसके बाद वीरा और पूनम के आते ही मैंने उन्हें उत्तेजित करना शुरू किया. जल्द ही पूनम और वीरा अपने सारे कपडे उतारकर पलंग पर चली गई और उन दोनों ने लेस्बियन सेक्स मुद्राएँ और पोजीशंस करनी शुरू की. मैंने तारा के हिसाब से कमरे की लाईट चालू रखी. तारा उन दोनों को देख उत्तेजित होने लगी. पूनम और वीरा ने लगभग हर लेस्बियन सेक्स किया. आखिर में मैंने उन दोनों के साथ सेक्स शुरू किया. दोनों को एक एक कर लिटाया और उनके जननांगों को एकदम गरम और लाल कर दिया. तारा का मारे उत्तेजना के बुरा हाल होने लगा. मैंने सोचा कि इस तरह तो तारा सारी रात तड़पती ही रह जायेगी. मैंने अब वीरा और पूनम को ज्यादा जोर के झटके दे देके अपने गुप्तांग को उनके गुदगुदे जननांगों में ऐसा घुसाया कि उनकी सारी ताकत जाती रही. वे दोनों सीधी लेट गई. उनका बदन पसीने पसीने हो गया. रही सही कसर मैंने उनके उपर लेटकर उनके होंठों को जोर से चूस चूसकर कर दी. अब उनमे बिलकुल भी ताकत नहीं थी. दो मिनट के बाद वे दोनों गहरी नींद में सो गई.
मैंने  तारा को खिड़की के पीछे से निकाला और मेरे ड्राइंग रूम के सोफे पर ले गया. तारा मुझसे चिपक गई थी. वो पूरी तरह से चार्ज हो चुकी थी. मैंने उसके सारे कपडे उतारे और उस पर पिल पड़ा. मैंने अपनी सारे ताकत लगा दी उसे सेटिसफ़ाई करने के लिए क्यूंकि तारा आज एक साथ तीन जनों को सेक्स करते देख जबरदस्त चार्ज हो चुकी थी. मैं जितना जोर लगता तारा उससे भी अधिक जोर से अपने जननांग को भेदने को कहती. अब मेरी ताकत ख़त्म सी होने लगी थी लेकिन तारा मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी. ना जाने उसमे इतनी उर्जा कहाँ से आ गई थी कि मेरे लगातार जोर जोरे झटकों के बावजूद उसमे जोश बाकी था. मैंने आखिर में तारा के होंठों को अपने होंठों से पूरी तरह से जोर से दबाया और उस वक्त मौजूद सारा जिस एक साथ चूस लिया तथा एक बहुत ही जोर से अपने लिंग को धकेलते हुए उसके जननांग में अधिकतम दुरी तक पहुंचाते हुए अपने लिंग से मलाई को तारा के जननांग में छोड़ दिया. जैसे ही कंडोम उस मलाई से भरा और फैला तारा के जननांग में एक जोर की  गुदगुदी पैदा हुई और वो मुझसे जोरदार चिपक गई. मैं तारा को इसी तरह से पकड़कर और अपने गुप्तांग को जननांग में रखकर सो गया. लगभग दो घंटों के बाद जब हम दोनों अलग हुए तो एक दूसरे से अलग होने की बिलकुल भी इच्छा नहीं हो रही थी. तारा ने मुझे चूमा और बोली " तुम अब हम दोनों के अलावा तीसरी पार्टनर तलाश सकते हो. इस रविवार को छुट्टी है. हम पूरा रविवार एक साथ बिताएंगे." मैंने तारा को चूमा और बोला " जैसा तुम चाहो. "
अब मैंने यही दांव किट्टी पर अपनाया. किट्टी भी यह देखने के लिए तैयार हो गई. मैंने अगले ही दिन किट्टी को भी इसी तरह पूनम और वीरा का सेक्स दिखाया. किट्टी भी तारा की तरह चार्ज हो गई. मैंने किट्टी को भी तारा की तरह से भेदा. आखिर में किट्टी ने भी तारा की तरह तीसरा पार्टनर तलाशने की बात कही. मैंने किट्टी को तारा का नाम बताया. किट्टी पहले तो झिझकी लेकिन फिर तिययर हो गई. अगले दिन मैंने तारा को किट्टी को तीसरा पार्टनर बताया. तारा ने पहले तो गुस्सा किया लेकिन जब मैंने उससे कहा कि वो और किट्टी दुनिया की दो सबे खुबसूरत हसीनाएं लगेगी और जबरदस्त मजा आयेगा; तो तारा भी तैयार हो गई.
अब मेरा दिमाग थोडा और दौड़ा. मैंने वीरा और पूनम को सारी बात बताई. वे दोनों चौंक गई. मैंने उन्हें रविवार को तारा और किट्टी को लेस्बियन बनकर सेक्स करते हुए देखने के लिए बुलाया. अब हम पाँचों रविवार का इंतज़ार करने लगे. अलग अलग लेकिन सिर्फ सेक्स के बारे में सोचते और उत्तेजित हो जाते. 

शुक्रवार, 18 जून 2010

वो खाली दुकान और चार मीठे पकवान : भाग दूसरा
 
मेरा तारा और किट्टी के साथ का हमबिस्तर होना अब दोनों ( किट्टी और तारा ) को पता चल गया था. दोनों ने मुझे ये हिदायत दी कि मैं पूनम और वीरा को इस बात की बिलकुल भी भनक ना लगने दूँ. तारा ने कहा कि वीरा और पूनम दोनों लेस्बियन  हैं. दोनों एक साथ मुझसे सेक्स करने को कहेगी. मैंने तारा और किट्टी को विश्वास दिलाया कि मैं उन दोनों को बिलकुल पता नहीं चलने दूंगा. मैं रात को सोचने लगा कि आखिर एक साथ दो दो औरतों से सेक्स कैसे होता होगा? कितना मजा आता होगा? ये लेस्बियन क्या होता है? इन सब सवालों ने मुझे रोमांचित कर दिया. मैंने उन दोनों को एक साथ मिलने का फैसला किया.
अगले दिन वीरा मेरे शो रूम से कुछ टी शर्ट लेकर अपने पार्लर में ट्राई करने गई. उसने दो टी शर्ट पसंद किये और मुझसे पूछा " मुझे कुछ डिस्काऊंट मिलेगा? " मैं मुस्कुराया और बोला " बिलकुल मिलेगा. पूनम को कुछ नहीं चाहिये क्या?  नया स्टॉक आया हुआ है. वैसे नीला रंग तुम पर बहुत खिलता है और तुम इसमें बहुत ही खुबसूरत लग रही हो." वीरा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई. उसने पूनम को भेज दिया. पूनम ने भी टी शर्ट लिए. मैंने उसे भी थोडा डिस्काऊंट दिया और उसे भी यही कहा कि गुलाबी रंग के टी शर्ट में वो गज़ब ढा रही है. जब रात को वे दोनों एक साथ घर के लिए निकली तो मझे देखकर मुस्कुरा रही थी. मैं भी मुस्कुराया और अपना हाथ हिला दिया. मुझे लगा तीर थोडा निशाने पर लगा है.  अगले दो तीन दिनों तक मेरा उन दोनों के साथ यह सिलसिला पूरे दिन चलता रहता.
उस दिन तारा नहीं आनेवाली थी. किट्टी कुछ देर के लिए कहीं बाहर गई. मैं पार्लर के सामने से युहीं गुजरा. दरवाजा खुला हुआ था. पूनम और वीरा आपस में बातें कर रही थी. मुझे देखते ही वे दोनों मुस्कुराने लगी. मैंने पूछा " आज कोई कस्टमर नहीं है क्या?" दोनों ने ना में सर हिला दिया. मैं उनके सामने रखी स्टूल पर बैठ गया. दोनों ने मुझे अपनी तारीफ करने के लिए शुक्रिया कहा. मैंने कहा " इसमें शुक्रिया कैसा. जो अच्छा दिखता है उसे कहना ही चाहिये कि वो अच्छा दिखता है. अच्छा एक बात बताओ तुम दोनों एक साथ ही रहती हो?"  पूनम ने कहा " हाँ. हम दोनों ने एक रूम किराये पर लिया हुआ है." मैंने फिर पूछा " एक ही साथ रहते हुए कैसा लगता है?" वीरा बोली " अच्छा लगता है." मैंने फिर आगे बात बढाई " एक ही कमरा है तो फिर तकलीफ होती होगी?"
पूनम - " खाना तो हम बाहर से लाकर खाते हैं. घर में सिर्फ चाय बनाते हैं. "
मैं - " सोते कैसे हो? एक ही बेड होगा. डबल बेड है?"
पूनम - " कमरा बहुत छोटा है. एक सिंगल बेड ही है."
मैं - " सिंगल बेड पर कैसे सोती होंगी?""
वीरा - " एक दम आराम से"
अब मैंने थोडा शरारत भरा सवाल पूछा " कभी कभी आपस में नींद में गले भी मिल लेटी होंगी" मेरी इस  बात पर दोनों ने एक दूसरे को देखा और हंसने लगी. मैंने अब सीधा सवाल पूछा " अच्छा बताओ जब दो लडकीयाँ आपस में गले मिलती हैं और उन दोनों के सीने भी टच हो जाते हैं तब कैसा लगता होगा? मुझे ये सवाल बहुत सताता है. तुम दोनों एक साथ रहती हो इसलिए पूछ रहा हूँ. "
वीरा ने अपनी आँखें पूनम की तरफ घुमाई और बोली " इतना ही पता करना है या फिर कोई और बात है? आज तुम हमसे इतना क्यूँ घुलमिल रहे हो?" अब पूनम ने एक टेढ़ी मुस्कान मेरी तरफ डाली और बोली " अगर तुम सीधी बात करो तो ज्यादा अच्छा रहेगा. हम तीनों आपस में दोस्त हैं. कोई बात नहीं छुपायेंगे." मैंने उन्हें फिर कहा " मैंने एक बार कहीं ऐसा ही कुछ पढ़ा था. दो लडकीयाँ साथ साथ रहती हैं. आपस में प्यार करती हैं. मुझे कुछ समझ में नहीं आया. उन्हें लेस्बियन कहा जाता है." वीरा बोली " हम दोनों भी लेस्बियन है. ये बात सिर्फ तारा और किट्टी को पता है. इस गुरूवार को बाजार बंद रहेगा. तुम चाहो तो सवेरे हमारे घर आ सकते हो." पूनम ने कहा " नहीं; तुम अगर आ सको तो बुधवार की रात ही आ जाना. वहीँ सो जाना. जैसे हम सोते हैं तुम भी वैसे ही ." मैं खुश होकर बुधवार का इंतज़ार करने लगा.
बुधवार की रात में अपनी दुकान बंद कर पूनम और वीरा के साथ उनके घर चला गया. उनका कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था. कमरे के पीछे एक छोटी से बालकनी थी जो समन्दर के ठीक सामने खुलती थी. कमरा था तो छोटा लेकिन उन दोनों ने एकदम साफ़ सुथरा रखा हुआ था. वीरा ने मुझे शरबत पीने के लिए दिया. पूनम मेरे सामने ही आलमारी से कपडे निकालकर बदलने लगी. मैंने पूनम को केवल ब्रा और पैंटी में देखा. मेरे मुंह में पानी आ गया. पूनम ने हॉट शोर्ट पहना और ऊपर स्पोर्ट्स ब्रा. अब वीरा ने भी अपने कपडे बदले. उसने एक ट्यूब टॉप पहन लिया और नीचे पूनम के जैसा ही हॉट शोर्ट. अब दोनों मेरे सामने पलंग पर टांग पर टांग रखकर बैठ गई. उन दोनों की इस अदा ने मेरे शरीर में एक सुरसुराहट पैदा कर दी. वीरा ने मुझसे कहा " तुम भी अपन एकपदे क्यूँ नहीं बदल लेटे." मैंने भी अब बोक्स़र शोर्ट पहन लिया और ऊपर का हिस्सा खुला ही छोड़ दिया. पूनम ने कहा " तुम्हारा बॉडी बहुत सेक्सी और गरम है." वीरा ने कहा " तुम्हारा सीना तो लाजवाब है." पूनम ने वीरा के सीने पर हाथ रखा और कहा " तुम लेस्बियन सेक्स के बारे में जानना चाहते थे ना?" वीरा ने पूनम के गले के नीचे चूम लिया. जवाब में पूनम ने वीरा के गले के नीचे चूम लिया. अब दोनों ने एक दूसरे की टांगों में अपनी टांगें ऐसी फंसाई कि मेरे मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. 
वीरा और पूनम दोनों ने अगले आधे घंटे तक ऐसी ही कितनी अदाएं की और मुझे लगभग  घायल कर दिया. वीरा ने मुझसे कहा " दूर से देखने से मजा नहीं आयेगा. तुम भी हमारे साथ आ जाओ. हम दोनों ने इसे पहले तारा के बॉय फ्रेंड से भी हमारे साथ आकर सेक्स करने के लिए कहा था लेकिन वो नहीं माना. " पूनम बोली " एक बार हमने हमारे एक कस्टमर को भी इनवाईट किया लेकिन वो तो हमारे रिश्ते से घबरा गया. क्या तुम भी मना करोगे?" मैंने कोई जवाब नहीं दिया और पलंग के पास जाकर उन दोनों के बीच में जगह बनाकर बैठ गया. मैंने पहले वीरा और बाद में पूनम को चूमा. इसके बाद उन दोनों ने भी मुझे बारी बारी से चूमा. हम तीनों काफी देर तक युहीं करते रहे.
तभी पूनम ने फ्रिज में से आइसक्रीम निकल ली. उसने एक चमच्च से वीरा को आइसक्रीम खिलाई वीरा ने अपना मुंह खुला ही रखा. पूनम ने अपना मुंह वीरा के मुंह से मिला लिया. पूनम ने अपनी जीभ से वीरा के मुंह से आइसक्रीम ली और खाना शुरू किया. फिर वीरा ने भी पूनम के साथ ऐसा ही किया. यह देख मैं भी उन दोनों के साथ इस में शामिल हो गया. वीरा ने इसके बाद यही खेल अंगूर और आम रस के साथ दोहराया. आम रस से यह खेल खेलते समय आम रस हम तीनों के जिस्म पर कई जगह गिर गया. हम तीनों ने हर जगह गिरे आम रस को जीभ से लेकर खाया.
हम तीनों धीरे धीरे उत्तेजित होने लग गए. वीरा उठी और अपने पर्स में से कंडोम ले आई. पूनम ने मेरे होंठों को च्मते हुए कहा " तुम मना मत कर देना. हम दोनों पिछले एक साल से कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई मर्द हमारे साथ नहीं आया है. " वीरा ने अब मेरे होंठ चूमे और बोली " बस अब तुम तैयार हो जाओ." मैंने वीरा और पूनम के सभी कपडे उतार दिए. उन दोनों ने मेरा अंडर वेअर उतार दिया. वीरा ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया. पूनम ने तो मेरे गुप्तांग को बहुत हलके से चूम लिया. उसके होंठों के स्पर्श ने मेरे होश उदा दिए. वीरा ने अब कंडों मेरे गुप्तांग पर चढ़ाया और पूनम को साथ लेकर पलंग पर सीधी लेट गई. मैंने पहले वीरा के जननांग को भेदा. वीरा ने मेरे गुप्तांग के उसके जननांग में घुसते ही जोर से आहें भरनी शुरू कर दी. उसकी आवाजें भी तेज हो गई. पूनम ने अपने होंठों से वीरा के मुंह को बंद कर दिया. वीरा ने थकने का इशारा किया और मैंने पूनम के जननांग को अब भेदना शुरू कर दिया. पूनम का जननांग बहुत ज्यादा गुदगुदा निकला. पूनम ने अपना जननांग काफी देर तक मेरे लिंग से गीला होने दिया. इसके बाद हमने अपने कपडे फिर से पहन लिए.
वीरा के कहने पर हम समन्दर में नहाने चले गए. रात का समय था. ठंडी हवा चल रही थी. पानी बहुत अच्छा लगा.  पूनम मुझे लेकर पानी में गिर गई. वीरा हम दोनों के ऊपर गिर गई. हम आपस में लिपट लिपटकर पानी में खेलने लगे. पूनम ने अचानक मेरे अंडर वेअर के अंदर हाथ डाला और मेरे गुप्तांग को पकड़ लिया. वीरा ने पूनम कि पैंटी को खींच कर थोडा नीचे कर दिया. अब पूनम ने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग के अन्दर एक ही झटके से घुसा दिया. हम पानी के अन्दर थे. हमने बहुत ज्यादा मजा आया. जब पानी की लहरें तेज होने लगी तो हम वापस घर में लौट आये.
मैंने आते ही वीरा को पकड़ लिया और उसे पलंग पर पटक दिया और अपने लिंग को उसके जननांग में घुसेड दिया. अब रात थी और हम तीनों थे. बाद में वीरा पूनम को गले से लगाकर लेट गई. वीरा पूनम के ऊपर थी इसलिए मैंने पीछे से वीरा के जननांग को एक बार फिर अपने लिंग से गीला कर दिया. फिर पूनम वीरा के ऊपर आ गई. अब पूनम का जननांग गीला हो चुका था. इसके बाद पूनम और वीरा अपनी अपनी टांगें फैला दी और आमने सामने होकर उन दोनों ने मुझे अपने अपने जननांगों को आमने सामने लाकर उन्हें आपस में मिलकर रगडा और मुझे देखने के लिए कहा. मैं अब हर तरह से पागल जैसा हो गया था. अब मैं उन दोनों के ऊपर कुछ इस तरह से लेटा कि मेरा कड़क और लम्बा  हुआ लिंग उन दोनों के जननांगों के बीच में चला गया. उन दोनों के गुदगुदे हिस्सों से जैसे मेरे लिंग पर दबाव आया तो हम तीनों ही के मुंह से एक सिसकी निकल गई. मैं ऐसे ही रहा. पूनम और वीरा दोनों ने अपने जननांगों को आपस में रगड़ना शुरू रखा. मेरा लिंग भी उन दोनों के जननांगों को पूरा सहयोग दे रहा था. कुछ देर के बाद अचानक मेरा लिंग अपने गाढे रस को रोक नहीं पाया. उन दोनों ने अब अपनी अपनी तरफ से जोर से मेरे लिंग को दबा दिया. हम तीनों को ऐसा लगा जैसे हम स्वर्ग की सैर कर रहे हों. अब हमें काफी थकान होने लगी और हम उस एक ही पलंग पर एक दूसरे से सट कर सो गए. सवेरे आस पड़ोस में लोग उठ गए. पूनम और वीरा के साथ मैं बीच पर चला गया. सारा दिन हमने खूब पानी में नहाकर मजा लूटा और शाम को मैं अपने घर लौट आया.  
 
वो खाली दुकान और चार चार मीठे पकवान : पहला भाग



मेरा गोवा में रेडीमेड गारमेंट्स का एक छोटे से शौपिंग काम्प्लेक्स में शो रूम है. मेरे शो रूम में केवल लेडीज गारमेंट्स ही मिलते है. इसलिए पूरे दिन हर उम्र कि लडकीयों ; युवतियों और महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है. लगातार देखे रहने के कारण मेरी नजरें थोड़ी ऐसी हो गई है कि कोई भी खुबसूरत चेहरा नजर आया ; मैं नजर बचाकर उसके पूरे अंग का नाप निकालने लग जाता. किसके होंठ रसीले हैं किसके गाल ज्यादा चिकने हैं. किसकी टांगें सेक्सी है. किसका सीना सबसे ज्यादा बड़ा है. बस हर किसी को देखते ही मेरा दिमाग इसी में लग जाता. दो सेल्स बोयज भी रखे हुए हैं.


मेरी दुकान के बगल में एक मसाज पार्लर है और उसके बाद आखिर में एक लेडीज टेलर है .बस इसके बाद रास्ता बंद हो जाता है. मसाज पार्लर कि मालकिन है तारा. तारा गज़ब की खुबसूरत है. उसकी उम्र करीब सताईस साल है. पूरा शरीर गठा हुआ. एकदम गोरा रंग. चेहरा ऐसा कि देखते ही कोई भी फिसल जाए. उसके स्तन जबरदस्त उभरे हुए. उस पर वो हरदम बहुत ही नीचे तक खुले हुए गले वाले टी शर्ट्स पहनती है. उसके स्तनों के बीच की रेखा देखते ही हमेशा मैं पागल सा हो जाता हूँ. वो अधिकतर घुटने कट कि लम्बाई वाली जींस या कभी कभी तो शोर्ट्स भी पहनकर आती है. उसकी टांगें जैसे रस में डुबोई हुई लगती है. वो ज्यफातर मेरे यहीं से कपडे खरीदती है. मुझसे हरदम मुस्कुराकर बात करती है. मैं अक्सर उसे छुप छुपकर देखता रहता हूँ. लेकिन तारा बहुत ही कड़क अनुशासन वाली है. उसके यहाँ तीन लडकीयाँ और भी काम करती है. लेकिन तारा उन्हें किसी से भी खुलकर बात नहीं करने देती है. ये तीनों लडकीयाँ भी खुबसूरत है. किट्टी सबसे सीनियर है. तारा की वो विश्वासपात्र है. फिर एक है वीरा और एक है पूनम. ये सभी भी तारा से मिलते जुलते कपडे पहनकर आती है. सभी के सीने ज्यादातर बहुत ज्यादा खुले हुए रहते हैं. मसाज पार्लर में ग्राहक ऐसे खुले सीने देखकर ही तो आते हैं.


एक दिन तारा मेरे यहाँ कुछ स्लीवलेस टी शर्ट देख रही थी. मैं उसके उभरे हुए सीने पर नजरें गडाए हुए था, तभी तारा ने मुझे उसके सीने की तरफ झांकते हुए देख लिया. उसने इक तीखी नजर मुझ पर डाली और फिर एकदम से मुस्कुरा पड़ी. मैं भी मुस्कराया. रात को तारा जब अपने पार्लर को बंदकर घर के लिए निकल रही थी तो उसने मुझे बाहर बुलाया और बोली " इस तरह से देखना बहुत अच्छा लगता है तुम्हे!" मैं कुछ ना बोल केवल मुस्कुरा दिया. तारा बोली " तुम जब भी इस तरह मुझे देखते हो तो ना जाने क्यूँ मेरा सीना धड़कने लग जाता है. मुझे लगने लगता है जैसे ये और भी उभरकर टी शर्ट को फाड़कर बाहर आना चाहते हैं. तुम ऐसे ही देख सकते हो. मुझे बहुत अच्छा लगेगा. तुम्हें कोई मना नहीं है. बाय होटी." तारा चली गई लेकिन मेरे दिल की धड़कने बहुत ही बढ़ा गई.


अगले दिन जब तारा आई तो मैं उसे दकेह मुस्कुराया. तारा ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया और अपने सर को कुछ ऐसे झुकाया कि उसका सीना भी उसके साथ झुक गया और मुझे जो देखना था वो मुझे साफ़ साफ़ दिख गया. अब जब भी तारा मिलाती मुझे वो किसी ना किसी तरीके से अपने उभरे हुए सीने को दिखला देती. एक दिन तारा थोडा जल्दी आ गई. उस वक्त तक उसकी कोई भी लडकी नहीं आई हुई थी. तारा ने मेरे एक लड़के से पार्लर का शटर खुलवाया. इसके बाद तारा मेरी दुकान में आई और उसने दो टी शर्ट लिए और अपने पार्लर में ट्राई करने चली गई. वो उन में से एक टी शर्ट पहनकर बाहर आई और मुझे इशारे से बाहर बुलाया. मैं बाहर गया तो उसने अपने पार्लर में आने का इशारा किया. मैं पार्लर में चला गया. वो बोली " यह तो अच्छा नहीं लग रहा है. मैं दुसरा वाला पहनकर देख्लाती हूँ. तुम मुझे बताना कि कैसा लगता है." तारा अन्दर बने एक केबिन में गई. वो दूसरे टी शर्ट को पहनकर आई. ये टी शर्ट काफी खुले गले वाला तो था ही उसमे गले के नीचे बटन भी लगे थे. तारा ने दोनों बटन भी खुले रखे और बाहर आ गई. तारा के दोनों गुलाबी गुलाबी बूब्स ब्रा में से साफ़ साफ़ दिख रहे थे. बटन के खुले होने से काले रंग की ब्रा भी दिख रही थी. मैं तारा की इस तरह से खुली हुई छाती देखकर मदहोश हो गया. तारा ने एक शरारत भरी मुस्कान मुझ पर डाली और कहा " अब तो खुश. " ना जाने मुझमे कैसे शैतानी आ गई. मैं बोला " खुश हूँ लेकिन पूरी तरह से खुश नहीं हूँ." तारा मेरे करीब आ गई. उसने बहुत ही ठंडी और मदहोश कर देने वाली आवाज में कहा " तो तुम बहुत खुश होना चाहते हो. मुझे तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा बहुत ही अच्छा लगता है. तुम जब भी हँसते हो ना होटी; तो मेरा सीना बहुत जोर से धडकने लग जाता है. रुको मैं तुम्हे आज बहुत खुश कर देना चाहती हूँ." तरन ने उस टी शर्ट को खोल दिया. अब वो सिर्फ काली ब्रा में थी. उसका उभरा हौर छोड़ा सीना मेरे सामने था. उसके सीने से बहुत ही जोर की खुशबू आ रही थी. तारा ने मेरी तरफ देखा. मैंने कहा " हाँ; हनी. अब मैं खुश हूँ." तारा ने अपना टी शर्ट पहना और मैं बाहर आ गया.


मैं उस रात सो नहीं पाया. तारा कि काली ब्रा और उसमे में से झांकते उसके दोनों बड़े बड़े स्तन मेरी आँखों के सामने घूमते रहे. अगले दिन जब सवेरे तारा आई तो मैंने मौका देख उसे कहा " मैं सारी रात जागता रहा. तुम्हरा कल का नजारा मेरी आँखों से नहीं हटा. मैं पागल हो गया हूँ." तारा हंस दी और आगे बढ़ गई. रात को तारा कि तीनो लडकीयाँ जब चली गई तो तारा ने मुझे ठहरने का इशारा किया. मैंने अपनी दुकान बंद की और उसकी दुकान के थोडा दूर जाकर खड़ा हो गया. तारा ने मुझे देखा और आने का इशारा किया. मैं तारा के पार्लर में चला गया. तारा ने पार्लर का दरवाजा बंद किया और मुड़कर मेरी तरफ देखा. तारा ने पाना टी शर्ट खोल दिया. उसने आज गहरे लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी. तारा आगे आई और मेरे एकदम करीब आकर खड़ी हो गई. आज उसके उभारों ने मेरे सीने को पहली बार स्पर्श किया. मुझे उसके दोनों स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने तारा को अपनी बाहों में भर लिया. तारा ने भी अपने दोनों हाथों से मुझे कसकर पकड़ लिया. अब तारा का मुंह मेरे बहुत ही करीब था. उसकी साँसें मुझसे टकरा रही थी. तारा के गुलाबी होंठ मुझे अचानक रसगुल्ले जैसे लगने लगे. मैंने अपने होंठ तारा की तरफ बढ़ा दिए. तारा मुस्कुराई और फिर धेरे से उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंठों से छुआ दिए. मैंने उसके नाजुक और मुलायम होंठों को अब अपने होंठों को खोलकर उन्हें अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया और बहुत ही धीरे से उनमे भरे हुए रस को चूस लिया. तारा कसमसा गई. अब उसने भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसा. हम दोनों एक दूजे को रह रहकर अपनी तरफ दबाते और फिर होंठों को चूस लेते. हम दोनों करीब दस मिनट के बाद तारा के पार्लर से बाहर आ गए. हम दोनों के चेहरों पर मुस्कराहट थी.


तारा और मैं अब काफी खुल गए थे. हम दोनों हर तरह के मज़ाक भी आपस में करने लगे. हालाँकि उस दिन जैसा मौका हमें अगले एक महीने तक नहीं मिला लेकिन हम इंतज़ार करने लगे. हमारा इंतज़ार सफल हुआ. उस दिन सवेरे से बहुत जोरों की बारिश होने लगी. मेरे शो रूम का केवल एक ही लड़का पहुँच सका. तारा के यहाँ तो करीब बारह बजे तक कोई भी लडकी नहीं पहुंची. जब मैं पहुंचा तो तारा के पार्लर में एक लेडी कस्टमर आई हुई थी. मैं उसके जाने का इंतज़ार करने लगा. बहुत बारिश कि वजह से पूरा शौपिंग काम्प्लेक्स खाली पड़ा था. उस औरत के जाते ही मैंने लड़के को दुकान में ध्यान रखने की हिदायत देकर तारा के पार्लर में चला गया. तारा और हम एक दूसरे की आगोश में हो गए. फिर तारा ने अपने पार्लर में बने एक केबिन का दरवाजा खोला और हम दोनों उसमे चले गए. उस केबिन में एक कोच बना हुआ था. उस पर डनलप के तीन तीन गद्दे एक साथ लगे हुए थे. तारा ने अपना टी शर्ट और स्कर्ट दोनों उतार दिए. अन्दर गुलाबी रंग का एक बल्ब जल रहा था. तार का जिस्म उसमे किसी जलेबी की तरह दिखाई देने लगा. मैंने भी अपने कपडे उतार दिए. अब तारा उस कोच पर लेट गई. वो तीन गद्दे इतने आरामदायक थे कि तारा के उस पर लेटते ही तारा उसमे काफी नीचे तक धंस गई. तारा ने अपने हाथों को फैलाकर मुझे भी आने को कहा. मैं तारा पर लेट गया. हम दोनों के वजन से तीनों गद्दे और भी नीचे दब गए. तारा ने तुरंत ही मेरे होंठ चूम लिया. इसके बाद हम दोनों को कुछ होश नहीं था. हमने एक दूसरे के जिस्म का कोई भी हिस्सा बिना चूमे नहीं छोड़ा था, पार्लर में पीछे एक छोटी खिड़की थी. मैंने उसे खोला तो देखा कि बाहर बारिश और जोर से होने लगी है. तारा ने मुझसे कहा " आज अब कोई और पहुँचने वाला नहीं है. सब तरफ पानी ही पानी है. आओ तुम मुझमे डूब जाओ और मैं तुममे डूब जाती हूँ." तारा ने अब मुझे और भी कसकर जकड लिया. अचानक तारा ने खुद को मुझसे अलग किया. उसने अपनी ब्रा उतार दी. अब मैं पूरी तरह से नशे में आ गया. मैंने बेतहाशा उसके दोनों मुलायम और रस से भरे स्तनों को पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया. तारा के मुंह से सी सी और आह ओह की आवाजें आने लगी. अब तारा ने अपनी पैंटी भी उतार दी और जल्दी जल्दी खींच कर मेरा अंडर वेअर भी खोल दिया उसने उस कोच के कवर में से एक कंडोम निकाला और मुझे थमा दिया. तारा ने कहा " मुझे बहुत नशा चढ़ चुका है हौटी. आज तुम मुझे जन्नत की सैर करा ही दो." मैंने कंडोम लगाया और तारा को कोच पर लिटाकर उसकी टांगों के बीच में अपना नीचे वाला हिस्सा ले गया. जो कुछ तारा की इच्छा थी मैंने अपने गुप्तांग को तारा के जननांग में एकदम भीतर तक लेजाकर पूरी कर दी. तारा ने मुझे करीब एक घंटे तक नहीं छोड़ा. मैं भी अपने गुप्तांग को तारा.के जननांग की एक घंटे तक सैर करवाता रहा. जब मेरे गुप्तांग ने कंडोम को खूब सारे गाढे रस से भर दिया और तारा के जननांग में उसके कारण बहुत सारी हलचल और गुदगुदी फ़ैल गई तो तारा ने अपने होंठों से मेरे होंठों को ऐसा सीया और चूसा कि हम दोनों के होंठों के चारों ओर बहुत सारा गीलापन फ़ैल गया. हम दोनों ने उस गीलेपन को बहुत देर तक अपनी अपनी जीभ से चाटा और मुंह में मिठास भर ली. अब तारा के जिस्म की सारी ताकत निकल चुकी थी. मेरी भी टांगें अब जवाब देने लगी थी. हम दोनों उस कोच पर करीब आधा घंटा और लेटे रहे. फिर मैं पार्लर से बाहर आ गया. बारिश और तेज हो चुकी थी. सारा काम्प्लेक्स लगभग खाली हो चुका था. मैंने भी अपने लड़के को छुट्टी दे दी और शोव्रुम बंद कर दिया. मैं और तारा काफी देर तक यहाँ वहां घूमते रहे. बाहर सड़क पर घुटनों तक पानी भर गया था और पैदल चलना भी बहुत मुश्किल था. बहुत देर के इंतज़ार के बाद भी जब पानी काम नहीं हुआ तो तारा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और हम एक बार फिर पार्लर में आ गए थे. मैं हैरान रह गया. तारा का चेहरा तजा लग रहा था. तारा ने एक बार फिर मेरे सारे कपडे उतार दिए. मैं मना नहीं कर सका. तारा ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे से लिपटकर चूमना चाटना शुरू कर दिया. तारा ने इस बार जल्दी से कंडोम मेरे गुप्तांग पर खुद ही चढ़ा दिया. मैंने भी तुरंत उसके जननांग को मेरे पूरी तरह से कडक हो चुके लिंग से दोबारा भेद दिया. इस बार हम दोनों यह सब काफी धीरे धीरे कर रहे थे. क्यूंकि ताकत अब ना के बराबर बची थी. इस बार भी करीब एक घंटे तक मेरा लिंग तारा के जननांग के भीतर यहाँ वहां घूमता रह और अन्दर बाहर होता रहा. हम दोनों की जिंदगी का ये शायद सबसे हसें और यादगार दिन था. शाम को करीब पांच बजे हम दोनों अपने घर के लिए चल निकले. हम दोनों कुल मिलकर तीन घंटे से भी ज्यादा हमबिस्तर रहे थे. तारा ने अपने घर की तरफ का रास्ता लेने से पहले मेरे होंठों को जोर से चूसा और फिर चली गई.


अब हम दोनों जब भी समय मिलता हमबिस्तर हो जाते थे. लगभग एक महीने के बाद वो लेडीज टेलर की दुकान अचानक बंद हो गई. उस दुकान के मालिक ने उसकी चाबी मुझे देते हुए कहा कि जब भी कोई ग्राहक आये तो मैं उसे उस खाली दुकान को दिखा दिया करूँ. उस दुकान में उस टेलर ने एक छोटा पलंग रखा हुआ था जिस पर वो जब काम नहीं होता तो आराम कर लिया करता था. मुझे उस दुकान को देखते ही एक योजना दिमाग में आई. मैंने तारा को यह योजना बता दी. तारा भी बहुत खुश हो गई. एक दोपहर को मैं सबसे छुप कर तारा के साथ उस दुकान में चला गया. हम दोनों को अब कोई डर नहीं था क्यूंकि उस दुकान में कोई भी नहीं आने वाला नहीं था. हम दोनों ने उस दोपहर को लगभग दो घंटों तक लगातार संभोग किया. अब मैं और तारा लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन मौका देख संभोग करने लगे.


इसकी भनक यूँ तो किसी को नहीं थी लेकिन किट्टी को थोडा थोडा शक होने लगा था. आखिर एक दिन किट्टी ने मुझसे कह ही दिया " तुम और तारा बहुत ज्यादा करीब हो गए हो. तुम दोनों में जो भी चल रहा है वो सब मुझे पता है." मैंने उससे कहा " तुम्हें कोई तकलीफ है इससे?" किट्टी बोली " बहुत ज्यादा; मैं तुम्हें सबसे पहले पाना चाहती थी." मैंने कहा " वो तो तुम अब भी पा सकती हो. " किट्टी बोली " दो दो को संभाल पाओगे?" मैं बोला " एक बार मेरे करीब आकर देखो. मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ. मैं तुम्हें और तारा के साथ साथ वीरा और पूनम को भी संभाल सकता हूँ." किट्टी मुस्काराते हुए पार्लर में चली गई.


एक दिन तारा किसी काम के कारण नहीं आई. उस दिन किट्टी पार्लर की बॉस थी. किट्टी की विशेषता उसके होंठों पर लगी लिपस्टिक होती थी. होंठ तो तारा के भी रसीले थे लेकिन किट्टी जब अपने होंठों पर गहरा लाल, परपल या कभी चमकदार गुलाबी या कभी कभी चमकदार नीले रंग का लिपस्टिक लगाती तो मैं छुपकर अपने मोबाइल कैमरे से उसकी होंठों कि तस्वीरें निकालता और फिर अकेले में देखा करता. उस दिन किट्टी चमकदार नीले रंग का लिपस्टिक लगाकर आई. हम दोनों दो तीन बार आमने सामने हुए. आज मौका अच्छा था. मैंने किट्टी को अपने पास बुलाया और कहा " उस खाली दुकान में मैं और तारा अक्सर मिलते रहते हैं. तुम वीरा और पूनम को काम पर लगाकर उस दुकान में आ जाओ." किट्टी बहुत जल्दी उस दुकान में आ गई. मैंने दुकान का दरवाजा बंद कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब खड़े हो गए. किट्टी ने अपनी उन्गलीयाँ मेरे गालों और होंठों पर फिराते हुए बोली " मेरी जान; मैं कबसे ऐसे पल का इंतज़ार कर रही थी." मैं बोला " किट्टी ; तुम्हारे होंठ हमेशा से मुझे पागल करते रहे हैं मेरे पास तुम्हारे होंठों को सौ से भी ज्यादा तस्वीरें हैं." मैंने किट्टी को वो सारी तस्वीरें दिखलाई. किट्टी आहें भरने लगी. किट्टी ने एक लॉन्ग ड्रेस पहनी हुई थी. खुली बाहों वाली और घुटनों तक लम्बी. मैंने किट्टी की उस ड्रेस को उतार दिया. किट्टी अब सफ़ेद ब्रा और पैंटी में रह गई. मैंने भी अपने कपडे उतार दिए. अब मैंने किट्टी के चमकदार नीले होंठों को चूमना आरम्भ किया. क्या मिठास थी. क्या गीलापन था. मैं पागल हो उठा. किट्टी भी अपने होंठों को इस तरह से चूमे जाने से बहुत खुश हो रही थी. मैंने लगभग पांच मिनट तक किट्टी के होंठों को चूसा. अब मेरे होंठों के आस पास नीला रंग कहीं कहीं लग गया और किट्टी के नेचुरल हलके गुलाबी होंठ दिखने लगे थे. अब हम दोनों ने एक दूजे को बाहों में भर लिया और लगे जिस्म को यहाँ वहां चूमने. किट्टी तारा से ज्यादा मजबूत थी. उसने थोड़ी ही देर के बाद मुझसे कहा " कंडोम लाये हो?" मैंने उस पलंग के नीचे ही कंडोम का पैक रख दिया था. हम दोनों निर्वस्त्र हो गए. किट्टी ने मेरे लिंग को अपने हाथों से कड़क किया और फिर उस पर कंडोम चढ़ा दिया. उसने मुझे नीचे लेटने को कहा. किट्टी मेरे ऊपर लेट गई और उसने मेरी गरदन के हिस्सों को चूम चूम कर गीला कर दिया. फिर उसने मेरे गुप्तांग को अपने जननांग में धीरे से धकेला और खुद ही अपने शरीर के निचले भाग को हिला हिलाकर मेरे गुप्तांग को खुद के जननांग के अंदर ले जाने का प्रयास करने लगी. उसका निचला हिस्सा ऊपर नीचे होने के कारण मेरा गुप्तांग धीरे धीरे अन्दर की तरफ खिसकने लग गया. किट्टी को इससे बहुत मजा आने लगा. अब उसके मुंह से आनंद दायक आवाजें आने लगी. किट्टी करीब पन्दरह मिनट तक इसी तरह मेरे ऊपर रही. फिर इसके बाद मैंने उसे सुलाया और उसके ऊपर लेटकर उसके जननांग को भेदा. मैं भी उतनी देर उसके ऊपर रहा. अब किट्टी दीवार के सहारे खड़ी हो गई. मैंने एक बार फिर उसके जननांग को खड़े खड़े लिंग से भेदा. हम दोनों को अलग अलग तरह से संभोग करने में मजा आ रहा था. इसके बाद किट्टी उल्टा लेट गई. हमने इस पोजीशन में भी संभोग किया. इसके बाद किट्टी अपनी टांगें फैलाकर पलंग पर बैठ गई. मैं भी बैठ गया. हम दोनों एक दूसरे के करीब आ गए, मैंने किट्टी को बाहों में भरा और किट्टी ने अपने हाथ से मेरे लिंग को अपने जननांग में जोर धकेला. अब किट्टी कोई दूसरा तरीका सोचने लगी. इसके बाद किट्टी पलंग के किनारे लेटी और मैंने खड़े खड़े ही अपने गुप्तांग को उसके जननांग में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा. मैंने यह तरीका करीब आधे घंटे तक दोहराया. अब हम दोनों शायद चरम पर पहुँच रहे थे. मैंने किट्टी को आगे खसकाया और उस पर लेट गया. अब मैंने उसके जननांग को अपने लिंग से भेदते हुए जोर जोर से झटके देने शुरू किये. किट्टी की आवाजें थोडा तेज हो गई. करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से भींच लिया. हम दोनों अब तड़पने लगे. फिर अचानक मेरे लिंग से गाढा रस निकला और कंडोम में भरने लगा. कंडोम थोडा फैला और किट्टी के जननांग में एक जोर की गुदगुदी हुई। हम एक दूजे से और कसकर लिपट गए.


हम दोनों काफी देर तक युहीं लेटे रहे और एक दूजे के होंठों का रस पीते रहे। अपने अपने कपडे बदलकर हम दुकान से बाहर आ गए.


बुधवार, 16 जून 2010

ये हम कहाँ आ गए

मेरा नाम निम्मी है. मैं मुंबई में एक फाइव स्टार होटल में काम करती हूँ. जुहू में पेइंग गेस्ट के तौर रहती हूँ. मेरी रूम पार्टनर है जीनत. हमारे घर के मालिक का खुद का बिजनेस है. वो बहुत ही काम उम्र के हैं. उनकी उम्र बत्तीस साल और उनकी पत्नी मुस्कान की तीस साल है. जीनत टी वी सीरियल में छोटे मोटे रोल करती है. हम दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन चुकी हैं. जीनत भोपाल की रहने वाली है. उसकी बड़ी बहन की शादी तय हो गई. उसने जिद की कि मैं बी उसके साथ चलूँ. मुझे उसकी जिद के आगे झुकना पडा. हम भोपाल पहुँच गए. जीनत का घर पुराने इलाके में था. भरा पूरा परिवार. करीब तीस लोग उस पुरानी कोठी में रहते थे. हमें एक छोटा कमरा मिला. वो कमरा जीनत की चचेरी बहन जाहिदा का था. एक डबल बेड लगा था. जाहिदा हमारी हमउम्र थी. देखने में खुबसूरत लेकिन बहुत ही शांत. हम तीनों रात को उसी पलंग पर सो गए.
सोते ही नींद आ गई. मुझे कुछ देर के बाद पलंग में हलचल होने का आभास हुआ. मैंने आँखें खोली. जीनत हम दोनों के बीच में सोई थी. मैंने देखा कि जीनत के कुर्ती के सारे बटन खुले हुए हैं और जाहिदा जीनत के उभरे हुए स्तनों को लगातार चूम रही है. मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. मैंने जीनत को कभी भी मेरे साथ ऐसा करते नहीं देखा था. मैंने चुपचाप जाहिदा और जीनत को देखने लगी. काफी देर तक यह सब चलता रहा. फिर मुझे नींद आ गई.
सवेरे मैंने देखा जाहिदा फिर से चुप और शांत नजर आ रही थी. जीनत से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुई. दोपहर को मैं और जीनत युहीं बाज़ार घूमने चले गए. रास्ते में मैंने जीनत को रात जाहिदा वाली बात कही. जीनत थोडा चौंकी और फिर बोली " वो ऐसी ही है. उसे यह सब करना काफी पहले से अच्छा लगता है. मैं भी उसे मना नहीं करती. मैं जानती हूँ कि कई लडकीयाँ इस कमजोरी की शिकार है. जाहिदा एक लेस्बियन है. मुझे भी यह अच्छा लगता है इसलिए मैं मना नहीं करती. इससे उसकी इच्छा भी पूरी हो जाती है." मैं कुछ ना बोली. मैंने आज तक लेस्बियन शब्द सुना था. उनके व्यवहार के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था. जाहिदा के रूप में एक लेस्बियन मेरे सामने थी. शाम को मैं छत पर खड़ी थी. मैंने जीनत और जाहिदा को जाहिदा के कमरे की तरफ जाते देखा. उत्सुकतावश मैं उन दोनों के पीछे पीछे चली गई. मैं बाहर खिड़की से अन्दर देखने लगी. जीनत दीवार के सहारे खड़ी हो गई. जाहिदा उसे दीवार की तरफ अपने जिस्म से दबाते हुए खड़ी हो गई. अब जाहिदा उसे गरदन के अलग अलग हिस्सों को चूमने लगी. जीनत मुस्कुराते हुए जाहिदा के एक एक चुम्बन का मजा ले रही थी. फिर जाहिदा ने अपनी कुर्ती उतार दी. अब जीनत ने जाहिदा के नंगे सीने को यहाँ वहां चूमना शुरू किया. दोनों केवल अपनी अपनी ब्रा में थी. आपस में लिपटी हुई. मैं उन दोनों को तब तक देखती रही जब तक दोनों अलग होकर अपने अपने कपडे डालकर कमरे के दरवाजे से बाहर निकल गई. मुझे ना जाने क्यूँ ऐसा लगा जैसे वे दोनों जो भी कुछ कर रही है उसमे बुरा कुछ भी नहीं है. उन्हें अच्छा लग रहा है और मजा भी आ रहा है.
रात को एक बार फिर हम उसी तरह से सो गए. जब जीनत और जाहिदा को नींद आ गई तो मैंने उन दोनों को थोडा सा दूर धकेला और उन दोनों के बीच सो गई. मुझे अब जाहिदा के जागने का इंतज़ार था. कुछ ही देर के बाद जाहिदा जाग गई. उसने मुझे जीनत समझा और मेरी कमीज के बटन खोलकर मेरे स्तनों को पहले सहलाना शुरू किया और फिर धीरे धीरे उन्हें चूमना शुरू किया. मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था. मुझे बहुत अच्छा लगने लगा. मैंने भी जाहिदा के कुरते के बटन खोले और उसकी नंगी छाती तो जगह जगह पर चूमना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में हम दोनों एक दूसरे को लगातार चूमने लगे थे. तभी जाहिदा को यह अहसास हो गया कि कुछ गड़बड़ है. उसने कमरे की छोटी खिड़की का दरवाजा खोल दिया. हलकी सी रौशनी अन्दर आने लगी. हम दोनों ने एक दूसरे का चेहरा देख लिया. पहले तो जाहिदा घबराई लेकिन मैंने उसे अपने से लिपटा लिया. जाहिदा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया. हम दोनों की इस हलचल से जीनत की आँख खुल गई. उसने जब हम दोनों को इस हालत में देखा तो उसने मुझे कानों में कहा " मुझे तो कुछ और कह रही थी और अब खुद भी....." मैंने जीनत से कहा " जब तुम दोनों को इस तरह से देखा तो मुझे लगा कि तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो." जीनत भी अब हमारे साथ शामिल हो गई.
अब सवेरे ससे हम तीनों एकांत का इंतज़ार करने लगी. अगले दिन ही शादी थी. दोपहर में खाने के बाद निचली मंजिल के खुले चौक में घर के सभी लोग एकत्र हो गए और नाच गाना शुरू हो गया. हम तीनों भी उसमे शामिल हो गई. इसक एबाद आस-पड़ोस की औरतें भी शामिल हो गई. हमने मौके का फ़ायदा उठाया और जाहिदा के कमरे में आ गई. हमने कमरे के बाहर एक ताला लगा दिया और फिर छोटी वाली खिड़की से कमरे के भीतर आ गई. अब हर कोई यही समझता कि कमरे पर ताला है इसलिए इसमें कोई नहीं है. हम तीनों ने अपने कपडे उतारे. केवल ब्रा और पैंटी रहने दी. अब हम तीनों आपस में लिपट लिपटकर चूमा-चाटी करने लगे. तीनों को जबरदस्त मजा आने लगा था. अचानक मेरा हाथ जाहिदा कि पैंटी को छु गया. जाहिदा तड़पकर रह गई. मैंने अपना हाथ हटा लिया. जाहिदा ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर से अपनी पैंटी से छुआ दिया. अब हम दोनों को ही यह अच्छा लगने लगा. फिर जाहिदा ने भी अपना हाथ मेरी पैंटी से छुआया. अब हम तीनो एक गोला बनाकर आमने सामने बैठ गई. मेरा एक हाथ हाथ जीनत की पैंटी को तो दूसरा जाहिदा की पैंटी को छु रहा था. इसी तरह से जीनत और जाहिदा के हाथ एक उन दोनों के दूसरे की पैंटी को और मेरे पैंटी को छु रहे थे. अचानक जीनत ने हम तीनों को ही पैंटी के अन्दर हाथ डालने को कहा. अब हम तीनो एक दूसरे के गुप्तांग को अपनी अपनी उंगलीयों से सहलाने लगी. यह हमें इतना अच्छा लगा कि इसे हम लगातार करने लगी. कुछ ही देर के बाद हम तीनों की ही पैंटीयाँ गीली हो गई. नीचे एक घंटे तक नाच गाना चलता रहा और ऊपर हमने खूब मजे कर लिए.
रात को एक बार फिर हम तीनों साथ थी. आज रात बहुत स्पेशल हो गई थी. आज हम तीनों ने ही अपने सारे कपडे उतार लिए थे. हम एक दूसरे से लिपटी जा रही थी और एक दूसरे के गुप्तांग का हाथों से मसाज किये जा रही थी. जीनत ने जाहिदा को पलंग पर सीधा लिटाया और उसकी टाँगे फैलाकर कूद उसके ऊपर सो गई और उसने अपने गुप्तांग वाले हिस्से को जाहिदा के गुप्तांग से टच करा दिया. जाहिदा के मुंह से एक आह और सिसकी निकल गई. मुझे यह देखना बहुत अच्छा लगा. इसके बाद हम तीनों ने ही इसे एक दूजे के साथ दोहराया. हम तीनों इसी तरह से सवेरे चार बजे तक खेलते रहे. इसके बाद हम जब पूरा थक गए तो सो गए.
अगले दिन निकाह था और वो रात हम तीनो की एक साथ आखिरी रात. निकाह होते होते और खाना खाते कहते रात के दो बज गए, मेरी और जीनत कि ट्रेन सवेरे आठ बजे की थी. हमने फैसला किया कि हम तीनो बिलकुल नहीं सोयेंगे. हम कमरे में आ गई. इसके बाद वो ही खेल शुरू हो गया. लगातार यह खेल चला और सात बजे मैं और जीनत भोपाल स्टेशन आ गई. जाहिदा हमें छोड़ने स्टेशन आई. उसकी आँखें नम थी. हम दोनों भी बहुत उदास हो गई थी. जाहिदा ने मुझे और जीनत को अकेलेपन से निपटने का एक अच्छा और बहुत ही सुहावना उपाय बतला दिया था.
मुंबई आने के बाद जाहिदा कि बहुत याद आती. हम दोनों लेकिन आपस में यह सब दोहराने लगी. रात होते ही हम दोनों एक हो जाती. एक दिन हम दोनों ही हमारे कमरे में कोई फिल्म देख रही थी. हमारे कमरे का दरवाजा खुला था. हमें इस बात का बिलकुल ही अहसास नहीं रहा. फिल्म इंग्लिश थी इसलिए उसमे कई सेक्सी दृश्य भी आते जा रहे थे. जब भी कोई ऐसा दृश्य आता हम दोनों एक दूसरे से लिपट जाती और आपस में किस कर देती. अचानक ऐसा ही एक लम्बा दृश्य आ गया. जीनत ने उतीजना में खुद के और मेरे सारे कपडे उतार दिए. हम दोनों पूरी तरह से नग्न हो गई. जीनत मेरे ऊपर चढ़ गई और अपने गुप्तांग को मेरे गुप्तांग से रगड़ने लगी. मैं भी उसे इसी तरह से जवाब देने लगी. तभी मुस्कान शायद पानी पीने के लिए किचन की तरफ गई. वापस लौटते वक्त उसने हमारेकमरे कि लाईट जलते देखी तो वो हमारे कमरे की तरफ आ गई. दरवाजा खुला देखा तो भीतर आ गई. भीतर आते ही उसने जब हम दोनों को इस हालत में देखा तो उसके मुंह से एक हलकी सी चीख निकल गई. हम दोनों चौंक गई. हम दोनों ने मुस्कान को देखा तो डर के कारण आपस में और भी लिपट गई. मुस्कान को अचानक से ये दृश्य बहुत ही उत्तेजना वाला लगने लगा. उसने मुस्कुराते हुए हमें देखा और हमारी तरफ हाथ हिलाती हुई अपने कमरे में चली गई.
अगले दो तीन दिनों तक हम मुस्कान ने नजर नहीं मिला सके. लेकिन मुस्कान हमें हमेशा एक कटीली मुस्कराहट के साथ देखती. हम दोनों अब मुस्कान से अक्सर नजरें बचाने की कोशिश करते. एक दिन रात को मैं जीनत बिस्तर में थे. हम दोनों एक दूजे से लिपटे ही थे कि कमरे का दरवाजा किसी ने खटखटाया. मुस्कान के अलावा कोई और नहीं हो सकता था. जीनत ने एक चद्दर अपने ऊपर डाली और दरवाजा खोला. मुस्कान ही थी. उसने स्पोर्ट्स ब्रा और हॉट शोर्ट पहन रखा था. उसने जीनत से कहा " आज मैं अकेली ही हूँ. वे दो दिन के लिए टूर पर गए हैं. मुझे अकेले सोते हुए डर लग रहा है. क्या मैं आज की रात तुम लोगों के कमरे में सो सकती हूँ? तुम दोनों जो भी करती हो मुझे उसमे कोई आपत्तिजनक नहीं लग रहा. हर किसी को अपने हिसाब से जीने की आज़ादी है. तुम आज भी रात को अपने हिसाब से सो सकती हो. " जीनत ने उसे अन्दर आने दिया. हमारा डबल बेड काफी चौड़ा था. मुस्कान उसी पलंग पर एक तरफ लेट गई. जीनत वापस आकर मेरे साथ मेरी चद्दर में मुझसे लिपटकर सो गई.
हम दोनों हमेशा नाईट लेम्प जलाकर ही सोती हैं. मुस्कान हम दोनों को देखने लगी. मैंने जीनत को और जीनत ने मुझे चूमना शुरू किया.थोड़ी थोड़ी देर के बाद हम दोनों उस बिस्तर पर आपस में लिपटी हुई ऊपर नीचे भी हो जाती. मुस्कान को नींद नहीं आ रही थी. उसकी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी. उसने अचानक हम दोनों से कहा " अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो तुम दोनों चद्दर निकालकर भी यह सब कर सकती हो. ना जाने क्यूँ मुझे ये देखना अच्छा लग रहा है. मेरी बात मान लो प्लीज." मैंने जीनत की तरफ देखा. जीनत ने एक इशारा किया और हम दोनों ने चद्दर को उछाल दिया. अब हम दोनों के अर्धनग्न जिस्म मुस्कान के सामने थे. हमने केवल ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. हम दोनों आपस में लिपटी हुई थी. कभी मैं जीनत के उपर लेटती और कभी जीनत मुझ पर. कभी एक दूसरे के अलग अलग हिस्सों को चूमते हुए हम दोनों अपने होंठ आपस में बहुत जोर से आवाज करते हुए मिला लेते मुस्कान को यह सब देखते हुए बहुत मजा आने लगा था. कभी कभी वो तकिये को अपनी बाहों में दबा लेती. कभी वो तकिये को अपनी दोनों टांगों में दबा लेती. जीनत ने यह देखा तो उससे रहा नहीं गया. उसने मुझे इशारा किया और वो मुस्कान के करीब चली गई. जीनत ने मुस्कान से कहा " आप को अगर हमें इस तरह से देखने में कोई आपत्ति नहीं है तो हमें भी आपको हमारे साथ शामिल होने में आपत्ति नहीं है." मुस्कान का चेहरा खिल उठा. वो हम दोनों के साथ आने के लिए तैयार हो गई. जीनत ने उसकी स्पोर्ट्स ब्रा को खोल दिया. मुस्कान ने स्वयं अपने हॉट शोर्ट को उतार दिया. मैंने और जीनत ने मुस्कान को अपनी बाहों में ले लिया. जीनत और मैं मुस्कान को जगह जगह चूमने लगी. मुस्कान भी पूरे जोश के साथ इसमें शामिल हो गई. कुछ देर के बाद हम तीनों ने अपने सारे कपडे खोल दिए थे. अब जीनत और मैंने अपने अपने जननांग मुस्कान के जननांग से कई बार स्पर्श किये और धीरे धीरे आपस में रगड़े भी. मुस्कान को बहुत ही मजा आया.
कुछ ही देर के बाद मुस्कान भी हम दोनों की तरह एक लेस्बियन बन चुकी थी. अब जब भी मुस्कान घर में अकेली होती है तो वो या तो हम दोनों के साथ या कभी हम्मे से किसी के साथ हमबिस्तर हो जाती है. हम तीनों कि जिंदगी बहुत अच्छे से गुजर रही है.