देहरादून का गेलार्ड क्लब. इस क्लब की मेम्बर्स केवल सेना के अफसरों की बीवियां ही है. मैं इस क्लब में बार काउंटर संभालता हूँ और साथ ही इस क्लब की कार का ड्राईवर भी हूँ. मेरा काम बार पर सभी महिलाओं को ड्रिंक्स सर्व करना और जो भी कहे उसे उसके घर तक छोड़ना है. मैं अभी तक कुंवारा ही हूँ.
मेरी किस्मत है कि सेना के अफसरों की इन खुबसूरत बीवियों को बहुत करीब से देखने का मौका मिलता रहता है. जा किसी को घर चोदता हूँ तो अच्छी टिप भी मिल जाती है. दोपहर को एक ग्रुप आता है. इसमें दो मेजर की बीवियां है और तीन अन्य अच्छी पोस्ट वाले अफसरों की. एक है मेजर आनंद की पत्नी माया मैडम . माया गज़ब की खुबसूरत है. एकदम लाल गोरा रंग. एक एक हिस्सा जैसे तराशा हुआ संगमरमर की कोई मूरत. दूसरी थी सीमा मैडम; मेजर सिंह की पत्नी. सीमा अपनी उमर से बहुत छोटी नजर आती थी. उसकी आवाज भी किसी कॉलेज जानेवाली लड़की जैसी थी. सीमा यूँ तो दुबली थी लेकिन उसके बूब्स बड़े थे. अन्य तीन थी हीना ; गुलनार और चित्रा. पाँचों आपस में बहुत ही अच्छी सहेलीयां. ताश की बाजियां चलती रहती और मैं लगातार उनके ग्लास भरते रहता. मैं अक्सर इन्हें इनके घर छोड़ने जाया करता.
एक दिन ये सभी कुछ ज्यादा ही खुश थी. उस दिन माया मैडम ने खूब चढ़ा ली. उनके कदम डगमगा रहे थे. सीमा ने मुझे माया मैडम को घर छोड़ने के लिए कहा. मैं उन्हें सहारा डॉ कार में बैठाया और उनके घर के तरफ चलने लगा. माया का घर आ गया. मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभालते हुए उनके घर में ले गया. उन्होंने मुझे नशे में ही कहा " मेरे बे रूम में पहुंचा दो." मैंने उन्हें उनके बेडरूम में ले गया. उन्हें पलंग पर बिठा दिया. अचानक माया मैडम पलंग पर ही ढेर हो गई. जब माया पलंग पर गिरी तो उनके द्वारा पहनी हुई लॉन्ग ड्रेस थोड़ी खिंच गई और उनकी गोरी टांगें घुटनों तक नंगी हो गई. उनकी मजबूत टांगें चमक रही थी. मैंने उनके सैंडल उतारने शुरू किये जिससे कि वो आराम से लेट जाय. मैंने एक सैंडल उतार दिया. जैसे ही दूसरे सैंडल को उतारने लगा माया के पैर में हलचल हुई और उसका पैर ऊपर उठाकर मेरे गालों से टकरा गया. मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ी. मैंने माया की मजबूत पिंडलीयों को अपने हाथ से दबाया और पता नहीं क्या मेरे मना में आया मैंने उस पिंडली को अपने होंठों से हलके से चूम लिया. माया थोडा हिली और नशे में ही बड़बड़ाई " नौटी बॉय." मैं वापस क्लब लौट आया.
अगले दिन जब वे पाँचों आई तो मैंने माया मैडम से नजरें चुराता रहा. माया कुछ नहीं बोली. जब सभी घर रवाना होने लगी तो अचानक माया ने मुझसे कहा " तुम्हें आज भी तकलीफ होगी. मेरा बायाँ पैर बहुत दर्द कर रहा है. आते वक्त भी बड़ी मुश्किल से कार चला पाई थी. तुम ड्राइव करो. वापसी में तुम तक्सी से आ जाना मैं अलग से पैसे दे दूंगी." मैं माया मैडम के साथ चला गया. जब हम घर पहुंचे तो माया बेडरूम में चली गई. मैं बाहर ही खड़ा रहा.माया ने आवाज देकर मुझे अन्दर बुलाया. मुझे सौ रुपये का एक नोट दिया. मैंने अहा " मैडम तक्सी के तो केवल बीस रुपये लगेंगे. " माया ने कहा " बाकी के रुपयों के लिए तुम्हें एक काम और करना होगा और वो भी अभी और यहीं." मैं बोला " जी मैं समझा नहीं." माया पलंग पर बैठ गई. उन्होंने आज साड़ी पहन रखी थी. उन्होंने साड़ी को पकड़ा और घुटनों तक ऊपर कर दिया. फिर मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " कल भी तुमने इन्हें चूमा था. आज भी चूमोगे. मुझे बहुत अच्छा लगा था. इसके साथ साथ तुम यहाँ पर थोड़ी मसाज भी करा देना." मैं अब कुछ नहीं कर सकता था. मैं जमीन पर बैठ गया और माया के दोनों पैरों की पिंडलीयां चूमने लगा. बीच बीच में अपने दोनों हाथों से उनकी मसाज भी करने लगा. माया मैडम को गुदगुदी सी हुई लेकिन उन्होंने अपनी दोनों टांगों से एक क्रोस बनाया और मेरे मुंह को उसमे जकड लिया. मैंने कुछ देर लगातार चूमा; मसाज किया और फिर माया ने कहा " अब तुम जा सकते हो." मैं सारे रास्ते अपने होंठों पर एक मिठास महसूस करता रहा.
अब तो लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन माया मैडम मुझे अपने साथ ले जाती और अपनी टाँगें चुमवाती ; मसाज करवाती और फिर एक सौ रुपये का नोट हाथ में थमा देती. एक दिन सीमा मैडम भी माया की कार में आई हुई थी. वापसी में उन दोनों को माया मैडम की कार में लेकर उन्हें घर छोड़ने गया. सीमा मैडम का घर माया मैडम से कुछ कदम की ही दूरी पर था. हमने सीमा मैडम को उनके घर छोड़ा और माया मैडम के घर आ गए. हमेशा की तरह मैं माया मैडम के बेडरूम में था. माया मैडम सोफे पर बैठी हुई थी. आज माया मैडम ने अपनी ड्रेस को घुटनों से भी थोडा सा ऊपर किया हुआ था. मैं उनकी टांगों की मसाज करते हुए बीच बीच उन्हें चूम रहा था. तभी सीमा मैडम भीतर आ गई. उसने मुझे माया मैडम के पैरों को चूमते हुए देख लिया. माया मैडम तो यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए उनकी आँखें बंद थी. मेरी और सीमा मैडम की ऑंखें मिल गई. सीमा मैडम ने में चुप रहने और माया मैडम को यह बात ना बताने का इशारा किया और मेरे करीब आकर मेरे हाथ में एक सौ रूपये का नोट रख दिया.
अब अगले दिन मेरी हालत बुरी हो रही थी. सीमा मैडम मुझे बार बार तिरछी नज़रों से देखती; फिर मुस्कुराती और फिर अपने होंठों को गोल कर के चूमने का इशारा करती. जब सभी रवाना होने लगी तो माया मैडम तो सीधी अपनी कार में चली गई. उनका ड्राईवर आया था. सीमा मैडम रुक गई. हीना ; गुलनार और चित्रा मैडम के जाने के बाद सीमा मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज तुम मुझे छोड़ने चल रहे हो. जाओ गाडी निकालो और मेरा इंतज़ार करो." अब मेरे पसीने छुटने लगे. सीमा मैडम घर पहुँचने के बाद बोली " तुम रुको मैं अभी आई." कुछ देर के बाद सीमा मैडम की अपने बेड रूम में से आवाज आई " सुनो , तुम अन्दर आ जाओ ." मैं जब अन्दर गया तो सीमा मैडम पलंग पर बैठी हुई थी और मुस्कुरा रही थी. उसने मुझसे कहा " अब तुम्हें वही करना है जो तुम माया के साथ करते हो. मेरी टांगें दर्द कर रही है. अपने होंठों से जरा मालिश कर दो." अब मेरी हालत खराब हो गई. लेकिन मन ही मन मैं खुश भी हो रहा था कि जिन टांगों को केवल उनके पति ही टच करते हैं मैं आज ना सिर्फ उन्हें अपने हाथों से मसल रहा था बल्कि उन्हें चूम भी रहा था. सीमा ने पलंग के सामने एक स्टूल रख दिया और उस पर अपनी टांगें फैलाकर रख दी. फिर मुझे उन दोनों टांगों के बीच में बैठ जानेको कह दिया. अब मेरा काम शुरू हो चुका था. सीमा बार बार अपने मुंह से कुछ मीठी मीठी आवाजें आह आह करके निकालती और मुझे यह सुन मजा और जोश आ जाता. सीमा मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे के बाद छुट्टी दी और मेरे हाथ में सौ रुपये दे दिए.
अब मेरा रोज का काम हो गया था. कभी कभी दोनों के यहाँ एक ही दिन मसाज और चूमने के मौके से मुझे दो सौ रुपये मिल जाते और साथ हो दो जोड़ी गोरी चिकनी टांगों को हाथ से छूने और होंठों से चूमने का मौका भी. मेरे लिए तो अब यही जन्नत थी.
एक दिन उन पांच के अलावा और काफी सारी आर्मी की महिलाओं ने एक बड़ी पार्टी रखी. उन सभी ने जमकर मजा किया. बहुत इ औरतों ने शराब पी और इधर उधर कदम फेंककर उलटा सीधा नाच भी किया. इस शोर शाराबे में सीमा मैडम ने मुझसे एक जाम भरवाया और पीते हुए मुझे एक आँख मारी. मैं एकदम हंस पडा. सीमा मैडम ने मेरा हाथ पकड़ा और क्लब के एक कोने में खम्बे के पीछे ले गई. सीमा मैडम ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में जकड लिया. अपने मुंह से एक फूंक मेरे मुंह पर मारी और बोली " आज तो तुम बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रहे हो " मैं कुछ ना बोला और इधर उधर यह देखने लगा कि कोई हमें देख ना ले. तभी समा मैडम ने तेजी से मेरे गालों को चूमा और बोली " अब तुम भी जल्दी से एक प्यारा सा किस दो. जल्दी कोई भी आ सकता है." मैं पहले तो थोडा डरा लेकिन फिर ऐसे सुनहरे मौके को ना गंवाते हुए सी मैडम के गालों पर एक चुम्बन जड़ दिया.
नाच गाना काफी देर तक चलता रहा. इस बीच सीमा मैडम ने मुझे दो बार और इसी तरह से कोने में लिया और मुझे भी चूमा और खुद को भी चुमवाया.
जब पार्टी ख़त्म हुई तो एक भी औरत अपने होश में नहीं थी. सीमा और माया मैडम बुरी तरह से लड़खड़ा रही थी. मैं दोनों को सीमा की कार में बिठाया और कार चला दी. पहले माया मैडम को उनके घर में छोड़ा. माया मैडम तो बाहर सोफे पर ही लेट गई. मैं सीमा मैडम कौंके घर में ले आया. सीमा मैडम थोड़े होश में थी. मैंने उन्हें जैसे ही उनके बेडरूम में उनके पलंग पर लेटते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.फिर अपनी आँखें घुमती हुई बोली " तुम कहा चल दिए जोंनी. मेरा पूरा बदन अज टूट रहा है. मसाज कौन करेगा!" मैं समझ गया. सीमा मैडम ने सीधे अपनी जींस खोल दी और अपन्खुब्सुरत टांगें फैलाते हुए बोली " प्लीज मसाज कर दो." मैंने उन खुबसूरत टांगों पर अपने हाथ रखे और धीरे धीरे मसाज शुरू कर दिया. सीमा मैडम ने मेरे हाथों को अपने हाथों से खींचते हुए आज पहली बार अपनी जाघों तक ले गई. मेरे हाथ कांपने लगे. सीमा मैडम की जांघें बहुत ही मुलायम और जबरदस्त चिकनी थी. मुझे मजा आने लगा. सीमा मैडम ने मुझे कहा " जॉनी मेरी कमर पर भी मसाज करो आज." सीमा मैडम पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी कुर्ती उतार दी. अब सीमा मैडम केवल ब्रा और पंटी में ही थी. उनका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने था. उनके अंग अंग से खुशबू आ रही थी. मैंने उनकी पीठ और बाहों पर भी मसाज की. अब सीमा मैडम पीठ केबल लेट गई. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेट पर रख दिया. मैंने उनके पेट और कमर के आसपास भी काफी देर तक मसाज की. करीब पौन घंटे की मसाज के बाद सीमा मैडम उठी. उन्होंने एक चद्दर अपने बदन पर लपेट ली. अपने पर्स में से उन्होंने सौ सौ के तीन नोट निकाले और मेरे हाथ में रखते हुए बोली " किसी को मत कहना कि तुमने मेरे बदन पर जगह जगह मसाज किया है." मैंने हाँ कहा. सीमा मैडम ने आगे बढाकर मेरे गालों पर छोटे छोटे दो चुम्बन रख इए उर बोली " दो दिन बाद हम तुमसे मसाज करवाएंगे. तैयार रहना जॉनी." मैं लगभग नाचता हुआ क्लब लौट आया.
करीब तीन दिन के बाद मैं माया मैडम को उनके घर छोड़ने गया. माया मैडम आज बहुत ही ज्यादा बहक चुकी थी. मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से कार से उअतारा और घर में ले आया. उन्होंने मुझे कसकर पकड़ रखा था. मैंने उन्हें पलंग पर लिटाया.उनके सैंडल खोले. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ रखा था. मैंने जैसे ही अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की उन्होंने एक झटके से मुझे खुद पर गिरा लिया. मेरी साँसें उनके गालों से टकरा रही थी. माया ने मुझे अपनी बाहों में भरा और बोली "आज तुम मेरे सारे शरीरी की मसाज करो मेरा बदन टूट रहा है." मैंने माया मैडम की भिईमा मैडम की तरह मसाज की. माया मैडम का सीना सीमा मैडम से बड़ा था लेकिन टांगें सीमा मैडम की ज्यादा रसीली थी. माया मैडम का व्यवहार ज्यादा खुला हुआ लगा. जब काफी मसाज हो गई तो मैं रुक गया.माया मैडम भी पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी टांगें मेरी गोद में रख दी. मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " एक औरत इस तरह से तुम्हारे सामने है और तुम शर्मा रहे हो." मैंने उनकी टांगें हटाई. अब माया मैडम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा और मेरे मुंह पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं तुरंत हुए इस हमले से अपना होश खो बैठा. माया मैडम ने मेरे सारे कपडे उतार दिए. उन्होंने मेरे पूरी मसाज की और बाद में मुझे पकड़कर पलंग पर ही लेट गई. मेरी उत्तेजना अब काबू से बाहर थी. माया ने तभी मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी इसी तरह जवाब दिया. अब हम आपस में गूँथ गए थे. माया और मैं एक दूसरे को चूमने लगे. तभी अचानक मैडम ने घडी देखी और मुझे कहा " अब तुम तुरंत भाग जाओ मेजर के आने का समय हो गया है." मैं क्लब लौट आया .
मैं अब जब भी सीमा और माया मैडम को देखता तो मुझे उनके जिस्म का एक एक मोड़ और गोलाई नजर आने लगती. एक दिन सीमा मैडम ने मुझे रविवार को बड़े सवेरे घर पर बुलाया. घर पहुँचने पर पता चला कि सीमा मैडम के पति मेजर दो दिन के लिए कहीं बाहर गया है. सीमा मैडम ने पहले मुझसे अपने पूरे जिस्म पर मसाज करवाया और उसके बाद मुझे अपनी बाहों में लिया और बिस्तर में आ गई. आज सीमा मैडम ने मुझे जगह जगह बहुत जोश के साथ चूमा. जब मुझ पर नशा छाने लगा तो सीमा मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. अब उन्होंने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया जब वो उत्तेजित होकर कड़क और सीधा हो गया तो तुरंत उस पर एक कंडोम चढ़ाया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मेरे लिंकों अपनी दोनों टांगों के बीच में फंसा लिया. अब धीरे धीरे मेरा लिंग सीमा मैडम के जननांग की तरफ बढ़ा और फिर उस बाहर से छोटे और कड़क लेकिन अन्दर से बहुत ही गुदगुदे छिद्र यानि कि जननांग में घुस गया.एक झटका सा लगा और हम दोनों पूरे आनंद में थे. सीमा मैडम ने मेरे लिंग को अपने जननांग में करीब आधे घंटे तक फंसाए रखा. जब मेरा लिंग ठंडा होने लगा तब मुझे छोड़ा. मुझे अगले दिन फिर इसी वक्त आने का कहकर सीमा मैडम ने मेरी ख़ुशी को दोगुना कर दिया था. इन सबसे बढ़कर बात यह थी कि सीमा मैडम ने मुझे पूरे चार सौ रुपये भी दिए थे. मैं मन ही मन जबरदस्त खुश होकर सीमा मैडम के घर से निकला. माया मैडम अपने घर के बाहर ही खड़ी थी. उन्होंने मुझे देख लिया. लेकिन मुझे पता नहीं चल पाया कि माया मैडम ने मुझे देखा है. दोपहर को क्लब में माया मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज सवेरे तुम सीमा के घर क्या करने आये थे?" मैं इस सवाल से घबरा गया. माया ने मेरे घबराये हुए चेहरे को दखा और बोली " तुम्हारी घबराहट सब बता रही है कि तुमने क्या किया है? चलो बताओ मुझे कि तुमने वहां क्या किया?" मैंने इस से कि मैं एक बहुत ही छोटा नौकर हूँ और कुछ ना कहने से मेरी नौकरी भी जा सकती है. साथ ही इन दोनों से मिल रही कमाई भी बंद हो सकती है; मैंने सीमा के घर हुई सारी घटना बता दी. माया ने मेरे गाल पर एक चिकोटी कटी और बोली " एक बहुत ही छोटा मुलाजिम और किस्मत तो देखो! तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे काम आ रही है. अब तो तुम्हें मेरे घर भी आना पडेगा!"
अगले दिन मैं पहले माया मैडम के घर गया. उनके पति तब तक ड्यूटी पर जा चुके थे. माया मैडम मुझे लेकर घर के पिछवाड़े सर्वेंट क्वार्टर में ले आई. उस छोटे से कमरे में एक बिस्तर बिछा हुआ था. माया मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर इसके बाद हम दोनों उस बिस्तर पर लेट गए. मैंने माया मैडम के सारे जिस्म की मसाज की. माया मैडम का गोरा और मजबूत जिस्म सीमा मैडम से कहीं ज्यादा गरम और आकर्षक था. माया मैडम की कमर औए बाहें ऐसी थी कि कोई भी पिघले बिना ना रहे. अब मैंने माय्म्दम के कहने पर उनके एक एक अंग को चूमना शुरू कर दिया था. माया मैडम बहुत ही आराम से मुझसे यह काम करवा रही थी. मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था. मैंने माया मैडम की सुराहीदार गरदन के नीचे चूमा तो मेरे सारे बदन में आग लग गई. माया मैडम का सारा जिस्म जैसे मलाई था. मैं माया मैडम को अब हर जगह चूमने लगा. माया मैडम ने भी मुझे गालों पर चूमा और मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया. आखिर में माया मैडम ने एक कंडोम मेरे हाथों में दिया. मैंने तुरंत अपने तने हुए लिंग पर चढ़ा लिया. अब माया मैडम ने अपनी दोनों टांगों अंग्रेजी के वी की तरह फैला दी. मैं माया मैडम के गोरे गुलाबी और घुंघराले बालों से ढके हुए जननांग को देख अपना होश गँवा बैठा. माया मैडम ने इशारा किया और मैं उन पर लेट गया. जैसे ही ने माया मैडम के जननांग से अपना लिंग स्पर्श कराया हम दोनों के जिस्म में बिजलीयाँ दौड़ गई. मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को उनके जननांग पर मसाज जैसे किया. फिर माया मैडम ने मेरे लिंग को अकडा और धीरे से अपने मखमली और रस से लबालब भरे हुए जननांग में डाल दिया. मैंने थोडा जोर लगाया और मेरा लिंग माया मैडम के जननांग के भीतर था. माया मैडम का जननांग सीमा मैडम के जननांग से कहीं ज्यादा गुदगुदा और गीला था. मुझे बहुत मजा आने लगा. ना तो मुझे और ना ही माया मैडम को समय का पता चल पाया. करीब एक घंटे से भी ज्यादा देर तक मैंने माया मैडम के जननांग को भेद भेद कर गरम का दिया. माया मैडम का गोरा जननांग इस से गहरा लाल हो गया था. माया मैडम ने मुझे मेरे होंठों पर अपने नम नरम और रसीले होंठों से बहुत ही नाजुकता से चूमा. न्होंने जैसे ही मुझे इस तरह से चूमा मेरे लिंग से अचानक ही गाढे रस की धार बहकर कंडोम में भरने लगी. कंडोम फैलने लगा और माया मैडम के जननांग में जोर की गुदगुदी होने लगी. माया मैडम ने मुझे जोर से पकड़ लिया. हम दोनों तडपे और फिर दो मिनट के बाद सब शांत हो गया. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.
उधर सीमा मैडम दरवाजे के बाहर खड़ी मेरे आने की राह देख रही थी. जब सीमा ने मुझे आते नहीं देखा तो वो अपने घर की छत पर युहीं आकर खड़ी हो गई. वो अब इधर उधर देखने लगी. सीमा जिस जगह खड़ी थी वहां से माया मैडम के पिछवाड़े वाला सर्वेंट क्वार्टर साफ़ दिखाई दे रहा था. तभी माया मैडम ने दरवाजे को थोडा सा खोल दिया जिससे कि थोड़ी हवा आने लग जाय. हम दोनों को बहुत गर्मी लग रही थी. इधर माया का दरवाजा खोलना हुआ और उधर सीमा का उसी दरवाजे की तरफ देखना हुआ. सीमा ने माया के नगे जिस्म की एक झलक देख ली. सीमा को ना जाने कैसे थोडा शक हो गया और वो तुरंत अपने घर से बाहर निकालकर माया के घर की तरफ आ गई. उसने बगीचे का दरवाजा खोला और दबे पाँव पिछवाड़े की तरफ आ गई. थोडा सा दरवाजा खुला और अन्दथानी हवा आने लगी. इससे माया मैडम को एक बार फिर थोडा नशा आ गया और उन्होंने मुझे फिर से लिपटा लिया. मैं भी उन्हें फिर से चूमने लगा. सीमा ने तभी दरवाज के ओट से अन्दर झांका और हम दोनों को इस हालत में देख लिया. मैं माया मैडम के नीचे था और वो मेरे ऊपर इसलिए मैं सीमा को नहीं देख पाया. सीमा और माया की अज्रें आपस में मिल गई. दोनों ने आपस में कोई इशारा किया और सीमा उस कमरे में आ गई. माया ने मेरी पकड़ ढीली की तब मुझे पता चला कि सीमा अन्दर आ चुकी है. मैं कुछ समझ पाटा सीमा ने अपने कपडे उतार दिए. माया ने मुझे गालों पर चूमा और बोली " अब सीमा तुम्हे अपना शिकार बनाएगी. आज तुम्हें बिलकुल आराम नहीं मिलने वाला." सीमा नीचे बैठ गई. उसने माया के स्तनों को चुमौर बोली " अब तो हट जाओ यार. अब मेरी बारी है." माया ने भी सीमा के गालों को चूमा और बोली " तुम्हें किसने रोका है? चलो शुरू हो आओ." सीमा ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मुझे अपने जिस्म का मसाज करने को कहा. मैंने सीमा के जिस्म की मसाज करना शुरू किया. माया मैडम भी हमारे पास ही बैठी थी. मुझे बहुत अटपटा लग रहा था. तभी माया मैडम ने थोड़ी थोड़ी देर से मुझे गालों पर चूमना शुरू कर दिया. सीमा ने आया की तरफ देखा और बोली " ये क्या बात हुई! मैंने कहा ना कि मेरी बारी है." माया ने हँसते हुए कहा " अगर ये अपना काम बराबर कर रहा है तो करने दो ना. तुम्हें मजा आ रहा है. इसे भी मजा आ रहा है और मुझे भी. सब चलने दो." सीमा मुस्कुराने लगी.
सीमा की पूरी मसाज करने के बाद माया ने एक और कंडोम निकला और मेरे लिंग पर चढ़ा दिया. फिर मुझे सीमा पर धकेलते हुए बोली चलो शुरू हो जाओ." सीमा ने मेरे लिंग को पकड़ा और अपने जननांग में धकेलते हुए बोली " अब तुम माया और मुझे बता दो कि तुममे इतनी ताकत है कि तुम हम दोनों का एक साथ शिकार बनने के काबिल हो." मैंने अपनी सारी ताकत लगा दी और सीमा के जननांग की आखिरी गहराई तक पहुंचा दिया. सीमा के गालों और होठों पर पसीने की बूंदें दिखने लगी. माया नीचे झुकी और मुझसे बोली " देखो इस गालों और होंठों पर कितनी नमी हो गई है. चलो. इसे चूम कर साफ़ करो." मैंने समा के गालों पर का पसीना चूम कर साफ़ किया. फिर माया ने मेरे मुंह को सीमा के मुंह की तरफ धकेला. सीमा ने अपने गीले और नाजुक होंठ खोल दिए. मैंने उन होंठों को भी चूमा. अब सीमा ने मुझे कहा " अब तुम थोड़ा और तेज करो. " मैंने थोडा जोर और लगाया ही था कि एक घन्टे के अन्दर दोबारा मेरा लिंग एक बार फिर गाढ़ा रस बहाने लगा. एक बार फिर कंडोम फैला और इस बार सीमा ने मुझे कसकर पकड़ा. उसे माया से भी ज्यादा गुदगुदी हुई थी. मैं और सीमा सब तरफ से एक दूजे से लिपट गए. मैंने देखा कि माया उठी और वो मेरे ऊपर लेट गई. सीमा थोडा उछली और कुछ ऐसा हुआ कि मैं टेढा लेट गया और सीमा और माया मेरे ओनों तरफ आ गई. माया ने मुझसे कहा " तुम्हें पता है थाईलैंड में इसे संद्विच मसाज कहा जाता है. हम दोनों तुम्हारा सैंडविच मसाज कर रही है. समझे तुम बुद्धू कहीं के." मैं इसके बाद अपने चुदै कोशिश करने लगा. सीमा ने मेरे लिंग को छोड़ दिया. माया ने मुझे अपनी तरफ किया और मुझे एक और कंडोम थमाते हुए कहा " चलो फिर से सुरु ओ जाओ." मुझे अब बिलकुल हिम्मत नहीं थी. लेकिन मेरी मज़बूरी थी. मैंने एक बार फिर माया के जननांग में अपना लिंग फंसाया. माया ने एक बार फिर मुझे कसकर पकड़ा और मुझे ऐसा लगा कि आज मेरा लिसमे से बाहर आ ही नहीं पायेगा और अगर आ गया तो एक बार सीमा उसे अपने अन्दर फंसा लेगी.
जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ. जैसे ही माया ने अपनी पकड़ ढीली कर मेरा लिंग अपने जननांग से बाहर निकलने दिया तो सीमा ने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी एक टांग ऊँची की और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़कर अपने पूरी तरह से गीले हो चुके जननांग के भीतर फंसा लिया. अब मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हैं. माया ने सीमा से कहा " अब इस बिचारे को थोडा ब्रेक दे देते हैं. नहीं तो ये बेहोश हो जाएगा." सीमा मां गई. उन दोनों ने मुझे सीधा लेटने को कहा. मेरी सांस बहुत तेज चल रही थी. सीमा और माया ने दोनों ने अपने नाजुक नाजुक हाथों से मेरे जिस्म पर हौले हौले मसाज आ शुरू किया. मुझे बहुर अच्छा लगा. करीब दस मिनट के मसाज के बाद मुझे अपनी कमजोरी कम लगने लगी. अब माया ने अपनी टांग ऊपर क मेरे लीं को पकड़कर अपने जननांग के अन्दर डाल दिया. इस तरह सीमा और माया ने अगले दो घंटों तक और मेरे लिंग को अपने अपने जननांगों के भीतर पांच पांच बार और डाला. अंत में उन दोनों ने मेरे होंठों को चूसा और मेरे हाथ में एक हजार रूपये रख दिए. मैं हर तरह से थका हारा अपने घर आ गया. उस दिन मैं क्लब नहीं जा पाया.
यह दिन मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा मैंने नहीं सोचा था.मैं एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाऊंगा कि उससे निकलना नामुमकिन हो जाएगा ये भी मैंने नहीं सोचा था. दो दिन के बाद मुझे माया ने क्लब में टेबल के पास बुलाया. उस वक्त माया और सीमा के अलावा हीना ; गुलनार और चित्रा मदमें भी थी. माया ने मुझसे कहा " जॉनी ; हम जानती है तुम बहुत ही सीधे लड़के हो. मैं और सीमा तो तुम्हारी मदद कर ही रही है. अब हीना ; गुलनार औए चित्रा भी तुम्हारी मदद करने को तैयार हो गई है. तुम्हारा जीवन संवर जाएगा. " माया मैडम की इस बात से मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई.
दो दिन बाद सीमा ने क्लब में ही बने एक रेस्ट रूम में मुझे बुलाया और चित्रा के सामने खडा करते हुए बोली " चित्रा मैडम का पूरा ध्यान रखना." सीमा बाहर चली गई. चित्रा मदुरै की रहनेवाली थी. उनकी उम्र तो केवल तीस साल ही थी लेकिन जैसा कि दक्षिण भारत की महिलाओं का होता उनका भी जिस्म जबरदस्त भरा हुआ था. था मेरे कहने का मतलब हर जगह मांसलता झलक करा बाहर आ रही थी उनके होंठ थोड़े मोटे थे लेकिन थे बहुत ही ज्यादा रसवाले. सीना भी जबरदस्त चोडा. चित्रा मैडम ने मेरे सारे कपडे खुलवा लिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी. जैसे ही मैंने उन्हें ब्लाउज उतारने के बाद देखा तो मैं काँप उठा. उनका सीना मेरे अंदाज से भी कहीं ज्यादा उभरा हुआ और फैला हुआ था. एक एक स्तन एक बम के जैसा दिखाई दे रहा था कि इस बम से अब कोई नहीं बचने वाला. चित्रा ने मुझे अपने पेटीकोट के नाड़े को खोलने के लिए कहा. मैंने कांपते हाथों से नाडा खोल दिया. अब चित्रा का करीब करीब नब्बे फ़ीसदी नंगा जिस्म मेरे सामने था. उस रेस्ट रूम में सिर्फ इतनी जगह थी कि कोई एक अकेला ही वहां बिछे तीन फुट चौड़े सोफे पर लेट सकता था. बस इसके आवा और कोई जगह नहीं थी. वो कमरा चार फुट चोडा और सात फुट लम्बा था. चित्रा उस रेस्ट रूम के सोफे पर लेट गई. मैं उनके जिस्म की मसाज करने लगा. मुझे चित्रा मैडम का जिस्म बहुत गरम लग रहा था. उनकी सांसें भी गरम गरम थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग के पास बैठा हुआ हो. जैसे ही मैंने उनके सीने पर मसाज के लिए हाथ रखा तो मेरे हाथ उस गुदगुदे और उभरे हुए गोल गोल स्तन के स्पर्श से मेरे पसीने छुट गए. चित्रा को यह मसाज बहुत अच्छा लगा. अब चित्रा मैडम ने अपनी ब्रा उतार दी. अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई कि मैं किस तरह से अपने पर काबू रखूं. चित्रा मम के दोंन स्तन इतने बड़े थे कि मेरे दोनों हाथ मिलकर भी उनमे से एक को भी पूरा ढक नहीं पा रहे थे. चित्रा ने मुझे अचानक अपनी तरफ खीच लिया और मैं उन पर गिर गया. चित्रा ने मुझे अपने ऊपर अच्छी तरह से लिटा लिया. मैं चित्रा मैडम के गद्दे जैसे जिस्म पर लेट कर बड़ा अच्छा महसूस कर रहा था. अब मैंने चित्रा मैडम के कहे अनुसार उन्हें शुरू किया. सी तरह चित्रा मैडम भी मुझे चूमती रही. करीब दस मिनट क एबाद चित्रा ने मुझसे अपना जिस्म अगभाग हर जगह से चुमवाया और फिर मेरे हाथ में एक सौ रुपये का नोट रखा और मुझे छोड़ दिया.
जब मैं बहार आया रो माया मैडम ने मुझे देखा और बोली " कहाँ जा रहे हो. वापस रेस्ट रूम में जाओ. हीना भी आ रही है." तभी हीना मैडम उठी और मेरे साथ रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे अपने कपडे उतारने को कहा. मैंने हीना मैडम के एक एक कर सभिकप्दे उतार दिए केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर. हीना उस सोफे पर उलटा लेट गई. इसके बाद मैंने चित्रा मैडम की तरह उनके भी जिस्म का मसाज किया. हीना का जिस्म ठीक ठाक था. ना ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली. बस उनकी कमर जबरदस्त घुमावदार थी. इसके बाद हीना उठी और मुझे सोफे पर लेटने को कहा. फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने जिस्म को मेरे जिस्म से रगडने लगी. उसने इस मसाज का भी पूरा मजा लिया और फिर मुझे बिना अपना जिस्म चुम्वाये एक सुआ रूपये देकर बाहर जाने को कहा.
माँ ने मुझे कहा कि गुलनार को मुझे उसके घर छोड़ना है.
मैं गुलनार मैडम को लेकर माया मैडम की कार में उनके घर चल पडा. माया मैडम भी हमारे साथ थी लेकिन वो बीच रास्ते में किसी दुकान पर उतर गई. गुलनार मैडम ने बड़े तड़क भड़क कपडे पहन रखे थे. काले रंग की सलमा सितारों वाली कुर्ती और उसके नीचे काला लेकिन सफ़ेद छापा हुआ लहंगा. गुलनार मैडम ने होंठों पर गहरा बैंगनी रंग कि लिपस्टिक भी लगा रखी थी. वैसे मुझे सुरु से गुलनार मैडम सबसे ज्यादा पसंद थी. ये पसंद उनके अलग अलग रंग के गहरे शेड्स के लिपस्टिक की वजह से थी. मैं कार चलाते चलाते उनके बैंगनी होंठों को ही देख रहा था.
घर आते ही गुलनार मुझे अपने कमरे में ले गई. उनके कमरे से लग गया कि गुलनार बहुत रंगीन जाज की औरत है. कमरे में सभी खिड़की दरवाजों पर परदे टंगे हुए थे और तेज लाल बल्ब की रौशनी थी. इस रौशनी में गुलनार किसी गुलाब जामुन से कम नहीं लग रही थी. गुलनार ने अपना एक पैर उठाया और मुझे इशारा किया. मैंने उनका पैर पकड़ा और सामने की स्टूल पर रख दिया. अब गुलनार ने धीरे धीरे अपना लहंगा ऊपर उठाना शुरू किया. मैं उनके पैर देखकर दंग रह गया. मैंने आज तक इतना गोरा रंग किसी भी औरत का नहीं देखा था. सुर्ख गुलाबी और चमकदार गोरा रंग और लम्बी तराशी हुई टांगें. उतनी ही घुमावदार जांघें. किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. मैंने अब गुलनार मैडम की उस टांग का मसाज करना शुरू किया. मेरे हाथ फिसलने लगे अपने आप. ऐसा लगा जैसे किसी ने ढेर सारा क्रीम पहले से ही उस टांग पर लगा रखा हो. फिर गुलनार ने अपनी दूसरी तंग स्टूल पर रख दी. मेरे अर्मानाब मचलने लगे थे. गुलनार मैडम ने शायद यह सब भांप लिया. उसने कब दस मिनट तक अपनी टांगों का मसाज करवाया औए फिर मेरे हाथ में एक सौ रूपये रखे और बोली " बाकी माज कल करना. वैसे तुम मसाज बहुत ही अच्छा करते हो. माया ने ठीक ही कहा था." मैं सच कहता हूँ उस रात मैं बिलकुल नहीं सोया. मुझे रह रहकर गुलनार मैडम की टांगें दिखती रही.
अगले दिन जब मैं क्लब पहुंचा तो हीना के अलावा कोई भी आया हुआ नहीं था. हीना मुझे लेकर रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे धीमी आवाज में कहा " माया ने बता कि तुमने माया की भूख भी मिटाई है. आज सभी थोड़ी देर से आनेवाली है.तुम आज मेरी भी भूख मिटा दो ना ." मैं तुरंत तैयार हो गया., हीना ने पहले मेरे और फिर बाद में कहके सभी कपडे उत दिए. अब हम दोनों पूरी तरह से बिना कपड़ों में थे. हीना ने मुझे यहाँ हाँ चूमा और मेरा लिंग तुरंत कड़क होकर खडा हो गया. हीना ने तुरंत उस पर कंडोम लगा दिया और मुझे लेकर उस संकरे सोफे पर लेट गई. मैंने थोड़ा डरते डरते कि कहीं कोई आ ना जाए और हमें देख ना लें; अपना लिंग उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. हीना ने तुरंत अपने हाथ से मेर अलिंग पकड़ा और अपने जननांग में घुसेड दिया. कुछ ही संमे हम दोनों बादलों में उड़ने लगे. हीना ने मुझे बहुत तंग किया. मुझे पता था कि मुझे पूरे दिन क्लब में काम करना है लेकिन हीना मैडम मुझे बार बार जोर लगाने को कहती रही और मुझे मजबूरी में उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ी. हीना मैडम ने मुझे पूरे एक घंटे के बाद जब चोडा तब मेरे लिंग ने मेरा सारा रस उस कंडोम में छोड़ कर भर दिया था जो कि हीना मैडम के जननांग में दूर तक घुसा हुआ था और हीना मैडम ने अपनी टांगों को जोर से दबाकर मेरे लिंग को फंसा रखा था. मैं बहुत तडपा लेकिन हीना मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे तक तड़पाया और फिर बाद में मुझे छोड़ा. अब मेरी सारी ताकत ख़त्म हो चुकी थी.
इस दिन के बाद मैं अगले दो दिन कब नहीं जा पाया. मुझे बुखार आ गया. मेरा सारा बदन टूट रहा थ. मैंने देहरादून से भागने का सोचा लेकिन फिर यह दिमाग में आते ही कि मैं अपनी मां को लेकर कहाँ कहाँ भटकुंगा और उसे क्या खिलाउंगा मैंने सारे इरादे छोड़ दिए और ये ठान ल्या कि अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा. मैं अपनी ताकत बढ़ाऊंगा और उन पांचो से ढेर सारा पैसा कमाऊँगा. अब मैंने उन से मिले हुए रुपयों से फल और दूध रोज लेने लगा. करीब एक सप्ताह के बाद जब मैं क्लब पौंचा तो मैं बहुत कुछ संभल चुका था. एक सप्ताह के इस खाने पीने ने मेरी ताकत थोड़ी सी ही सही लेकिन बढ़ा दी थी अब मैं उन पाँचों से मिलने को तैयार था और संभालने को भी तैयार था.
मैं जैसे ही क्लब पहुंचा वे पाँचों मुझे देख बहुत खुश हो गई. मेरा हाल चाल पूछा. जब मैंने खुलकर उन्हें सारी बात बताई तो माया ने मुझसे कहा " तुमने बहुत सही फैसला किया है जॉनी.. ये तुम जब हम पाँचों के लिए इतना कुछ सोच रहे हो तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है तुम्हारे लिए. ये लो पूरे एक हजार रुपये. ये हम तुम्हें हर महीने अलग से देंगे. इससे तुम अच्छी खुराक लेते रहना. " मैंने खुश होकर रुपये ले लिए. सीमा मैडम ने मुझे रेस्ट रूम में जाने का इशारा किया. मैं रेस्ट रूम में गया. तभी चित्रा मैडम भीतर आ गई. पहले ही दिन मुझे चित्रा मैडम का भरा हुआ जिस्म मिला. मैंने कंडोम लगाकर अपने लिंग को चित्रा मैडम के उस बड़े और ढीले दरवाजे वाले जननांग को करीब आधे घंटे तक अंतिम दूरी तक भेदा. चित्रा मैडम उस छोटे सोफे पर बड़ी मुश्किल से आ पाई थी लेकिन उसने मुझे ऐसा जकड़ा कि मुझे लगने लगा कि अब और कितनी दूर तक मेरा लिंग आगे जा सकता है. चित्रा मैडम ने मुझे सौ रुपये थमाए और मुझे चूमते हुए बोली " आज बहुत मजा आया जॉनी. अब जब कभी कर्नल बाहर जाएगा तो तुम आने के लिए तैयार रहना."
दूसरे दिन गुलनार मैडम मुझे ले माया मैडम के घर आई. मैंने देखा कि हीना मैडम पहले से ही वहां मौजूद थी. गुलनार और हीना मैडम मुझे माया मैडम के सर्वेंट क्वार्टर में आ गई. आज मैंने गुलनार मैडम का अंग अंग ध्यान से देखा. उस जैसी कोई दूसरी कहीं नहीं है. गुलनार से पता चला उनके पति सेक्स में बिलकुल ही रूचि नहीं लेते हैं. आज गुलनार मैडम ने जब अपने सारे कपडे उतार दिए तो मैं और हीना मैडम दोनों उन्हें निहारने लग गए. हीना मैडम खुद केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. हीना ने मुझे गुलानर को मसाज के लिए कहा. मैंने पूरे तन मन से गुलनार के जिस्म पर मसाज करना आरम्भ किया. गुलनार मैडम का सारा जिस्म फिसल रहा था. हीना मैडम ने भी मेरे साथ गुलनार मैडम के जिस्म पर मसाज किया. गुलनार मैडम के मुंह से आहें निकलने लगी थी. हीना मैडम ने गुलनार मदम के गालोपर एक चुम्बन दिया. गुलनार तड़प उठी. गुलनार मैडम ने हीना मैडम के गाल चूमे. हीना मैडम ने मुझे गुलनार मैडम के ऊपर लेटने को कहा और वो गुलनार के गालों और गरदन के नीचे छोटे छोटे चुम्बन देने लगी. गुलनार मैडम लगातार तड़प रही थी. मैंने हीना मदम के इशाए से अपने लिंग पर कंडोम चढ़ा लिया. हीना ने गुलनार के होठों पर एक नाजुक सा चुम्बन दिया और मुझे अपना लिंग उसकी टांगों के बीच ले जाने को कहा. गुलनार मैडम का अंग इतना फिसलन भरा था कि मुझे एकही टच में गर्मी आ गई. गुलनार मैडम ने मुहे कसकर पकड़ लिया. हीना मैडम ने अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग की तरफ बढ़ाया. गुलनार मैडम का गला सूखने लगा था. हीना मैडम ने उन्हें पानी पिलाया. जब गुलनार वापस लेटने लगी तो हीना ने गुलनार की टांगें फैला दी. मैंने और हीना ने उनके गुप्तांग और जननांग को देखा. एकदम साफ़ सुथा शावे किया हुआ. गुलाबी गुलाबी चमड़ी जो चिकनी ही और चमक रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आगे बढाकर अपने हाथ से उसे छुआ. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मखमल का कपड़ा छु लिया हो. हीना ने मेरा हाथ वहाँ से हटाया और अपने होंठों से गुलनार माम के गुप्तांग को चूम लिया. मेरे मुंह से एक आह निकल गई. मेरे बदन में बिजली सी फ़ैल गई. मैंने भी अपना मुंह आगे किया और गुलनार मैडम के गुप्तांग पर अपने होंठों से एक चुम्बन रख दिया. गुलनार ने मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. अब हीना मैडम ने मेरे लंग को पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग के अन्दर ठूंस दिया और मेरे कमर पर अपने हाथों से जोर लगाने लगी. थोडा सा समय लगा लेकिन मेरा लिंग गुलनार के मलाईदार जननांग के भीतर पहुँच गया. मैंने गुलनार के गुलाब जननांग को आधे घंटे के बेरोक मेहनत से पूरा गहरा लाल कर दिया.
गुलनार मैडम के हटते ही हीना मैडम लेट गई. हीना मैडम ने अपने आप ही मेरा लिंग पकड़ा और तुरंत ही जोर लगाकर और दबाकर अपने जननांग में एकदम गहराई तक घुसा दिया. मैंने हीना मैडम की इच्छा के हिसाब से करीब आधा घंटा अपना लिंग उनके जननांग में ही घुसाए रखा और रुक रुक कर अन्दर बाहर करता रहा. उस छोटे क्वार्टर में हम तीनों काफी करीब करीब केते हुए थे. हीना मैडम की जब प्यास बुझ गई तो मैं खडा हो गया. अब उन दोनों ने भी कपडे पहन लिए. सीमा मैडम ने एक आवाज माया मैडम को दी. माया भी अन्दर आ गई. वो कमरा था सात फुट चौड़ा और आठ फुट लंबा और उसमे चार फुट चौड़ा और सात फुट लंबा पलंग बिछा हुआ था. उस पर मारे अलावा माया ; हीना और गुलनार मैडम भी आ गई थी. वो अब एक अच्छा खासा मसाज पार्लर लग रहा था. अब माया मैडम की बारी थी. हीना और गुलनार कपडे पहनकर बाहर चली गई.
अब माया मैडम ने मुझे पकड़ लिया. मैं थोडा थक गया था और इसका पूरा फायदा माया मैडम उठा रही थी. वो अब मेरे ऊपर बैठ गई. मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसाया और खुद ही अपने पैरों के बल ऊपर नीचे होकर मेरे ली को जानांग से अन्दर बाहर करने लगी. मुझे माया मैडम का यह अंदाज बहुत पसंद आया. माया मैडम ने पूरे आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक इसी अंदाज में मेरे साथ मजा किया. जब मैंने माया मैडम के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए तो माया मैडम मेरे ऊपर से उठ गई. तीनों ने मुझे रूपये दिए औरन अपनी ड्यूटी पर क्लब आ गया.
अब तो माया मैडम का सर्वेंट क्वार्टर तय जगह बन गई थी. हर दूसरे दिन शाम को दो या तीन वहाँ आ जाती और मैं एक के बाद एक सभी को बारी बारी से अपनी पूरी मेहनत से उनकी प्यास को बुझाता. कभी कभी जब माया मैडम के पति रात के ड्यूटी पते तो शाम से देर रात तक यह कार्यक्रम चलता रहता. सीमा माया मैडम की पड़ोसन थी इसलिए सीमा मैडम कई बार रात के बारह बारह बजे तक रुक जाती. वो अपने पति से यह कहती कि माया अकेली है. इसलिए वो उसके यहाँ जा रही है. इस तरह की रात मेरे लिए जन्नत हो जाती. एक ही बिस्तर पर माया और सीमा मैडम मेरा साथ होती और मुझे लगातार हर तरह से इस्तेमाल करती.
एक दिन की घटना बताये बगैर ये कहानी खत्म नहीं कर सकता. उस दिन मैं माया मैडम के उसी क्वार्टर में था. माया मैडम के साथ चित्रा मैडम भी थी. चित्रा मैडम कोटि थी इसलिए हम तीनों बहुत ही मुश्किल से उस बिस्तर पर आ पा रहे थे. मैं लगातार दोनों के बीच फंसा हुआ एक एक की इच्छा उरी कर रहा था. तभी माया मैडम के पति आ गए. माया मैडम तुरंत कपडे पहनकर चली गई. अब मैं और चित्रा मैडम उस कमरे में रह गए. आवाजों से यह पता चल गया कि उनके पति के साथ और भी तीन चार लोग है. अब हम बाहर जा ही नहीं सकते थे. क्यूंकि सभी बगीचे में बैठे थे. दोनों रास्ते बगीचे से ही होकर बाहर जाते थे. मैं बुरी तरह गहरा गया. लेकिन चित्रा मैडम ने मेरा हौसला बढाया. चित्रा मैडम ने मुझे अपने से लिपटा लिया. चित्रा मैडम ने मुझे लगातार आजमाया. मैंने अपने लिंग को उनके जननांग में आगे से ; पीछे से, कभी खड़े होकर तो कभी उनके ऊपर बैठ कर ; हर तरह से उनके जनांग को भिगोये रखा. कि कभी ऐसा अगता जैसे चित्रा मैडम का जननांग एकदम ढीला और बड़ा हो गया है. मैं थोडा भी हिलता तो मेरा लिंग बाहर आ जाता.
शायद किसी को भी विश्वास नहीं होगा. उस दिन मैंने चित्रा मैडम के जननांग में मेरा लिंग लगातार दो घंटों तक रखा था. बीच बीच में एकाध मिनट के लिए निकालता और फिर डाल देता. चित्रा मैडम मेरी हिम्मत से बहुत खुश हो गई. बाहर से आवाजें अब भी आ रही थी. अब हम दोनों ही थक चुके थे. हम दोनों को नींद आ गई. मेरा लिंग अभी भी चित्रा मैडम के जनांग में था और उसी तरह हम दोनों सो गए. जब वे लोग चले गए और माया के पति उन्हें छोड़ने गए तब माया अन्दर आई. उन्होंने जब हमें इस हालत में सोते देखा तो उन्हें बड़ा अच्छा लगा. उन्होंने हमें जगाया और हम अपने अपने घर लौट आये.
इस घटना के बाद अब करीब सात महीने बीत चुके हैं. आज भी मेरा यह मसाज और संभोग का काम बिना किसी रोक टोक के जारी है. मेरी क्लब कि तनख्वाह तीन हजार है और मुझे इन पाँचों से कभी चार तो कभी कभी छह हजार तक मिल जाता है. मैं मेरी जन्नत में बहुत खुस हूँ.