सोमवार, 14 जून 2010

एक दिन अचानक पहली बार

सुजय ग्यारहवीं क्लास में था. उसके साथ मेघा पढ़ती थी. दोनों पूरी स्कुल में सबसे खुबसूरत थे और अच्छे दोस्त थे. हर रविवार दोनों एक साथ मेघा के घर पर पढ़ते थे. एक दिन सुजय जब मेघा के घर पहुंचा तो मेघा के घर कोई नहीं था और मेघा नहा रही थी. सुजय को यह सब पता नहीं था . वो हमेशा कि तरह मेघा के कमरे में आकर बैठ गया और किताबें निकलकर पढने लगा. मेघा सुजय के आने से अनजान थी. वो नहाने के बाद केवल एक तौलिया लपेटे बाथरूम से बाहर निकलकर आ गई. सुजय उसे देखकर चौंक गया और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया. मेघा के कपडे की आलमारी सुजय जिस कुर्सी पर बैठा था उसके पीछे थे. मेघा सुजय के पास आई और बोली " मुझे पता नहीं था तुम आ गए हो. तू बाहर जा. मैं कपडे पहन लेती हूँ." सुजय बाहर चला गया. सुजय ने दरवाजे की ओट से मेघा को देखा. मेघा ने तौलिया फेंक दिया. अब वो आलमारी से कपडे निकाल रही थी. मेघा का नंगा जिस्म उसकी आँखों के सामने था. उसकी गोरी गोलाकार पीठ और खुबसूरत पतली पतली टांगें. सुजय उसे तब तक देखता रहा जब तक मेघा ने कपडे नहीं पहन लिए थे.
इसके बाद दोनों पढने लगे लेकिन सुजय कि नजरें मेघा के जिस्म को बार बार यहाँ वहां देख रही थी. मेघा को भी इस बात का अहसास हो गया. अब जब भी दोनों मिलते सुजय उसे छिपी नजरों से उसके खुले अंगों को देखता. मेघा को भी यह अच्छा लगने लगा. वो अब कई बार कुर्ती के बटन खुल रख देती. कभी वो सुजय के आगे अपनी बालों को पीछे करते हुए उसके चेहरे पर बालों को लहरा देती. अब वे दोनों आधा घंटा पढ़ते और आधा घंटे यह सब हरकतें करते.
एक दिन मेघा अपने चाचा के कमरे में कुछ लेने गई तो उसे बिस्तर पर एक किताब दिखी. उसने देखा उस किताब में औरतों की नंगी नंगी तस्वीरें थी. कुछ तस्वीरों में बहुत ही काम कपड़ों में औरत थी और एक मर्द उसे चूम रहा था. कहीं वो बाहों में एक औरत को लेकर खड़ा था. कहीं एक मर्द एक औरत के ऊपर सोया हुआ था. कहीं एक मर्द औरत के स्तनों को अपने हाथों से मसल रहा था और वो औरत हंस रही थी. उसने ऐसे और भी कितने ही चित्र देखे. मेघा ने वहीँ बैठकर उस किताब को पूरा देखा. उसके शरीर में अजीब तरह की हलचलें होने लगी. मेघा ने घबराकर किताब वहीँ रख दी और अपने कमरे में आ गई. मेघा की साँसें तेज तेज चलने लगी.
रविवार के दिन जब सुजय मेघा के घर पढने के लिए आया. तो मेघा कुछ देर तक उसके साथ पढ़ी. फिर मेघा ने कमरे का दरवाजा बंद किया. वो सुजय के सामने आई और उसने सुजय को अपने चाचा के कमरे में देखी गई उस किताब के बारे में और उसमे छापी हुई तस्वीरों के बारे में सब कुछ बताया. सुजय मेघा की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था. मेघा ने अपनी कुर्ती के बटन खोले और कुर्ती को उतार दिया. अब वो केवल चोली में थी. मेघा ने इसके बाद अपनी सलवार भी उतार दी. सुजय ने देखा कि मेघा का शरीर काँप रहा है. मेघा ने सुजय के हाथ को पकड़ा और उस हाथ को अपने स्तनों से छुआ दिया. दोनों के शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई. अब मेघा ने सुजय को अपनी आलमारी में से उस किताब को निकाला और दिखाया. इसके बाद सुजय ने भी अपने अंडर वेअर को छोड़ सारे कपडे उतार दिए. अब सुजय और मेघा ने उस किताब के एक एक पन्ने को खोलना शुरू किया. वे दोनों एक एक तस्वीर को गौर से देखते और फिर दोनों उसी तस्वीर में दिखाए गए मर्द और औरत की मुद्राओं को दोहराते. दोनों के जिस्म काँप रहे थे. पसीने पसीने हुए जा रहे थे. अचानक सुजय को लगा कि उसका अंडर वेअर गीला हो गया है. उसने मेघा को यह बात बताई. सुजय ने मेघा का हाथ पकड़ा और अपने अंडर वेअर से छुआ दिया. सुजय सिहर गया. मेघा का हाथ उसके तने हुए लिंग पर लग गया. मेघा ने अपने दूसरे हाथ से सुजय का दूसरा हाथ पकड़ा और उसे अपने अंडर वेअर से छुआ दिया. सुजय ने देखा कि मेघा की पैंटी भी गीली हो चुकी है. दोनों कुछ समझ नहीं पाए. लेकिन उन्हें यह सब करना बहुत ही अच्छा लग रहा था. अचानक ही मेघा ने एक अपने और दूसरे सुजय के हाथ से अपने गुप्तांग और जननांग को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया. सुजय ने भी एक अपने और दूसरे मेघा के हाथ से अपने लिंग को सहलाना शुरू किया. दोनों को बहुत गुदगुदी होने लगी और दोनों के जिस्मों में तड़प पैदा होने लगी. कुछ देर के बाद एक बार फिर दोनों के अंडर वेअर्स गीले हो गए.
अब दोनों हर रविवार ऐसा ही करते. पहले कुछ देर पढ़ाई करते और बाद में घन्टों तक वे अपने ऊपरी कपडे खोलकर उस किताब में बताई गई सभी मुद्राएँ दोहराते. सिलसिला लगातार चलता रहा. मेघा की चाची को जब वो किताब कई दिनों तक खोजने के बाद भी नहीं मिली तो वो ऐसे घर के अन्य कमरों में खोजने लगी. उस दिन था भी रविवार. घर के बाकी के लोग कहीं बाहर गए हुए थे. मेघा और सुजय दोनों मेघा के कमरे में थे और पलंग पर उस किताब को खोलकर खड़ी करके रखी हुई थी और उसके सामने गद्दे पर कभी लेते हुए तो कभी बैठे हुए दोनों उस किताब की मुद्राओं को दोहरा रहे थे. मेघा कि चाची सुजाता मेघा के कमरे के पास पहुंची. उसें जब बंद दरवाजे को धकेलकर खोलना चाहा तो वो नहीं खुला. कमरे का दरवाजा अन्दर से बंद था. सुजाता ने खिड़की के दरवाजे को धीरे से धकेला. उस खिड़की का दरवाजा खुल गया. सुजाता ने जब अन्दर का द्रश्य देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गई. मेघा और सुजय पलंग पर लेते हुए थे. उसकी किताब खुली थी. दोनों उस किताब में देख रहे थे और सुजय मेघा के स्तनों को चूम रहा था. मेघा उसे अपनी बाहों में जकडे हुए थी. दोनों के जिस्मों पर केवल इन्नर वेअर ही थे. मेघा को गुस्सा आ गया लेकिन काम उम्र के इन दोनों को एक साथ इस तरह से लिपटा देखना उन्हें अचानक ही अच्छा लगने लगा. वो वहीँ खादी होकर उन दोनों को देखती रही. उन दोनों को अलग अलग मुद्राएँ करता देख सुजाता खड़ी खड़ी उत्तेजित होने लगी. उसका दिल धडकने लगा. सुजाता को अचानक लगा जैसे उसकी पैंटी में गीलापन आ गया है. वो मुस्कुराती हुई अपने कमरे में लौट आई. सुजाता सारी रात सोई नहीं. उसे रह रहकर मेघा और सुजय याद आते रहे.
सुजाता को रविवार का इंतज़ार था. रविवार के दिन वो मेघा के कमरे के कोने वाली खिड़की के परदे के पीछे छुपकर बैठ गई. सुजय के आते ही मेघा ने कहा " आज भी सब लोग बाहर घुमने गए हैं. मैं रजनी के पास से एक नयी किताब लेकर आई हूँ. उसमे तो और भी जबरदस्त तस्वीरें हैं. इस किताब में तो बहुत कुछ बताया हुआ है. कुछ तस्वीरें तो बहुत ही गन्दी है. लेकिन उन्हें देखने में बहुत मजा आता है. चलो देखते हैं." सुजाता ने देखा कि मेघा ने सुजय को कपडे उतारने को कहा. फिर दोनों एक साथ अपने कपडे उतारने लग गए. मेघा अपनी ब्रा और पैंटी में जबकि सुजय अपनी अंडर वेअर में था. दोनों पलंग पर आ गये. मेघा ने उस किताब को खोला. दोनों एक एक चित्र देखते और उसी चित्र की नक़ल करते . सुजाता के छुपने का स्थान कुछ ऐसा था कि वो पलंग के दूसरी तरफ थी. वो सुजय और मेघा को देख सकती थी लेकिन वे दोनों उसे नहीं देख सकते थे. सुजाता उस खुली हुई किताब के चित्रों को भी देख पा रही थी. उन दोनों की हरकते सुजाता को पागल कर रही थी. सुजाता को धीरे धीरे एक नशा आ आने लगा. उसे एक बार फिर लगा जैसे उसकी पैंटी में कुछ गीलेपन का अहसास होने लगा है.
अब सुजय और मेघा ने एक बार फिर एक दूसरे के हाथ अपन एहाथ में लेकर अपने अपने अंडर वेअर्स में घुसाए और उन्हें सहलाना शुरू कर दिया. दोनों के जिस्मो कि हरकत और तड़प से सुजाता खुद भी खुद में सिमटने लगी. सुजाता से जब बिलकुल भी नहीं रहा गया तो वो पलंग के पास आकर खड़ी हो गई. उसकी आहट से मेघा और सुजय चोंक गए. जैसे ही उन दोनों ने सुजाता को देखा दोनों एक दूसरे से अलग हो गए. उन्होंने एक चद्दर उठाई और अपने को ढँक लिया. दोनों मारे डर के कांपने लगे और आँखों में आंसू आ गए. सुजाता को उन पर दया आ गई. उसने मेघा को अपनी बाहों में लिया और बोली " तुम दोनों बिलकुल मत डरो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. तुम जो कर रहे हो वो इस उम्र में अक्सर कई लड़के-लडकीयाँ करते हैं.मैं तुम दोनों की पूरी मदद करुँगी. " सुजाता ने मेघा और सुजय को चुप कराया. सुजाता ने वो किताब अपने हाथ में ली और बोली " इन सब का तुम्हें ज्ञान होना बहुत जरुरी है. चलो मैं तुम्हे सिखाती हूँ." सुजाता ने सुजय और मेघा को आपस में एक दूसरे को बाहों में भरने को कहा. दोनों ने एक दूजे को बाहों में भर लिया. अब सुजाता ने सुजय और मेघा के चेहरों को एकदम करीब किया. मेघा और सुजय की साँसें आपस में टकराने लगी. सुजाता ने सुजय को मेघा के होंठों पर अपने होंठ रखने के लिए कहा. सुजय ने अपने होंठ मेघा की तरफ बढाए. जैसे ही दोनों के होंठ आपस में मिलने को हुए तो दोनों घबरा गये और दूर हो गए.
सुजाता ने सुजय के चेहरे को अपनी तरफ किया और अपने होंठो को उसके होंठों पर रख दिया. सुजय तड़प उठा. इस नए अनुभव से सुजय को ऐसा लगा जैसे वो बादलों पर सवार होकर उड़ रहा है. सुजाता ने सुजय के होंठों को धीरे धीरे अब चूसा. सुजय का जिस्म बिजली के करंट से गुजरने लगा. मेघा उन दोनों को देख रही थी. अब सुजाता ने मेघा और सुजय के होंठों को आपस में मिला दिया. उसने सुजय से कहा " जिस तरह मैंने तुम्हारे होंठों को चूसा हा उसी तरह तुम भी मेघा के होंठों को चुसो. देखो कितना मजा आता है." सुजय ने मेघा के होंठों को सुजाता के कहेनुसार चूस लिया. दोनों के शरीर ऐसे काँपे की सुजाता को दोनों को संभालना पडा. सुजाता ने अब सुजय और मेघा को एक दूसरे के गालों को चूमना सिखाया. सुजाता ने दोनों को काफी देर तक ऐसे ही आपस में लिपटाए हुए रखा. अब सुजय और मेघा का डर दूर हो चुका था.
सुजाता ने दोनों के गाल थपथपाए और कहा " अब तुम एक काम करना. कल दोपहर को आ जाना. सभी लोग भगवत कथा सुनने जाने वाले हैं. हमारे पास बहुत सारा समय रहेगा. मैं तुम्हे और भी बहुत कुछ सिखाउंगी.
अगले दिन दोनों सुजाता के कमरे में दोपहर को पहुँच गए. उन दोनों ने देखा कि सुजाता एक बहुत ही खुले आले की नाइटी पहने है. उसके गोरे गोरे उभरे हुए स्तन बाहर पूरी तरह झाँक रहे थे. सुजाता ने दोनों से इन्नर वेअर के अलावा सभी कपडे उतरवा दिए. फिर उसने भी अपनी नाइटी उतार दी. वो भी केवल ब्रा और पैंटी में आ गई. सुजाता ने सुजय और मेघा को अपनी बाहों में खींच लिया. वे दोनों अब सुजाता जो जो कहती गई वो वो करते गए. काफी देर के बाद सुजाता ने उन दोनों को पलंग पर आजू-बाजु में लिटा दिया. अब सुजाता सुजय के ऊपर लेट गई और उसे जगह जगह चूमने लगी. आखिर में सुजाता ने सुजय के होंठ चूमे. इसके बाद सुजाता ने अचानक मेघा के होंठ चूम लिए मेघा तड़पकर उससे बुरी तरह लिपट गई.
इसके बाद सुजाता ने सुजय को मेघा के ऊपर लिटा दिया. उसने सुजय की कमर पर अपने दोनों हाथ रखे और सुजय को मेघा के ऊपर लेटे लेटे अपने शरीर को उसके शरीर पर रगड़ने के लिए कहा. दोनों ने इसका बहुत मजा उठाया. अब सुजाता सुजय के ऊपर लेट गई और अपने जिस्म को सुजय के जिस्म पर रगड़ने लगी. सुजय सुजाता के भरे पूरे जिस्म और उभरी हुई और गुदगुदी छाती के दबाव से उत्तेजित और मदहोश हो गया. सुजाता ने मेघा को अपने पास बुलाया. पहले सुजाता ने सुजय के होंठों को चूमा और फिर मेघा से उसके होंठों को चुमवाया. फिर दोनों ने एक साथ सुजय के होंठ चूम लिए. मेघा ने अचानक ही सुजाता के होंठ चूमे. सुजाता बहुत खुश हुई. अब सुजाता , मेघा और सुजय तीनों आपस में लिपट गए
सुजय औए मेघा अब पूरी तरह से बेकाबू जैसे हो चुके थे. अब सुजाता ने सुजय और मेघा के इन्नर वेअर्स भी खोल दिए. सुजाता ने मेघा को पलंग पर सीधा लिटा दिया. सुजाता ने सुजय को अपनी बाहों में लिए और उसे बेतहाशा चूमने लगी, सुजाता ने सुजय के लिंग पर अपना हाथ रखा. सुजय का गुप्तांग पूरी तरह से कड़क हो चुका था. सुजाता ने एक कंडोम निकाला और सुजय के लिंग पर चढ़ा दिया. उसने फिर सुजय को मेघा के ऊपर लेटने के लिए कहा. सुजाता ने मेघा कि टांगों को अपने दोनों हाथों से फैला दिया. सुजय जब मेघा पर लेता तो सुजाता ने सुजय के लिंग को अपने हाथ से पकड़कर मेघा के जननांग में धीरे से धकेला. मेघा कि एक चीख निकल गई और वो आह आह आह और सी सी सी कि आवाजें निकालने लगी. सुजाता ने सुजय से भी कहा और खुद ने भी सुजय के लिंग को मेघा के जननांग के अन्दर और दुरी की तरफ धकेलना शुरू किया. सुजय और सुजाता कि मेहनत रंग लाई और सुजय का लिंग अब मेघा के जननांग के अन्दर बहुत दूर तक चला गया. मेगा को जबरदस्त आनंद और गुदगुदी होने लगी. सुजाता ने मेघा कि आवाजें बंद करने के लिए अपने होंठों से उसके होंठ सिल दिए.
लगभग दस-पन्दरह मिनट के अन्दर ही ऐसा कुछ हुआ कि सुजय और मेघा दोनों एक साथ तड़पने लग गए. सुजाता को अंदाजा हो गया कि अब संभोग के पूर्णता का समय आ गया है. वो पलंग पर करवट बदलकर सुजय और मेघा कि तरफ मुंह करके लेट गई. उसने सुजय को मेघा पट दबाव बढाने के लिए कहा. सुजय ने दबाव बढाया. मेघा एक बार जोर से तदपि. सुजय के अन्दर एक बिजली सी दौड़ी. सुजाता ने सुजय और मेघा के होंठ अपने होंठों से मिलाते हुए जोरों से चुसना शुरू किया. अंत में एक जोर का झटका सुजय कि तरफ से अपने आप लगा और सुजय के लिंग में से गाढ़ा रस निकल पडा. उसके कंडोम में जाते ही कंडोम थोडा सा फ़ैल गया. मेघा ने इस फैलाव को महसूस किया और उसके जननांग के अन्दर एक जोर की गुदगुदी और करंट दौड़ा. अब दोनों के जिस्म शांत हो गए लेकिन सुजाता ने मेघा और सुजय के होंठों को चुसना जारी रखा. सुजाता ने उन दोनों को पूरा ज्ञान आज दे दिया था. अब उन दोनों को किसी किताब कि जरुरत नहीं थी.

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