शुक्रवार, 11 जून 2010

मुझे मेरी बीवी से बचाओ : भाग - दो

सवेरे हब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि अभी तक सोनी और सुमन दोनों ही मुझसे लिपटकर सो रही है. सेवर को रिशनी में दोनों के जिस्म दमक रहे थे. मैं उन दोनों के अर्धनग्न जिस्मों को देखता रहा और निहारता रहा. मान ही मान मैं सोनी को धन्यवाद दे रहा था जिसके कारण सुमन एक कदम आगे बढ़ चुकी थी और मुझे उसके होंठों का रसपान करने का मौका मिला गया था.
मैं तैय्या होकर फैक्ट्री के लिए चला गया. सुमन मुस्कराते हुए मुझे बाहर तक छोड़ने आई. उसने मेरी तरफ एक फ्लाईंग किस भी उड़ाया. सोनी भी खिड़की में खड़ी मुझे देख मुस्कुरा रही थी. पुर दिन मैं फैक्ट्री में बहुत खुश था. शाम होते होते मैं एक बार फिर कल्पनाओं में खोने लग गया.
शाम को जब मैं घर पहुंचा तो पहले से ही माहौल बना हुआ था. सुमन और सोनी घर के पिछवाड़े कि बालकनी में बैठे चाय पी रहे थे. घर के पिछवाड़े की बालकनी से दूर दूर तक केवल हरा भरा जंगल नज़र आता है.दोनों चाय पीते पीते एक दूसरे के गाल और होंठ भी चूम रहे थे. सुमन ने भी आज सोनी की ही तरह ट्यूब टॉप के ऊपर बिना बाहों का ज़िप्पर पहन रखा था. उस दोनों के ज़िप्पर बहुत नीचे तक हले हुए थे और उनके स्तनों के ऊपर का खुला हुआ पूरा हिस्सा साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था. सुमन आज बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही थी. मैं उन दोनों को इस तरह देखकर थोडा उतेजित हो गया. सुमन ने अचानक मुझे देख लिया और बोली " अरे तुम आ गए. आओ ना. तुम भी हमारे साथ चाय पी लो." मैं वहां जैसे ही बैठा सोनी मेरे लिए चाय लेने चली गई. सुमन ने मेरी तरफ देखा और बोली " सोनी बहुत अच्छी है. मेरा बहुत ख़याल रखती है. सारा दिन मेरे साथ ही रहती है. अब तुम इसे कभी मत जाने देना." मैं सब समझ गया और बोला " सोनी अब हमेशा यहीं रहेगी. खुश अब तो." मैंने इतना कहकर सुमन के होंठ चूम लिए. सुमन ने भी जवाब में मेरे होंठ चूम लिए. तभी सोनी चाय लेकर आ गई. सोनी मेरी बायीं तरफ बैठ गई. मैं अब सुमन और सोनी के बीच में था. सोनी ने मुझसे कहा " आज सवेरे से ही सुमन बहुत ही खुश है. मुझे उन्हें खुश देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. सुमन ने कहा है कि अब वो मुझे यहाँ से कभी भी नहीं जाने देगी." सुमन ने सोनी का हाथ पकड़ा और फिर दोनों हाथ मेरे हाथ में रखते हुए मुझसे बोली " तुम्हे आज ये वडा करना होगा कि सोनी को कभी भी नहीं जाने दोगे." मैंने सोनी कि तरफ देखा और कहा " सोनी तुम कभी मत जाना." सुमन ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूम लिया.
रात को हम तीनों ने एक साथ ही खाना खाया. फिर हम टी वी देखने लगे. सुमन ने कहा " सोनी ने आज बहुत ही अच्छी आइसक्रीम बनाई है." सोनी हम तीनों के लिए आइसक्रीम लेकर आ गई. सोनी ने मुझे इशारा कर दिया. मैंने आइसक्रीम खाते खाते अपनी ते शर्ट और हाफ मिनट उतार दी. सोनी ने अपने हाथ से सुमन को आइसक्रीम खिलाना शुरू किया. सुमन ने आइसक्रीम अपने मुंह में ली और फिर सोनी के गालों को चूम लिया. सोनी के गाल आइसक्रीम लगने से सफ़ेद लगने लगे. सुमन ने फिर अपनी जीभ से उस आइसक्रीम को खा लिया. अब सुमन ने मुझे आइसक्रीम खिलाई. उसने मेरे साथ भी ऐसा ही किया. फिर सोनी ने मेरे साथ और मैंने सोनी के साथ इस तरह से आइसक्रीम खाई. अब सुमन ने सोनी के और सोनी ने सुमन के कपडे उतार दिए. एक बार फिर हम तीनों अपने अंतरवस्त्रों में ही थे.. आज सोनी और सुमन ने एक ही गहरे हरे रंग की ट्यूब टॉप और पैंटीज पहन रखी थी.
सुमन सोनी को लेकर सोफे पर ही लेट गई. हमारा सोफा तीन गद्दीयों वाला था. इसलिए बहुत ही गुदगुदा था. दोनों उस पर गिरी और तुरंत ही सोफे की स्प्रिंगदार गद्दीयों पर आपस में लिपटी हुई उछल कूद करने लगी. यह देखकर मैं पागल हो गया और उन दोनों के साथ सोफे पर कूद गया. अब हम तीनों एक दूसरे को सोफे पर दबा रहे थे और जो शरीर का हिसा सामने आ रहा था उसे चूम रहे थे. सोनी ने सुमन के स्तनों को मसलना शुरू किया. सुमन अब धेरे धेरे तड़पने लगी. मैंने मौका देख उसे अपनी बाहों में ले लिया. सुमन का जोश ठंडा ना पड़ जाये इसलिए सोनी ने भी उसे उसकी पीठ ले पीछे से अपनी बाहों में जकड रखा था. अब सुमन के स्तनों को मेरी कड़क चाटी ने दबा रखा था तो वहीँ पेचे से सोनी के मजबूत लेकिन गुदगुदे स्तनों ने सुमन की पीठ को दबा रखा था. मैंने सुमन को बेतहाशा चूमकर पूरे नशे में ला दिया. सोनी ने तुरंत ही सुमन के ट्यूब टॉप और पैंटी को उअतारा और मेरी भी ब्रीफ खींच कर उतार दी. सुमन ने सोनी की तरफ देखा और उसे भी अपने कपडे खोलने को कहा. सोनी को मजबूरन करना पड़ा. अब हम दोनों ने सुमन के नंगे जिस्म को आगे पीछे से पूरी तह से हमारे नग्न जिस्मों से दबा दिया था.
सोनी ने अब सोफे की कुर्सी की तरफ चलने को कहा. सोनी सुमन को लेकर उस कुर्सी में धंस गई. सुमन सोनी की गोद में थी. सुमन के बटक्स सोनी के गुदगुदे गुप्तांग पर फिट हो गए थे. अब मैं सुमन के ऊपर आ गया. इस तरह से मैंने सुमन के साथ साथ सोनी को भी दबा दिया था. सुमन अब हर तरह से चार्ज हो गई थी. मैंने मौका देखकर अपना लिंग सुमन के जननांग की तरफ बढ़ा दिया. मेरा गुप्तांग उसके जननांग को छु गया. सुमन के मुंह से एक जोर की आह निकली. मैं अब पूरी तरह सुमन पर झुक गया था. सुमन और मेरे गले लेन से मेरा मुंह सोनी के मुंह के एक दम सामने आ गया था. मैं जब जब सुमन के जननांग की तरफ अपना लिंग धकेलते हुए सुमन को दबाता टब टब मेरा मुंह सोनी के बहुत करीब आ जाता और मेरे गाल उसके गालों को छु जाते. यह स्पर्श हम दोनों को ही अच्छा लगा. अब सोनी ने मुझे चूमना शुरू किया. मैं भी सोनी को चूमने लगा. सुमन मेरे गरदन के नीचे वाले हिस्से को अपने गीले गीले होंठों से चूम रही थी और पूरे आनंद में थी. अचानक से मेरा लिंग पहली बार सुमन के जननांग में प्रवेश कर गया. सुमन के मुंह से एक जोर की आह और चीख निकल गई. मैंने सुमन के होंठ अपने होठों से सी दिए. सोनी ने भी सुमन को अपने उभरे हुए स्तनों से दबाये रखा. सुमन के चेहरे पर अब एक संतोष भरी मुस्कान थी. मैं और सोनी भी बहुत खुश हो गए थे. यह सब सोनी की वजह से हुआ था. हम तीनों कुछ देर तक इसी अवस्था में लेटे रहे और फिर बाद में अलग हो गए. सुमन ने भी सोनी को कहा " अगर तुम ना होती तो शायद मेरी जिन्दगी में ये दिन बहुत ही मुश्किल से आ पाता. " सोनी ने एक विजयी मुस्कान अपने चेहरे पर लाई . सोनी ने मेरी तरफ देखा और बोली " आपका कितना बड़ा काम मैंने किया है मेरा इनाम!!" मैंने सोनी को अपनी तरफ लिया और उसके गालों पर एक किस कर दिया. सुमन ने मेरी तरफ देखा और बनावती गुस्से से बोली " इतने बड़े काम के लिए बस इतना सा इनाम. शर्म आनी चाहिये! चलो सोनी के होंठों पर पहले एक किस करो." मैंने सोनी के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी सोनी ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. सुमन ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब सुमन ने मुझसे कहा " अब तुम सोनी को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो." इसके बाद हम सुमन के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए.
अगले दिन मैं बहुत ज्यादा खुश था और रात का फिर इंतज़ार कर रहा था. मेरे बदन में एक अलग तरह का रोमांच बार बार आ रहा था. मैंने सुमन और सोनी को सरप्राइज देने के हिसाब से उन्हें बिना बताये मैं बहुत जल्दी घर आ गया. उस समय केवल चार बजे थे. मैं चुपचाप घर में दाखिल हुआ. अपने कमरे में जाकर जल्दी नहाया और कपडे बदले. फिर मैं घर के पिछवाड़े आ गया. बादल हो रहे थे और बारिश होने की पूरी संभावना लग रही थी. थोड़ी थोड़ी बूंदा बंदी हो भी रही थी. मैं जैसे ही पिछवाड़े की बालकनी में आया. मैंने देखा की बालकनी के आड़े के छोटे से खुले आँगन में ; जहाँ पर बहुत हरी हरी घास उगी हुई है , सुमन और सोनी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े हैं और छोटी छोटी पानी की बूंदों में भीगने की कोशिश कर रहे हैं.अचानक बारिश तेज हो गई. दोनों बालकनी में लौट आई. मैंने अपने कपडे खोले और केवल अंडर वेअर में बारिश में नहाने चला गया. सुमन और सोनी ने मुझे भीगते हुए देखा तो उन्हों ने भी आपस में इशारा किया और केवल ट्यूब टॉप और पैंटी में मेरे साथ भीगने के लिए आ गई. हम तीनों आपस में लिप्त रहे थे ; एक दूसरे को चूम रहे थे. एक दूजे के बदन पर गिरने वाले पानी को भी हम चूम चूमकर पी रहे थे. धीरे धीरे नशा बढ़ता गया और हम तीनों आपस में लिपट कर नहाने लगे. अब बारिश और भी ज्यादा तेज हो गई थी और तेज हवा के कारण धुंआ धुंआ सा हो रहा था. सुमन ने सोनी को नीचे लेटने को कहा. सोनी के नीचे लेटते ही सुमन उस पर लेट गई. अब वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगी थी. उन दोनों के जिस्म जब आपस में लिपटने से रगड़ खा रहे थे तो उन्हें देखकर मेरा सब्र जवाब दे रहा था. सुमन सोनी के ऊपर लेटकर अपने जसम को उससे एकदम सटकर उसे दबाते हुए उसे जगह जगह पर चूम रही थी. हरी हरी घास ; उस पर तेज बरसता हुआ पानी तथा इस बरसते पानी में घास पर आपस में लिपटे हुए दो बहुत ही खूबसरत हसीनाओं के भरे बदन . इन सबे ने मुझे ऐसा मदहोश किया की मैं भी उनके साथ शामिल हो गया.
सुमन और सोनी ने मेरे आते ही मुझे भी अपने साथ ले लिया. हम सभी एक दूजे को चूमने लगे. तेज पानी की बौछारें आग में घी का काम रही थी. बहुत ही काम समय में माहौल एक दम गरम हो गया. मैंने अब सुमन और सोनी के सभी कपडे उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया. सोनी ने एक बार फिर सुमन को उत्तेजित करना शुरू किया. आज सुमन बहुत जल्दी उत्तेजित हो गई. मैंने भी तुरंत उसके जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. एक छोटी लेकिन मीठी सिसकी के साथ सुमन आनंदित हो गई. मैंने करीब पंद्रह मिनट तक सुमन को इसी तरह से रखा. सुमन ने अब मेरा लिंग बाहर निकालने को कहा. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था. पता नहीं कैसे ; सुंन के जननांग में से लिंग को निकलते ही मैंने सोनी को पकड़कर लिटा दिया और उस पर चढ़ गया. सुमन ये देख बहुत खुश हुई और उसने सोनी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. सोनी ने भी अब मुझे कसकर पकड़ लिया. मैंने धीरे से अपना लिंग सोनी के जननांग की तरफ बढाया. सोनी ने पाने हाथ की मदद से उसे उंदर का रास्ता दिखा दिया, बस अब क्या था मर लिंग सीधे उस गीले और अनुभवी जननांग में पहुँच चुका था. सुमन कभी मुझे तो कभी सोनी को चूम रही थी. मैंने सोनी को भी पंद्रह - बीस मिनट तक ऐसी ही रखा.
हमारा वो बगीचा बहुत छोटा था. उसके चारों ओर दो फुट जितनी ऊंची दीवार थी. घर कि चाट का सारा पानी नाली से उसी में गिर रहा था. अब हमारे उस छोटे से बगीचे में इस तेज गिरते पानी और मुसलाधार बारिश की वजह से वो बगीचा तेजी से भरने लगा. बहुत जल्द वि लबालब भर गया. एक बहुत बड़ा बात टब जैसा लगने लगा. हम तीनो उसी में अब सेक्स करने लगे. पानी के अन्दर संभोग का यह अंदाज एक बहुत ही उत्तेजना पैदा करने वाला था. मैंने बारी बारी से सुमन और सोनी के साथ आधे आधे घंटे तक संभोग किया. फिर हम तीनों थक कर उस बरसात के पानी में ऐसी ही पड़े रहे जब तक कि हम में उठकर अपने अपने कपडे पहनने की ताकत नहीं लौट आई. हम तीनो पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे.

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