मंगलवार, 22 जून 2010

अब मैं क्या करूँ ???

मैं शारदा अपने पति करण के साथ शिमला में पिछले दो सालों से हूँ. मेरे पति यहाँ एक थ्री स्टार होटल में मेनेजर हैं. हम दोनों आपस में बहुत प्यार करते हैं. हमारी सेक्स लाइफ भी पूरी तरह से संतुष्ट है. मैं तो इतनी ज्यादा रोमांटिक हूँ कि करण के घर आने के बाद केवल ब्रा और पैंटी में ही उसके सामने रहती हूँ. उसे हर वक्त मुझसे छिपते रहने को ललचाती रहती हूँ. अब धीरे धीरे करण भी ऐसे ही हो गया है. वो भी केवल शोर्ट में रहता है.
एक दिन मुझे पता चला कि मेरी छोटी बहन सौम्या का शिमला के एक होटल में मेनेजर की पोस्ट पर सेलेक्शन हो गया है और वो यहीं आ रही है. मैं बहुत खुश हो गई. सौम्या हमारे साथ रहने आ गई. सौम्य मुझसे केवल दो साल छोटी है. वो भी मेरी तरह बेहद खुबसूरत है. कुछ दिन तो मुझे सौम्य के आने से बहुत अच्छा लगा लेकिन धीरे धीरे मुझे और करण दोनों को ये लगने लगा कि हमारे आज़ादी ख़त्म हो गई है. अब हम उस तरह से हमारी सेक्स लाइफ एन्जॉय नहीं कर पा रहे हैं जैसी पहले करते रहे हैं. अब केवल रात को मौका मिलता और वो भी आधी रात के बाद क्यूंकि सौम्य देर रात तक जागती और हमारे साथ कभी ती वी देखने कि जिद करती कभी गप्पें लड़ाती. मैं सौम्या के इस व्यवहार से परेशान होने लगी थी.
एक दिन सौम्य को लगातार चौबीस घंटे की ड्यूटी मिली. हम दोनों बहुत खुश हो गए. करण उस दिन शाम को जल्दी आ गया. मैं और करण शाम से ही हमबिस्तर हो गए. रात को खाना खाया और इसके बाद फिर करण मेरे जननांग को अपने लिंग से लगातार गरम किये जा रहा था. एक लम्बे अरसे के बाद मेरे जननांग को इतनी गर्मी मिली थी. करण जब भी अलग होने की कोशिश करता मैं उसके होंठों को चूम लेती और वो पिघलकर फिर मुझसे लिपट जाता. मुझे लग रहा था कि काश आज की रात ख़त्म ही ना हो.
रात के करीब एक बजे थे. मुझे लगा जैसे कोई आहट हुई है. लेकिन फिर वापस क आत नहीं हुई तो मैंने सोचा ये मेरा भ्रम होगा.
अब मैं और करण जमीन पर लेटे सेक्स कर रहे थे. करण बार बार मेरी कमर के आस पास चूम रहा था. मैं मछली की तरह इधर उधर मचल रही थी. वो आहट मेरा भ्रम नहीं थी. सौम्या आई थी. वो अपने कमरे में गई ; उसने कपडे बदले और रसोई में शायद पानी पीने गई. जाते जाते उसने एक निगाह हमारे कमरे में डाली. दरवाजा खुला था. उसने मुझे और करण को कमरे में जमीन पर लोटपोट होते और सेक्स करते देख लिया. सौम्या की अभी शादी नहीं ही थी. हर लडकी के अपने अरमां तो होते ही हैं. उसे यह सब बहुत अच्छा लगा.वो एक दुरी बनाकर हमें देखने लगी. काफी देर तक हमें बिलकुल पता नहीं चला. बाद में अचानक मेरी निगाह उस पड़ी. मैंने नजर बचाकर उसे देखा. वो लगातार हमें देखे जा रही थी मैंने बड़ी चालाकी से करण और मुझे दरवाजे के सामने से हटाया और दूसरी तरफ आ गए.
सवेरे जब हम चाय पी रहे थे तो सौम्या ने मुझसे धीरे से कहा " कल रात को तो बड़ा मजा किया तुमने जीजू के साथ! मैंने बहुत कुछ देखा ." मैंने सौम्या की बेशरमी पर उसे डांटते हुए कहा " ये क्या तरीका है बात करने का." सौम्या बोली " तुम भी शारू क्या शर्मातो हो? अरे मजा ही तो किया था. मैंने देख लिया तो क्या बुरा किया. बस यही समझो कि मैंने कोई ब्लू फिल्म देख ली थी." सौम्या ने अचानक मेरी कमर पर अपना हाथ रखा और बोली " हाय; अभी तक बदन में गर्मी है. कुछ भी कहो शारू. जीजू हैं बड़े गरम." मैंने सौम्या के तरफ शरारत भरी नजर से देखा और हम दोनों एक साथ हंसने लगे. बस मेरी यह हंसी ही हमारे घर में एक नया माहौल पैदा कर गई. रात को मैं बालकनी में खड़ी थी. सौम्या मेरे पास आई और बोली " शारू; क्याज भी तुम जीजू के साथ ...." मैंने उसकी तरफ देखा और बोली " तुम अचानक ऐसा व्यवहार कैसे करने लगी हो सोमू." सौम्या बोली " सच कहूँ तो उस रात से मेरा दिल डोल गया है. तुम दोनों आपस में लिपटे हुए बड़े अच्छे लग रहे थे." मुझे सौम्या का व्यवहार समझ नहीं आया. मैंने ये सब करण को बताया. करण ने कहा कि ये सभ स्वाभाविक बातें हैं. हर लड़के और लडकी के सेक्स जीवन की शुरुआत ऐसे ही किसी घटना से होती है. अगर सौम्या हमें देखे तो देखने दो. हमें क्या फर्क पड़ता है."
करण की बात सुन मेरा दिल थोडा हल्का हुआ लेकिन मैं यह सोचने लगी कि एक बार सही है लेकिन अगर सौम्या हर बार ऐसी ही जिद कने लगी तो मैं क्या करुँगी? रात को मैं और करण पलंग में हमबिस्तर थे. सौम्या खिड़की से झांकर हमें देखे जा रही थी. मुझे शुरू शुरू में बड़ी शर्म आई लेकिन करण ने जोश दिलाया तो मैं भी सहज होकर करण से संभोग कराने लगी. लगातार तीन रात सौम्या ने हमें इसी तरह से देखा. अब मुझे भी यह अच्छा लगने लगा. सौम्या अब हमारे कमरे में आने लगी और सोफे पर बैठकर हम दोनों को बहुत ही करीब से देखने लगी. कभी कभी वो मुझे छु लेती.
रविवार को करण और सौम्या दोनों की ही छुट्टी थी. मैंने सौम्या के कमरे के बाहर से निकली. मैंने देखा सौम्या बिना कपड़ों के बिस्तर पर लेटी हुई है और तकिये को दबाकर तड़प रही है. मैं उसकी इस हालत को मेरे और करण का सेक्स देखने का परिणाम समझी और यही सच था. सौमा बार बार तकिये को दबाती और कभी कभी अपने स्तनों को दबाने लग जाती. उसका बदन पसीने पसीने हो चुका था. मैंने करण को बुलाया. करण औ मैं सौम्या को देखने लगे. कुछ देर के बाद सौम्या पलंग पर उसी अवस्था में लेट गई.
मैंने सौम्या को अब लगभग हर दिन कभी ना कभी इस अवस्था में देखती. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर दया आ गई. मैंने करण से कहा. करण हैरान हो गया. उसने मुझे खूब डांटा. मैंने उसे बार बार समझाया. लेकिन करण नहीं मना.
मैंने सौम्या को करण वाली बात बताई. सौम्या को मैंने अपनी योजना समझाई. सौम्या तैयार हो गई. करण नहाने चला गया. मैं और सौम्या रसोई में नाश्ता बनाने लगी.हमने अपनी योजना के मुताबिक हॉट शोर्ट्स पहन ली और ऊपर स्पोर्ट्स ब्रा. करण नाश्ते के लिए जैसे ही रसोई में आया तो हम दोनों को देखकर चौंक गया. हम दोनों उसे देखकर मुस्कुराने लगी. करण सब समझ गया कि मैंने अपनी जिद छोड़ी नहीं है. आखिर करण भी तो मर्द ही था. वो आखिर में पिघल गया. सौम्या ने एक प्लेट में नाश्ता लिया और करण के सामने रखते हुए उसकी गोद में बैठ गई. करण कुछ समझे सौम्या ने उसे गालों पर चूम लिया. मैंने कुछ फल काट कर रखे थे. मैंने केले का एक छोटा टुकडा अपने मुंह में डाल और करण के मुंह को खोलकर उसे खिलाने लगी. हम दोनों के मुंह में केले का गुदा भर गया. सौम्या ने भी अपना मुंह हम दोनों के मुंह के साथ मिला लिया और हम तीनों इसके बाद केले के और भी टुकड़े लेने लगी और लगातार खाने लगी. सौम्या का पहला ही अनुभव कामयाब और यादगार बनता जा रहा था. करण ने अब पकौड़े भी इसी तरह से खाने को कहा. हम तीनों ने पूरा नाश्ता ऐसे ही किया.
दोपहर का खाना भी ऐसे ही खाने की सौम्या ने जिद की. उसकी यह जिद भी पूरी की. इसके बाद करण सोने चला गया. मैं और सौम्या करण के दायें और बाएं जाकर लेट गई. करण अब समझ गया कि आगे क्या होना है. मैंने और सौम्या ने करण को चूमना आरम्भ किया . करण ने भी गर्मजोशी से जवाब दिया. अब हम तीनों आपस में लगातार चुम्बनों का दौर जारे रखे हुए थे. जब उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई तब मैंने सौम्या को करण के सामने कर दिया. करण ने उसके सभी कपडे खोल दिए. मैंने भी अपने सभी कपडे उतार दिए. अब हम तीनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे..करण ने सौम्या को पूरी तरह से उत्तेजित किया और फिर कंडोम से कवर किया हुआ लिंग उसके जननांग में घुसा दिया. सौम्या के मुंह से एक जोर के चीख निकल गई. इसके बाद मैंने करण को अपनी तरफ खींचा और उसके लिंग को अपने जननांग में घुसा दिया. करण तो जैसे निहाल हो गया. उसीक साथ दो दो जननांग मिल गए थे. देर रात तक हम तीनों रुक रुक कर सेक्स करते रहे.
अब लगभग हर दिन हम तीनों इसी तरह सेक्स करते. कभी मेर अमूद नहीं होता तो सौम्या अकेली ही करण के साथ लेट जाती. यह सिलसिला लगातार पांच महीनों तक चला. एक दिन मेरी मां का फोन आया कि उन्होंने सौम्या की सगाई दिल्ली के एक लड़के एक साथ तय कर दी है. हमने सौम्या को जब यह खबर सुनाई तो उसने सगाई और शादी से साफ़ इनकार कर दिया. उसने कहा कि वो हमेशा हमारे साथ ही रहेगी. मैं यौर करण ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानी ही नहीं. मैं परेशान रहने लगी. करण ने मुझे समझाया कि धीरे धीरे सौम्या को समझा बुझा कर घर वास भेज देंगे .
हम तीनों अपनी सामान्य जिन्दगी में आ गए. फिर से रातें रंगीन होने लगी. मैंने देखा कि अब सौम्या करण को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने लगी थी. लेकिन मेरे साथ उसका व्यवहार पूरी तरह से सामान्य था. इस तरह से एक महीना बीत गया. एक दिन अचानक मेरी मां और पिताजी आ गए. उन्होंने सौम्या की शादी की तारीख पक्की करने के बात कही तो सौम्या ने सगाई ही तोड़ दी. मां और पिताजी हारकर घर वापस लौट गए.
अब मेरी परेशानी और भी बढ़ गई है. करण ने भी मुझे कह दिया है कि अगर सौम्या को हमारे दोनों के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है तो फिर हमें भी उसे अपने साथ रख लेना चाहिये. उसने मुझे कहा कि सौम्या हम दोनों के बिना जी ही नहीं सकेगी. मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करती हूँ. मैं उसकी ज़िन्द्गे बर्बाद होते नहीं देखना चाहती. लेकिन मुझे यह भी डर है कि करण और मुझमे कोई दूरी नहीं हो जाए उसकी वजह से. करण अपनी खुद की काम कहकर कह चुका है कि वो मुझे कभी धोखा नहीं देगा. मैं भी कच्चे मन से यह चाहती हूँ कि सौम्या रहेगी तो कोई गलत नहीं होगा. लेकिन फिर भी दिल घबरा उठता है.
अब मैं क्या करूँ?

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