शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012


हम दोनों को फिर से जवानी आ गई ==== चौथा भाग 

बेला मुझे नए नए तरीके बताती सेक्स और ड्रेस के और मैं उन्हें अपनाते हुए शेखर के साथ खूब मज़े ले रही थी. एक दिन बेला के बताये अनुसार मैंने एक पतले कपडे की पारदर्शी चुन्नी ली, उसे गीला किया और फिर अपने जिस्म के सभी कपडे उतारकर उस चुन्नी को लप्रेट लिया और शेखर के सामने आ गई. मेरा शरीर का एक एक हिस्सा उस गीली चुन्नी में से झाँक रहा था क्यूंकि चुन्नी गीली होने की वजह से मेरे जिस्म पर चिपक गई थी. मेरे शरीर की सभी गोलाईयां दिख रही थी. शेखर पागल हो उठे. उन्होंने मुझे इतना चूमा कि मेरी सांस फूल  गई. शेखर ने चुन्नी को युहीं रहने दिया और मेरी टाँगें पकड़कर फैला दी और मेरे ऊपर लेट गए और अगले ही पल उनका लिंग मेरे जननांग में घुस रहा था. आज हम दोनों का मूड बहुत ही जवान हो गया था. आखिर में शेखर ने पिचकारी मेरे भीतर छोड़ दी. मैं थक कर चूर हो गई थी. शेखर मुझे पकड़कर मेरे होंठों को अपने होंठों से मिलाकर सो गए.
एक दिन बेला की तबियत खराब हो गई. उसे  तेज बुखार आ गया. मैं बेला के घर सारा दिन उसके पास बैठी रही. रात को जब वो सो गई तब घर आ गई. शेखर को जब पता चला तो उन्होंने कहा कि कल की रात अगर बेला की तबियत बराबर ना हो तो मैं उसी के घर सो जाऊ. बेला की तबियत कुछ ठीक हुई मगर मैंने शेखर के कहे अनुसार बेला को कह दिया कि मैं आज की रात तुम्हारे यहाँ रह जाउंगी. बेला खुश हो गई. 
रात को मैं और बेला एक ही पलंग पर सोई. कुछ देर बाद बेला मेरे करीब आकर मुझसे सटकर लेट गई. मैंने बेला के सर पर हाथ फेरना शुरू किया. बेला ने मेरे हाथ  पकड़ लिए. वो मुझ से लिपट गई. मैंने प्यार से बेला को गालों पर एक चुम्बन दे दिया. बेला ने वापस ऐसा ही जवाब दिया. मेरी जिंदगी में बाहर लानेवाली बेला के लिए मेरे मन में बहुत प्यार आने ् लगा. मैंने बेला के होंठों को धीरे से चूम लिया. बेला ने अब मेरे होंठों को चूमा. इसके बाद यह दौर आगे बढ़ने लगा. हम दोनों एक दूजे को गालों, होंठों, गरदन के नीचे यहाँ वहाँ चूमने लगे. बेला ने खुद के उर मेरे सारे कपडे उतार दिए. हम दोनों अचानक ही उत्तेजित हो गई. हमारी साँसे तेज चलने लगी. हम दोनों बार बार एक दूजे को और अधिक जोर से खुद की तरफ खींचने लगी, दबाने लगी. इस बीच हम दोनों बार बार होंठों से एक दूजे को चूमे जा रहे थे.
थोडा वक्त इसी तरह से बीता . फिर अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे जननांग के अन्दर कोई झरना फूट रहा हो. मैंने अपनी टांगें दबाकर रोकने की कोशिश की. शायद ऐसा ही बेला को भी लगा. वो मुझ से लिपट गई. हम दोनों तड़पने लगी. हमारे दोनों के मुंह से आह, उई, सी सी की आवाजें आने लगी. बेला अचानक से ही उठकर मेरे ऊपर लेट गई. मैं चौंक गई. मैंने ऐसा कभी ना देखा था ना ही सुना था. बेला के बूब्स यानि की स्तन मेरे स्तनों के ऊपर सटकर चिपक गए. हम दोनों को हमारे बूब्स का इस तरह से एक दूजे से चिपकना बहुत अच्छा लगा. बेला का निचला हिस्सा मेरे हिस्से के ऊपर टच हो गया. बेला ने मेरे जननांग पर अपने जननांग से दबाव बढ़ाया और मुझे चूमने लगी. मैंने भी गरमजोशी से बेला को जवाब देना शुरू किया. बेला ने मेरी टांगों को फैला दिया और अपने निचले हिस्से को मेरी जाँघों के बीच फंसा दिया. अब हम दोनों के जननांग एक दूजे से एकदम सट गए. हम दोनों को एक मखमली अहसास हुआ. बेला ने दो चार बार अपने जननांग को मेरे जननांग पर धेरे धीरे रगडा कि मेरे अन्दर का झरना बहने लगा. इसी वक्त बेला के भीतर से भी शायद झरना बहरकर बाहर आ गया. हम दोनों को उस जगह बहुत ही गीला मलाईदार रस महसूस हुआ. हम दोनों अचानक जोर से तडपी और एक दूजे से लिपट गई. आज की रात हम दोनों के जीवन की एक अनोखी रात थी.
सुबह जब मैं घर लौटने को हुई तो बेला ने कहा " भाभी, तुम कभी कभी मेरे साथ इस तरह लेट जाना प्लीज. मेरी प्यास बुझ जायेगी. मैं रातों को बहुत तड़पती हूँ." मैंने बेला को एक चुम्बन दिया गरदन के नीचे और कहा " तुमने मेरे जीवन में फिर से जवानी लौटाई है. क्या मैं मेरी जान के लिए इतना भी नहीं करुँगी. सप्ताह में एक रात तुम्हारे साथ सो जाया  करुँगी." बेला बहुत ही खुश हो गई.
इसके बाद मैंने बेला के साथ अगले दो महीनों तक हर सप्ताह एक रात बितानी शुरू कर दी. बेला अब मेरे बिन नहीं रह पाती थी. जब भी समय मिलता वो मेरे पास आ जाती. धीरे धीरे ऐसा हो गया कि बेला जब भी मेरे घर आती या मैं उसके घर जाती तो बेला मुझसे लिपटकर ही बैठती.
मुझे ऐसा लगने लगा कि अब बेला का पति आयेगा तो ये मुझे किस तरह छोड़ेगी? 
अगले और आखिरी भाग में मेरा और बेला का यह प्रेम(?) हम दोनों को किस मोड़ तक ले गया यह बताउंगी. एक बिलकुल नए तरह का रिश्ता जो आपने शायद नहीं सूना होगा ऐसा रिश्ता बना , आपको बताउंगी. 

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