बुधवार, 25 अप्रैल 2012


हम दोनों को फिर से जवानी आ गई ==== तीसरा भाग

अगले दिन जब मैं बेला से मिली तो शेखर और मेरे बीच की रात भर की मस्ती उसे बता दी. बेला ने मुझे बाहों में लिया और बोली " भाभी जान, दो दिन की ट्रेनिंग में आपकी रातें तो रंगीन हो गई है. क्या क्या गुल खिल रहे हैं मजा आ गया सुनकर ही." बेला ने अपने बेडरूम में मुझे ले जाकर कुछ नए कपडे पहनने के लिए दिए. बेला ने कहा " भाभी ये तू पीस बिकनी है. एकदम छोटी ब्रा जिसे पहनने के बाद मेरे बूब आधे बाहर ही दिख रहे थे. मुझे बहुत शर्म महसूस हुई मगर बेला ने हौसला बढ़ाया. मिने जब पेंटी पहनी  तो मैं खुद को आईने में नहीं देख सकी. मेरे पीछे का हिस्सा करीब पूरा दिखने लगा था और आगे केवल मेरा ख़ास हिस्सा ही छुपा हुआ था. बाकी सब कुछ खुला था. मेरे उस हिस्से पर बाल थे इसलिए वे बाहर झाँकने लगे. बेला बोली " भाभी ये बाल सब हम कल हटा देंगे फिर देखना आप कैसा दिखती हो."  मैं अन्दर ही अन्दर शरमा रही थी इन कपड़ों में. मगर बेला ने मेरा साहस बढाए रखा. अब बेला खुद यही बिकनी पहनकर आई. बेला दुबली पतली थी इसलिए वो किसी सेक्स की देवी से कम नहीं लग रही थी. 
बेला और मैं एक बार फिर एक दुसरे से चिपक कर खड़ी थी. बेला ने एक अंगूर का गुच्छा लिया और उसमे से एक अंगूर खुद के मुंह में आधा डाला और मेरी तरफ अपना मुंह बढ़ा दिया. मैंने उस आधे अंगूर को अपने होंठों से दबा दिया. बेला ने उस अंगूर को मेरे मुंह में धकेल दिया . इसके पहले कि मैं उसे चबाने का सोचती बेला ने मुझसे मेरा मुंह खोलने को कहा. मैंने मुंह खोला तो बेला ने उस अंगूर को अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालकर अपने मुंह में वापस ले लिया. मुझे यह अच्छा लगा. दो तीन बार हम दोनों ने ऐसा किया, बाद में बेला ने अंगूर को चबाया और मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसे थोडा और चबाया और बेला के मुंह में डाल दिया. इस तरह हम दोनों काफी देर तक एक एक साथ साथ अंगूर खाती रही.
इसके बाद बेला ने फ्रिज से आइसक्रीम निकाली और हम दोनों सोफे पर आमने सामने आपस में एकदम करीब आकर बैठ गई. बेला ने आइसक्रीम एक चम्मच से मेरे मुंह में डाली  और एक चम्मच अपने मुंह में डाली और मेरे साथ होंठों का चुम्बन शुरू कर दिया. बेला कुछ ज्यादा उत्तेजित हो गई और मुझे बाहों में पकड़कर  सोफे पर ही लेट गई और मेरे साथ होंठों को चूमना जारी रखा. मैंने बेला के मुंह से आती आह , उई, और सी सी की आवाजों से यह अंदाजा लगाया कि वो इतने दिनों से अकेली सो रही है इसलिए उसकी आज यह हालत हो रही है. इसलिए मैंने भी बेला की इस हरकत को रोका नहीं. बेला कुछ बेकाबू हो गई और वो मुझे लगातार पकड़कर हर जगह मुझे चूमने लगी. फिर एकाएक बेला ने मुझ से अलग होते हुए कहा " माफ़ करना भाभी, मुझे आज सुबह से राकेश की बहुत याद रही थी इसलिए ऐसा हो गया." मैंने बेला को कहा " इसमें क्या माफ़ी. ऐसा हो जाता है जब किसी की याद आती है तो."
रात को मैंने शेखर के साथ अंगूर वाला किस किया. शेखर ने बहुत जोश और गर्मी के साथ मेरे साथ इस चुम्बन को काफी देर तक किया. शेखर बाद में इतना उत्तेजित हो गए कि उन्होंने एक एक कर मेरी साडी , ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को खोलकर दूर फेंका और मेरे साथ पलंग में आ गए. शेखर ने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिलाया और हम दोनों बहुत उत्तेजित होने लगे. मेरा जननांग अन्दर से तड़पने लगा. मैंने शेखर के लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और अपने अन्दर डाल दिया. कुछ ही देर के बाद मैं और शेखर किसी दूसरी दुनिया में उड़ रहे थे. शेखर ने आज बरसों बाद मुझे सारी रात नहीं सोने दिया. आज की रात मैं और शेखर अपनी बरसों की भूख मिटाने में कामयाब हो गए थे. इसका सारा श्रेय बेला को था. 
अब अगले आठ दस  दिन बेला ने मुझे कुछ नया तो नहीं सिखाया मगर लगातार हम दोनों सेक्स को लेकर बाते करती और रात को शेखर के साथ सेक्स के बारे में बेला को बताती. बेला भी अपने पति राकेश के साथ सेक्स की सब घटनाएं बताती रहती. इस कहने सुनने के बीच कई बार हम दोनों एक दूसरे को बाहों में ले लेती. आपस में चूम लेती. कभी गाल तो कभी होंठों चूम लेती. कभी बेला के कहने पर कई बार हम दोनों बहुत ही कम कपड़ों में एक साथ बिस्तर में लेट जाती और सेक्सी बातें करती. दोपहर से कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता था. शेखर भी बहुत खुश रहने लगे थे. वे अब घर आते ही कई बार मुझे अचानक पकड़ लेटे और चुम्बनों की बरसात कर देते. मैं भी वैसा ही जवाब देती. हमरी जिंदगी जैसे बीस साल पीछे चली गई थी. बहुत अच्छा लगने लगा था. बेला भी मेरी राह देखती दोपहर को. वो मेरे जाते ही मुझ से लिपट जाती और नमस्ते की जगह एक होंठों का लंबा चुम्बन लेती.
अगले  भाग में मेरी , शेखर और बेला जिंदगी में आये सबसे बड़े बदलाव के बारे में बताउंगी. इस बदलाव की वजह से एक तूफ़ान आ गया था हम तीनों की जिंदगी में. इस तूफान के बाद हम तीनों अब कैसे रह रहे हैं वो आपको पता चलेगा.

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