ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
भाग चौथा
मैं आंटी और सुंदरा के साथ अपनी जिंदगी को मजे से जीने लगी. सारे दिन एक ही काम, मौका मिलते ही लेस्बियन सेक्स. मेरी जवानी निखरने लगी थी. आस पड़ोस के लड़के मेरे को देखते ही आहें भरते मगर मेरे दिल में कभी लडको को लेकर कोई उत्तेजना नही पैदा होती.
सुंदरा बहुत खुश रहने लगी थी. उसकी सेक्स की भूख रोज मिट जाती थी.
एक दिन आंटी बाहर गई हुई थी. मैं सुंदरा के आते ही उसके साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो गई कि अचानक अंकल घर में आ गए. सुंदर और मैं बाल बाल बच गयी. मगर हम दोनों बहुत उतावले हो गयी थी. इसलिए हम दोनों बाथरूम में चली गई. अंकल अपने कमरे में थे. बाथरूम में धोने के बहुत सारे कपडे रखे हुए थे. हम दोनों ने अपने अपने कपडे उतर दिए और उन धोने के लिए रखे कपड़ों को बिस्तर बनाया और लिपट गयी आपस में. आज सुंदरा बहुत उत्तेजित हो चली थी. वो बार बार मेरी ऊँगली पकडती और पाने जनांग में घुसा देती . जबकि मैं पहले दोनों के जननांगो को आपस में टच कराकर सेक्स पूरा करना चाह रही थी.मगर आखिर में जीत सुंदर के हुई. मैंने अपनी ऊँगली उसके भीतर घुसाई और लगातार अन्दर बाहर करने लगी. इस दौरान मैंने सुंदरा के होंठों को अपने होंठों से पूरी तरह सील दिया और अपनी जीभ से उसके मुंह की सारी मिठास अपने मुंह में खींचने लगी. इस तरह मैं भी अपनी भूख मिटाने लगी. कुछ ही देर बाद हम दोनों तड़पने लगी. मैंने अपनी दोनों जाँघों को आपस में मिलाकर खुद को कंट्रोल करने की कोशिश की. उधर सुंदरा भी अब बेकाबू होने लगी. फिर अचानक मुझे अपने भीतर एक गीलेपन का अहसास हुआ और मैं सुंदर के मुंह में अपनी जीभ से सारी लार उसके मुंह में डालकर उसके साथ जोर से लिपट गई. इतने में ही सुंदरा भी मलाई बहाने लगी और हम दोनों सेक्स के अंतिम सुख में पहुँच चुकी थी. इस बीच अंकल उठ गए मगर बाथरूम तक आकर ये समझे कि मैं अकेली हूँ उसमे उन्हें कोई शक नही हुआ.
सुंदर अब पूरी तरह से मेरे साथ प्रेम करने लगी थी. जबकि आंटी मेरे और अंकल दोनों के साथ डबल मज़ा लेती थी. कई बार तो ऐसा होता कि आंटी अंकल के साथ सेक्स करने के बाद मेरे कमरे में ऐसे ही बिना कपड़ों के आ जाती मुझे नंगा कर मुझे अपने साथ लिपटा लेती. मुझे इस वक्त बहुत अच्छा लगता था क्यूंकि आंटी थकी हुई होती थी और उनका जिस्म एकदम ठंडा होता. ऐसे में मैं उनके होंठों को लगातार चुस्ती रहती जो मेरा सबसे पसंदीदा था. आंटी थकी होने के कारण कोई विरोध नहीं करती और अपने होंठ फैलाकर मेरे होंठों के हवाले कर देती और मैं उनके होंठों पर अंकल द्वारा ना चूसा हुआ सारा रस चूस लेती. बाद में मैं आंटी के उभरे सीने को खूब सहलाती और अपने दोनों बूब्स को उनके साथ टच कराकर फिर से उनके होंठों को अपने होंठों से मिलाकर सो जाती.
एक दिन रात को मैंने सुन्दरा को घर पर आंटी से बचाकर रोक लिया. रात को मैं और सुंदरा दोनों मेरे कमरे में भरपूर सेक्स का मज़ा ले रही थी. आंटी अंकल से फ्री होकर मेरे कमरे में आ गई. हम दोनों को पता नहीं चल सका इस बात का. आंटी ने हम दोनों को देखा तो गुस्से में आ गई. हम दोनों को खूब डांटा , अगले ही दिन आंटी ने सुन्दरा की छुट्टी कर दी. मेरा दिल टूट गया. मैंने आंटी को बहुत समझाया ,मगर आंटी ने मेरी एक नहीं सुनी. अगले चार पांच दिन हम दोनों में बिलकुल बोलचाल नहीं हुई और ना ही सेक्स.
आखिर में आंटी से नहीं रहा गया और उसने सुंदरा को फिर से बुला लिया.
अगले भाग में आपको मैं बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली सेक्स के बारे में बताउंगी. मेरा वादा है कि आप भी बहाव नहीं रोक सकोगे.
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