बुधवार, 26 सितंबर 2012

तीन बहनों के बीच फंस गए देवरजी.

मेरी सगाई पिताजी ने एक बहुत बड़े घर में कर दी. वैसे मेरे पिताजी भी अच्छे खासे अमीर थे मगर लड़केवाले हम से दस गुना ज्यादा अमीर  थे. लड़का खुबसूरत तो था मगर मुझ से बारह साल बड़ा था. शादी के बाद मैं ससुराल पहुंची. घर बहुत बड़ा था. मेरे सास-ससुर, दो जेठ और जेठानीयाँ. मेरे ससुर की बहन का लड़का भी वहीँ रहकर पढ़ रहा था. सूरज नाम था. मेरा हम उमर मगर बेहद खुबसूरत. हालांकि मैं मेरे पति के साथ सेक्स करके खुश थी मगर ना जाने क्यूँ बार बार नजर सूरज पर जाकर ठहर जाती. मं दिन भर छुप छुपकर उसे देखा  करती.
धीरे धीरे मैंने हिम्मत जुटानी शुरू कर दी. सूरज को देखकर मुस्कुरा देती. उसके पास बैठने की कोशिश करती. उस से बाते करती कोलेज और  कोलेज की लडकीयों के बारे में. सूरज थोड़ा खुल गया मुझ से इन सब से. मैं अब सूरज के साथ अकेला होने का मौका तलाशने लगी.  एक दिन यह मौका भी मिल गया. घर में सभी बाहर गए हुए थे. मेरा सास सो रही थी अपने कमरे में. सूरज कोलेज से आया. मैं हेली को उसे देख उसके कमरे में चली गई. गर्मी का मौसम था. सूरज कमरे में गया उर उसने अपनी कमीज और जींस खोलकर पलंग पर लेट गया बनियान और अंडरवियर में ही और पंखा चला दिया. सूरज ने जैसे ही मुझे आते देखा तो वो बाथरूम में भाग गया. मैं जोर से हंसने लगी. सूरज शोर्ट्स पहन्कार बाहर आया. मैंने उसे चिढ़ाना शुरू किया. " ये स्टडी रूम है और तुम बेडरूम की तरह लेटे हो." सूरज भी हंसने लगा. हम दोनों एक साथ हँसे. मैंने हँसते  हँसते सूरक के हथेली पर अपनी हथेली रख दी और उस की हथेली को दबा दिया. सूरज ने मेरी तरफ देखा. मैंने अब उसकी हथेली को उर जोर से दबा दिया और अपनी बायीं आँख दबाकर शरारात से हंस दी. सूरज शायद इशारा समझ गया. 
इस घटना के बाद मैं और सूरज जब भी आमने सामने आते और अकेले होते तो मैं उसकी तरफ देखकर आँख मार देती और बदले में सूरज मेरी हथेली को अपने हाथ से दबा देता. हम दोनों धीरे धीरे इसी तरह मिलते मिलते काफी हिल मिल गए. अब आग दोनों तरफ बराबर जलने लगी थी. इसे क्या कहूँ कि मेरे पति के साथ सेक्स का अभार्पूर मजा लेने के बावजूद मैं सूरज की तरफ खींचती चली जा रही थी.
एक दिन मैं अपनी माँ से मिलकर ससुराल वापस पहुंची तो सासू जी बाहर ही मिल गी , वो कही जा राही थी. उन्होंने बताया कि सूरज अकेला ही है घर में. चाय बनाकर उसे पिला देना. मैं ने हाँ कहा. घर आते ही मैं मन ही मन बहुत खुश हुई. घडी देखी. चार बजे थे. सबसे पहले मेरे ससुर आनेवाले थे और वो भी छः बजे से पहले नहीं. पूरे दो घंटे थे मेरे पास.

मैंने जल्दी से चाय  बनाई और सूरज के कमरे में आ गई. सूरज मुझे देखकर खुश हो गया. मेरा दिल भी बहुत जोर से धड़कने लगा. हम दोनों ने चाय पी. मैंने सूरक का हाथ  पकड़ लिया. सूरज ने अपने दुसरे हाथ से मेरा  दूसरा हाथ पकड़ लिया. हम दोनों एक दूजे से सट कर खड़े हो गए. मिने धीरे से अपना चेहरा सूरज की तरफ बढाया. सूरज की साँसे तेज हो गई. मैंने सूरज के गालों पर एक लंबा और बहुत ही गीला चुम्बन धर दिया. सूरज ने धीरे से मेरे गालो को चूम लिया. मैंने सूरज को अपनी बाहों में ले लिया. सूरज मेरी आगोश में आकर मुझे गालों पर चुम्बनों की बरसात करने लगा. मैंने सूरज को पलंग की तरफ ईशारा किया. हम दोनों पलंग के पास आ गए. मैंने सूरज सभी कपडे एक एक कर के उतार दिए. फिर मैंने सूरज को इशारा किया. सूरज ने मेरे सभी कपडे उतार दिए. मैंने सूरज को पलंग में आने को कहा उर खुद पलंग पर सीधा लेट गई. सूरज का यह पहला मौका था अकिसी लड़की के साथ सेक्स का, वो घबरा रहा था. मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और अपने नंगे जिस्म से चिपका लिया. अब सूरज मेरे कब्जे में था. कुछ देर हम दोनों ने च्म्बन का दौर किया. मैं बार बार घडी देखे जा रही थी. मैंने अब सूरज के कड़क और लम्बे हो चले लिंग को अपने जननांग में धीरे धीरे हाथ से पकड़कर भीतर की तरफ धकेलना शुरू किया. सूरज ने भी जोर लगाया. सूरज का लिंग मेरे जननांग में घुस गया. धीरे धीरे अन्दर बाहर कर हम दोनों ने कुछ देर सेक्स का मजा लिया. घडी में जैसे ही पौने  छः बजे हम दोनों अलग हो गए. 
इस सेक्स के बाद हम दोनों अक्सर अकेले होने का मौका तलाशने लगे. पहले सेक्स से हम दोनों की और खासकर मेरी भूख बहुत बढ़ गई थी सेक्स करने की. मगर दस दिन तक दोबारा मौका नहीं मिल सका. मैं अपने पति के साथ सेक्स करते हुए सूरज का चेहरा याद करने लग जाती. मैं सारा दिन कोशिश में रहती. एक दिन मेरे पति का फोन आया कि उन्हें अपने बॉस के घर एक पार्टी में जाना है और वे देर रात को लौटेंगे. मुझे मौका मिल गया. मैं सभी के सोने जाने के बाद चुपके से सूरज के कमरे में चली गई. सूरज मुझे देखकर खुश हो गया. मैंने सूरज को बता दिया कि कम से कम दो घंटे हमारे पास है. हम दोनों हमबिस्तर हो गये. अज हम दोनों को और भी मजा आया. मुझे तो बहुत ही मजा आया. आज मैंने कंडोम लगा लिया था सूरज के लिंग पर. आखिर में सूरज का लिंग कंडोम में भरकर मेरे जननांग में हलचल कर के शांत हो गया. हम दोनों एक लंबा फ्रेंच किस किया और मैं वापस अपने कमरे में आ गई.
अब रोज  मैं और  सूरज सप्ताह में कम से कम एक बार तो कहीं से भी मौका निकाल ही लेते सेक्स करने का. मेरा जिस्म इस डबल सेक्स से गजब का उभरने  लगा था. एक दिन मेरी बड़ी बहन मधु मेरे ससुराल मिलने आई. हम दोनों काफी देर आपस में बाते करती रही. सूरज घर पर ही था. मधु ने शरारात से मुझ से पूछा " ये सूरज तो बहुत ही चिकना मर्द है. "
यहाँ मैं  एक बात कहना चाहती हूँ कि मेरे और मधु के बीच में सिर्फ सोलह महीने का फर्क है. हम दोनों आपस में बहुत  खुली हुई है. सेक्स को लेकर भी खुल्लम खुली बाते कर लेती हैं.
मैं मधु से सोलह महीने छोटी हूँ और  स्वर्णा मेरे से दो साल छोटी है. मेरी सबसे छोटी बहन. स्वर्णा कुंवारी है. मधु बाईस की, मैं  बीस और स्वर्णा  अठारह साल की है. हम तीनों सेक्स को लेकर खुल्ले विचारों की है. 
मैंने मधु को अपने और सूरज के बारे में सब कुछ बता दिया. मधु ने मेरे कान में कहा " मुन्नू, एक दिन सूरज को मेरे साथ करो ना, मैं भी उसे चखना चाहती हूँ." मैंने मधु को हाँ कह दिया. मेरे पीहर में एक पूजा हवन रखा गया. मैं, मेरे पति और सब के साथ वहा गई. सूरज भी साथ था. घर में कई मेहमान आये हुए थे. मैंने सूरज को मधु से मिलवाया. मधु सूरज को घर दिखलाने  के बहाने ले गई.  हमारे घर के पिछवाड़े में एक कमरा था जो नौकरों के लिए था. मधु सूरज के साथ उस में चली गई. मधु ने सूरज को अपनी ईच्छा बतला दी. सूरज हक्का बक्का  हो गया. वो भागकर बाहर निकलकर आ गया. मैंने सूरज को समझाया और उसे मधु के साथ उस कमरे में भेज दिया फिर से.
मधु ने सूरज को बाहों में लिया और बोली " मेरी नीयत तो उसी दिन डोल गई थी जिस दिन मैंने मुन्नी  के यहाँ तुम्हे देखा था. आज तो सामय  कम है. फिर भी थोडा तो कर ही लेंगे. मधु ने सूरज के पेंट को उतारा और उसके लिंग को पकड़कर बाहर किया अंडरवीयर से.फिर मधु ने अपना  पेटीकोट ऊपर किया और सूरज के होंठों को अपने होंठों से जोर से चूम लिया. एक ही पल में दोनों के भीतर लहर उठ गई. सूरज का लिंग कड़क और लंबा हो गया. मधु ने तुरंत अपने हाथ से सूरज के लिंग को पकड़ा और खड़े खड़े ही अपनी टांगें फैलाई और अपने जननांग  का गेट चौड़ा किया और लिंग को उस से घुसा  कर अन्दर धक्का दिया. एक ही पल में सूरज का लिंग मधु के एकदम भीतर तक चला गया. करीब पांच मिनट तक ही दोनों इस सेक्स का मजा ले सके. आरती की आवाज शुरू हो गई तो दोनों अपने कपडे ठीक कर के बाहर आ गए. सूरज बहुत खुश हो गया., उसने मुझे कहा कि मधु के साथ वो और सेक्स करने को तैयार है. मैंने  मधु को यह खबर दे दी.
एक दिन दोपहर को अचानक मेरी उतेजना टीवी पर एक फिल्म देखते हुए बढ़ गई. रविवार था . मेरे पति  घर पर ही थे. मैं बेडरूम में गई., वो खर्राटे भर रहे थे. मेरी उत्तेजना चरम पर थी. सूरज दिखा. मैंने सूरज को ईशारे से बुलाया और हम छत पर चले गए. तेज धूप और हवा बिलकुल नहीं मगर मेरे दिमाग में फिल्म के उस सीन ने सेक्स की जबरदस्त भूख बढ़ गई थी. मैं  और सूरज छत पर बिस्तर रखने के लिए बने एक छोटे से कमरे में चले गए. कमरा हीटर की तरह तप  रहा था. मगर ये सबसे सेफ था. हम दोनों तुरंत नंगे होकर लिपट गए और बिस्तर पर घिर गए. सूरज ने जल्दी ही अपने लिंग को मेरे जननांग में डाल दिया. मैंने सूरज को जोर से झटके मारने को कहा. बहुत कम देर में हम दोनों के बदन पसीने से तर हो गए गर्मी के कारण. थोड़ी देर और हुई कि हमारे बदन में पसीना इतना हो गया कि दोनों के बदन आपस में फिसलने लगे. मगर सूरज को मैंने शुरू रखा, मेरी भूख बढती जा रही थी. पसीना इतना अधिक हो गया कि फिसलन की आवाज आने लगी. मेरे सीने से सूरज का सीना ऐसा चिपका और पसीने  से तेज आवाजें आने लगी. करीब आधा घंटा मैंने सूरज  से अपनी सारी भूख मिटवाई.. आखिर में जब सूरज के लिंग में से निकले मलाई ने कंडोम को भरा और मुझे पूरा चरम सुख दिया तब जाकर मेरी भूख शांत हुई.
अब ये बिस्तर वाला कमरा हम दोनों का अड्डा बन गया. अब तो हम सप्ताह में कम से कम दो बार सेक्स करने लगे.एक दिन मधु आई तो मैंने मधु और सूरज को उस कमरे में भेज दिया. दोनों ने खूब सेक्स किया. 
एक दिन मधु ने स्वर्णा को हम तीनो के बारे में बता दिया. स्वर्णा दोपहर में मेरे यहाँ आ गई. मैंने स्वर्ण को सूरज से मिला दिया. दोनों ने आपस में काफी देर बाते की. 
स्वर्णा ने जाते वक्त मुझे कहा " दीदी, मैं बहुत जल्दी ही सूरज के साथ सेक्स करुँगी. मेरी जिंदगी का पहला सेक्स होगा ये."
दो दिन बाद ऐसा संयोग हुआ के मेरे पति ऑफिस के काम से दो दिन के लिए बाहर चले गए. दोपहर को मैंने मौका देख सूरज को बुलाया. जब मैं सूरज के कमरे में गई तो देखा सूरज के कमरे का दरवाजा बंद है. मैंने झांक कर देखने की कोशिश की मगर कुछ पता नहीं चला. मैं वापस अपने कमरे में आ गई. कुछ देर बाद मेरी जेठानीयाँ भी बाहर निकल गई. अब मैं अकेली ही थी. मैं फिर सूरज के कमरे की तरफ गई. मैंने उसे आवाज दी और बताया कि घर में मैं अकेली ही हूँ. सूरज ने दरवाजा खोला. मैंने जैसे ही भीतर गई तो देखा कि स्वर्णा  पलंग में लेटी हुई थी. मैं समझ गई. मैंने सूरज को बिस्तर में जाने का ईशारा किया और खुद अपने सारे कपडे खोलकर उन दोनों के साथ बिस्तर में घुस गई. 
मैंने सूरज को बाहों में भरा और स्वर्णा से कहा " तू कहाँ से आ गई चिकनी." अब सूरज ने बारी बारी से हम दोनों को जननांग में अपने लिंग से भेदा और  प्यास बुझाई हम दोनों की.
हम तीनों काफी देर तक एक ही बिस्तर में सेक्स करते रहे.
मगर घर में सभी लोगों के रहते लगातार सभी का सूरज के साथ सेक्स करना संभव नहीं था. जेठानियों को मेरी बहनों का बार बार आना शक पैदा करने लगा था कि आखिर ये क्यूँ हो रहा है. मैंने और सूरज ने दिमाग लगाना शुरू किया किसी नए ठिकाने कि तलाश में. सूरज ने ठिकाना खोज लिया. हमारी कोठी में जहाँ कार गेराज था उस के बगल में एक कमरा था जिसमे दुनिया भर का कचरा जमा हुआ था और वो इस्तेमाल भी नहीं होता था. सूरज ने उस कमरे के सफाई करवा दी.उस कमरे में जाने का रास्ता घर के भीतर से भी था और बाहर से भी. मगर दोनों रस्ते ऐसे थे कि किसी को जल्दी से दिखाई ना दे सके. सूरज ने उसमे एक बिस्तर लगा दिया. अब उस कमरे को लेकर किसी को भी शक नहीं हो सकता था. मैंने सूरज के साथ अब उस कमरे में लगभग हर दुसरे दिन सेक्स करना शुरू कर दिया. स्वर्णा ने कोलेज के बीच में आने के योजना बनाई. स्वर्ण को भी यह कमरा पसंद आ गया. स्वर्णा ने हर मंगल और गुरु को दोपहर में दो बजे का समय तय किया. उस दिन उसके दो पीरियड्स खाली होते थे. स्वर्णा पहली बार इस कमरे में तो मैं और सूरज बिसर में ही थे. मेरा समय पूरा हो चुका था. स्वर्णा और सूरज बिस्तर में चले गए. मैं दोनों को सेक्स करता देखने लगी. मुझे बहुत अच्छा लगता अता जब वे दोनों मेरे सामने सेक्स करते थे तो.

अब हमारा ये नया अड्डा  सेक्स रूम बन गया था. मधु को सप्ताह या दस दिन में एकाध बार ही मौका मिल पाता था. अब हम चारों इसी कमरे में सेक्स करते हैं मगर एक साल बीत  चुका है पर किसी को को कुछ पता नहीं चल सका है. हमारा ये सेक्स रूम इसी तरह हमारी सेक्स की भूख को मिटाता रहे यही आरजू है.
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