शनिवार, 21 जनवरी 2012

ये कैसे हो गया
 
मैं दिली में अपनी पत्नि श्वेता के साथ रह रहा था. हम दोनों की शादी को सिर्फ एक महीना हुआ था. मेरे चाचा हृषिकेश में रहते थे. वे एक बार किसी काम से दिली आये. साथ में चाची भी आई. मेरे चाचा की उमर करीब पचास साल की है और चाची उनसे दस साल छोटी यानि की चालीस की. चाचा किसी सरकारी ऑफिस में काम करते थे और उन्हें एक ट्रेनिंग के लिए दिल्ली में दस दिन रुकना था. हमरे समस्या यह थी कि हमारा  घर बरसाती वाला था यानि कि केवल एक कमरा; रसोई और खुली छत. मैं और चाचा छत में अकेले  में सोनेवाले थे और  श्वेता तथा चाची अन्दर कमरे में. बरसात का मौसम था  मुझे यह डर सताने लगा कि अगर बारिश हो गई तो क्या होगा. मेरा डर सही निकल गया. अगले दिन शाम से ही बारिश होना शुरू हो गई. रात को अब एक छोटा सा कमरा और हम सोनेवाले चार जने. एक पलंग था जो कि डबल से छोटा था. उस पर चाची और श्वेता सो गए. मैं और चाचा नीचे सो गए. चाचा तो जोर जोर से खर्राटे बहरने लगे और चाची भी. श्वेता को बदमाशी सूझी. वो पलंग से उतरी  और मेरे पास आकर लेट गई. हम दोनों सावधान होकर केवल एक दूजे को चूमने लगे क्यूंकि मौसम बड़ा सुहावना हो रहा था. कुछ देर बाद चाची की आंख खुल गई. कमरे में नाईट लेम्प जल रहा था इसलिए चाची ने हम दोनों को देख लिया.
हो सकता है चाची की सेक्स लाइफ इस तरह की ना रही होगी क्यूंकि चाचा काफी बुज़ुर्ग जैसे ही थे हर चेज में; इसलिए चाची बड़े मजे ले लेकर हम दोनों को देखने लगी. हमें पता नहीं चला.
सवेरे चाची ने श्वेता को रात की बात बता दी. श्वेता मुस्कुराकर रह गई. लेकिन चाची बार बार श्वेता को सेक्स की बातें पूछने लगी. श्वेता को कुल मिलाकर सिर्फ ये पता चल पाया कि चाचा बहुत ही ठन्डे मर्द है और चाची बहुत कोशिश के बाद में भी उन्हें गर्म नहीं कर पाई है. श्वेता बहुत ही खुले विचारों वाली थी इसलिए उसने मुझे ये सब बता दिया. मैं भी तुरंत समझ गया कि आज तक क्यूँ चाचा के कोई औलाद नहीं है.
रात को श्वेता ने चाची को मजे दिखाने  के हिसाब से एक योजना बनाई. चाचा के खर्राटे शुरू हुए कि श्वेता ने आकर मुझे जगा दिया. मैं और श्वेता कमरे में आ गए. चाची पलंग पर सो रही थी. मैं और श्वेता जमीन पर लेट गए और हम दोनों के बीच चुम्बनों का दौर शुरू हो गया. चाची तुरंत जग गई. श्वेता ने शायद जान-बुझकर मुझे चूमते समय जोर की आवाज निकाली. चाची हम दोनों को देखने लगी. आज श्वेता को मालूम पड़ गया था कि चाची देख रही है लेकिन मुझे पता नहीं चल पाया था. श्वेता जानबूझकर उछल-उछलकर चूमने लगी. चाची पलंग पर लेटी लेटी बेकाबू होने लगी. धीरे धीरे कुछ ऐसा हुआ कि चाची तकिया पकड़कर पलंगपर मचलने लगी. ना जाने क्यूँ श्वेता को मजा आ रहा था. मैं श्वेता की आगोश में था और  श्वेता गरमा-गरम चुम्बनों से मुझे मदहोश किये जा रही थी. कुछ देर के बाद हम दोनों अलग हो गए और मैं बाहर आकर सो गया.
अगले दिन संयोग से मैं जल्दी घर आ गया. ऑफिस में काम नहीं था और बॉस भी कहीं  गया हुआ था. मुझे मौका मिला और मैं घर आ गया. घर आने पर पता चला कि श्वेता अपनी किसी सहेली के साथ बाहर गई है और चाची अकेली घर में है. मैं परेशान हो गया. क्या सोचा था और क्या हो गया. चाची ने मेरे लिए चाय बनाई. मैं चाय पी रहा था. चाची अचानक बोली " तुम्हारी जिन्दगी बड़े मजे से श्वेता के साथ गुज़र रही है. हमारे हालत देखो. एकदम से सूखी हुई हालत है." मैं चाची का कहा समझ गया क्यूंकि श्वेता ने मुझे सब कुछ बता दिया था. मैं कुछ ना बोला. तभी चाची फिर बोली " तुम मेरी इस सूखी हालत में हरियाली ला दो." मैं हैरान रहा गया यह बात सुनकर. इससे पहले कि मैं कुछ बोलता चाची ने अपनी सदी का पल्लू हटा दिया और मेरे सामने बालूज में से झांकते दो उभार थे. चाची ने अचानक आगे आकर मुझे अपनी बाहों में भींच लिया. मैं उसके स्तनों के उभार में दबाव से अच्छा महसूस करने लगा.
अचानक मेरे मन में एक शैतान जाग गया और मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. चाची के साथ मैंने अपने सभी कपडे उतार दिए और चाची को लेकर पलंग में लेट गया. चाची के जिस्म को चूम चूमकर पूरी तरह से गुलाबी और गीला कर दिया. चाची अब नशे में आ गई और मैं जोश में. चाची को मैंने अपने लिंग से भेद डाला. चाची निहाल हो गई. उसने एक बार फिर कहा और मैंने एक बार फिर उसके जननांग को अपने कड़क ; लम्बे और गरमागरम लिंग से तरबतर कर दिया. मुझे भी भी बहुत अच्छा लगा.
अब मैं और चाची ऐसे मौके की तलाश में जुट गए की श्वेता कब बाहर जाए. लेकिन दो दिन तक ये मौका नहीं मिला. 
अब चाची के वापस जाने में सिर्फ तीन दिन बचे थे. मैंने दिमाग लगाया और श्वेता से कहा की मैं चाची को उनके एक रिश्तेदार से मिलवाने ले जा रहा हूँ. मैं चची को लेकर एक सस्ते होटल में आ गया. एक कमरा बुक किया और दोनों बिस्तर में नंगे होकर काम में लग गए.  मैंने करीब दो घंटों तक चाची को नहीं छोड़ा. आखिर में चाची ने ही कहा की अब वो और सहन नहीं कर सकेगी. शाम को हम वापस घर आ गए.
इसी तरह अगले दो दिन मैं उसी होटल में चाची को लेकर जाता और चाची के साथ सेक्स कर वापस आ जाता. अब कल सवेरे चाचा वापस जाने वाले थे . मैं और चाची उदास हो गए. चाचा कुछ सामान लेने बाजार गए . श्वेता सभी के लिए नाश्ता बना रही थी. न जाने क्या हुआ कि चाची ने अचानक मुझे ईशारा किया और मुझे बाथरूम के तरफ आने के लिए कहा. मैं जब वहाँ गया तो चाची अन्दर बाथरूम में चली गई. मैं समझ गया. मैं तुरंत अन्दर गया. चाची ने तुरंत अपनी साडी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया. मैंने भी तुरंत अपनी लुंगी उठाई और खड़े खड़े ही अपने लिंग को चाची के जननांग में घुसाने लगा. चाची के चुम्बनों ने मेरे लिंग को कड़क और लंबा कर दिया. मैंने जोर जोर से झटके दे कर लिंग को काफी अन्दर तक पहुंचा दिया. तभी श्वेता की आवाज ने हमें चौंका दिया. मैंने चाची के होठों को जोर से चूसा और जल्दी जल्दी बाहर आ गया.
चाची चली गई लेकिन आज तक मुझे उनके साथ किये गए सम्भोग  और सेक्स की आज भी याद आती है . क्या पता अगला मौका कब मिलेगा.

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